मधु

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बोतल में छत्ते के साथ रखी मधु
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मधु या शहद (अंग्रेज़ी:Honey हनी) एक मीठा, चिपचिपाहट वाला अर्ध तरल पदार्थ होता है जो मधुमक्खियों द्वारा पौधों के पुष्पों में स्थित मकरन्दकोशों से स्रावित मधुरस से तैयार किया जाता है और आहार के रूप में मौनगृह में संग्रह किया जाता है।[1]

शहद में जो मीठापन होता है वो मुख्यतः ग्लूकोज़ और एकलशर्करा फ्रक्टोज के कारण होता है। शहद का प्रयोग औषधि रूप में भी होता है। शहद में ग्लूकोज व अन्य शर्कराएं तथा विटामिन, खनिज और अमीनो अम्ल भी होता है जिससे कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं जो घाव को ठीक करने और उतकों के बढ़ने के उपचार में मदद करते हैं। प्राचीन काल से ही शहद को एक जीवाणु-रोधी के रूप में जाना जाता रहा है और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों जैसे -आयुर्वेद में वैकल्पिक उपचार के तौर पर प्रयोग में लाया जाता है।[2] शहद एक हाइपरस्मॉटिक एजेंट होता है जो घाव से तरल पदार्थ निकाल देता है और शीघ्र उसकी भरपाई भी करता है और उस जगह हानिकारक जीवाणु भी मर जाते हैं। जब इसको सीधे घाव में लगाया जाता है तो यह सीलैंट की तरह कार्य करता है और ऐसे में घाव संक्रमण से बचा रहता है।[3]

पोषण

एक मधुमक्खी गोल्डनरॉड पुष्प के कैलिक्स पर पराग सेवन करते हुए।
मधु
पोषक मूल्य प्रति 100 ग्रा.(3.5 ओंस)
उर्जा 300 किलो कैलोरी   1270 kJ
कार्बोहाइड्रेट     82.4 g
- शर्करा 82.12 g
- आहारीय रेशा  0.2 g  
वसा 0 g
प्रोटीन 0.3 g
पानी 17.10 g
राइबोफ्लेविन (विट. B2)  0.038 mg   3%
नायसिन (विट. B3)  0.121 mg   1%
पैंटोथैनिक अम्ल (B5)  0.068 mg  1%
विटामिन B6  0.024 mg 2%
फोलेट (Vit. B9)  2 μg  1%
विटामिन C  0.5 mg 1%
कैल्शियम  6 mg 1%
लोहतत्व  0.42 mg 3%
मैगनीशियम  2 mg 1% 
फॉस्फोरस  4 mg 1%
पोटेशियम  52 mg   1%
सोडियम  4 mg 0%
जस्ता  0.22 mg 2%
उपरोक्त आंकड़े १०० ग्रा., लगभग ५ बड़े चम्मच के लिये हैं।
प्रतिशत एक वयस्क हेतु अमेरिकी
सिफारिशों के सापेक्ष हैं.
स्रोत: USDA Nutrient database

मधु शर्कराओं एवं अन्य यौगिकों का मिश्रण होता है। कार्बोहाईड्रेट के संदर्भ में मधु में मुख्यतः फ्रक्टोज़ (लगभग ३८.५%) एवं ग्लूकोज़ (लगभग ३१.०%) होता है,[4] जो इसे कृत्रिम रूप से उत्पादित इन्वर्टेड शुगर सीरप के समाण रखता है, जिसमें ४८% फ्रक्टोज़, ४७% ग्लूकोज़ एवं ५% सकरोज़ होते हैं। मधु के शेष कार्बोहाईड्रेट में माल्टोज़, सकरोज़ एवं अन्य जटिल कार्बोहाईड्रेट होते हैं।[4] मधु में नाममात्र को विभिन्न विटामिन एवं खनिज होते हैं।[5] अन्य सभी पोषक स्वीटनरों की भांति ही, मधु में अधिकांश शर्करा ही होती है और ये विटामिन या खनिजों का विशेष स्रोत नहीं है।[6] मधु में अति लघु मात्रा में विभिन्न अन्य यौगिक भी होते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट्स का कार्य करते हैं, साथ ही क्राइसिन, पाइनोबैंकसिन, विटामिन सी, कैटालेज़, एवं पाइनोसेंब्रिन भी होते हैं।[7][8] फिर भी मधु के विशिष्ट संयोजन उसे बनाने वाली मधुमक्खियों पर व उन्हें उपलब्ध पुष्पों पर निर्भर करते हैं।[6]शहद एक प्राकृतिक स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक आहार है जिसे त्‍वचा को सुंदर बनाने और मोटापा कम करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। अगर आप अपने बढ़ते हुए वजन से परेशान हो चुके हैं और जिम जाने का समय नहीं है तो शहद का प्रयोग कर के आप बिल्‍कुल स्‍लिम-ट्रिम बन सकते हैं।[9]

एक मधु के नमूने का विश्लेषण[10]

मधु का घनत्व लगभग १.३६ कि.ग्रा./लीटर (जल से ३६% घना) होता है।[11] मधु में कॉर्न सीरप या इक्षु शर्करा मिश्रण की मिलावट की जांच आइसोटोप रेश्यो मास स्पेक्ट्रोमीट्री द्वारा की जा सकती है। इस विधि द्वारा ७% तक की निम्न मात्रा भी जांची जा सकती है।[12]

प्रकार

टेक्सास के एक मेल में शहद की विभिन्न किस्में एवं फ्लेवर

मधु के कई प्रकार होते हैं। इन प्रकारों का वर्गीकरण प्रायः उन मधुमक्खियों द्वारा मधुरस एकत्रित किये जाने वाले प्रमुख स्रोतों के आधार पर किया जाता है। उदाहरणार्थ अल्फा-अल्फा मधु, बरसीम मधु, छिछड़ी या शैन मधु, लीची मधु आदि। इसके अलावा शहद के संसाधन और शोधन की प्रक्रिया के आधार पर किया जा सकता है[1]:

निष्कासित मधु

निष्कासित मधु को छाना हुआ शहद भी कहते हैं। यह मधु निष्कासन मशीन द्वारा निकाला जाता है तथा शहद का शुद्धतम प्रकार होता है। यह मौनगृहों से पाली गई मधुमक्खियों जैसे एपिस मैलीफरा और एपिस सिराना से प्राप्त होता है। निष्कासित मधु निम्न प्रकार का हो सकता है।

तरल मधु

तरल मधु वह होता है जो शहद दृश्य रवों (क्रिस्टल) से मुक्त हो यानि जो एकदम रवेदार न हो।

रवेदार मधु

इसमें मधु पूर्ण रूप से रवेदार या ठोस बन जाता है। यह क्रिस्टलीकरण प्राकृतिक रूप से या भिन्न क्रिस्टलीकरण क्रियाओं द्वारा हो सकता है।

निचोड़ने से प्राप्त शहद

यह शहद मधुमक्खियों को निर्दयी ढंग से मारने के बाद प्राप्त किया जाता है क्योंकि शहद प्राप्त करने के लिए उनके छत्ते को निचोड़ा जाता है। इस प्रकार का शहद प्राकृतिक रूप से बने छत्तों से प्राप्त होता है जैसे जंगली मौन (एपिस डौरसेटा) या भारतीय मौन (एपिस सिराना) जो प्राकृतिक रूप से जंगलों, चट्टानों, पुरानी इमारतों आदि में छत्ते बनाती हैं। निचोड़ने से प्राप्त शहद न केवल अशुद्ध होता है परन्तु जल्दी ही खराब भी हो जाता है।

कोष्ठ मधु

कोष्ठ मधु या हनी कॉम्ब

कोष्ठ या कॉम्ब मधु छत्तों के कोष्ठों में होता है जहां पर यह संग्रह किया जाता है। कौम्ब मधु भिन्न प्रकार का होता हैः

खण्ड कौम्ब मधु

यह भिन्न माप के वर्गाकार या आयाताकार मोमी छत्तों के खण्डों में पैदा किया जाता है।

व्यक्तिगत खम्ड कौम्ब मधु

इसे छोटे-छोटे मोमी छत्तों के खण्डों में पैदा किया जाता है। प्रत्येक खण्ड साधारण खण्ड के माप का एक चौथाई भाग होता है।

अम्बार कौम्ब मधु

यह मधु छिछली निष्कासन की जानी वाली फ्रेमों से, जिनमें पतली सुपर छत्ताधार लगी होती है, से पैदा किया जाता है। ये छत्ते जब पूरी तरह मधु से भर जाते हैं तथा कोष्ठक सील कर दिये जाते हैं तो इसे मौन गृह से निकाल कर ऐसे ही पैक कर बेच दिया जाता है।

काट कौम्ब मधु

इसमें अम्बार कौम्ब मधु को भिन्न माप के टुकड़ों में काटा जाता है, इसके किनारों को निष्कासित किया जाता है तथा व्यक्तिगत टुकड़ों को पोलीथीन के थैलों में लपेटा जाता हैं।

चंक मधु

इसमें कट कौम्ब मधु को एक डिब्बे में, जिसमें तरल निष्कासित मधु भरा होता है, पैक कर दिया जाता है।

भौतिक गुण

एक मधु का जार जिसमें हनी डिपस है।

शहद के भौतिक गुण इसकी शुद्धता मानक ज्ञात करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

आद्रता बही गुण

शहद आर्द्र होता है तथा हवा से नमी सोख लेता है। जिन क्षेत्रों में बहुत अधिक नमी होती है वहां मधु के खराब होने की अधिक संभावना होती है। शहद में आर्द्रता सोखने की गुणवत्ता इसमें उपस्थित शर्करा की सान्ध्रता तथा नमी पर निर्भर करती है। शहद में उपस्थित नमी का विशेष आपेक्षिक आर्द्रता के साथ सन्तुलन में होती है। मधु को नमी सोखने तथा सड़ने से बचाने के लिए ठीक संग्रहण करना चाहिए।

गाढ़ापन

शहद गाढ़ा द्रव्य होता है तथा गाढ़ेपन का माप इसके बहाव/प्रवाह को दर्शाता है। गर्म करने से इसका गाढ़ापन कम हो जाता है। गाढ़ापन प्रोटीन मात्रा पर भी निर्भर करता है जो अन्ततः मधुरस स्रोत पर निर्भर करता है। जिस मधु में प्रोटीन की अधिक मात्रा होती है वह अधिक गाढ़ा होता है।


आपेक्षिक गुरूत्व

तालिका : भिन्न स्रोतों से प्राप्त मधु में रंग विभिन्नता
मधु स्रोत रंग[1]
कपास सफेद
सफेदा सफेद
रबड़, सरसों, लीची सुनहरा या हल्का पीला
बरसीम, जामुन अम्बर (तृणमणि)
कर्वी तथा तामारिंगड मिश्रित गहरा
शीशम गहरा अम्बर

आपेक्षिक गुरुत्व या विशिष्ट घनत्व तथा अपर्वतनांक

शुद्धमधु का विशिष्ट घनत्व १.३५ से १.४४ होना चाहिए। अपवर्तन मापी (रिफ़्रैक्टरमीटर) प्रयोग करके मधु में नमी/आर्द्रता को मापा जा सकता है। इन दोनो गुणों को मापने से शहद में नमी की मात्रा का पता चलता है।

सुगन्ध और रंग

मधु का रंग तथा इसकी गन्ध पुष्पन स्रोत पर निर्भर करती है जहां से इसे एकत्र किया जाता है। भिन्न फूलों से प्राप्त मधुरस का रंग तथा गन्ध भिन्न होती है और यह मधुरस की मूल रचना पर निर्भर करता है। भिन्न मधु का रंग हल्के से गहरे अम्बर (तृणमणि) का तथा गन्ध मध्यम सुखद होती है।

औषधीय गुण

शहद को जीवाणु निवारण रूप में प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में शहद के उत्पादन में काम करने वाली मधुमक्खियां एन्जाइम ग्लूकोज ऑक्सीडेज को नेक्टर में बदल देती हैं। जब शहद को घाव पर लगाया जाता है तो इस एंजाइम के साथ हवा की ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही बैक्टीरीसाइड हाइड्रोजन पर आक्साइड बनती है। मनुका (मेडिहनी) औषधीय मधु होता है जिसके जीवाणु-रोधी कई तरह के स्रोतों से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड आदि स्थानों से प्राप्त किए जाते हैं। वर्ष २००७ में हेल्थ कनाडा ओर यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने क्रमश: पहली बार इस मेडिसिनल हनी को घाव और जलने में प्रयोग की अनुशंसा की है। इनके अलावा शहद के प्रयोग से सूजन और दर्द भी दूर हो जाते हैं। घावों या सूजन से आने वाली दुर्गंध भी दूर होती है। शहद की पट्टी बांधने से मरे हुए ऊतकों की कोशिकाओं के स्थान पर नई कोशिकाएं पनप आती हैं। इस प्रकार मधु से घाव तो भरते ही हैं और उनके निशान भी नहीं रहते।

अहार-रूप में उपयोग

मधु एक ऊष्मा व ऊर्जा दायक आहार है तथा दूध के साथ मिलाकर यह सम्पूर्ण आहार बन जाता है। इसमें मुख्यतः अवकारक शर्कराएं, कुछ प्रोटीन, विटामिन तथा लवण उपस्थित होते हैं। शहद सभी आयु के लोगों के लिए श्रेष्ठ आहार माना जाता है और रक्त में हीमोग्लोबिन निर्माण में सहायक होता है। एक किलोग्राम शहद से लगभग ५५०० कैलोरी ऊर्जा मिलती है। एक किलोग्राम शहद से प्राप्त ऊर्जा के तुल्य दूसरे प्रकार के खाद्य पदार्थो में ६५ अण्डों, १३ कि.ग्रा. दूध, ८ कि.ग्रा. प्लम, १९ कि.ग्रा. हरे मटर, १३ कि.ग्रा. सेब व २० कि.ग्रा. गाजर के बराबर हो सकता है।


विभिन्न धर्मों में

शहद को प्राचीन काल से ही विभिन्न धर्मों में उच्च मान्यता मिली हुई है। हिन्दु धर्म के प्राचीन ग्रन्थ, ऋगवेद में भी शहद तथा मधुमक्खियों के बारे में बहुत से सन्दर्भ मिलते हैं। शहद हिन्दू धर्म के बहुत से धार्मिक कृत्यों तथा समारोहों में प्रयोग होता है। प्राचीन यूनानी सभ्यता में भी शहद को बहुत मूल्यवान आहार तथा भगवान की देन माना जाता था। यूनानी देवताओं को अमरत्व प्राप्त था जिसका कारण उनके द्वारा किया गया ऐम्ब्रोसिआ सेवन बताया गया था, जिसमें शहद एक प्रमुख भाग होता था। अरस्तु की पुस्तक नेचुरल हिस्टरी में भी शहद पर बहुत से प्रत्यक्ष प्रेक्षण उपलब्ध हैं। उसका विश्वास था कि शहद में जीवन वृद्धि तथा शरीर हृष्ट-पुष्ट रखने के लिए आसाधारण गुण होते हैं। इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरान के सूरा-१६ अन-नह्ल के अनुसार शहद सभी बीमारियों को निदान करता है। यहूदी धर्म में भी शहद को आहार या हनी बनाने में प्रयोग किया जाता है। संसार के लगभग सभी धर्मो ने शहद की अनूठी गुणवत्ता की प्रशंसा की है।[1] जैन धर्म में मधु सेवन को अनैतिक माना जाता हैं। जैन ग्रन्थ, पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में लिखा हैं[13]-

लोक में मधु का एक छोटा सा खंड भी बहुधा मधुमक्खियों की हिंसा का स्वरुप होता है। जो मूढ बुद्धि रखने वाला मधु का सेवन करता है वह अत्यंत हिंसक होता है।
—पुरुषार्थ सिद्धयुपाय (६९)

विश्व में उत्पादन व प्रयोग

२००५ में मधु उत्पादन
चीन विश्व में मधु का सर्वोच्च उत्पादक देश है[14]

भारत में प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष शहद की खपत लगभग २५ ग्राम होती है जबकि अन्य देशों में इसकी खपत बहुत अधिक है। स्विटजरलैंड और जर्मनी में १.५ कि.ग्रा. से अधिक, अमेरिका में एक कि.ग्रा. तथा फ्रांस, इंग्लैंड, जापान, इटली में २५० ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष होती है। भारत में इसे अभी भी औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है तथा ऊर्जा दायक आहार के रूप में इसका प्रचलन नहीं हैं। वर्ष २००५ में चीन, अर्जेंटीना, तुर्की एवं संयुक्त राज्य एफ.ए.ओ के आंकड़ों के अनुसार विश्व के सर्वोच्च प्राकृतिक मधु उत्पादक देश रहे थे।[15] यूरोप में मधु की सर्वाधिक मात्रा तुर्की में (विश्व में तृतीय स्थान) एवं यूक्रेन (विश्व में पांचवां) में उत्पादित हुई।[16]

मधु में लौह, तांबा और मैंगनीज सूक्ष्म मात्रा में होते है।

बाज़ार में उपलब्ध शहद

शहद का सेवन करने के कई फायदे हैं जिनमें शरीर में ऊर्जा बढ़ाने से लेकर दमकती त्वचा और वजन घटाने तक के फायदे शामिल हैं। शहद के इन्हीं फ़ायदों के चलते आज इसके व्यपार में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। आज बाज़ार में विभिन्न कंपनियों के शहद मिल रहे हैं, जिनमें डाबर, हिमालया, पतंजलि और खादी के नाम शामिल हैं। [17]

मधु उत्पादन प्रक्रिया की दीर्घा

सन्दर्भ

  1. के प्रकार, अवयव एवं औषधीय गुण मधु के प्रकार, अवयव एवं औषधीय गुण[मृत कड़ियाँ]। उत्तराकृषिप्रभा
  2. आयुर्वेद में वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में मधु का वर्णन Archived 29 जून 2021 at the Wayback Machine। आयुर्मीडिया।
  3. शहद के फायदे Archived 2010-04-27 at the वेबैक मशीन। हिन्दुस्तान लाईव। ११ अप्रैल २०१०
  4. नेशनल हनी बोर्ड "कार्बोहाईड्रेट्स एण्ड द स्वीटनेस ऑफ हनी" Archived 2009-03-24 at the वेबैक मशीन। अभिगमन तिथि: ५ मई २००८
  5. USDA न्यूट्रियेंट डाटा लैबोरेटरी Archived 2015-03-03 at the वेबैक मशीन"हनी."। अभिगमन तिथि:२४ अगस्त २००७
  6. क्वेश्चन्स मोस्ट फ़्रीक्वेन्ट्ली आस्क्ड अबाउट शुगर. अमेरिकन शुगर अलायंस. मूल से 3 दिसंबर 2005 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2010.
  7. मार्टोस आई, फ़ैरेरेस एफ़, टॉमस-बार्बेरन एफ़ (२०००). "आईडेन्टिफ़िकेशन ऑफ फ़्लैवोनॉएड मार्कर्स फ़ोर द बोटैनिकल ओरिजिन ऑफ यूकैलिप्टस हनी". जे एगरिक फ़ूड केम. ४८ (५): १४९८-५०२. PMID 10820049. डीओआइ:10.1021/jf991166q.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  8. घेल्डोफ़ एन, वैंग एक्स, एंजेसेठ एन (२००२). "आईडेन्टिफ़िकेशन एण्ड क्वान्टिफ़िकेशन ऑफ एंटीऑक्सीडेंट कंपोनेंट्स ऑफ हनी फ़्रॉम वेियस फ़्लोरल सोर्सेज़". जे एगरिक फ़ूडकेम. ५० (२१): ५८७०-७. PMID 12358452. डीओआइ:10.1021/jf0256135.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  9. http://www.amarujala.com/photo-gallery/lifestyle/health-fitness/healthy-food/health-benefits-of-honey-and-lemon/?page=3
  10. अंतिम अभिगमन:२३ दिसम्बर २००९ url = http://www.beesource.com/resources/usda/honey-composition-and-properties/ Archived 2010-12-06 at the वेबैक मशीन
  11. रेनर क्रॅल, (१९९६). वैल्यु-ऐडेड प्रोडक्ट्स फ़्रॉम बीकीपिंग (एफ़.ए.ओ कृषि सेवा बुलेटिन). खाद्य एवं कृषि संगठन, सं.राष्ट्र. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 92-5-103819-8.सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link)
  12. "कनैडियाई मधु परिषद - द डिटेक्शन ऑफ C4 शुगर्स इन हनी".[मृत कड़ियाँ]
  13. Jain, Vijay K. (2012). आचार्य अमृत्चंद्र पुरुषार्थ सिद्धयुपाय. पृ॰ 50. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788190363945.
  14. चाइना कंटिन्यूज़ टू डॉमिनेट द वर्ल्ड्स हनी प्रोडक्शन Archived 2010-12-22 at the वेबैक मशीन (अभिगमन: १७ अप्रैल २००९)
  15. "FAO.org". मूल से 13 अप्रैल 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2010.
  16. यूक्रेन हनी - वर्ल्ड कांग्रेस ट्रिम्फर Archived 2011-10-05 at the वेबैक मशीन, (२३ सितंबर २००९)
  17. "deccan herald". मूल से 24 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 अगस्त 2015.

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

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