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संगीत चिकित्सा

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संगीत चिकित्सा सहबद्ध स्वास्थ्य व्यवसाय और वैज्ञानिक शोध का क्षेत्र है जो नैदानिक चिकित्सा और जैव-संगीत शास्त्र, संगीत ध्वनिकी, संगीत सिद्धांत, मनो-ध्वनिकी और तुलनात्मक संगीत शास्त्र की प्रक्रिया के बीच पारस्परिक संबंध का अध्ययन करता है। यह एक अंतर्वैयक्तिक प्रक्रिया है जिसमें एक प्रशिक्षित संगीत चिकित्सक, अपने मरीज़ों के स्वास्थ्य में सुधार या उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद के लिए संगीत और उसके - यथा शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक, सामाजिक, सौन्दर्यात्मक और आध्यात्मिक - सभी पहलुओं का उपयोग करता है। संगीत चिकित्सक परिमेय उपचार लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संगीतानुभव (जैसे कि गायन, गीत-लेखन, संगीत श्रवण और संगीत चर्चा, संगीत संचालन) के उपयोग द्वारा, मुख्य रूप से मरीज़ों की क्रियाशीलता और विविध क्षेत्रों (उदा. संज्ञानात्मक कार्य, संचालन कौशल, भावनात्मक और प्रभावी विकास, व्यवहार और सामाजिक कौशल) में जीवन की स्व-वर्णित गुणवत्ता को सुस्पष्ट स्तर तक विकसित करने में मदद करते हैं। संगीत चिकित्सा सेवाओं के लिए उपचार करने वाले चिकित्सक या चिकित्सकों, मनोविज्ञानियों, भौतिक चिकित्सकों और पेशेवर चिकित्सकों जैसे चिकित्सकों से युक्त अंतर्विभागीय दल द्वारा संगीत से संबद्ध सेवाएं निर्दिष्ट की जानी चाहिए.

संगीत चिकित्सक लगभग सहायक व्यवसायों के सभी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। कुछ सामान्य रूप से पाए गए व्यवहार में शामिल हैं विशेष ज़रूरतों वाले व्यक्तियों से जुड़े विकास कार्य (संप्रेषण, संचालन कौशल, आदि), गीत लेखन तथा वृद्ध व्यक्तियों के साथ संस्मरण/अभिविन्यास सुनने का कार्य, प्रसंस्करण और विश्राम कार्य, तथा आघात के शिकार लोगों के बीच उनके भौतिक पुनर्वास के लिए तालबद्ध मनोरंजन.

तुर्की-फ़ारसी मनोवैज्ञानिक तथा संगीत सैद्धांतिक अल-फ़राबी (872–950) ने, जिन्हें यूरोप में "एल्फराबियस" के नाम से जाना जाता है, अपने निबंध मीनिंग ऑफ़ द इंटेलेक्ट में संगीत चिकित्सा का वर्णन किया है, जहां उन्होंनें आत्मा पर संगीत के उपचारात्मक प्रभाव की चर्चा की है।[1] रॉबर्ट बर्टन ने अपनी 17वीं सदी की उत्कर्ष्ट कृति द एनॉटोमी ऑफ़ मेलैन्कोली में लिखा है कि संगीत तथा नृत्य मानसिक रोगों के उपचार के लिए काफी महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से विषाद-रोग में.[2][3][4]

इसे एक सार्थक उपचार का माना जाता है।

संगीत चिकित्सा के आधार के संबंध में कुछ अलग विचार दर्शन प्रचलित हैं। एक शिक्षा पर आधारित है तथा दो स्वयं संगीत चिकित्सा पर आधारित, जिन दोनों की यहां संक्षेप में चर्चा की जाएगी. इसके अलावा, मनोविज्ञान पर आधारित कुछ सिद्धांत मौजूद हैं और एक तंत्रिका विज्ञान पर आधारित हैं।

शिक्षा के अलग दृष्टिकोणों में हैं ऑर्फ़-श्यूलवेर्क (ऑर्फ़), डालक्रोज़ यूरिदमिक तथा कोडली. दो दर्शन जो सीधे संगीत चिकित्सा से विकसित हुईं, वे हैं नॉर्डऑफ़-रॉबिन्स तथा संचालित कल्पना और संगीत की बॉनी विधि.[5]

संगीत चिकित्सक व्यवहारिक-भावनात्मक विकारों से पीडित लोगों के साथ कई बार काम करते हैं। इस तरह के लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए, संगीत चिकित्सकों ने संगीत चिकित्सा के विभिन्न प्रकार के मूल आधार के रूप में वर्तमान मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों को ग्रहण और प्रयोग किया है। विभिन्न मॉडलों में शामिल हैं व्यवहार संबंधी उपचार, संज्ञानात्मक व्यवहार उपचार और मनोगतिक उपचार.[6]

तंत्रिकाविज्ञान पर आधारित चिकित्सा को "तंत्रिका संबंधी संगीत चिकित्सा" (NMT) कहा जाता है। NMT की परिभाषा है "NMT संगीत की धारणा और रचना के तंत्रिका विज्ञान मॉडल, असंगीतमय मस्तिष्क और व्यवहारगत कार्यों के कार्यात्मक परिवर्तनों पर संगीत के प्रभाव पर आधारित है।" दूसरे शब्दों में, NMT इस बात का अध्ययन करता है कि संगीत के बिना दिमाग़ कैसे होता है, संगीत के साथ दिमाग कैसे होता है, इनके अंतरों को मापता है और इन अंतरों का प्रयोग संगीत के द्वारा दिमाग में परिवर्तन लाने के लिए प्रयोग करता है जोकि अंततः गैर संगीतमय रोगी को प्रभावित करता है। जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रोफ़ेसर तथा शोधार्थी डॉ॰ थॉट ने कहा है कि "दिमाग़ जो संगीत में डूब जाता है, उसे संगीत में संलग्न करके बदला जा सकता है"[7]

संयुक्त राज्य अमेरिका में

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अपने वर्तमान रूप में संगीत चिकित्सा संयुक्त राज्य अमेरिका में 1944 से प्रचलित थी, जब दुनिया में पहली बार मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी में पहला स्नातकपूर्व डिग्री पाठ्यक्रम तथा कैनसास विश्वविद्यालय में पहली बार स्नातक पाठ्यक्रम शुरू किया गया। अमेरिकन म्यूज़िक थेरैपी एसोसिएशन (AMTA) की स्थापना 1998 में, संगीत चिकित्सा के लिए राष्ट्रीय संगठन (NAMT, 1950 में स्थापित) तथा संगीत चिकित्सा के अमरीकी संगठन (AAMT, 1971 में स्थापित) के बीच विलय के रूप में की गई। कई अन्य राष्ट्रीय संगठन मौजूद हैं, जैसे इंस्टीट्यूट फॉर म्यूजिक एंड न्यूरोलॉजिक फ़ंक्शन, नोर्डॉफ़-रोबिन्स सेंटर फ़ॉर म्यूज़िक, तथा द बॉनी फाउंडेशन. संगीत चिकित्सक भाषण/भाषा, शारिरिक चिकित्सा, दवाई, सेवा-सुश्रुषा, शिक्षा आदि जैसे विभिन्न विषयों से उपायों या सिद्धांतों का उपयोग कर सकते हैं।

एक संगीत चिकित्सा स्नातक अभ्यर्थी, संगीत चिकित्सा में स्नातकपूर्व, मास्टर, या डॉक्टरेट डिग्री प्राप्त कर सकता है। अनेक AMTA अनुमोदित प्रोग्राम संगीत चिकित्सा में उन छात्रों के लिए समानक और प्रमाणपत्र डिग्री पेश करते हैं जिन्होंने इससे संबंधित क्षेत्र में डिग्री पूरा किया है। कुछ अभ्यासरत संगीत चिकित्सकों ने गैर-संगीत-चिकित्सा (किंतु संबंधित) क्षेत्र में पी.एच.डी की उपाधि पाई है, लेकिन हाल ही में टेम्पल विश्वविद्यालय तथा लेसली विश्वविद्यालय ने एक सही संगीत चिकित्सा पी.एच.डी प्रोग्राम की स्थापना की है। संगीत चिकित्सक आम तौर पर ऐसे तरीके से अभ्यास करेंगे जिसमें व्यापक नैदानिक प्रथाओं जैसे मूल्यांकन, निदान, मनोचिकित्सा, पुनर्वास तथा जनसंख्या पर आधारित अन्य अभ्यासों के साथ संगीत चिकित्सा तकनीक भी शामिल हो. सामाजिक सेवा, शैक्षिक, या हेल्थ केयर एजेंसियों के संदर्भ में दी गई संगीत चिकित्सा सेवाओं की प्रतिपूर्ति, गतिविधि चिकित्सा शीर्ष के अधीन, कतिपय विशेष आवश्यकता वाले व्यक्तियों के लिए बीमा तथा निधीयन स्रोतों से की जा सकती है। संगीत चिकित्सा सेवाओं को मेडिकएड, मेडिकेयर, निजी बीमा योजना तथा राज्य विभाग तथा सरकारी कार्यक्रमों जैसी अन्य सेवाओं के अधीन प्रतिपूर्ति के लिए पहचाना गया है।

एक संगीत चिकित्सक CMT, ACMT, या RMT पद संभाल सकता है- संकेताक्षर जिन्हें पहले अब अप्रचलित AAMT तथा NAMT द्वारा दिए गए थे। वर्तमान में संगीत चिकित्सक, राष्ट्रीय प्रमाणन बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करके संगीत चिकित्सक प्रमाणन बोर्ड द्वारा प्रदत्त, MT-BC, संगीत चिकित्सा-बोर्ड प्रमाणित प्रत्यय पत्र प्राप्त करते हैं। संगीत चिकित्सा में डिग्री के लिए, गिटार, पियानो, स्वर, संगीत सिद्धांत, संगीत इतिहास, संगीत पठन, तात्कालिक प्रदर्शन तथा इसके साथ ही मूल्यांकन, प्रलेखन और अन्य परामर्शी और स्वास्थ्य कौशल के भिन्न स्तरों में प्रवीणता की आवश्यकता होती है जो विशिष्ट विश्वविद्यालय के कार्यक्रम के संकेंद्रण पर आधारित होता है।

बोर्ड से प्रमाणीकृत होने के लिए, एक संगीत चिकित्सक के लिए कॉलेज या विश्वविद्यालय से AMTA मान्यता प्राप्त प्रोग्राम पूरा करना जरूरी है, इसके साथ ही संगीत चिकित्सा इंटर्नशिप सफलतापूर्वक पूरा करना होगा तथा संगीत चिकित्सा में बोर्ड प्रमाणन परीक्षा उत्तीर्ण करना भी आवश्यक है। प्रत्यय-पत्र अनुरक्षण के लिए, या तो प्रत्येक पांच वर्ष में सतत शिक्षा के 100 यूनिट अवश्य पूरे करने होंगे या पांच वर्ष के चक्र समापन पर बोर्ड परीक्षा देनी चाहिए. यूनिटों को संगीत चिकित्सा में जारी पूर्णता के लिए संगीत चिकित्सक प्रमाणन बोर्ड की परिधि के तहत क्रेडिट माना गया है।

यूनाइटेड किंगडम में

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दोनों विश्वयुद्धों के पश्चात अस्पतालों में स्वास्थ्य लाभ पाने वाले सैनिकों के रहन सहन के अंश के रूप में प्रत्यक्ष संगीत का उपयोग किया गया था। आज की अवधारणाओं के अनुसार, ब्रिटेन में नैदानिक संगीत चिकित्सा का पथप्रदर्शन फ्रांस की सेलोवादक जूलियट एल्विन द्वारा किया गया था, जिनका प्रभाव वर्तमान पीढ़ी के ब्रिटिश संगीत चिकित्सा व्याख्याताओं पर आज भी बरकरार है। एल्विन के छात्रों में से एक, मेरी प्रीसले ने "विश्लेषणात्मक संगीत चिकित्सा" की खोज की. विश्लेषणात्मक संगीत चिकित्सा, संगीत चिकित्सा का एक ऐसा रूप है जो नोर्डॉफ़-रॉबिन्स स्कूल ऑफ़ म्यूज़िक थेरैपी के साथ मिलकर, आज प्रयुक्त संगीत चिकित्सा के दो केंद्रीय प्रारूप बनाती है। मेरी प्रीसले की किताबें, म्यूज़िक थेरैपी इन एक्शन पहली बार कॉन्स्टेबल एंड कंपनी ©1975 (ISBN 0-09-459900-9) द्वारा प्रकाशित तथा एसेज़ ऑन एनलिटिकल म्यूज़िक थेरैपी, बार्सीलोना पब्लिशर्स ©१९९४ (ISBN 0-9624080-2-6) समस्त विश्व में विश्लेषणात्मक संगीत चिकित्सा के छात्रों के पाठ्यक्रम का मुख्य भाग है।

नोर्डॉफ़-रॉबिन्स ने पॉल नॉर्डॉफ़ तथा क्लाइव रॉबिन्स के कार्य से 1950/60 के दशक में विकसित संगीत चिकित्सा को अपनाया. यह इस धारणा पर आधारित है कि कोई चाहे कितना ही बीमार या अक्षम क्यों ना हो, वह संगीत पर प्रतिक्रिया अवश्य देता है। चिकित्सा के रूप में संगीत के गुण, संप्रेषण बढ़ा सकते हैं, बदलाव को समर्थित कर सकते हैं तथा लोगों को अधिक साधन-संपन्न और रचनात्मक रूर से जीने में सक्षम बनाते हैं। अब नोर्डॉफ़-रोबिन्स पूरे ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया तथा जर्मनी में संगीत चिकित्सा सत्र चलाते हैं। इसका मुख्यालय लंदन में है, जहां ये केवल ब्रिटेन में उपलब्ध संगीत चिकित्सा में पी.एच.डी पाठ्यक्रम सहित, प्रशिक्षण तथा अग्रगामी शिक्षा कार्यक्रम प्रदान करते हैं। संगीत चिकित्सक, जिनमें से अधिकांश आशुरचना मॉडल (नैदानिक आशुरचना देखें) के साथ कार्य करते हैं, न केवल बच्चे और वयस्क शिक्षा विकलांगता के क्षेत्र में विशेष रूप से सक्रिय हैं, बल्कि मनोरोग चिकित्सा और न्यायिक मनोविज्ञान, जराचिकित्सा, प्रशामक देखभाल तथा अन्य क्षेत्र में भी सक्रिय हैं।

चिकित्सक, स्वास्थ्य व्यवसाय परिषद[8] के साथ पंजीकृत हैं तथा 2007 से नए पंजीकरणकर्ताओं का सामान्य रूप से संगीत चिकित्सा में मास्टर डिग्री धारक होना आवश्यक है। ब्रिस्टॉल, केम्ब्रिज, कॉर्डिफ़, एडिनबर्ग तथा लंदन में मास्टर स्तर के प्रोग्राम हैं तथा पूरे ब्रिटेन में चिकित्सक मौजूद हैं। एसोसिएशन फ़ॉर प्रोफ़ेशनल म्यूज़िक थेरैपिस्ट[9] ब्रिटेन का पेशेवर तंत्र है जबकि ब्रिटिश सोसाइटी फ़ॉर म्यूज़िक थेरैपी[10] एक कल्याण संस्था है जो संगीत चिकित्सा के बारे में जानकारी प्रदान कराती है।

2002 में, बातचीत और वाद-विवाद विषय पर वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ़ म्यूज़िक थेरैपी का ऑक्सफ़ोर्ड में आयोजन हुआ।[11] नवंबर 2006 में, डॉ॰ मिशेल जे.क्रॉफ़ोर्ड[12] तथा सहकर्मियों ने फिर से पाया कि संगीत चिकित्सा मनोभाजित रोगियों की सहायता करती है।[13][14] 2009 में वे तथा उनका दल, घबराहट तथा मनोभ्रंश रोगियों की सहायता में आशुरचना संगीत की उपयोगिता पर अनुसंधान कर रहे थे।

भारत में

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वैदिक विज्ञान ने भारतीय शास्त्रीय संगीत चिकित्सा प्रभाव होने का दावा किया है। प्राचीन काल से ही संगीत को बारंबार चिकित्सीय कारक के रूप में उपयोग में लाया जाता रहा है। भारत में संगीत, मधुर ध्वनि के माध्यम से एक योग प्रणाली की तरह है, जो मानव जीव पर कार्य करती है तथा आत्मज्ञान की हद के लिए उनके उचित कार्यों को जागृत तथा विकसित करती हैं, जोकि हिंदू दर्शन और धर्म का अंतिम लक्ष्य है। मधुर लय भारतीय संगीत का प्रधान तत्व है। 'राग' का आधार मधुर लय है। विभिन्न 'राग' केन्द्रीय तंत्रिका प्रणाली से संबंधित अनेक रोगों के इलाज में प्रभावी पाए गए हैं। चिकित्सा के रूप में संगीत के प्रयोग करने से पहले यह अवश्य पता करना चाहिए कि किस प्रकार के संगीत का उपयोग हो. संगीत चिकित्सा का सिद्धांत, सही स्वर शैली तथा संगीत के मूल तत्वों के सही प्रयोग पर निर्भर करता है। जैसे कि नोट्स [स्वर] लय, तीव्रता, ताल तथा रागों के अंश.

राग अनगिनत है तथा निश्चित रूप से प्रत्येक राग के अपने ही अनगिनत गुण हैं। यही कारण है कि हम किसी विशेष राग को किसी विशेष रोग के लिए स्थापित नहीं कर सकते हैं। विभिन्न मामलों में अलग-अलग प्रकार के रागों का प्रयोग किया जाता है। जब संगीत चिकित्सा शब्द का प्रयोग होता है तो हम चिकित्सा की विश्वव्यापी प्रणाली के बारे में सोचते हैं। इस मामले में भारतीय शास्त्रीय संगीत का गायन भाग का साहित्य पर्याप्त नहीं है। अपने अद्वितीय स्वरों/तालों की संरचना के साथ शास्त्रीय संगीत शांत और आरामदायक मनोभावना सुनिश्चित करता है और उत्तेजना पैदा करने वाली स्थितियों से जुड़ी संवेदना को शांत करता है। संगीत तथाकथित भावनात्मक असंतुलन को जीतने में एक प्रभावी भूमिका निभाता है। भारत में प्रत्येक वर्ष 13 मई को संगीत चिकित्सा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

आघात (स्ट्रोक) चिकित्सा के रूप में

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संगीत को मस्तिष्क के कुछ भागों को प्रभावित करते हुए दिखाया गया है। इस चिकित्सा का एक भाग, भावनाओं और सामाजिक संबंधों को प्रभावित करने की संगीत क्षमता से है। नायक और अन्य द्वारा किए गए अनुसंधान से पता चला है कि संगीत चिकित्सा, अवसाद में कमी, बेहतर मनोदशा और चिंता की अवस्था में कमी के साथ जुड़ी हुई है।[15] वर्णनात्मक और प्रायोगिक, दोनों अध्ययनों ने जीवन की गुणवत्ता, पर्यावरण के साथ भागीदारी, भावनाओं की अभिव्यक्ति, जागरूकता और प्रतिक्रिया, सकारात्मक संघों और समाजीकरण पर संगीत का प्रभाव प्रलेखित किया है।[16] इसके अतिरिक्त, नायक और अन्य ने पाया कि सामाजिक और व्यावहारिक परिणामों पर संगीत चिकित्सा का सकारात्मक असर पड़ा है और इसने मनोदशा के संबंध में कुछ उत्साहजनक रुझान दिखाए.[15]

हाल ही के शोध से पता चलता है कि संगीत, मरीज़ की प्रेरणा और सकारात्मक भावनाओं को बढ़ा सकता है।[15][17][18] वर्तमान शोध से यह भी पता चलता है कि जब संगीत चिकित्सा को पारंपरिक चिकित्सा के साथ संयोजित रूप में प्रयोग किया जाता है, तब यह सफलता दर में काफी सुधार लाता है।[19][20][21] इसलिए, यह धारणा बनी है कि संगीत चिकित्सा आघात (स्ट्रोक) के शिकार व्यक्तियों को तेजी से ठीक होने में मदद करती है और यह रोगी की सकारात्मक भावनाओं और प्रेरणा में वृद्धि कर उन्हें परंपरागत चिकित्सा में भाग लेने और अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने में सफल सिद्ध हुई है।

अनुसंधान ने यह दर्शाया है कि संगीत चिकित्सा में आघात (स्ट्रोक) रोगियों में सकारात्मक सामाजिक संबंधों, सकारात्मक भावनाओं और प्रेरणा में वृद्धि करने की क्षमता है। व्हीलर और अन्य ने पाया कि संगीत चिकित्सा के समूह सत्रों से आघात (स्ट्रोक) रोगियों द्वारा सामाजिक संपर्क करने और प्रतिक्रिया करने की सुगमता में वृद्धि हुई और रोगी के परिवारों से सकारात्मक दृष्टिकोण रिपोर्ट में वृद्धि हुई, जबकि व्यक्तिगत सत्र से रोगियों को इलाज के लिए प्रेरित करने में मदद मिली.[18] एक अन्य अध्ययन ने आघात (स्ट्रोक) रोगियों की मनोदशा पर संगीत चिकित्सा के प्रभाव की जांच की और इसी तरह के परिणाम पाए, एवं चिंता, थकान और प्रतिकूल मनोदशा में कमी को दर्शाया.[17] इसके अतिरिक्त, नायक एवं अन्य ने पाया कि जब आघात (स्ट्रोक) सुधार कार्यक्रम में संगीत चिकित्सा का इस्तेमाल किया गया तब सामाजिक संपर्क (अधिक सक्रिय रूप से शामिल और सहकारी) में सुधार पाया गया।[15]

हाल के अध्ययनों ने आघात (स्ट्रोक) रोगियों पर पारंपरिक चिकित्सा के साथ संयुक्त रूप से संगीत चिकित्सा के प्रभाव की जांच की है। एक अध्ययन ने यह पाया कि संगीत के समावेश के साथ चिकित्सकीय ऊपरी शिरा व्यायाम ने, अकेले व्यायाम करने की तुलना में रोगियों में अधिक सकारात्मक भावनात्मक प्रभाव दिया है।[19] एक अन्य अध्ययन में, नायक और अन्य ने पाया गया कि पुनर्वास कर्मचारियों ने संगीत चिकित्सा समूह में शामिल प्रतिभागियों को नियंत्रण समूह में शामिल प्रतिभागियों की तुलना में चिकित्सा में अधिक सक्रिय और सहकारी वरीयता प्रदान की है।[15] उनके निष्कर्षों ने सामाजिक कार्यकलापों हेतु एक पूरक चिकित्सा के रूप में संगीत चिकित्सा की प्रभावकारिता एवं तीव्र पुनर्वास के दौरान मनोदशा में सुधार की प्रवृत्ति की ओर पुनर्वास में भागीदारी को प्रारंभिक समर्थन दिया.

हालांकि सकारात्मक परिवर्तनों को संगीत चिकित्सा के साथ संबद्ध किया गया है, पर कुछ बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए. जबकि वैज्ञानिकों ने निर्धारित किया है कि संगीत सुनते समय कई तरह के शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं, लेकिन संगीत और भावनाओं के बीच के रिश्ते और रिश्ते की दिशा को ध्यान में रखते हुए व्यापक निष्कर्षों पर नहीं पहुंचा जा सकता है।[22] इसके अतिरिक्त, ऐसे मध्यस्थ कारक हो सकते हैं जो संगीत चिकित्सा की सफलता को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, नायक और अन्य ने पाया कि चिकित्सा के प्रारंभ में एक व्यक्ति का सामाजिक व्यवहार जितना अधिक बिगड़ा हुआ होगा, उस व्यक्ति को संगीत चिकित्सा से उतना ही अधिक लाभ प्राप्त होने की संभावना है।[15] इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह पाया कि चिकित्सा की समय सीमा द्वारा संगीत चिकित्सा के प्रभाव को संतुलित किया जा सकता है। यह संभव है कि चोट के निकट समय पर संगीत चिकित्सा का मनोदशा (मूड) पर अधिक स्पष्ट प्रभाव पड़े.

वर्तमान शोध से पता चलता है कि जब संगीत चिकित्सा का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा के साथ संयोजित रूप में किया जाता है, तब यह आघात (स्ट्रोक) के परिणामस्वरूप उत्पन्न भावनात्मक और सामाजिक कमी में होने वाले सुधार की दर में वृद्धि लाता है।[15][19][20][21][23][24] जियांग और किम द्वारा किए गए अध्ययन ने एक समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यक्रम में पारंपरिक आघात चिकित्सा के साथ संगीत चिकित्सा को संयुक्त करने पर होने वाले प्रभाव की जांच की है।[23] आघात (स्ट्रोक) से बचे तैंतीस व्यक्तियों को बेतरतीब तरीके से दो समूहों में बांटा गया: प्रायोगिक समूह, जिसमें आठ सप्ताह तक विशेष पुनर्वास कार्यक्रम और लयबद्ध संगीत को संयुक्त किया गया; एवं एक नियंत्रण समूह, जिसने पारंपरिक चिकित्सा की परामर्श जानकारी प्राप्त की (जिनकी चिकित्सा पारंपरिक तरीके से हुई मानी गई)। इस अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि प्रायोगिक समूह के प्रतिभागियों ने अधिक लचीलापन, गति की व्यापक रेंज, अधिक सकारात्मक मनोदशा और सामाजिक संबंधों की बढ़ी हुई आवृत्ति और गुणवत्ता प्राप्त की.[23]

संगीत का संचालन कौशल के सुधार में भी इस्तेमाल किया गया है। परंपरागत चाल चिकित्सा के साथ संगीत के संदर्भ में तालबद्ध श्रवण उत्तेजना (रिदमिकल ऑडीटरी स्टीमुलेशन) के संयोजन ने आघात (स्ट्रोक) रोगियों की चलने की क्षमता में सुधार किया।[20] अध्ययन में दो उपचार दशाएं शामिल थीं, एक जिसने परंपरागत चाल चिकित्सा प्राप्त की और एक अन्य जिसने तालबद्ध श्रवण उत्तेजना (रिदमिकल ऑडीटरी स्टीमुलेशन) के संयोजन के साथ परंपरागत चाल चिकित्सा प्राप्त की. तालबद्ध श्रवण उत्तेजना के दौरान, माप के अनुसार उत्तेजना या ध्वनि को बजाया गया और इसे रोगी की एड़ी पर प्रहार करके प्रारंभ किया गया। हर दशा ने चिकित्सा के पंद्रह सत्र प्राप्त किये. परिणामों से पता चला कि तालबद्ध श्रवण उत्तेजना समूह ने केवल परंपरागत चिकित्सा प्राप्त करने वाले समूह की तुलना में छलांग लंबाई, समरूपता विचलन, चलने की गति और रोल ओवर पथ लंबाई (चलने के ढंग में सुधार के सभी संकेतक) अधिक सुधार दिखाया.[20]

श्नाइडर और अन्य ने भी मानक संचालक पुनर्वास तरीकों के साथ संगीत चिकित्सा के संयोजन के प्रभाव का अध्ययन किया है।[21] इस प्रयोग में, शोधकर्ताओं ने ऐसे आघात (स्ट्रोक) रोगियों को भर्ती किया जिन्हें पहले से संगीत का कोई अनुभव नहीं था और उनमें से आधे लोगों को चरणबद्ध तरीके से एक गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षित किया गया जो कि पारंपरिक चिकित्सा के अलावा तीन सप्ताह में पंद्रह से अधिक बार आयोजित हुआ। इन प्रतिभागियों को पियानो और ड्रम के प्रयोग को समझाते हुए बेहतर और सकल, दोनों प्रेरक संचलनों को प्रयोग करने का प्रशिक्षण प्रदान किया। अन्य आधे रोगियों ने तीन सप्ताह तक केवल परंपरागत उपचार प्राप्त किया। तीन आयामी आंदोलन विश्लेषण और नैदानिक प्रेरक परीक्षणों ने यह दिखाया कि नियंत्रित विषयों के प्रतिभागियों की तुलना में ऐसे प्रतिभागियों ने बेहतर गति, शुद्धता और आसान संचलन दिखाया, जिन्हें संगीत चिकित्सा अतिरिक्त रूप से प्राप्त हुई थी। संगीत चिकित्सा प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों ने नियंत्रित समूहों की तुलना में रोजमर्रा की मोटर गतिविधियों में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया.[21] विल्सन, पार्सन्स और रियूटन्स ने गहन ब्रोका वाचाघात (Broca's aphasia) वाले पुरुष गायक की बोली उत्पादन पर मेलोडिक इन्टोनेशन चिकित्सा (MIT) के प्रभाव को देखा.[24] इस अध्ययन में, तीस अभिनव वाक्यांशों को तीन दशाओं में सिखाया गया: पूर्वाभ्यास (रिहर्सल) बिना, पूर्वाभ्यासित मौखिक उत्पादन (दोहराव), या राग के साथ पूर्वाभ्यासित मौखिक उत्पादन (MIT). नतीजे बताते हैं कि MIT दशा में पढ़ाए गये वाक्यांशों का उत्पादन बेहतर रहा और पूर्वाभ्यास की तुलना में, MIT का प्रभाव लंबे समय तक चला.

एक अन्य अध्ययन ने आघात (स्ट्रोक) के शिकार लोगों की दर्द की धारणा पर चिकित्सकीय ऊपरी शिरा व्यायाम के साथ संगीत के समावेश की जांच की.[19] आठ सप्ताह के दौरान, आघात (स्ट्रोक) के शिकार लोगों ने ऊपरी शिरा व्यायाम (हाथ, कलाई और कंधे के जोड़ों के) में इन तीन दशाओं में से एक के संयोजन के रूप में भाग लिया: गीत, कराओके संगत और संगीत के बिना. प्रतिभागियों ने प्रत्येक दशा में एक यादृच्छिक तरीके के अनुसार भाग लिया और सत्र के तुरंत बाद अपने कथित पीड़ा ग्रहण को वरीयता प्रदान की. परिणामों से पता चला है कि हालांकि विभिन्न दशाओं में दर्द की वरीयता में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं था, संगीत और कराओके संगत के साथ ऊपरी शिरा व्यायाम करते समय वीडियो प्रेक्षण से अधिक सकारात्मक प्रभाव और मौखिक प्रतिक्रियाओं का खुलासा हुआ।[19] नायक और अन्य ने परंपरागत आघात पुनर्वास के साथ संगीत चिकित्सा के संयोजन का परीक्षण किया और यह भी पाया कि संगीत चिकित्सा के जुड़ने से मनोदशा और सामाजिक संबंधों में सुधार हुआ।[15] ऐसे प्रतिभागियों को जिन्हें आघातीय मस्तिष्क चोट या आघात (स्ट्रोक) का सामना करना पड़ा, दो स्थितियों में से एक में रखा गया: मानक पुनर्वास या संगीत चिकित्सा के साथ मानक पुनर्वास. प्रतिभागियों ने दस उपचारों तक प्रति सप्ताह तीन उपचार प्राप्त किए. चिकित्सकों ने पाया कि पारंपरिक तरीकों के साथ संयोजन के रूप में संगीत चिकित्सा प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों के सामाजिक संपर्क और मनोदशा में सुधार हुआ।

हृदय रोग में

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2009 में हुए 23 नैदानिक परीक्षणों की कोच्रेन समीक्षा के अनुसार कुछ संगीत कोरोनरी हृदय रोगों से पीड़ित रोगियों में हृदय दर, श्वसन दर और रक्तचाप को कम कर सकते हैं।[25] इन लाभों में हृदय रोगियों के रक्तचाप, हृदय की दर और चिंता के स्तरों में कमी शामिल है। यद्यपि, जोक ब्रेट, PhD तथा चेर्ली डीलिओ, PhD (दोनों टेम्पल विश्वविद्यालय, फिलाडेल्फिया से) के अनुसार ये प्रभाव अध्ययनों के समरूप नहीं थे। रोगियों के मनोवैज्ञानिक पीड़ा पर संगीत का अधिक प्रभाव नहीं देखा गया। "सबूत की गुणवत्ता मजबूत और नैदानिक महत्व स्पष्ट नहीं है", समीक्षकों ने चेताया. 11 अध्ययनों में मरीज़ हृदय शल्य-चिकित्सा और प्रक्रियाओं से पीड़ित थे, नौ में MI के रोगी थे, तथा तीन हृदय सुधार रोगी थे। 1,461 प्रतिभागियों में अधिकतर गोरे (औसतन 85%) तथा पुऱूष (67%) थे। अधिकतर अध्ययनों में रोगियों ने एक 30 मिनट का संगीत सत्र सुना. केवल दो ने ही संगीत सुनने के बजाय प्रशिक्षित संगीत चिकित्सक का उपयोग किया।

मिर्गी में

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शोध बताते हैं कि मोज़ार्ट के पियानो सोनाटा K448 को सुनने से मिर्गी के मरीज में दौरों की संख्या कम की जा सकती है।[26] इसे "मोज़ार्ट प्रभाव" कहा जाता है। यद्यपि, हाल के समय में, "मोज़ार्ट प्रभाव" की वैधता तथा इस सिद्धांत तक पहुंचने के लिए हुए अध्ययनों पर संदेह किया जाता है, ऐसा मूल अध्ययन के तहत सीमाओं तथा बाद के अध्ययनों में मोज़ार्ट संगीत के प्रभावों को सिद्ध करने में प्रस्तुत होने वाली कठिनाइयों के कारण हुआ है।

अग्रसर-संगीत चिकित्सा

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संगीत चिकित्सक, संगीत शोधक, तथा प्रयोगात्मक संगीतकार इनरीको कुरेरी ने अमरीकी संगीतकार जॉन केज द्वारा विकसित चिकित्सकीय सिद्धांतों और अवधारणाओं का पता लगाया. उदाहरण के लिए, कुरेरी ने विभिन्न संगीत चिकित्सा सत्रों में अवसाद और चिंता विकार से पीड़ित रोगियों को केज की मौलिक रचना मौन 4′33″ तथा प्रयुक्त सांयोगिक/ अवसर प्रक्रियाओं पर प्रदर्शन किया करते हैं।[27] इसके अतिरिक्त, कुरेरी, मानसिक रोग से पीड़ित व्यस्क रोगियों के साथ प्रयोगात्मक संगीत/ध्वनि/शोरगुल भरा संगीत, मुक्त आशुरचना और सूक्षमध्वनि संगीत का प्रयोग करके रचनात्मकता की प्रक्रिया की चिकित्सकीय जांच कर रहे हैं।

उल्लेखनीय चिकित्सक और लेखक

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  • अल-फ़राबी
  • जुलिएट एल्विन
  • हेलेन बॉनी
  • ई. थेयर गैस्टन
  • पॉल नॉर्डाफ़ और नॉर्डाफ़-रॉबिन्स के क्लाइव रॉबिन्स
  • मेरी प्रीस्ट्ले
  • कॉनसेटा एम. टोमैनो


इन्हें भी देखें

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  • भावात्मक तंत्रिका-विज्ञान
  • जैव-संगीत शास्त्र
  • कालजैविकी
  • मूर्त संगीत-अनुभूति
  • रागात्मक गायन चिकित्सा
  • संगीतानुभूति
  • संगीत सिद्धांत
  • कनाडा में संगीत चिकित्सा
  • संगीत मनोविज्ञान
  • संगीत चिकित्सा
  • मनोध्वनि
  • मनोस्नायुप्रतिरक्षा

टिप्पणियां

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  1. एम्बर हक़ (2004), "इस्लामी नज़रिए से मनोविज्ञान: आरंभिक मुस्लिम विद्वानों का योगदान और समकालीन मुस्लिम मनोवैज्ञानिकों के लिए चुनौती", जर्नल ऑफ़ रिलीजन एंड हेल्थ 43 (4):357-377[375].
  2. cf. द एनाटमी ऑफ़ मेलांकोली, रॉबर्ट बर्टन, उपधारा 3, लाइन 3480 पर और के बाद, "म्यूज़िक अ रेमेडी":

    लेकिन दिव्य संगीत की प्रशंसा में [3481] सभी आडंबरपूर्ण भाषण समाप्त करने के लिए, मैं अपने आप को मेरे उचित विषय तक सीमित करूंगा: उसमें जो अन्य कई रोगों को दूर करने की उत्कृष्ट शक्ति है उसके अलावा, वह [3482] निराशा और उदासी के खिलाफ़ एक सर्वश्रेष्ठ उपाय है और वह स्वयं शैतान को दूर भगाएगा. केनस, एक रोडियन सारंगीवादक, [3483] फ़िलोस्ट्रेटस में, जब अपोलोनियस यह पता करने का इच्छुक था कि वह अपने पाइप के साथ क्या कर सकता है, उसने कहा "कि वह एक उदास आदमी को ख़ुश कर सकता है और यह उसके लिए यह पहले से ज़्यादा आनंददायक है, एक प्रेमी को और अधिक आकृष्ट, एक धार्मिक व्यक्ति को और अधिक भक्त बना सकता है।" इस्मीनियास थेबन, [3484] शिरॉन सेंटॉर, के लिए कहा जाता है कि उसने अकेले संगीत से इसे और कई अन्य बीमारियों का इलाज किया: जैसा कि वे अब करते हैं, बोडाइन कहते हैं [3485] कि जो सेंट वाइटस बेडलैम नृत्य के साथ परेशान रहे हैं। [1] Archived 2011-05-13 at the वेबैक मशीन

  3. "मानवता हार्मोन है: एक टारंटेल्ला न्यूफ़ाउंडलैंड आता है। Archived 2015-02-15 at the वेबैक मशीनहमें इसके बारे में क्या करना चाहिए?" Archived 2015-02-15 at the वेबैक मशीन डॉ॰ जॉन क्रेलिन द्वारा, MUNMED, मेडिसिन संकाय का न्यूज़लेटर, मेमोरियल यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूफ़ाउंडलैंड, 1996.
  4. आंग, स्टीवन के.एच., ली, मैथ्यू एच.एम., "संगीत, ध्वनियां, चिकित्सा और ध्यान: चिकित्सा कला के प्रति एक एकीकृत दृष्टिकोण", वैकल्पिक और पूरक चिकित्सा, अक्टूबर 2004, खंड. 10, सं. 5: 266-270. [2]
  5. डेविस, फ़ेलर, थॉट (2008). संगीत चिकित्सा का एक परिचय - सिद्धांत और व्यवहार, तीसरा संस्करण: संगीत चिकित्सा उपचार प्रक्रिया. सिल्वर स्प्रिंग, मेरीलैंड. पृ. 460-468
  6. डेविस, फ़ेलर, थॉट (2008). संगीत चिकित्सा का एक परिचय - सिद्धांत और व्यवहार, तीसरा संस्करण: संगीत चिकित्सा उपचार प्रक्रिया. सिल्वर स्प्रिंग, मेरीलैंड. पृ. 469-473.
  7. डेविस, फ़ेलर, थॉट, (2008). संगीत चिकित्सा का एक परिचय - सिद्धांत और व्यवहार, तीसरा संस्करण: संगीत चिकित्सा उपचार प्रक्रिया. सिल्वर स्प्रिंग, मेरीलैंड. पृ. 475.
  8. "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 अगस्त 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.
  9. "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 अक्तूबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अक्तूबर 2010.
  10. "संग्रहीत प्रति". मूल से 7 अक्तूबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अक्तूबर 2010.
  11. ""23-28 जुलाई 2002, ऑक्सफोर्ड, ब्रिटेन में WFMT विश्व सम्मेलन की कार्यवाही"". मूल से 27 सितंबर 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अक्तूबर 2010.
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  14. "संगीत चिकित्सा मनोविदलता लक्षण में सुधार कर सकता है" Archived 2012-02-02 at the वेबैक मशीन, चिकित्सा संकाय समाचार, इम्पीरियल कॉलेज, लंदन.
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अतिरिक्त पठन

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बाहरी कड़ियाँ

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