शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास

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शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास भारत में शिक्षा एवं संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करने वाला न्यास है।[1] इसकी स्थापना १८ मई २००७ को की गयी थी।

इसके संस्थापक दीनानाथ बत्रा हैं जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक तथा विद्या भारती के पूर्व निदेशक हैं। यह न्यास अपने सहयोगी संगठनों जैसे, शिक्षा बचाओ आन्दोलन समिति के निकट सहयोग से काम करता है। इस न्यास का घोषित लक्ष्य वर्तमान शिक्षा व्यवस्था की वैकल्पिक व्यवस्था की स्थापना करना है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये लिये यह संस्था शिक्षा के पाठ्यक्रम, प्रणाली, विधि और नीति को बदलने तथा शिक्षा के 'भारतीयकरण' को आवश्यक मानती है।

प्रमुख सदस्य[संपादित करें]

दीनानाथ बत्रा के अलावा इस न्यास के प्रमुख सदस्य निम्नलिखित हैं-

कार्य[संपादित करें]

२०१४ में श्री बत्रा के एक वक्तव्य के अनुसार, न्यास का कार्य छः मुख्य क्षेत्रों में केन्द्रित है-

  1. छात्र का सम्पूर्ण विकास
  2. चरित्र निर्माण
  3. पर्यावरण
  4. वैदिक गणित
  5. हिन्दी तथा भारतीय भाषाएँ
  6. शिक्षा क्षेय्र की स्वायत्तता

स्वायत्तता के के बारे में न्यास ने मांग की है कि एक अखिल भारतीय, स्वायत्त अशासकीय), शिक्षा आयोग बनाया जाय। न्यास ने 'भारतीय शिक्षा नीति आयोग' नामक २१ सदस्यीय एक आयोग का प्रस्ताव भी किया है तथा उसके ९ सदस्यों को नियुक्त भी किया जा चुका है जिनमें केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसएए) के पूर्व निदेशक बद्रीनाथ खण्डेलवाल भी सम्मिलित हैं।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. अक्षय मुकुल (२३ मई २०१४). "Saffron outfit wants Modi government to revamp education" (अंग्रेज़ी में). इकोनॉमिक टाइम्स. मूल से 16 जून 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १३ जून २०१४.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]