संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान | |
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पी.जी.आई | |
मुख्य इमारत | |
आदर्श वाक्य: | आत्मना सर्गो जितः |
स्थापित | १९८३ |
प्रकार: | आयुर्विज्ञान संस्थान |
कुलाधिपति: | Rajat chauhan |
अधीक्षक: | ए० के० भट्ट |
निदेशक: | रजत चौहान |
अवस्थिति: | लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत
(26°51′52″N 80°54′52″E / 26.86444°N 80.91444°Eनिर्देशांक: 26°51′52″N 80°54′52″E / 26.86444°N 80.91444°E) |
पुराने नाम: | एस जी पी जी आई |
जालपृष्ठ: | http://www.sgpgi.ac.in/index.html |
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGIMS) भारत का एक उत्कृष्ट आयुर्विज्ञान संस्थान है। यह लखनऊ, उत्तर प्रदेश में स्थित है। इसकी स्थापना १९८३ में हुई थी।
यह संस्थान रायबरेली मार्ग पर मुख्य शहर से १५ किमी की दूरी पर स्थित है। यह संस्थान तथा इसका आवासीय प्रांगण ५५० एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। यह संस्थान तृतियक चिकित्सा सुविधा प्रदान करता है तथा अति-विशेषज्ञता शिक्षण, प्रशिशण और अनुसंधान सुविधा प्रदान करता है। यह DM, MCh, MD, Ph.D., पोस्टडॉक्टोरल फेलोशिप (PDF) तथा पोस्टडॉक्टोरल सर्टिफिकेट कोर्स (PDCC) और सीनियर रेजिडेंसी प्रदान करता है।
वर्तमान चिकित्सीय सुविधायें
[संपादित करें]चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में चिकित्सा सेवा, शिक्षा व शोध संबंधी सुविधाओं के रूप में संजय गांधी स्नातकोत्तर संस्थान अपने स्थापना के तीन दशक के उपरान्त विकास के कई चरणों को पार किया है। आज संस्थान का प्रत्येक चिकित्सीय विभाग अपने आप में एक केन्द्र के रूप में प्रतिष्ठित है। इन विभागों की नियमित ओपीडी होती है, जिनमे प्रत्येक दिन नये मरीजों के अलावा उससे दुगने संख्या में फोलोअप मरीजो को देखा जाता है। फैलोअप मरीजो के लिए ये आवश्यक होती है कि वे आगामी तिथि लेकर जाए जिससे अगली बार जब वे आये तो किसी परेशानी का सामना न करना पडे़। ओ0पी0डी0 में डाक्टर से परामर्श एवं जांच के उपरान्त जो भी जांचे व निदान बताए जाते है उनको करवाने की संस्थान में समुचित व्यवस्था यहाँ उपलब्ध है। जांचो के उपरान्त यदि रोग के इलाज हेतु किसी शल्य क्रिया की आवश्यकता है ताे वह भी संस्थान में उपलब्ध है। अतः मरीज को एक ही छत के नीचे सभी सुविधायें उपलब्ध हैं। किसी भी मरीज को दिखाने के लिए परामर्श शुल्क नहीं ली जाती है। नये मरीज के रजिस्ट्रेशन हेतु केवल एक बार 250 रूपये शुल्क लिया जाता है जो एक वर्ष के लिए मान्य है। वर्ष के समापन पर 100 रूपये से इस रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण किया जाता है। एक ही पंजीकरण से संस्थान के किसी भी विभाग में दिखाया जा सकता है। अलग-अलग विभागो के लिए अलग-अलग पंजीकरण नहीं कराना पड़ता है। संजय गांधी संस्थान में कोई भी चिकित्सीय सेवा निःशुल्क नहीं है, यद्यपि प्रत्येक सेवा अन्य प्राईवेट एवं कॉरपोरेट अस्पतालों के मुकाबले काफी सस्ती एवं निम्न दरों पर उपलब्ध है तथा सभी सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालयों में यहाँ की दरों की मान्यता है।
विद्यमान विभाग
[संपादित करें]हृदय-रोग(हृदय-रोगकार्डियोलॉजी)विभाग
[संपादित करें]संस्थान का हृदय रोग विभाग आज इंटरनेंशनल कार्डियाेलोजी में देश के प्रमुख 10 केन्द्रों में माना जाता है। विभाग द्वारा बच्चों से बुजुर्ग तक होने वाले सभी प्रकार के हृदय रोगों की जाँच एवं उपचार किये जाते है। विभाग में इकोकार्डियोग्राफी, होल्टर, टी॰एम॰टी॰ एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी, वैल्वुलाप्लास्टी, आइवस, ओ॰सी॰टी॰, ई॰पी॰ एवं आर॰एफ॰ एबलेशन तथा जन्मजात सुराख का डिवाइस द्वारा क्लोजर इत्यादि प्रक्रियाएं एवं सेवाए उपलब्ध हैं। पूर्णरूप से बन्द हृदय धमनियों का (सी॰टी॰ओ॰) बिना ओपन हार्ट सर्जरी द्वारा निवारण के लिए यहाँ का कार्डियोलॉजी विभाग देश में प्रमुख स्थान रखता है।
हृदय शल्यचिकित्सा(हृदय शल्यचिकित्साकार्डियक सर्जरी) विभाग
[संपादित करें]जिन हृदयरोगो का इलाज का विकल्प केवल ऑपरेशन ही है उनके लिए कार्डियक सर्जरी विभाग है। यहाँ बच्चो के तथा नवजात शिशुओं के हृदय रोगों के आपरेशन के लिए विशेष रूप से अनुभवी एवं प्रशिक्षित विशेषज्ञ है। यह प्रदेश का प्रथम ऐसा केन्द्र है जहाँ पर धड़कते दिल पर सफलतापूर्वक सर्जरी की जाती है। वाल्व रिपेयर, कोरोनरी सर्जरी तथा वैस्कुलर सर्जरी की सभी सुविधायें यहाँ उपलब्ध हैं। यह पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा ओपन हार्ट व बाईपास सर्जरी केन्द्र है। हाल ही में स्टेम सेल द्वारा हृदय के बंद धमनियों का सफलतापूर्वक इलाज भी किया गया है।
अन्तः स्रावीय (इण्डोक्राइनोलाजी)विभाग
[संपादित करें]एण्डोक्राइनोलाजी विभाग अंर्तस्रावीय रोगों का, जैसे असंतुलित हारमोन्स थायराइड इत्यादि रोगों का उपचार किया जाता है। यहाँ मधुमेह एवं ओस्टियोपोरोसिस जैसे रोगो के इलाज व निदान के अलावा बच्चों में विकास एवं हारमोन तथा मधुमेह की समस्याअों के इलाज की उत्कृष्ट व्यवस्था है।
इण्डोक्राइन एवं ब्रेस्ट सर्जरी विभाग
[संपादित करें]इण्डोक्राइन एवं ब्रेस्ट (स्तन) सर्जरी विभाग में अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियाँ जैसे कि थायराइड, पैराथायराइड, एडरीनल एवं इण्डोक्राइन-पैंक्रियाज तथा स्तन के कैंसर व अन्य रोगों का शल्य चिकित्सीय उपचार किया जाता है। घेंघा रोग, थायराइड-कैंसर, पैराथायराईड-रोगों, एड्रीनल-ट्यूमर एवं कैंसर, फियोक्रोमोसाईटोमा ट्यूमर, मल्टीपल-इण्डोक्राइन-नियोप्लेशिया रोगों की शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में यह विभाग देश-विदेश में ख्याति अर्जित कर चुका है। इस प्रकार के ऑपरेशनों हेतु यथा सम्भव मिनिमल इन्वेसिव (दूरबीन विधि) प्रक्रिया अपनाई जाती है। स्तन कैंसर की सम्पूर्ण चिकित्सा एवं स्तन कन्ज़र्वेशन (बिना स्तन को निकाले कैंसर का उपचार), सेन्टिनल लिम्फ नोड बॉयोप्सी, ऑंन्को-प्लास्टिक स्तन सर्जरी जैसे क्षेत्रों में इस विभाग से देश भर के लिए मानक स्थापित किये हैं। साथ ही मायस्थीनिया ग्रेविस, डायबिटिक-फुट-अल्सर जैसी बीमारियों की शल्य चिकित्सा भी इस विभाग में की जाती है।
जठरान्त्र (गेस्ट्रोइण्टरोलॉजी) विभाग
[संपादित करें]प्रारम्भ से ही संस्थान का गेस्ट्रोइण्टरोलॉजी विभाग बहुत ही व्यस्त विभागो में से एक रहा है। यहाँ पर उदर से संबंधित रोगो का निदान व उपचार अति विशि्ाष्ट तकनीक से अनुभवी चिकित्सकों द्वारा किया जाता है। जिगर, भोजन की नली, यकृत, तिल्ली, छोटी आँत, बडी आँत से सम्बन्धित रोगों के निदान हेतु एन्डोस्कोपी, एण्डोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड, ई॰आर॰सी॰पी॰ कोलोनस्कोपी इत्यादि के जटिल रोगों के इलाज की विशिष्ट व्यवस्था है। यहाँ पर प्रदेश का पहला एण्डोस्कोपी एवं ई॰आर॰सी॰पी॰ यूनिट प्रारम्भ हुआ था।
गेस्ट्रोसर्जरी विभाग
[संपादित करें]गेस्ट्रोसर्जरी विभाग पेट के विकार को सर्जरी द्वारा निदान करता है। यहाँ पित्ताशय की पथरी, पित्ताशय का कैंसर, लिवर कैंसर, पैनक्रियाज़ कैंसर, क्राॅनिक पैंक्रियाटाइटिस इत्यादि रोगों का उपचार आपरेशन द्वारा किया जाता है, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर की हैं।
जेनेटिक्स (आनुवांशिक विकार)विभाग
[संपादित करें]आनुवांशिक विकार से पीड़ित रोगियों की समुचित जाँच व चिकित्सा की सुविधाए जेनेटिक्स विभाग में उपलब्ध है। चिकित्सीय सेवा के साथ साथ रोगियो एवं रिश्तेदारों को अनुवांशिक रोग संबंधी परामर्श एवं जानकारी प्रदान करने की भी पूर्ण व्यवस्था है। थेलेसिमिया एवं हीमोफीलिया जैसे अनुवांशिक रोगों के प्रबन्धन अर्न्तराष्ट्रीय मानको के आधार पर किया जाता है। गर्भवती महिला के पेट में पलने वाले गर्भ की/बच्चे की जाँच की व्यवस्था है, जिसे प्रीनेटल डायग्नोसिस कहा जाता है।
प्रतिरक्षाविज्ञान(इम्यूनोलॉजी) विभाग
[संपादित करें]शरीर में इम्यून सिस्टम के विकार से उत्पन्न हुये विभिन्न रोगों की जाँच, निदान व उपचार की सुविधा क्लीनिकल इम्यूनोलोजी विभाग प्रदान करती है। जिन प्रमुख रोगों का इलाज यहाँ होता है वे हैं रयूमेटाइड अर्थराइटिस, एंकाइलोजि़ंग स्पोंडिलाइटिस, एसएलई, मायोसाइटिस, स्केलेरोडर्मा और वास्कुलाइटिस आदि। यह देश का पहला विशिष्ट विभाग है जो यह सुविधाएं उपलब्ध कराता है।
वृक्क्रोग (नेफ्रोलॉजी) विभाग
[संपादित करें]गुर्दे से संबंधित बीमारियो का उपचार नेफ्रोलॉजी विभाग द्वारा किया जाता है। संस्थान में गुर्दा प्रत्यारोपण से पूर्व एवं पश्चात् रोगियो की समुचित देखभाल की भी व्यवस्था है। इस विभाग में उ॰प्र॰ के अलावा मध्यप्रदेश, आसाम, बिहार से गुर्दा रोग के मरीज आते हैं। यहाँ उत्तरपूर्व एशिया का सबसे बड़ा डायलिसिस केन्द्र है। सघन निदान व इन्टेन्सिव केयर नेफ्रोलॉजी की वेंटीलेटर एवं जीवन रक्षक उपकरणों और सी.आर.आर.टी. से गुर्दा राेगियों की परिचर्या और इन्टरवेन्शनल नेफ्रोलॉजी की सुविधा नेफ्रोलॉंजी विभाग में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार उपलब्ध हुई है। यह विभाग गुर्दा प्रत्यारोपण में भारत में शीर्ष स्थान पर है एवं अब तक लगभग 2500 गुर्दा प्रत्यारोपित किये जा चुके हैं।
मूत्रविज्ञान (यूरोलाजी) विभाग
[संपादित करें]संस्थान के यूरोलाजी विभाग में गुर्दा, पेशाब की थैली का कैंसर इत्यादि का इलाज शल्यक्रिया द्वारा किया जाता है। इस विभाग के गुर्दा प्रत्यारोपण कार्यक्रम अर्न्तराष्ट्रीय स्तर का है एंव भारत में सर्वाधिक संख्या में लैपरोस्कोपिक सर्जरी करने का गौरव प्राप्त है। यहाँ गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए दूरबीन विधि द्वारा ही गुर्दा निकाला जाता है जिससे डोनर की न तो जान का खतरा रहता है तथा वह जल्द ही स्वस्थ भी हो जाता है। महिलाओं से संबंधित मूत्ररोगो का इलाज भी आधुनिक आपरेशन विधि द्वारा किया जाता है। पथरी का इलाज लेज़र व दूरबीन से करने की सुविधा उपलब्ध है जो, अंतराष्ट्रीय स्तर की है। साथ ही, यहाँ बच्चों के मूत्र संबंधी जटिल एवं अनुवंशिक रोग के सर्जरी की भी समुचित व्यवस्था है।
तंत्रिकाविज्ञान(न्यूरोलॉजी) विभाग
[संपादित करें]मस्तिक, रीढ़ की हड्डी एवं तंत्रिका संबंधी रोगों का समुचित परीक्षण एवं इलाज न्यूरोलॉजी विभाग में होता है। गम्भीर रोग जैसे श्वासकीय लकवा, गुलियन बारे सिन्ड्रोम, मायस्थेनिया ग्रेविस एवं केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के अन्य संक्रमणों के समुचित इलाज का यहाँ प्रबन्ध है। रोगों से सम्बन्धित आवश्यक जाँचें जैसे ई॰ई॰जी॰, ई॰एम॰जी॰ व इवोक्ड पोटेन्शियल की सुविधायें भी यह विभाग प्रदान करता है। इस विभाग की ओ॰पी॰डी॰ में भारत के काेने-कोने से मरीज आते है।
तंत्रिकाशल्यविज्ञान (न्यूरोसर्जरी) विभाग
[संपादित करें]न्यूरोसर्जरी विभाग में देश-विदेश से मरीज अपना ईलाज कराने आते हैं। यहाँ पर रीढ, स्नायुतंत्र तथा मस्तिष्क के जटिल रोगों का ईलाज आपरेशन द्वारा होता है। इसके अंतर्गत ब्रेन-ट्यूमर, सी॰वी॰ जंक्शन, स्कल बेस सर्जरी, वैस्कुलर न्यूरोसर्जरी, स्टीरियोटैक्सी जैसे जटिल ऑपरेशन किए जाते है। इस संस्थान में न्यूराऑटोलॉजी से संबंधित बीमारियों के भी ईलाज किए जाते है। यहाँ अत्यधिक आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित ऑपरेशन थियेटर, आई॰सी॰यू॰ वार्ड है। आपरेशन में अर्न्तराष्ट्रीय स्तर के सूक्ष्म उपकरणों का प्रयोग भी किया जाता है।
रुधिरविज्ञान(हीमैटोलॉजी) विभाग
[संपादित करें]हीमैटोलॉजी विभाग में रक्त से संबंधित समस्त रोगों जैसे एप्लास्टिक एनीमिया, न्यूट्रीशनल एनीमिया, जेनेटिक एनीमिया (थैलेसीमिया,सिकिल सेल रोग) इत्यादि एवं रक्त कैंसर जैसे माइलोमा, ल्यूकेमिया, लिम्फोमा इत्यादि का परीक्षण एवं उपचार किया जाता है। यह विभाग उत्तर भारत का एकमात्र बोन मैरो/हीमैटोसोइटिक स्टेम सेल ट्रान्सप्लाटेशन केन्द्र है। इसके अतिरिक्त यहाँ पर स्टेम सेल्स पर आधारित नये उपचार विकसित करने हेतु अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर शोध कार्य भी किया जाता हैै।
सघन निदान एवं उपचार(क्रिटिकल केयर मेडिसिन) विभाग
[संपादित करें]कुछ मरीजो के प्राण बचाने के लिए सघन निदान एवं उपचार की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे मरीजों की देखभाल के लिए क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग है। इस विभाग में अर्न्तराष्ट्रीय स्तर के वेन्टीलेटर सुविधाऐं उपलब्ध है। यह विभाग देश का पहला शैक्षिक विभाग है।
नेत्रविज्ञान(ऑपथलमोलॉजी) विभाग
[संपादित करें]नेत्र रोगों के विशिष्ट इलाज एवं सर्जरी हेतु ऑप्थलमोलॉजी (नेत्र रोग) विभाग का सृजन एक स्वतन्त्र विभाग के रूप में किया गया जो पहले न्यूरोसर्जरी विभाग के अर्न्तगत था। विभाग में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के नवीनतम उपकरण उपलब्ध हैं जिसमे जटिल नेत्र रोगों का निदान व उपचार होता है। विभाग में नियमित रूप से मोतियाबिंद सर्जरी, सम्बलबाई सर्जरी, भेंगापन सर्जरी, मधुमेह रेटिनोपैथी और विभिन्न अन्य रेटिना विकारो के लिये लेजर तथा रेटिना सर्जरी की जा रही है। ऑंख के ट्यूमर व अन्य आक्यूप्लास्टिक सर्जरी की सुविधा भी यहाँं उपलब्ध है।
लिवर ट्राँसप्लांट विभाग
[संपादित करें]लिवर प्रत्यारोपण के कार्यक्रम को अर्न्तराष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए तथा इसमे मरीज के सर्जरी के पूर्व तथा पश्चात् समुचित देखभाल के लिए इस इकाइ की अलग से स्थापना की गई। यह देश का सार्वजनिक संस्थान का प्रथम विभाग है, जहाँ लिवर ट्रान्सप्लान्ट कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
बिना समुचित नैदानिक सहायता के कोई भी चिकित्सा बेहतर ढंग से नहीं की जा सकती। अतः संजय गांधी पी॰जी॰आई॰ की विशिष्टता को देखते हुए यहाँ नैदानिक सेवाएं प्रदान करने हेतु विशिष्ट विभागों की भी स्थापना की गई।
माईक्रोबायोलॉजी विभाग
[संपादित करें]माईक्रोबायोलॉजी अथवा सूक्ष्म जीवविज्ञान विभाग का चिकित्सालय का एक महत्वपूर्ण विभाग है। इस विभाग में सूक्ष्म जीवाणु, विषाणु, कीटाणु, फफूँद, परजीवी, ज्वरबुखार, डेंगू, स्वाईन फ्लू, पोलियो जैसे संक्रमणों के लिए नैदानिक सेवायें प्रदान करता है। इस विभाग में एड्स से संबंधित संक्रमणों का ज्ञात करने के साथ-साथ अन्य जीवाणुओं से होने वाले संक्रमणों का पता लगाने एवं उनके निदान में प्रयुक्त होने वाली जीवाणुरोधी औषिधियों की जानकारी भी उपलब्ध कराता है। इस विभाग में विश्व स्वास्थ्य संगठन की विश्व स्तरीय प्रयोगशाला है जिसमें पोलियो एवं मजीलस विषाणु का परीक्षण सम्पन्न किया जाता है। यह विभाग समय-समय पर महामारी से उत्पन्न बीमारी के परीक्षण एवं उसके निदान के लिए प्रदेश को अपनी अहम सेवायें प्रदान करता है। साथ ही सम्पूर्ण चिकित्सालय को संक्रमण से बचाने की जिम्मेदारी भी विभाग निभा रहा है।
पैथोलॉजी विभाग
[संपादित करें]पैथोलॉजी विभाग में रक्त, मूत्र एवं अन्य शारीरिक द्रव्य पदार्थो का सभी प्रकार का परीक्षण उत्कृष्ट उपकरणों द्वारा किया जाता है। यह परीक्षण हिमेटोलॉजी व क्लीनिकल केमिस्ट्री की अलग-अलग प्रयोगशालाओ में होता है। यहाँ बायप्सी एवं सायटोलाजी की उत्कृष्ट सुविधाएं भी उपलब्ध है।
मोलिक्यूलर मेडिसिन बायोटेक्नोलॉंजी विभाग
[संपादित करें]आधुनिक चिकित्सक रोगों के निदान एवं उपचार के लिए शारीरिक लक्षणों के आधार पर रक्त मूत्र जाँच एवं एक्सरे इत्यादि पर आधारित यंत्रों द्वारा किया जाता हैं, परन्तु इसके बावजूद कई असाध्य रोगों में निदान एवं उपचार सम्पूर्णतः नहीं हो पाता है। जिन असाध्य रोगों का निदान औपचारिक विधियों द्वारा नहीं हो पाता है, उनका समय रहते जाँच व निदान इस विभाग द्वारा किया जाता है जहाँ प्रशिक्षित एवं विशिष्ट वैज्ञानिकों द्वारा बायोमार्कर्स (Biomarkers ) अथवा नए जैविक चिन्हों के आधार पर रोगों की पहचान क्षमता को बढाता है।
रेडियोलॉजी विभाग
[संपादित करें]रेडियोलॉंजी अथवा विकिरण निदान विभाग अत्याधुनिक व उत्कृष्ट उपकरणों से सुसज्जित है और यहाँं पर सभी प्रकार की विकिरण जाँचें की जाती हैं। कम्प्यूटराईज़्ड उपकरणों में डिजिटल एक्सरे, 64 एवं 128 स्लाईस सी॰टी॰ 3 टेस्ला एम॰आर॰आई॰ एन्जियोग्राफी, मैमोग्राफी और डॉप्लर अल्ट्रासाउण्ड उल्लेखनीय है। विशेष तौर पर इस विभाग में अत्याधुनिक इन्टरवेंशन इलाज की सेवाएं भी उपलब्ध है। इनमें हेपेटोबिलियरी, न्युरोवैस्कुलर तथा वैस्कुलर इन्टरवेंशन अहम् है तथा यह विभाग कई अहम शोध कार्यों में संलग्न है।
निश्चेतना(ऐन्सथीसियोलॉजी) विभाग
[संपादित करें]ऐन्सथीसियोलॉजी अथवा निश्चेतना विभाग अत्यन्त महत्वपूर्ण विभाग है जो सभी प्रकार के आपरेशन से पूर्व, दौरान व ऑपरेशन के पश्चात् की निश्चेतना संबंधी आवश्यक क्रियाएं सम्पन्न करता है। इस विभाग द्वारा पेन क्लीनिक एवं कैंसर पैलियोटिव केयर क्लीनिक भी चलाई जाती है जिसमे कैंसर अथवा अन्य जटिल रोगो के मरीजो के क्रोनिक दर्द का पृथक रूप से इलाज भी किया जाता है।
ट्रांसफ्यूजन मेडिसन विभाग
[संपादित करें]जिन मरीजों को इलाज हेतु रक्त की आवश्यकता होती है, उनकों यह विभाग अर्न्तराष्ट्रीय मानकों के अनुसार स्वस्थ एवम् गुणवत्ता पूर्ण रक्त अवयवों की उपलब्धता सुनिश्चित कराता है। अत्याधुनिक संसाधनों की सहायता से दुर्लभ चिकित्सीय प्रणाली में इस विभाग द्वारा प्रदत्त महत्वपूर्ण योगदान के कारण आज विभाग का स्थान भारत के सर्वोच्च ख्याति प्राप्त ब्लड टांसफ्यूजन सेंटर में शामिल हो चुका है।
न्यूक्लियर मेडिसन
[संपादित करें]संस्थान का न्यूक्लियर मेडिसन विभाग भारत के प्रतिष्ठित विभागों में से एक है। इस विभाग में स्पेक्ट -सीटी, पेट-सीटी, सीटी और स्पेक्ट कैमरा लगे हुए है। इन उपकरणों का उपयोग करते हुए विकिरण के द्वारा कैंसर के मरीजों के साथ-साथ अौर बिमारियों से पीड़ित मरीजों की जाँच और इलाज किया जाता है जैसे थायराइड ग्रन्थि की विकृतयों, न्यूरो-इन्डोक्राइन ट्यूमर और कैंसर से पीड़ित मरीजों के दर्द निवारण हेतु व्यावस्थायें भी हैं।
रेडियोथेरेपी विभाग
[संपादित करें]भारत सरकार द्वारा संस्थान का रेडियोथेरेपी विभाग को उत्तर प्रदेश का एक रीजनल कैंसर सेन्टर घोषित किया गया है। यहाँ पर उपलब्ध उपकरणों/मशीनों द्वारा कैंसर से पीड़ित मरीजों का कीमोथेरेपी एवं रेडियोथेरेपी प्रक्रिया द्वारा इलाज किया जाता है।
इमरजेंसी मेडिसन विभाग
[संपादित करें]5 प्रदेश में आपातकालीन एवं आकस्मिक उपचार के पाठ्यक्रम हेतु बेहतर व्यवस्थाये एवं सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु हाल ही में इमरजेंसी मेडिसन विभाग का गठन किया गया है। चिकित्सालय का प्रशासन एवं प्रबन्धन अन्य दूसरे प्रबन्धनाें से भिन्न होता है, क्योंकि यह मानव स्वास्थ्य एवं जीवन से सीधे जुडा होता है। अतः कुछ विभाग, चिकित्सालय के शैक्षिक तथा प्रशासनिक व्यवस्था को सुगठित करने के लिए बनाई गई है।
अस्पताल प्रबन्धन
[संपादित करें]अस्पताल प्रबन्धन की समुचित प्रशिक्षण एवं शिक्षण हेतु गठित अस्पताल प्रशासन विभाग किया गया है। यहाँ के छात्रो को एक बड़े अस्पताल में कार्य करने का अनुभव भी प्राप्त होता है।
बायोस्टेटिक्स एवं हास्पिटल इनफोरमेटिक्स विभाग
[संपादित करें]आधुनिक चिकित्सा जगत में चिकित्सा सूचना तन्त्र तथा सांख्यिकी का प्रबन्धन विशेषकर शोध एवं अनुसंधान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है। इस कार्य को बायोस्टेटिक्स एवं हास्पिटल इनफोरमेटिक्स विभाग द्वारा किया जाता है।
नर्सिंग कालेज
[संपादित करें]अतिविशिष्ट चिकित्सालय होने के कारण यहाँ पर अधिकतर अति जटिल रोगों से ग्रस्त मरीज ही आते हैं। मरीज के रोगो के निदान एवं उपचार में सेवा परिचर्या एक अहम् भूमिका निभाता है। अतः विशिष्ट नर्सिग सेवा में प्रशिक्षित करने के लिए नर्सिंग कालेज खोला गया जो NCI से मान्यता प्राप्त है एवं यहाँ नर्सिग की Bsc तथा Msc की डिग्री प्रदान की जाती है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान
- स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान चण्डीगढ़ (पी॰जी॰आई॰एम॰ई॰आर॰)
- किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय
- डॉ॰ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान
- उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय