संधारणीय ऊर्जा

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संधारणीय ऊर्जा (सस्टेनेबल इनर्जी), ऊर्जा के उस प्रावधान को कहते हैं जो भावी पीढ़ियों की ऊर्जा आवश्यकताओं से समझौता किए बिना वर्तमान की जरूरतों को पूरा करती है। अक्षय ऊर्जा स्रोतों में अक्सर सभी नवीकरणीय स्रोत शामिल होते हैं, जैसे वनस्पति पदार्थ, सौर शक्ति, पवन शक्ति, भू-ऊष्मा शक्ति, तरंग शक्ति और ज्वार द्वारा उत्पन्न शक्ति। इसमें आमतौर पर ऊर्जा की प्रभावकारिता को बढ़ाने वाली प्रौद्योगिकियाँ भी शामिल हैं। पारंपरिक विखंडन शक्ति को कभी-कभार अक्षय ऊर्जा समझ लिया जाता है, किन्तु यह राजनीतिक कारणों से विवादास्पद है क्योंकि पीक यूरेनियम से संबंधित चिंताएं, रेडियोधर्मी कचरे का निस्तार और दुर्घटना की जोखिम, आतंकवाद या प्राकृतिक आपदा आदि का अंदेशा बना रहता है।

परिभाषाएं[संपादित करें]

ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा को अक्षय ऊर्जा के दोहरित स्तंभ कहा जाता है।[1] अक्षय या स्थायी ऊर्जा की कुछ परिभाषाएं इस प्रकार हैं:

  • "प्रभावी रूप से, ऊर्जा के उस प्रावधान को कहते हैं जो भावी पीढ़ियों की ऊर्जा आवश्यकताओं से समझौता किए बिना वर्तमान की जरूरतों को पूरा करती है। ...अक्षय ऊर्जा के दो प्रमुख घटक है: नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता - नवीकरणीय ऊर्जा और दक्षता भागीदारी (ब्रिटिश)[2]
  • "गतिशील समभाव के साथ ऊर्जा प्रधान वस्तु और सेवाओं की उपलब्धता सभी लोगों के लिए एक समान हो, तथा भावी पीढ़ियों के लिए पृथ्वी को सुरक्षित बचाए रखना।" तथा " अक्षय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा परिवर्तन एवं उपयोग के अधिक सक्षम तरीकों की खोज में ही हल अथवा समाधान का निहित होना।" - सस्टेनेबल इनर्जी, एमआईटी प्रेस से जे॰ डब्ल्यू॰ टेस्टर आदि।
  • "कोई भी ऊर्जा उत्पादन, दक्षता एवं संरक्षण स्रोत जहाँ - संसाधन की उपलब्धता बड़े पैमाने पर स्केलिंग योग्य हो, जो ऊर्जा उत्पादन का संभवतः 100 वर्षों तक एक दीर्घकालिक, महत्वपूर्ण भाग बन सके।" - इन्वेस्ट, एक हरित प्रौद्योगिकी गैर लाभ संगठन।[3]

"ऊर्जा, जो मनुष्य के जीवन काल में पुनः-पूर्ती योग्य हो और जो पर्यावरण को कोई लंबी अवधि का नुकसान न पंहुचाये।" - जमैका अक्षय विकास नेटवर्क[4]

ऊर्जा स्रोत की उस क्षमता पर ध्यान केन्द्रित कर जिससे लगातार ऊर्जा प्रधान कार्य ज़ारी रहे, अक्षय ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा के लिए प्रयुक्त अन्य शब्दों जैसे, वैकल्पिक ऊर्जा एवं हरित ऊर्जा से पृथक किया जाता है। जब तक अनिश्चित काल तक ऊर्जा स्रोत के भारी मात्रा में उपयोग पर प्रतिबन्ध लगाना संभव न हो, अक्षय ऊर्जा कुछ मात्रा में पर्यावरण को प्रदूषित कर सकती है। अक्षय ऊर्जा कम कार्बन युक्त ऊर्जा से भी भिन्न है, जो कि मात्र उसी मायने में अक्षय है जब तक कि वह वातावरण में कार्बन डाय आक्साईड (CO2) न जोड़े।

हरित ऊर्जा ऐसी ऊर्जा है जिसे पर्यावरण को प्रभावित किए बिना अवतरित, उत्पन्न और/या उपयोग में लाया जा सके। हमारे ग्रह में प्रदूषण से उबरने क़ी एक प्राकृतिक क्षमता है जिसका अर्थ है जब तक प्रदूषण स्तर उस क्षमता से परे न जाये, उसे हरित कहा जा सकता है।

हरित शक्ति नवीकरणीय ऊर्जा का सबसेट {उपसंच} है तथा उन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों एवं तकनीकों का प्रतिनिधित्व करता है जो सर्वाधिक पर्यावरणीय लाभ प्रदान करते हैं। अमेरिका पर्यावरण संरक्षण एजेंसी, हरित शक्ति को इस तरह परिभाषित करती है, वह बिजली जिसे सूर्य, पवन, भूतापीय, बायोगैस, बायोमास एवं कम प्रभाव वाले छोटे पनबिजली संयंत्र से उत्पन्न किया जाये। ग्राहक अक्सर हरित ऊर्जा को इसलिए खरीदते हैं ताकि पर्यावरणीय प्रभावों को टाला जा सके और ग्रीन हाउस गैस में कमी का लाभ मिल सके।[5]

नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियाँ[संपादित करें]

नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी अनिवार्य रूप से अक्षय ऊर्जा में योगदान करती है क्योंकि वे आम तौर पर जीवाश्म ईंधन,[उद्धरण चाहिए] पर निर्भरता को कम करके वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करती हैं एवं ग्रीन हाउस गैसों को कम करने का अवसर प्रदान करती हैं।[6] अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेन्सी कहती है कि:

Conceptually, one can define three generations of renewables technologies, reaching back more than 100 years .

First-generation technologies emerged from the industrial revolution at the end of the 19th century and include hydropower, biomass combustion, and geothermal power and heat. Some of these technologies are still in widespread use.

Second-generation technologies include solar heating and cooling, wind power, modern forms of bioenergy, and solar photovoltaics. These are now entering markets as a result of research, development and demonstration (RD&D) investments since the 1980s. The initial investment was prompted by energy security concerns linked to the oil crises (1973 and 1979) of the 1970s but the continuing appeal of these renewables is due, at least in part, to environmental benefits. Many of the technologies reflect significant advancements in materials.

Third-generation technologies are still under development and include advanced biomass gasification, biorefinery technologies, concentrating solar thermal power, hot dry rock geothermal energy, and ocean energy. Advances in nanotechnology may also play a major role.

International Energy AgencyRENEWABLES IN GLOBAL ENERGY SUPPLY, An IEA Fact Sheet[6]

पहली और दूसरी पीढ़ी की प्रौद्योगिकी बाजार में प्रवेश कर चुकी है और तीसरी पीढ़ी की प्रौद्योगिकी पूर्णतः लंबी अवधि के अनुसंधान और विकास प्रतिबद्धताओं पर निर्भर है जहाँ सार्वजनिक क्षेत्र को अपनी भूमिका अदा करनी है।[6]

2008 में ऊर्जा समस्या समाधान को लेकर की गयी एक व्यापक समीक्षा के लागत-लाभ विश्लेषण ने ग्लोबल वार्मिंग तथा अन्य मुद्दों के संदर्भ में, पवन शक्ति को इलेक्ट्रिक बैटरी वाहन सहित सर्वाधिक प्रभावी माना है; उसके बाद सांद्रित सौर ऊर्जा, भूतापीय शक्ति, तरंग शक्ति, फोटोवोल्टाइक, ज्वार की वेवों द्वारा ऊर्जा, कोयले की प्राप्ति और भंडारण, परमाणु ऊर्जा और अंत में बायो ईंधन को स्थान दिया गया है।[7]

पहली पीढ़ी क़ी प्रोद्योगिकियाँ[संपादित करें]

गीजर में कई विद्युत संयंत्रों में से एक, उत्तरी कैलिफोर्निया में एक भू-ऊष्मा बिजली क्षेत्र पर 750 मेगावाट के कुल उत्पादन के साथ.
First-generation technologies are most competitive in locations with abundant resources. Their future use depends on the exploration of the available resource potential, particularly in developing countries, and on overcoming challenges related to the environment and social acceptance.
International Energy AgencyRENEWABLES IN GLOBAL ENERGY SUPPLY, An IEA Fact Sheet[6]

नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों में, पनबिजली संयंत्र दीर्घ काल तक कार्यरत रह सकते हैं - कई मौजूदा संयंत्र 100 से भी अधिक सालों से कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा, पनबिजली संयंत्र स्वच्छ तथा बहुत कम उत्सर्जन वाले होते हैं। बड़े पैमाने वाले पनबिजली संयंत्रों पर क़ी जा रही आलोचनाओं में शामिल हैं: लोगों का विस्थापन जहाँ जलाशयों की योजना बनाई गयी है और निर्माण तथा बाढ़ के दौरान भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन.[8]

पनबिजली बांध अक्षय ऊर्जा के सबसे व्यापक रूप से तैनात किए गए सूत्रों में से एक हैं।

हालाँकि, यह पाया गया है कि उच्च उत्सर्जन स्तर केवल गर्म स्थलों (उष्णकटिबंधीय) के उथले जलाशयों के साथ ही जुड़े हुए हैं। सामान्यतः पनबिजली संयंत्र अन्य प्रकार के संयत्रों की तुलना में बहुत कम उत्सर्जन का जीवन चक्र प्रदर्शित करते हैं। विद्युतीकरण जो कि 19 वीं और 20 वीं सदी में व्यापक रूप से विकसित हुआ, 21 वीं सदी में पुनरुत्थान के अनुभव से गुजर रहा है। एशिया की बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के क्षेत्रों में जल विद्युत विकास सर्वाधिक हुआ है। चीन इस विकास में अग्रणी है, लेकिन, अन्य एशियाई राष्ट्र भी द्रुत गति से जल विद्युत स्थापित कर रहे हैं। यह वृद्धि अधिक ऊर्जा लागत - विशेष रूप से आयातित ऊर्जा की लागत - और व्यापक पैमाने पर अधिक घरेलू उत्पादन, साफ, नवीकरणीय ऊर्जा और किफायती उत्पादन के कारण हुई है।

पनबिजली बांध का क्रॉस सेक्शन

भूतापीय ऊर्जा से संचलित संयंत्र आधारभूत उत्पादन क्षमता के साथ 24 घंटे कार्यरत रह सकते है, तथा दुनिया की संभावित ऊर्जा उत्पादन क्षमता अगले 30 वर्षों में 85 GW होने का अनुमान है। हालाँकि, संयुक्त राज्य अमेरिका, मध्य अमेरिका, इंडोनेशिया, पूर्वी अफ्रीका और फिलीपींस सहित सीमित क्षेत्रों में ही भूतापीय ऊर्जा की पैठ है। 1970 में निर्मित तंत्र/प्रणाली की तुलना में भूतापीय ऊर्जा की लागत काफी गिर गयी है।[6] भूतापीय ऊर्जा उत्पादन ऐसे कई देशों अथवा क्षत्रों में बढ़ सकता है जहाँ संसाधन के स्रोत कम गर्मी प्रदान करते हैं। विकसित भूतापीय तंत्र तकनीक के चलते प्राकृतिक संवहनी जलतापीय संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती, यदि संसाधन असीमित हो तो इसका प्रयोग उन क्षेत्रों के लिए भी हो सकता है जहाँ पहले इसे अनुपयुक्त माना गया था। वर्तमान में, अमेरिका के ऊर्जा विभाग के अंतर्गत का ईजीएस विभाग अनुसंधान में लगा हुआ है।

लकड़ी के कोयले के एक विकल्प के रूप में विकसनशील दुनिया में बायोमास ईंटों का तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तकनीक में लगभग किसी भी वनस्पति पदार्थ के किसी भी हिस्से को संकुचित कर ईंटों में बदला जाता है जिनका कैलोरी मान लकड़ी के कोयले के 70% होता है। बड़े पैमाने पर इस किस्म की ईंट के उत्पादन के अपेक्षाकृत बहुत थोड़े उदाहरण हैं। इसका एक अपवाद उत्तरी कियु, पूर्वी लोकतांत्रिक गणराज्य कोंगो में पाया जाता है जहाँ लकड़ी का कोयला पाने हेतु जंगल कटाई को पहाड़ी गोरिल्ला के निवास को सबसे बड़ा खतरा माना जाता है। विरुंगा राष्ट्रीय पार्क के कर्मियों के दल ने 3500 लोगों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित कर बायोमास ईट के उत्पादन के लिए सुसज्जित किया है, जिसके चलते राष्ट्रीय पार्क में अवैध रूप से लकड़ी के कोयले के उत्पादन को रोक, संघर्ष प्रभावित क्षेत्र में चरम गरीबी में जीवन व्यापन कर रहे लोगों के लिए रोजगार अवसर प्राप्त किये गये।[9]

दूसरी पीढ़ी की प्रौद्योगिकियाँ[संपादित करें]

दुनिया भर में स्थापित पवन बिजली क्षमता 1996-2008
Markets for second-generation technologies are strong and growing, but only in a few countries. The challenge is to broaden the market base for continued growth worldwide. Strategic deployment in one country not only reduces technology costs for users there, but also for those in other countries, contributing to overall cost reductions and performance improvement.
International Energy AgencyRENEWABLES IN GLOBAL ENERGY SUPPLY, An IEA Fact Sheet[6]

सौर ऊर्जा से ऊष्मा प्राप्त करने की प्रणाली एक जानी-मानी दूसरी पीढ़ी की प्रौद्योगिकी समझी जाती है और आम तौर पर इसमें सोलर ऊष्मा संग्राहक, एक द्रव तंत्र जो कि उपयोग बिंदु पर संग्राहक से ऊष्मा निकालने के काम आता है, एवं एक भंडारण पात्र या टैंक का ऊष्मा भंडारण जैसे काम के उपयोग के लिए होता है। इस तंत्र को घरेलू इस्तेमाल हेतु- पानी गर्म करने, स्विमिंग पूल का पानी गर्म करने, या जगह गर्म करने में लाया जा सकता है।[10] इस ऊष्मा का प्रयोग औद्योगिक अनुप्रयोगों में अथवा शीतलन उपकरणों में प्रयुक्त ऊर्जा प्रदान करने में किया जा सकता है।[11] कई मौसम में, एक सौर ताप प्रणाली बहुत उच्च प्रतिशत (50 से 75%) में घरेलू उपयोग हेतु गर्म पानी ऊर्जा प्रदान कर सकती है। पृथ्वी द्वारा सूर्य से प्राप्त ऊर्जा चुम्बकीय विकिरण के रूप में होती है। किरण का सद्रश्य माध्यम, अवरक्त, पराबैंगनी, एक्स रे और रेडियो तरंगे, पृथ्वी सौर ऊर्जा से प्राप्त करती है। विकिरण की सर्वोच्च शक्ति सदृश्य प्रकाश से प्राप्त होती है। सौर ऊर्जा, मौसम के परिवर्तन एवं रात के दिन में बदलने के फलस्वरूप जटिलता से भरी पड़ी है। आच्छादित बादल भी सौर ऊर्जा की जटिलताओं को बढ़ा देते है और इससे सूर्य से आने वाली विकिरण पूर्ण रूप से पृथ्वी तक नहीं पंहुच पाते क्योंकि यह अवशोषित होती है और बादलों के चलते तथा पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर गैसों के कारण बिखरती भी है।[12]

11 मेगावाट सौर बिजली संयंत्र, सेरपा के पास पुर्तगाल [29]

1980 के दशक के अंत में और 1990 के दशक के आरंभ में अधिकांश मॉड्यूल द्वारा रिमोट क्षेत्र में ऊर्जा प्रदान की गयी, लेकिन 1995 के आसपास, पावर ग्रिड से जुड़े औद्योगिक प्रयासों का ध्यान तेजी से एकीकृत फोटोवोल्टाइक एवं ऊर्जा संयंत्र के निर्माण में विकास पर केन्द्रित किया गया। (विवरण के लिए फोटोवोल्टाइक पावर स्थानकों पर लेख देंखे} वर्तमान में उत्तर अमेरिका का सबसे बड़ा फोटोवोल्टाइक पावर संयंत्र नेलिस सौर ऊर्जा संयंत्र (15 मेगावाट) है।[13][14] विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया में दुनिया के सबसे बड़े, 154 मेगावाट क्षमता वाले, सौर विद्युत स्टेशन के निर्माण का प्रस्ताव है।[15][16] अन्य बड़े फोटोवोल्टाइक पावर स्टेशनों में सम्मिलित है गीरासोल सौर ऊर्जा बिजली संयंत्र (62 मेगावाट),[17] तथा वाल्डपोलेंज सौर उद्यान (40 मेगावाट).[18]

एक पैराबोलिक ट्रफ कलेक्टर का स्केच

पवन ऊर्जा जैसे कुछ दूसरी पीढ़ी के नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में उच्च क्षमता है और इनमे अपेक्षाकृत कम उत्पादन लागत को पहले से ही प्राप्त किया जा चुका है। 2008 के अंत तक दुनिया भर की पवन खेत क्षमता 120,791 मेगावाट थी, जो कि 28.8 प्रतिशत की उस वर्ष की वृद्धि,[19] तथा पवन शक्ति द्वारा वैश्विक ऊर्जा खपत का लगभग 1.3 प्रतिशत उत्पादन किया गया।[20] डेनमार्क में बिजली का उपयोग पवन शक्ति से लगभग 20%, स्पेन में 9% और जर्मनी में 7% किया जाता है।[21][22] हालाँकि, पवन टर्बाइनों का पर्यावरण तथा सौंदर्य बोध के कारणों से देखे जाना मुश्किल हो सकता है और कुछ प्रकरणों में पवन द्वारा ऊर्जा को बिजली के ग्रिड में बदलना मुश्किल हो सकता है।[6]

1980 दशक के अंत से कैलिफोर्निया में सौर ताप विद्युत स्टेशन सफलतापूर्वक सक्रिय है, जिनमें सम्मिलित है किसी भी प्रकार के सौर ऊर्जा संयंत्र में सबसे बड़ी 350 मेगावाट की सौर ऊर्जा उत्पादन प्रणाली. नेवादा सोलर वन नामक एक और 64MW संयंत्र हाल में ही खोला गया है।[23] अन्य पैराबोलिक ट्रफ किस्म के प्रस्तावित ऊर्जा संयंत्रों में से एक 50 मेगावाट का स्पेन में तथा दूसरा 100mW का इजरायल में स्थित है।[24]

पंप पर जानकारी, कैलिफोर्निया

दुनिया में सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम ब्राजील का है, जिसके तहत इथेनॉल नामक ईंधन गन्ने से बनाया जाता है, तथा देश के 18 प्रतिशत मोटर वाहन का ईंधन अब इथेनॉल है। इसके नतीजतन, घरेलू गहरित पानी तेल स्रोतों से निष्कासन सहित, वह ब्राजील जिसे वर्षों पहले घरेलू खपत की जरूरत के लिए बड़े पैमाने पर पेट्रोलियम आयात करना होता था, हाल ही तेल में आत्म निर्भर हो गया.[25][26][27]

अमेरिका में सड़कों पर आज ज्यादातर कारों के लिए 10% इथेनॉल के मिश्रणों पर गाड़ियाँ चलाई जा सकती हैं, तथा मोटर वाहन निर्माता पहले से ही बहुत अधिक इथेनॉल मिश्रणों पर चल सकने वाले मोटर वाहन डिज़ाइन कर उनके उत्पादन में जुट चुके है। फोर्ड, डेमलर क्रिसलर और जी एम उन उत्पादक कंपनियों से हैं जो ऐसी कार, ट्रक, मिनी वेंन बेच रहे हैं जो "लचीले ईंधन" के रूप में गैसोलीन के साथ इथेनॉल मिश्रण विविध श्रेणी में 85% तक का उपयोग क़र सकती हैं। 2006 के मध्य तक, अमेरिका की सड़कों पर इ85-अनुकूल लगभग छह लाख वाहन आ चुके थे।[28]

तीसरी पीढ़ी की प्रौद्योगिकियाँ[संपादित करें]

एमआईटी द्वारा 1939 में निर्मित सोलर हाउस # 1 साल भर गर्मी प्रदान करने के लिए मौसमी थर्मल भंडारण का प्रयोग करता था।
Third-generation technologies are not yet widely demonstrated or commercialised. They are on the horizon and may have potential comparable to other renewable energy technologies, but still depend on attracting sufficient attention and RD&D funding. These newest technologies include advanced biomass gasification, biorefinery technologies, solar thermal power stations, hot dry rock geothermal energy, and ocean energy.
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अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार नवीन जैव ईंधन प्रौद्योगिकी आजकल विकसित की जा रही है, ध्यान देने योग्य सेलुलोसिक इथेनॉल बायोरिफाइनरी के चलते भविष्य का जैव ईंधन विगत समय में जो सोचा गया था उसकी तुलना में बड़ी भूमिका निभाएगा.[29] सेलुलोसिक इथेनॉल को मुख्यतः, अधिकांश पेड़ों की शाखाओं का निर्माण करने वाले अखाद्य सेलूलोज़ फाइबर से बने वनस्पति पदार्थ द्वारा बनाया जा सकता है। फसल के अवशेष (जैसे मकई के डंठल, गेहूं और चावल के भूसे), लकड़ी का बुरादा और नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट आदि सेलुलोसिक बायोमास के संभावित स्रोत हैं। ऊर्जा प्रदान करने वाली समर्पित फसलें जैसे कि स्विचग्रास भी भरोसेमंद सेलूलोज़ का स्रोत हैं जिसे अमरीका के कई इलाकों में पैदा किया जा सकता है।[30]

दुनिया का पहला वाणिज्यिक </ref> ज्वारीय धारा जनरेटर - सीजेन (SeaGen) - स्ट्रेंगफोर्ड झील में.मजबूत वेक ज्वार धारा की ज्वारीय शक्ति को दर्शाता है।

महासागर ऊर्जा के संदर्भ में कहा जाये तो यह तीसरी पीढ़ी की एक और प्रौद्योगिकी है। पुर्तगालमें विश्व की प्रथम वेवों की खेती है, जिसे अगुकाडोरा वेव फ़ार्म से जाना जाता है और जो 2007 से निर्माणाधीन है। फार्म प्रारंभ में तीन पेलामिस P -750 मशीनों का उपयोग क़र 2.25 मेगावाट ऊर्जा निर्माण करेगी.[31][32] और लागत 8.5 मिलियन यूरो मुद्रा तक होने का अनुमान है। कार्यान्वयन सफलतापूर्वक करने के बाद, 2009 से पहले 525 मेगावॉट का उत्पादन करने के लिए 28 नयी मशीनों पर और 70 मिलियन यूरो मुद्रा निवेश किये जाने की संभावना है।[33] फरवरी 2007 में, स्कॉटलैंड के स्कॉटिश कार्यकारीयों ने एक वेव फार्म हेतु 4 मिलियन पाउंड मुद्रा के अनुदान की घोषणा की जो कि स्कॉटलैंड में समुद्र शक्ति हेतु घोषित राशी 13 मिलियन पाउंड मुद्रा का एक हिस्सा है। यह विश्व का सबसे बड़ा फार्म होगा तथा चार पेलामिस मशीनों द्वारा 3 मेगावाट की इसकी क्षमता होगी.[34] (वेव फार्म को भी देखें)

2007 में आयरलैंड में, दुनिया की पहली टरबाइन, ज्वार से व्यावसायिक रूप से ऊर्जा बनाने के लिए स्ट्रांगफोर्ड झील की संकरी समुद्र पट्टी पर लगाई गयी। 1.2 मेगावाट का ज्वार विद्युत जनरेटर पानी के अन्दर 4 मीटर/सेकंड की रफ़्तार से उठे ज्वार प्रवाह का लाभ झील में लेगा। हालाँकि जनरेटर हजार घरों को पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करने योग्य शक्तिशाली होता है, फिर भी टरबाइन का पर्यावरण पर नगण्य कुप्रभाव पड़ता है, क्योंकि वह पूरा का पूरा पानी में डूबा रहता है, एवं उसके डैने इतनी संथ गति से घूमते है कि वन्य जीवन के लिए खतरा नहीं रहता।[35][36]

उत्पादन करने वाले निवेशकों और अधिकारियों के अनुसार सौर शक्ति के पैनल में नैनो तकनीक का प्रयोग होता है, जो सिलिकोन के अलग -अलग रेणुओं से परिपथ बना सकती है, पारंपरिक फोटोवोल्टाइक बैटरी कि तुलना में आधा निवेश ही हो सकता है। नैनो तकनीक से पतली तह वाले सौर पैनल के उत्पादन हेतु एक कारखाना बनाने के लिए नैनोसोलर संस्था ने निवेशकों से 100 मिलियन डालर सुरक्षित क़र लिए हैं। कंपनी ने एक योजना बनाई है जिसके अनुसार उत्पादन क्षमता कुल 430 मेगावाट की शिखर शक्ति युक्त सौर बैटरी प्रति वर्ष है। तक वाणिज्यिक उत्पादन शुरू किया गया और पहले पैनल की खेप[37] ग्राहकों को 2007 के अंत तक भेज दी गयी।[38]

वर्तमान के अधिकांश सौर ऊर्जा संयंत्रों को समान इकाइयों की सारणी में समायोजित किया जाता है जहाँ हर इकाई को लगातार व्यवस्थित किया जाता है जैसे, कुछ चरण बद्ध मोटर्स के साथ, ताकि प्रकाश परिवर्तक सूरज के प्रकाश पर केन्द्रित रहे। जिस तरह एन्जिन को नाटकीय रूप से स्टीयर किया जाता है ठीक उसी तरह प्रभावी रस्सी यांत्रिकी द्वारा किरणों को परिवर्तकों, जैसे कि, उच्च सौर शक्ति पैनलों पर केन्द्रित करने की लागत को कम किया जा सकता है।[39] इस तकनीक में कई इकाइयों को रस्सियों के एक जाल से जोड़ा जाता है ताकि दो या तीन रस्सियों को खींचना ही पर्याप्त होकर सभी प्रकाश परिवर्तक एक साथ सूर्य की बदलती दिशा के अनुरूप सूर्य प्रकाश के केंद्र में आ जाये।

ऊर्जा सक्षमता[संपादित करें]

ऊर्जा अक्षयता की ओर अग्रसर होने के लिए, ना केवल ऊर्जा पूर्ति करने के तरीकों को बदलना होगा बल्कि ऊर्जा के उपयोग के तरीकों को भी बदलना होगा, एवं विभिन्न सेवाओं और वस्तुओं को आवश्यक ऊर्जा की मात्रा को भी घटाना अनिवार्य होगा। ऊर्जा समीकरण की माँगों के पक्ष में सुधार के अवसर प्रचुरता और विविधता पूर्ण हैं, ठीक उसी तरह जिस तरह पूर्ति के पक्ष में एवं महत्वपूर्ण व्याहारिक लाभ प्रदान करते हैं।[40]

नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा सक्षमता, कहा जाता है कि कभी-कभार अक्षय ऊर्जा योजना के "जुड़वां खंभे" होते हैं। दोनों संसाधनों को क्रम में विकसित किया जाना चाहिए जिससे स्थिरता एवं कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी बनी रहे. सक्षमता ऊर्जा की माँग को धीमा कर देती है जिसके चलते स्वच्छ ऊर्जा पूर्ति जैविक इंधन के उपयोग में कटौती कर सकती है। यदि ऊर्जा का उपयोग तेजी से बढ़ता है, तो अक्षय ऊर्जा विकास घटते लक्ष्य का पीछा करेगा. इसी तरह, यदि स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति पथ पर तेजी से बढ़ाई जाती हैं, तो इससे माँग में बढ़ोत्तरी घटने से कुल उत्सर्जन घटेगा, जिसके फलस्वरूप ऊर्जा स्रोतों से अनिवार्य रूप में कार्बन की मात्रा में कमी होगी. अक्षय ऊर्जा अर्थव्यवस्था के विषय में गंभीर दूर-दृष्टी के लिए नवीकरणीय ऊर्जा एवं सक्षमता, दोनों के प्रति प्रतिबद्धता अनिवार्य है।[41]

नवीकरणीय ऊर्जा (और ऊर्जा सक्षमता) अब उन आला क्षेत्रों से नहीं रहे जिन्हें सरकारों और पर्यावरणविदों से ही बढ़ावा दिया जाता है। निवेश में बढ़ते स्तर और यह तथ्य कि ज्यादा पूंजी अधिक पारंपरिक वित्तीय अभिनेताओं से आ रही है इस बात का सुझाव है कि अक्षय ऊर्जा पर्याय अब मुख्यधारा में शुमार हो रहे हैं।[42]

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के विश्लेषण के रुझान के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ तेल के ऊँचे दाम और सरकारों के बढ़ते सहयोग आदि के फलस्वरूप अक्षय ऊर्जा उद्योगों में निवेश की बढ़ोत्तरी हो रही है। यूएनईपी के मुताबिक, अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक निवेश विगत स्तरों की तुलना में 2007 में उच्चतर था, जिसमें $148 अरब के रूप में नवीन धन उगाया गया, जो कि 2006 की तुलना में 60% की वृद्धि दर्शाता है। अक्षय ऊर्जा में कुल वित्तीय लेनदेन, अधिग्रहण गतिविधि सहित, 204 अरब डॉलर था।[43]

2007 में निवेश में वृद्धि हुई है जिससे कुल मिलाकर अक्षय ऊर्जा उपयोग की अधिक चौड़ाई एवं गहराई का एक समग्र चित्र बना। मुख्यधारा पूंजी बाजार "अब स्वच्छ ऊर्जा कंपनियों को स्वीकार करने के लिए पूरी तरह से तैयार है और स्वच्छ ऊर्जा निवेश को पूंजी की आवक का समर्थन भी प्राप्त है।"[43]

हरित ऊर्जा[संपादित करें]

सौर गर्त सारणी हरित ऊर्जा का एक उदाहरण है।

हरित ऊर्जा में शामिल हैं प्राकृतिक ऊर्जावान प्रक्रियां जिन्हें बहुत कम प्रदूषण के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। अनएरोबिक पाचन, भू-ऊष्मा ऊर्जा शक्ति, पवन ऊर्जा शक्ति, छोटे पैमाने पर पनबिजली, सौर ऊर्जा, बायोमास ऊर्जा, ज्वारीय शक्ति, तरंग ऊर्जा, सभी उसी श्रेणी में आते हैं। कुछ परिभाषाओं में जलाए जाने लायक कचरे से प्राप्त शक्ति भी शामिल है।

कुछ लोग जिनमें जॉर्ज मौन्बिओट[44] और जेम्स लवलॉक[45] भी शामिल हैं, ने विशेष रूप से परमाणु शक्ति को हरित ऊर्जा के रूप में वर्गीकृत किया है। ग्रीनपीस[46][47] जैसे अन्य लोग सहमत नहीं हैं, एवं दावा करते हैं कि रेडियोधर्मी कचरे से संबद्ध समस्या तथा चेरनोबिल दुर्घटना आपदा जैसी परमाणु दुर्घटनायें पर्यावरण और मानवता के समक्ष अस्वीकार्य जोखिम पेश करती हैं।

कोई भी शक्ति स्रोत पूरी तरह से प्रभावों से मुक्त नहीं है। सभी ऊर्जा स्रोतों के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है और वे कुछ परिमाण में प्रौद्योगिकी के निर्माण से उत्पन्न प्रदूषण को जन्म देते हैं।

कई देशों में, जिनमें सामान्य वाहक व्यवस्था है, उनमें विद्युत खुदरा बिक्री की व्यवस्था उपभोक्ताओं को हरित विद्युत प्रदान करने में सहायक है, जिसे वे उपभोक्ता अथवा हरित ऊर्जा /नवीनीकरण ऊर्जा प्रदाता से ले सकते हैं।

जब ऊर्जा बिजली नेटवर्क से खरीदी जाती है, तो उपभोक्ता तक पहुंचने वाली ऊर्जा शक्ति आवश्यक नहीं कि हरित ऊर्जा स्रोत से निर्मित की गयी हो। स्थानीय उपभोक्ता कंपनी, बिजली कंपनी, या राज्य सत्ता मध्यस्थता से खरीदी जाने वाली बिजली जो कि बिजली उत्पादकों से खरीदी जाती है जो जैव इंधन से भी निर्मित की हुई हो सकती है या परमाणु अथवा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से भी बनाई हो सकती है। कई देशों में हरित ऊर्जा वर्तमान में बिजली की एक बहुत थोड़ी मात्रा ही प्रदान करती है, आम तौर पर समग्र प्रदीप्त ऊर्जा मात्रा का 2 से 5% योगदान ही हरित ऊर्जा का है। संयुक्त अमेरिका के कुछ राज्यों में, स्थानीय सरकारों ने समुदाय विकल्प एकत्रीकरण तथा सौर बंधों का उपयोग कर प्रादेशिक विक्रय पूल/सेतु बनाए है जिनसे नवीकरणीय मिश्रित अथवा उच्च ऊर्जा का 51% हिस्सा ख़रीदा जा सके, जैसे कि सैन फ्रांसिस्को शहर में किया गया है।[48]

हरित ऊर्जा कार्यक्रम में भाग लेकर एक उपभोक्ता, उपयोग किये जा रहे ऊर्जा स्रोत पर प्रभाव डाल अंततः हरित ऊर्जा के प्रसार और उपयोग में सहायक होता है। वे उपभोक्ता इस माध्यम से नीति निर्माताओं को यह संदेश भी देते हैं कि वे नवीकरणीय ऊर्जा का समर्थन करते हुए उसका मूल्य देने को तैयार हैं। हरित ऊर्जा उपभोक्ता या तो उपयोगिता कंपनियों को हरित ऊर्जा, जिसे वे समूह से खरीदते हैं (इस प्रकार गैर हरित ऊर्जा के खरीदी की मात्रा को घटाते हैं), उसकी मात्रा को बढ़ाने के लिए बाध्य करते हैं, अथवा हरित ऊर्जा प्रदाता के माध्यम से वे हरित ऊर्जा कोष की राशि में वृद्धि करते हैं। यदि अपर्याप्त हरित ऊर्जा स्रोत उपलब्ध हों तो उपयोगिता एजेंसी को चाहिए कि नवीन स्रोत बनाएं अथवा किसी तीसरे पक्ष रूपी एजेंसी से अनुबंध कर हरित ऊर्जा प्रदान की जा सके, ठीक इतनी मात्रा में निर्माण कराएँ। हालाँकि, उपभोक्ता के पास अपने द्वारा खरीदी गयी बिजली के "हरित" होने संबंधी जाँच का कोई साधन नहीं होता है।

नीदरलैंड जैसे कुछ देशों में, बिजली कम्पनियां अपने ग्राहकों द्वारा इस्तेमाल के बराबर मात्रा की 'हरित शक्ति' खरीदने की गारंटी देती हैं। डच सरकार ने प्रदूषण कर से हरित ऊर्जा को छूट दी है जिसका अर्थ यह है कि हरित ऊर्जा अन्य ऊर्जा से महंगी नहीं है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में, विद्युत ग्रिड के माध्यम से हरित ऊर्जा को खरीदने में प्रमुख समस्या यह है कि मौजूदा केंद्रीकृत ढांचा जो उपभोक्ता को विद्युत प्रदान करता है, वह योग्य / सक्षम नहीं है। इस अक्षम बुनियादी सुविधा वाले ढांचे के चलते लगातार ब्राउन आउट और ब्लैक आउट, उच्च CO2 उत्सर्जन, अधिक ऊर्जा लागत, ऊर्जा गुणवत्ता जैसी समस्याएं उपजी हैं।[49] इस नवीन प्रणाली के विस्तार के लिए अगले 20 वर्षों में $450 अरब की अतिरिक्त राशि का निवेश कर बढ़ती माँग को पूर्ण किया जायेगा।[50] इसके आलावा, इस केंद्रीकृत प्रणाली को अब करों के बोझ से लादा जा रहा है उसमें पवन, सौर और भू-ऊष्मा ऊर्जा जैसी अक्षय ऊर्जा का समावेश कर। नवीकरणीय संसाधन अधिक जगह व्याप्त करने से अक्सर दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित होते हैं जहाँ ऊर्जा की माँग कम ही रहती है। मौजूदा बुनियादी ढांचे से इस ऊर्जा को शहरी केंद्रों जैसे माँग वाले क्षेत्रों तक स्थानांतरित करना अत्याधिक अक्षम एवं कठिन कार्य ही होगा. इसके अतिरिक्त, नवीकरणीय ऊर्जा की भरपूर निर्मित मात्रा या इस तरह की तकनीकों की आर्थिक व्यवहार्यता के बावजूद, मात्र 20 प्रतिशत ही ग्रिड में शामिल होने योग्य रह जाएगी। अधिक स्थायी ऊर्जा प्राप्त करने हेतु संयुक्त राज्य अमरीका के लिए अनिवार्य है कि विद्युत ग्रिड में सुधार की योजना का अमल करे जिसके कारण मिश्रित ईंधन अर्थव्यवस्था समायोजित होगी।[51]

हालाँकि, इन वितरण समस्याओं को दूर करने की पहल के लिए कई प्रस्ताव दिए जा रहे हैं। सबसे पहले, संयुक्त राज्य अमरीका का CO2 उत्सर्जन कम करने के लिए और वैश्विक वार्मिंग की गति धीमी करने हेतु संरक्षण के माध्यम से सबसे प्रभावी तरीके से प्रयास जरुरी है। अमेंरिकी विद्युत ग्रिड के मौजूदा विरोधियों ने भी ग्रिड के विकेंद्रीकरण की वकालत की है। यह प्रणाली प्रसारण में खोने वाली ऊर्जा की मात्रा कम कर क्षमता में वृद्धि करेगी। यह आर्थिक रूप से व्यवहार्य भी रहेगा क्योंकि माँग को ध्यान में रखकर बनाई जा रही पावर लाइनों की मात्रा को कम किया जा सकेगा। इस प्रणाली में ऊष्मा एवं शक्ति को मिलाकर अतिरिक्त लाभ और सहायता अर्जित की जाएगी और लगभग 80-90% तक क्षमता बढ़ाने में मदद होगी। यह एक उल्लेखनीय वृद्धि है जो कि वर्त्तमान में जीवाश्म ईंधन पौधों से प्राप्त 34% से काफी अधिक है।[52]

हमारी बिजली ग्रिड में सुधार के लिए एक आधुनिक अवधारणा यह है कि माइक्रोवेव को सीधे पृथ्वी कक्षा में स्थित उपग्रहों या चाँद से जब और चाहे जहाँ माँग हो उन स्थानों पर प्रक्षेपित किया जाये। सौर ऊर्जा से उत्पन्न की जाने वाली शक्ति को इस प्रणाली के तहत चन्द्र सतह पर हासिल किया जायेगा, "प्राप्तकर्ता चौडे तम्बुनुमा आकार की संरचना होगी जो माइक्रोवेव प्राप्त करने और उन्हें बिजली में परिवर्तित करने का काम करेगी।" 2000 में नासा ने कहा कि इस तकनीक पर काम करना लाभप्रद है लेकिन इतनी जल्द अभी से यह बताना सही नहीं की यह लागत प्रभावी होगी अथवा नहीं।[53]

निसर्ग और हरित विद्युत को शीर्ष में रखने वाली वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर जैसी कई किस्म की संस्था/संगठनों ने यूजीन ग्रीन ऊर्जा मानक की निर्मिती की है जिसके तहत राष्ट्रीय हरित बिजली प्रमाणीकरण योजनाओं को सुनिश्चित किया जा सकेगा यह निश्चित करने के लिए कि हरित बिजली की खरीदी अतिरिक्त नवीन हरित ऊर्जा के स्रोत के प्रावधान के तारतम्य में है अथवा नहीं।[54]

स्थानीय हरित ऊर्जा तंत्र /प्रणालियाँ[संपादित करें]

जो लोग तीसरे पक्ष के हरित ऊर्जा से जुड़े पावर ग्रिड वाले दृष्टिकोण से संतुष्ट न हो वे खुद के स्थानीय आधार वाले नवीकरणीय ऊर्जा तंत्र स्थापित कर सकते हैं। सौर से पवन और यहाँ तक कि कुछ प्रकरणों में स्थानीय पन बिजली से नवीकरणीय ऊर्जा विद्युत तंत्र, कई प्रकार में से कुछ नवीकरणीय ऊर्जा तंत्र स्थानीय रूप से उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त, जो लोग अपने घरों को नवीकरणीय ऊर्जा से गर्म या ठंडा करना चाहे, उनके लिए भू-ऊष्मा पम्प तंत्र मौजूद है जो जमिन के कुछ फिट निचे जमिन के स्थिर तापक्रम, जो कि लगभग 7 -15 सेल्सियस डिग्री है, का प्रयोग करता है, यह सब पारंपरिक प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम द्वारा ऊष्मा अर्जित करने के पर्याय है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में इस दृष्टिकोण का लाभ यह है कि कई राज्य अक्षय/नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली स्थापित करने हेतु लागत में छुट और प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। अमेंरिकी राज्यों में कैलिफोर्निया, मैसाचुसेट्स और कई अन्य राज्यों में, सामुदायिक ऊर्जा आपूर्ति के लिए समुदायों में समुदाय विकल्प एकत्रीकरण नामक एक नया दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत इस ऊर्जा की माँग करने पर नगरपालिका के बंधन शिथिल कर विकास के लिए वित्तीय सहायता हरित ऊर्जा संसाधनों के उपयोग पर की जाती है। व्यक्तियों को आमतौर पर आश्वासन दिया जाता है कि जिस बिजली का वे उपयोग कर रहे हैं वास्तव में वह एक हरित रंग की ऊर्जा ही है जो कि उनके नियंत्रण के हरित ऊर्जा स्रोत से निर्मित है। इस तंत्र का भुगतान होते ही अक्षय/ नवीकरणीय ऊर्जा का मालिक खुद की नवीकरणीय विद्युत ऊर्जा की निर्मिती अनिवार्य रूप से बिना लागत के कर अतिरिक्त उत्पाद को स्थानीय उपयोगिता केंद्र को नफे के साथ बेच सकता है।

हरित ऊर्जा का उपयोग[संपादित करें]

अक्षय/नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन के बाद उसे उपयोग में लाने वाले माध्यम में संग्रहित किया जाता है, यह माध्यम स्वायत्त उपकरण होते है और इसके साथ ही इसे वाहनों पर भी संग्रहित किया जा सकता है। उसी तरह सुदूर इलाकों में (अर्थात वे क्षेत्र जो मुख्य विद्युत ग्रिड से जुड़े नहीं है) घरेलु विद्युत प्रदान करने के लिए ऊर्जा भण्डारण की आवश्यकता होती है ताकि नवीकरणीय ऊर्जा के साथ इस्तेमाल हो सके। बाद के प्रकरण में की ऊर्जा निर्मिती और उपभोग तंत्र साधारणतः स्वयं कार्यकारी शक्ति तंत्र होते है।

कुछ उदाहरण:

  • पहिया/ चक्का ऊर्जा भंडारण, पंप- भंडारण पनबिजली का स्थायिक उपकरणों में अधिक उपयोग {उदाहरण - घरों और दफ्तरों को शक्ति}। घरेलू बिजली प्रणालियों में, ऊर्जा का रूपांतरण गंध को भी कम करने हेतु किया जा सकता है। उदाहरण के लिए कार्बनिक पदार्थ तथा सड़ने वाले पदार्थ और गाय के गोबर आदि को बायोचार में बदला जा सकता है। उत्सर्जन को समाप्त करने के लिए कार्बन केप्चर और इसके बाद भंडारण का उपयोग किया जाता है।

हालाँकि आमतौर पर, अक्षय/नवीकरणीय ऊर्जा की व्युत्पत्ति मुख्य विद्युत ग्रिड से की जाती है। इसका अर्थ यह है कि ऊर्जा भंडारण अधिकतर उपयोग में नहीं लाया जाता क्योंकि मुख्य विद्युत ग्रिड को आयोजित कर उस विशिष्ट समय पर उपभोग की जाने युक्त मात्रा की ही बिजली बनाई जाती है। मुख्य विद्युत ग्रिड पर ऊर्जा उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र के साथ - साथ अन्य जैविक इंधन जैसे शक्ति संयंत्र और परमाणु शक्ति को एक संयोजन में (बड़े पैमाने पर) किया जाता है। हालाँकि यह संयोजन है, जो इस प्रकार की ऊर्जा आपूर्ति के लिए आवश्यक है (उदाहरण के लिए पवन टर्बाइन, सौर ऊर्जा संयंत्र आदि, यह निर्मिती उस समय ही हो पाती है जब हवा चल रही हो अथवा जब सूर्य चमक रहा हो। यह भी इस तंत्र में एक प्रमुख कमी है जब कि जीवाश्म ईंधन शक्ति संयंत्र प्रदूषण फैला रहे है और वे ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है जिसमें नाभिकीय शक्ति एक अपवाद है। हालाँकि जीवाश्म ईंधन ऊर्जा संयंत्रों को भी प्रदूषण रहित किया जा सकता है (कार्बन केप्चर और भंडारण के माध्यम से), साथ ही नवीकरणीय भी, (उदाहरण के लिए यदि संयंत्रों को बायोमास में बदला जाये), सर्वोत्तम निराकरण है शक्ति संयंत्रों को चरण बद्ध तरीके से बंद किया जाये। परमाणु संलयन ऊर्जा संयंत्रों की भी परमाणु कचरे की समस्या दूर करनी अनिवार्य है नाभिकीय पुनर्प्रक्रिया के माध्यम से एवं तेजी से पैदा करने वाले नवीन संयंत्रों तथा नाभिकीय विलय संयंत्रों की सहायता से।

अक्षय/नवीकरणीय ऊर्जा के विद्युत संयंत्र ऊर्जा का निरंतर प्रवाह प्रदान करते हैं। उदाहरण के तौर पर- पनबिजली संयंत्र, समुद्र तापीय संयंत्र, आसमाटिक विद्युत संयंत्र सब एक विनियमित गति से शक्ति प्रदान करते हैं और किसी भी क्षण में वे इस तरह बिजली स्रोत के रूप में उपलब्ध हैं (रात में भी, निस्तभ्द हवा के क्षणों में भी)। लेकिन वर्तमान में, स्थिर प्रवाह अक्षय/नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों की संख्या बहुत थोड़ी हैं जो ऊर्जा की माँग को दिन के उस समय पूरा नहीं कर पाती जब अनियमित ऊर्जा निर्माण करने वाले नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र शक्ति का उत्पादन नहीं कर पाते।

जीवाश्म ईंधन और परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को हरा करने के अलावा, अन्य पर्याय है मात्र नवीकरणीय स्रोतों से वितरण और शक्ति का त्वरित उपयोग किया जाये। इस व्यवस्था में ऊर्जा का दुबारा भंडारण आवश्यक नहीं होता। उदाहरण के लिए, ट्रेस (TREC) ने प्रस्ताव दिया है कि सौर ऊर्जा का वितरण सहारा से यूरोप तक वह करने को तत्पर है। यूरोप सहारा और अन्य देशों को हवा और सागर से निर्मित बिजली वितरित कर सकता है। इस तरह से ऊर्जा की निर्मिती किसी भी समय पर तथा ग्रह के किसी भी बिंदु पर की जा सकती है क्योंकि सूर्य या हवा सदैव विद्यमान हैं अथवा सागर की वेवों और धाराओं में सदैव सरगर्मी बनी रहती है। यह विकल्प हालाँकि अल्पावधि में संभव नहीं है, इसलिए जीवाश्म ईंधन और परमाणु शक्ति अब भी ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं मुख्य तार बिजली नेट पर और रातोंरात उन्हें विस्थापित करना संभव नहीं है।

कई बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण के सुझाव ग्रिड के सम्बन्ध में पूर्ण किये जा चुके हैं। यह क्षमता में सुधार कर ऊर्जा के नुकसान को कम करता है किन्तु स्थानांतरण ऊर्जा भंडारण हेतु मुख्य ग्रिड तक एक बहुत महँगा समाधान है। कुछ संभावित लागत राशि को कम किया जा सकता है ऊर्जा भंडारण उपकरणों का प्रयोग कर जिन्हें उपभोक्ता खरीदता है और न की राज्य। एक उदाहरण है कार बैटरी का जो निजी वाहनों में प्रयुक्त होती है, जो कि दुगनी हो जाएगी ऊर्जा बफर के रूप में, विद्युत ग्रिड के लिए। हालाँकि, लागत के अलावा, इस किस्म के तंत्र को सेट करना एक निहायत जटिल और कठिन प्रक्रिया होगी। इसके अलावा, ऊर्जा भंडारण पात्र जैसे कि कार की बैटरीयां भी ऐसी सामग्री से बनाई जाती हैं जो पर्यावरण के लिए खतरा है (जैसे सल्फ्यूरिक एसिड)। बैटरीयों का संयुक्त उत्पादन इतनी बड़ी आबादी के लिए भी पर्यावरण के हित में न होगा। कार बैटरी के अलावा हालाँकि, अन्य बड़े पैमाने वाले ऊर्जा भंडारण सुझाव ग्रिड के लिए पूरे किये गए हैं जो कम प्रदूषणकारी ऊर्जा वाहक हैं (जैसे संपीड़ित हवा टैंक और पहिया अथवा फ्लाई व्हील}।

हरित ऊर्जा एवं क्षेत्र अनुसार शीर्षक[संपादित करें]

यूरोपीय संघ[संपादित करें]

11 फ़रवरी 2004 की यूरोपीय संसद और परिषद का निर्देशन 2004/8/EC जो सह उत्पादन उन्नति ज्ञापन है, जो कि उपयोगी ऊर्जा आंतरिक बाजार[55] के विषय पर है, उसमें अनुच्छेद 5 शामिल है (उच्च क्षमता सह उत्पादन से विद्युत का उगम- कि हामी)।

फिनिश बिजली बाजार दुनिया के सबसे अधिक उदार बाजार हैं। 1995 में बाज़ार बड़े विद्युत उपभोक्ताओं के लिए आंशिक रूप से खुले थे और 1997 में सभी के लिए खुले।[56] 1998 में फिनिश संघ निसर्ग संरक्षण के लिए नामक संस्था ने विद्युत के लिए एक एकोलाबेल का प्रारंभ किया। एकोएनर्जी को एकोलाबेल कहा जाता है। 70 फिनिश बिजली खुदरा विक्रेताओं में से 10 ही एकोएनर्जी के मानदंडों को पूरा करने में सफल हो पाए। 2008 में फिनलैंड में की लगभग 4% बिजली लेबल के अंतर्गत बेचीं गयी थी। एकोएनर्जी को खरीदने वाले अंत उपयोगकर्ता विभिन्न विद्युत निर्माण संयंत्र की लाभप्रदता को प्रभावित करते हैं।[57] 2009 में कुल ऊर्जा खपत की 25.7% ऊर्जा फिनलैंड में अक्षय/नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत से खरीदी गयी।[58] नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पादित बिजली का एक हिस्सा एकोएनेर्जी मानदंडों को पूरा करता है।

हरित रंग की ऊर्जा आपूर्ति प्रमाणन योजना का आरंभ यूनाइटेड किंगडम में फरवरी 2010 में शुरू किया गया था। यह ऊर्जा नियंत्रक, ओफ्जेम, के नियामक दिशा निर्देशों को लागू करता है और पारदर्शिता के लिए अनिवार्य शर्तों को निर्थारित कर विक्रय की मिलान नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति एवं अतिरिक्तता के आधार पर करता है।[59]

संयुक्त राज्य अमेरिका[संपादित करें]

यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी (डीओइ), पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) और संसाधन समाधान के लिए केंद्र (सीआरएस)[60] बिजली की स्वैच्छिक खरीद नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से हो तो (जिसे नवीकरणीय विद्युत या हरित बिजली कहते है) हरित ऊर्जा के रूप में मान्यता प्रदान करते हैं।[61]

जैसे कि NREL डेटा ने ज्ञात किया है नवीकरणीय ऊर्जा खरीदने का सर्वाधिक लोकप्रिय तरीका यह है कि उसे नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्रों (आरईसी) के माध्यम से ख़रीदा जाएँ। प्राकृतिक विपणन संस्थान {NMI}[62] द्वारा सर्वेक्षण के अनुसार 55 प्रतिशत अमेंरिकी उपभोक्ता चाहते है।[61]

2007 के ग्रीन पावर प्रदायक पुरस्कार हेतु डी ओ इ ने छह कंपनियों को चुना था जिनमें शामिल है कोंस्टेलेशोंन न्यू एनेर्जी, 3 डीग्रीज़, स्टर्लिंग प्लानेट, सनएडिसन, पेसिफिक पावर रोंकी मौन्टन पावर और सिलिकॉन वैली पावर। इन छह विजेताओं द्वारा प्रदान संयुक्त शक्ति 5 अरब किलोवाट प्रति घंटे प्रति वर्ष के बराबर होती है, जो कि लगभग 465000 अमें रिकन घरों के लिए पर्याप्त है।

अमेरिका पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (USEPA) ग्रीन पावर भागीदारी एक स्वैच्छिक कार्यक्रम है जिसके तहत नवीकरणीय बिजली की संगठनात्मक खरीद में दक्ष सलाह, तकनीकी सहायता, उपकरण और संसाधन कि सहायता की जाती है। इससे संगठनॉ को नवीकरणीय ऊर्जा खरीदने पर लेन - देन में कम लागत की मदद मिल सकती है, कार्बन फुटप्रिंट में कमी होती है और हितधारकों के लिए महत्वपूर्ण नेतृत्व संवाद प्रस्थापित हो सकता है।[63]

देश भर में, अमेरिका में आधे से अधिक बिजली ग्राहकों को अब किसी भी किस्म का हरित ऊर्जा उत्पाद, खुदरा बिजली प्रदाता से खरीद करने हेतु एक विकल्प प्रदान किया जाता है। राष्ट्र की उपयोगिताओं की लगभग एक चौथाई, ग्राहकों के लिए हरित ऊर्जा कार्यक्रम की पेशकश करती है और संयुक्त राज्य अमेरिका में नवीकरणीय ऊर्जा की स्वैच्छिक खुदरा बिक्री 2006 में कुल 12 अरब किलोवाट- घंटे से अधिक होती है जो कि विगत वर्ष की तुलना में 40% अधिक वृद्धि है।

नाभिकीय शक्ति[संपादित करें]

ड्यूटेरियम-ट्रिटियम प्रतिक्रिया (डीटी), संलयन से ऊर्जा उत्पादन के लिए अधिक आशाजनक है।

यह कहा जाता है कि परमाणु नाभिक में अक्षयता की क्षमता है, जैसे कि ब्रीडर रिएक्टरों का उपयोग। बहरहाल, इसके साथ अक्सर तर्क दिया जाता है कि इसकी भूमिका में महत्तवपूर्ण वृद्धि से पहले इसकी गंभीर चुनौतियों से निपटना अनिवार्य है।[64]

नाभिकीय ऊर्जा के दो संभावित स्रोत हैं। सभी मौजूदा नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों में विखंडन का प्रयोग किया जाता है। संलयन वह प्रक्रिया है जो तारों (सूरज सहित) को ऊर्जा प्रदान करती है लेकिन पृथ्वी पर प्रयोग के लिए अव्यावहारिक है। उपरोक्त दोनों प्रकारों में सक्रिय संरचनात्मक पदार्थों के रूप में रेडियोधर्मी कचरे का निर्माण होता है जो कि स्थायित्व संबंधी मुद्दों में से एक है। ध्यान दें कि He3-डी संलयन या प्रोटॉन-बोरान संलयन जैसे एन्यूट्रोनिक संलयन काफी कम या लगभग शून्य रेडियोधर्मिता का उत्पादन करते हैं किन्तु उन्हें फ्यूज करना काफी कठिन होता है।

विखंडन जनित ऊर्जा का दीर्घकालिक स्थायित्व, खनन के लिए उपलब्ध यूरेनियम और थोरियम की मात्रा, ऑपरेटरों द्वारा सुरक्षित रूप से कचरे का निस्तारण करने की क्षमता, तथा लगातार बड़ी दुर्घटनाओं की रोकथाम पर निर्भर करता है। ईंधन के भंडार के लिए अनुमान व्यापक रूप से भिन्न हैं। संलयन जनित ऊर्जा का दीर्घकालिक स्थायित्व इस बात पर निर्भर है कि, एक व्यावहारिक और सस्ती प्रौद्योगिकी विकसित की जा सकती है या नहीं।

नाभिकीय ऊर्जा की तकनीकी अक्षयता[संपादित करें]

क्रिस्टीन टोड व्हिटमैन और पैट्रिक मूर (दोनों क्लीन और सुरक्षित ऊर्जा गठबंधन संस्थान के सह सभापति हैं) जैसे समर्थकों का भी दावा है कि परमाणु ऊर्जा भी उतनी ही पर्यावरण के अनुकूल है जितनी कि अन्य पारंपरिक नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा, इसलिए उसे वैश्विक वार्मिंग का निदान और विश्व में ऊर्जा की बढ़ती माँग को देखते हुए उपयुक्त समझा जा सकता है। वे इस तरफ भी ध्यान देते हैं कि परमाणु बिजली संयंत्र, एक बार बनाने के बाद और उन्हें बंद करने की प्रक्रिया शुरू करने के पहले तक बहुत कम मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं तथा ईंधन जीवाश्म की तुलना में काफी कम मात्रा में रेडियोधर्मी कचरे का उत्पादन करते हैं।[65][66][67] रॉबर्ट ब्राइस का तर्क है कि भविष्य में परमाणु शक्ति हावी और अपरिहार्य रहेगी क्योंकि यह कम कार्बन शक्ति उत्सर्जित करने वाली किसी भी अन्य विधि से ऊर्जा घनत्व, विश्वसनीयता और प्रति यूनिट अपेक्षित भूमि के संदर्भ में स्वाभाविक रूप से बेहतर है।[68] कुछ लोग इस आधार पर इस दावे का विरोध करते हैं कि यदि सरकार भारी सब्सिडी न दे और यदि ऐसे खतरनाक अपशिष्ट घटकों के भण्डारण के लिए सरकारी निकायों का उपयोग न किया जाए, तो लागत की दृष्टी से परमाणु विकल्प महंगा साबित होगा।[65]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

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