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वेस्टफेलिया की संधि

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वेस्टफेलिया की संधि
हस्ताक्षरित24 अक्टूबर 1648
भागीदार पक्षपवित्र रोमन साम्राज्य, फ्रांस, स्वीडन, स्पेन, डच गणराज्य, अन्य जर्मन राज्य
भाषालैटिन

वेस्टफेलिया की संधि 1648 में हस्ताक्षरित एक महत्वपूर्ण शांति संधि थी, जिसने तीस वर्षों के युद्ध (1618-1648) और आठ वर्षों के युद्ध (1568-1648) को समाप्त किया। यह संधि जर्मनी के वेस्टफेलिया क्षेत्र के म्यूंस्टर और ओस्नाब्रुक शहरों में हुई वार्ताओं के बाद संपन्न हुई।

इस संधि ने यूरोपीय राजनीति में संप्रभुता की नई अवधारणा को जन्म दिया और आधुनिक राष्ट्र-राज्य प्रणाली की नींव रखी।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

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तीस वर्षों का युद्ध, जो मुख्यतः पवित्र रोमन साम्राज्य के भीतर कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट संप्रदायों के बीच लड़ा गया था, धीरे-धीरे यूरोप के कई बड़े देशों को अपनी चपेट में ले लिया। फ्रांस, स्वीडन, स्पेन, और डच गणराज्य भी इस युद्ध में शामिल हो गए, जिससे यह एक महाद्वीपीय संघर्ष बन गया।[1]

युद्ध ने जर्मनी और अन्य यूरोपीय क्षेत्रों को भारी नुकसान पहुँचाया। इस लंबे और विनाशकारी युद्ध को समाप्त करने के लिए विभिन्न पक्षों के प्रतिनिधियों ने वेस्टफेलिया में कई वर्षों तक शांति वार्ता की।[2]

संधि की प्रमुख शर्तें

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वेस्टफेलिया की संधि कई छोटे-छोटे समझौतों का एक समूह था। इसकी प्रमुख शर्तें थीं:

धार्मिक स्वतंत्रता

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पवित्र रोमन साम्राज्य के भीतर कैथोलिक, लूथरन, और कैल्विनवादी संप्रदायों को समान मान्यता दी गई। प्रत्येक राज्य के शासक को अपने क्षेत्र में धर्म चुनने का अधिकार मिला, लेकिन धार्मिक अल्पसंख्यकों को कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान की गई।[1]

राजनैतिक संप्रभुता

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पवित्र रोमन साम्राज्य के जर्मन राज्यों को अधिक स्वायत्तता मिली, जिससे सम्राट की शक्ति सीमित हो गई। फ्रांस और स्वीडन को जर्मन राज्यों पर कुछ हद तक प्रभाव मिला। नीदरलैंड (डच गणराज्य) और स्विट्जरलैंड को औपचारिक रूप से स्वतंत्र राष्ट्रों के रूप में मान्यता दी गई।[3]

क्षेत्रीय परिवर्तन

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फ्रांस को एलसैस क्षेत्र का कुछ भाग प्राप्त हुआ। स्वीडन को उत्तरी जर्मनी के कुछ बंदरगाह शहर दिए गए। ब्रैंडेनबर्ग (बाद में प्रशिया) और सैक्सोनी जैसे राज्यों को भी लाभ हुआ।[3]

प्रभाव और परिणाम

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आधुनिक राष्ट्र-राज्य प्रणाली की नींव

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वेस्टफेलिया की संधि ने संप्रभु राज्यों की संकल्पना को स्थापित किया, जहाँ प्रत्येक राज्य अपने आंतरिक मामलों में स्वतंत्र था और किसी बाहरी शक्ति द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता था। इसे "वेस्टफेलियन संप्रभुता" कहा जाता है।[1]

पवित्र रोमन साम्राज्य की शक्ति में कमी

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संधि के बाद, पवित्र रोमन सम्राट की शक्ति घट गई, और जर्मन राज्य अधिक स्वतंत्र हो गए। यह साम्राज्य के पतन की शुरुआत थी, जो 1806 में नेपोलियन युद्धों के दौरान समाप्त हुआ।[1]

यूरोप में शक्ति संतुलन

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फ्रांस इस संधि का सबसे बड़ा लाभार्थी बना और एक प्रमुख यूरोपीय शक्ति के रूप में उभरा। स्वीडन को भी लाभ मिला, जबकि स्पेन और हब्सबर्ग साम्राज्य की शक्ति कमजोर हो गई।[2]

धार्मिक सहिष्णुता की ओर बढ़ाव

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हालाँकि धार्मिक संघर्ष पूरी तरह समाप्त नहीं हुए, लेकिन इस संधि के कारण यूरोप में धार्मिक सहिष्णुता का मार्ग प्रशस्त हुआ और धार्मिक स्वतंत्रता की अवधारणा को बल मिला।[2]

निष्कर्ष

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वेस्टफेलिया की संधि यूरोपीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। इसने न केवल एक लंबे युद्ध को समाप्त किया, बल्कि आधुनिक अंतरराष्ट्रीय राजनीति के कई सिद्धांतों को जन्म दिया। आज भी, यह संधि संप्रभुता और राष्ट्र-राज्य प्रणाली के विकास में एक मील का पत्थर मानी जाती है।[3]

  1. Straumann, Benjamin (2008). "The Peace of Westphalia as a Secular Constitution". Constellations (अंग्रेज़ी में). 15 (2): 173–188. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1467-8675. डीओआइ:10.1111/j.1467-8675.2008.00483.x.
  2. "Peace of Westphalia (1648)". obo (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2025-01-28.
  3. "Peace of Westphalia | Definition, Map, Results, & Significance | Britannica". www.britannica.com (अंग्रेज़ी में). 2025-01-23. अभिगमन तिथि 2025-01-28.