शम्स तबरेज़ी
शम्स तबरेज़ी | |
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जन्म |
1185 तबरेज़, ईरान |
मौत |
1248 ख्वोय, ईरान |
पेशा | कवि, दार्शनिक, दर्ज़ी |
धर्म | इस्लाम [1] |
शम्स तबरेज़ी (फ़ारसी: محمد بن علی بن ملکداد تبریزی شمسالدین, मुहँमद बिन अली बिन मलिक-दाद तबरेज़ी शम्सुद्दीन, 1185-1248) (582 - 645 हिजरी) एक फ़ारसी भाषाविद, दार्शनिक और फ़कीर थे।[2][3][4]
वे अज़रबैजान के तबरेज़ शहर के वासी थे और वे बड़े सम्मानित सूफ़ी बज़ुर्ग थे। शम्स तबरेज़ी की जीवनी पर बहुत कम भरोसेमंद स्रोत उपलब्ध हैं, यह रूमी की भी स्थिति है। कुछ लोग के ख़्याल हैं कि वे किसी जाने माने सूफ़ी नहीं थे, बल्कि एक घुमंतू क़लन्दर थे। एक और स्रोत में यह भी उल्लेख मिलता है कि शम्स किसी दादा हशीशिन सम्प्रदाय के नेता हसन बिन सब्बाह के नायब थे। बाद में शम्स के वालिद ने सुन्नी इस्लाम क़ुबूल कर लिया। लेकिन यह बात शक्की होते हुए भी दिलचस्प इस अर्थ में है कि हशीशिन, इस्माइली सम्प्रदाय की एक टूटी हुई शाख़ थी। और इस्माइली ही थे जिन्होंने सबसे पहला क़ुरआन के ज़ाहिरा (manifest) को नकारकर अव्यक्त अथात् छिपे हुए अर्थों पर ज़ोर दिया, और रूमी को ज़ाहिरा दुनिया को नकारकर रूह की अन्तरयात्रा की प्रेरणा देने वाले शम्स तबरेज़ी ही थे।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Ibrahim Gamard, Greatest Works Of Rumi, पृ॰ 13, मूल से 15 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 4 दिसंबर 2016
- ↑ منوچهر مرتضوی، زبان دیرین آذربایجان، بنیا موقوفات دکتر افشار، 138۴. pg 49, तबरेज़ की पुरानी भाषा के बारे में और पुरानी अज़ेरी भाषा के बारे में टिप्पणियाँ देखें
- ↑ Claude Cahen, "Pre-Ottoman Turkey: a general survey of the material and spiritual culture and history, c. 1071-1330", Sidgwick & Jackson, 1968. pg 258: " हो सकता है वह महान फ़ारसी सूफ़ी स्न्त शम्सुद्दीन तबरेज़ी को वहाँ मिला हो, लेकिन उसने शम्स का पूरा प्रभाव बाद में क़ुबूल किया।"
- ↑ Everett Jenkins, "Volume 1 of The Muslim Diaspora The Muslim Diaspora: A Comprehensive Reference to the Spread of Islam in Asia, Africa, Europe, and the Americas, Everett Jenkins", McFarland, 1999. pg 212: "फ़ारसी सूफ़ी सन्त शम्सुद्दीन तबरीज़ी कोन्या पहुँचा". ISBN 0-7864-0431-0, ISBN 978-0-7864-0431-5
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