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वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय

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वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय

आदर्श वाक्य:तेजस्विनावधीतमस्तु
स्थापित1987
प्रकार:सार्वजनिक
कुलाधिपति:महोदया आनन्दी बेन पटेल(राज्यपाल उत्तर प्रदेश)
कुलपति:प्रो.वंदना सिंह [1]
अवस्थिति:जौनपुर, उत्तर प्रदेश, भारत


CPGRAMS

Grievance Status for registration number : *PMOPG/E/2019/0225312*

Grievance Concerns To

Name Of Complainant

*Pancham Rajbhar*

Date of Receipt

*11/05/2019*

Received By Ministry/Department

*Prime Minister's Office*

Grievance Description

सेवामें ,

मा मानव संसाधन विकास मंत्री जी

भारत सरकार

नई दिल्ली

*उत्तरदायी संस्था सन्दर्भ* :-राष्ट्रीय शैक्षिक शोध एवं प्रशिक्षण परिषद/भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद भारत सरकार/राज्य सरकार

विषय :- भारत सरकार द्वारा अनुमोदित/संचालित *पाठ्य पुस्तकों* में 11 वी सदी के राष्ट्रनायक भारशिव नागबंशीय *भर कुलभूषण** श्रावस्ती सम्राट सुहेलदेव राजभर जी के जीवन वृतान्तों को *विनिर्दिष्ट* करने के संबंध में :-

महोदय,

.        आप अवगत ही हैं कि भारत सरकार एवं विभिन्न प्रान्तीय सरकारों द्वारा समय समय पर *देश व मातृभूमि* की एकता,अखंडता,सम्प्रभुता,एवं उसकी संस्कृति ,सभ्यता की रक्षा करने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले उन तमाम राष्ट्रभक्त,महापुरुषों, शासकों आदि *अमर वीर सपूतों* के साहसिक जीवन वृतान्तों को *ऐतिहासिक* दृष्टिकोण से राष्ट्रीय/प्रान्तीय /क्षेत्रीय स्तर पर सरकार द्वारा *मान्य पाठ्य पुस्तकों* में अध्ययन/अध्यापन हेतु विषय वस्तु समाविष्ट कर समाज के *प्रसंज्ञान में अध्ययन* हेतु लाया जाता है जो कि भविष्य के लिए एक प्रेरणास्रोत है उक्त के क्रम में सादर आपके संज्ञान में अवगत कराना है कि इसी *राष्ट्रीय स्तर* की कड़ी में 11 वी सदी में जब विदेशी दुर्दान्त आक्रांता सैयद सलार मोहम्मद ग़ाज़ीमिया का प्रादुर्भाव भारत भूमि पर हुआ तो पूरे देश मे धार्मिक कट्टरता इस्लाम के नाम पर शस्त्र के बल पर भारत की सुख सम्पदा लूटते,मानवीय धर्म को खंडित कर जेहाद के नाम से क्रूरता पूर्वक धर्म परिवर्तन कराते नृशंस तबाही मचाते हुए तत्कालीन देश के शासकों को परास्त कर तत्कालीन श्रावस्ती राज्य के सम्राट भारशिव नागवंश के *धर्मरक्षक राजभर कुलशिरोमणि* जो कि तमाम प्रामाणिक साहित्यों/इतिहासों/अभिलेखों/साक्ष्यों के आधार पर *भर/राजभर कौम में जन्मे* राष्ट्रवीर परम देशभक्त महाराजा सुहेलदेव जी के राज्य में पहुंचा तो सम्राट सुहेलदेव जी ने अपनी अनोखी युद्धनीति से क्षेत्रीय राजाओं को एकजुट कर गठित सेना का नेतृत्व करके तुर्कों की लाखों सेना सहित धर्मान्धता व आतंक का प्रतीक विदेशी लुटेरा सैयद सलार मसउद ग़ाज़ी मियां का *वध* कर राष्ट्रधर्म व मानवधर्म की रक्षा की जिसके परिणाम स्वरूप कोई भी विदेशी आक्रांता भारत देश की तरफ लगभग 159 वर्षों तक आंख उठाकर देखने की जुर्रत नहीं किया ऐसे परम प्रतापी राष्ट्रवीर को उनके राष्ट्रीय कद और पराक्रमी क्षमता के अनुसार ऐतिहासिक दृष्टि से सन्दर्भित पाठ्य पुस्तकों में *नवीन प्रविष्टि* कर समुचित स्थान दिया जाना उनकी वीरता,शौर्य ,पराक्रम एवं देशभक्ति का समादर करना है जिससे भारतीय समाज देश प्रेम के प्रति प्रेरणा ले सके !

   अतः आपसे प्रबल अनुरोध है कि जनभावनाओं का समादर करते हुए सरकार द्वारा *संपादित/अनुमोदित/संचालित/प्रकाशित/मुद्रित* समस्त पाठ्य पुस्तकों में श्रावस्ती सम्राट राष्ट्रवीर सुहेलदेव राजभर जी के जीवन वृतान्तों को पाठ्य पुस्तकों की विषय सामग्री को *अध्ययन/अध्यापन हेतु 11 वी सदी में तत्कालीन श्रावस्ती के सम्राट राष्ट्रवीर सुहेलदेव जी को तमाम ऐतिहासिक प्रामाणिक साक्ष्यों जैसे (1)-,सेंसस ऑफ इंडिया xvi पार्ट 1 पेज 217,D C Baillie,(2)गजट ऑफ प्रविन्सेज ऑफ अवध,वॉल्यूम 2 H to M 1877 पेज 83,87 ,(3)-अमृतलाल नागर- ,गदर के फूल, पेज 89,(4)-प्रो कन्हैयालाल श्रीवास्तव- बहराइच जनपद का खोजपूर्ण इतिहास, पेज 60,-(5 )हाजी सैयद खुर्शीद अनवर रिजवी (ओ एस डी/मैनेजर दरगाह शरीफ -तारीखे मसूदी पेज 14,20 -(6)-मंसूर अली खादिम ,जीवन परिचय हजरत सैयद सलार मसऊद गाज़ी , पृष्ठ 6 -बहराइच गेटियर वैल्युम चैप्टर वी पेज 116 -( 7) ख्वाजा खलील अहमद शाह ,अलमइनी पृष्ठ 13,22,23 -(8)पवन बक्शी अवध के तालुकेदार बहराइच पृष्ठ 284,318 -(9)सीताराम सिंह क्षत्रिय वंश का इतिहास भाग 2 पृष्ठ 283 ,आदि लगभग 20 प्रसिद्ध प्रामाणिक गजेटियर/ऐतिहासिक पुस्तकों में सुहेलदेव जी को साक्ष्यों के आधार पर पूर्णत *भर* जाति synonyms

*राजभर* जाति का बताया गया है ! कृपया परीक्षण/शोध/अध्ययन कर राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव राजभर का नाम को प्रविष्टि करने का कष्ट करें !

सम्मान सहित

भवदीय

डॉ पंचम राजभर

Ex संपादक

सुहेलदेव स्मृति (मासिक पत्रिका) आवास -कुरथुवा ,सोनहरा आज़मगढ़ उ प्र 276301 मोबाइल 9889506050 9452292260 drprajbhar1962@gmail, com-

Current Status-

Date of Action

*05/07/2021*

Remarks

*आपके सुझाव के लिए धन्यवाद ! शीघ्र ही हम पाठ्यचर्या की पुनरीक्षा करने जा रहा हैं हम आपको आश्वासन देते हैं कि नया पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तक तैयार करते समय हम आपके द्वारा दिये सुझाव को विशेषज्ञ समिति के समक्ष रखेंगे* !

Officer Concerns To

Officer Name

*Aman Sharma (Secretary)*

Organisation name

*NCERT*

Contact Address

Aurobindo Marg, Hauz Khas, Sri Aurobindo Marg, Blo 2, Bhim Nagri, Hauz Khas, *New Delhi*

Email Address

secretaryncert@gmail.com

Contact Number

*01126519153* बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय (पूर्व में पूर्वांचल विश्वविद्यालय) की स्थापना जौनपुर के लोगों के परिश्रम तथा प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. वीर बहादुर सिंह के प्रयास के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित गजट संख्या 5005/15-10-87-15 (15)-86 टी.सी. दिनांक 28 सितम्बर 1987 के तहत 02 अक्टूबर 1987 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के पावन पर्व पर की गई। कालान्तर में पूर्वांचल विश्वविद्यालय का नाम स्वर्गीय वीर बहादुर सिंह की स्मृति में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय रखा गया। इस विश्वविद्यालय के स्थापना के साथ ही गोरखपुर विश्वविद्यालय के कार्यक्षेत्र का एक बड़ा भाग इसमें स्थानांतरित कर दिया गया। आरम्भ में इस विश्वविद्यालय में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, संतरविदासनगर, भदोही, कौशाम्बी, इलाहाबाद तथा सोनभद्र सहित कुल 12 जिलों के 68 महाविद्यालयों को इससे सम्बद्ध किया गया था।

प्रारम्भ में विश्वविद्यालय का कार्यालय प्रथमतः टी.डी. कालेज जौनपुर के फार्म हाउस के भवन पीली कोठी में प्रारम्भ हुआ। उत्तर प्रदेश शासन ने विश्वविद्यालय हेतु भूमि अधिगृहित करने के लिए कुल 85 लाख रूपये की धनराशि स्वीकृत की तथा अधिकारियों सहित कुल 67 पद स्वीकृत किये। शासन द्वारा सृजित पदों पर नियुक्तियां हुई और यहीं से विश्वविद्यालय की विकास यात्रा प्रारम्भ हुई। जिला प्रशासन ने जौनपुर शहर से लगभग 12 किमी. दूर जौनपुर शाहगंज मार्ग पर लोगों केअथक प्रयास से देवकली, जासोपुर ग्राम सभाओं की कुल 171.5 एकड़ भूमि अधिगृहित कर विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराई गई।

वर्ष 1994 में विश्वविद्यालय ने अपने नवनिर्मित निजी प्रशासनिक भवन में कार्य करना प्रारम्भ किया और इसी के साथ ही विश्वविद्यालय का आवासीय स्वरूप विकसित होना प्रारम्भ हुआ। वर्तमान में परिसर स्थित विभिन्न पाठ्यक्रमों में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त छात्रावास की सुविधा उपलब्ध है। अध्यापकां, अधिकारियां एवं कर्मचारियों के रहने के लिए फ्लैट्स तथा ट्रांजिट हॉस्टल की भी व्यवस्था है। इसके अलावा छात्र सुविधा केन्द्र, संगोष्ठी भवन, अतिथि गृह, शिक्षक अतिथि गृह, राष्ट्रीय सेवा योजना भवन, रोवर्स रेंजर्स भवन हैं। इसके साथ ही विभिन्न संकायों के लिए अलग-अलग भवनों का निर्माण किया गया है जो अत्याधुनिक लैब, इण्टरनेट - वाईफाई एवं सी.सी. कैमरे से सुसज्जित हैं। विद्यार्थियों को शहर से दूर परिसर में उच्च गुणवत्ता से युक्त शैक्षणिक वातावरण प्रदान करने के लिए विवेकानन्द केन्द्रीय पुस्तकालय संचालित है। इसमें परम्परागत पुस्तकालय सुविधा के अतिरिक्त इसका आधुनिकीकरण करके ईलाइब्रेरी के तहत छात्रों को ईजर्नल, ईबुक की सुविधा उपलब्ध करायी गई है, इसके साथ ही एडुसैट व्यवस्था के अन्तर्गत छात्रों को इग्नू, यूजीसी, एआईसीटीई वर्चुअल शिक्षण कार्यक्रम की सुविधा प्रदान की गई है। परिसर के छात्रों को विभिन्न खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के योग्य बनाने हेतु आधुनिक खेल सुविधा से युक्त एकलव्य स्टेडियम का भी निर्माण किया गया है। विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से विश्वविद्यालय का नाम अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर पहुॅंचाया है। राष्ट्रीय सेवा योजना के द्वारा विभिन्न जनपदों में असहाय लोगों के लिए बापू बाजार का आयोजन किया जाता है। परिसर को हरा-भरा करने के लिए वर्ष 2014 से एक छात्र एक पेड़ योजना संचालित की जा रही है जिसमें छात्रों से पौधरोपण कराकर उसके देख-रेख की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी जाती है। इंजीनियरिंग संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए विश्वविद्यालय के पड़ोसी गांव देवकली में आधुनिक संसाधनविहीन बच्चों को निःशुल्क कोचिंग पढ़ायी जाती है।

वर्तमान में पूर्वान्चल के पॉच जनपदों (जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर, मऊ एवं इलाहाबाद) के 805 महाविद्यालय विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हैं। विश्वविद्यालय परिसर में स्नातक स्तर पर Law (B.A, LL.B) और इंजीनियरिंग की छः शाखाओं इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रानिक्स एण्ड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रानिक्स एण्ड इन्स्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर साइंस एण्ड इंजीनियरिंग, इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी और मैकेनिकल इंजीनियरिंग तथा बी फार्मा की शिक्षा दी जा रही है। इसके अतिरिक्त स्नातकोत्तर स्तर पर एम.सी.ए., एम.बी.ए., एम.बी.ई., एग्रीबिजनेस, ईकामर्स, एम.एफ.सी., एम.एच.आर.डी., मास कम्यूनिकेशन, व्यावहारिक मनोविज्ञान, एम.एस.सी. बायोटेक्नॉलाजी, पर्यावरण विज्ञान, अप्लायड माइक्रो बायोलॉजी, अप्लायड बायोकेमेस्ट्री विषयों की शिक्षा प्रदान की जाती है। यहॉ से शिक्षा प्राप्त कर छात्र राष्ट्र्रीय एवं अन्तर्राष्ट्र्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं।[उद्धरण चाहिए]

विश्वविद्यालय के मुख्य प्रांगण का विहंगम दृष्य

सन्दर्भ

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  1. "The Vice Chancellor" [कुलपति]. vbspu.ac.in. मूल से 14 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३१ अगस्त २०१३.

बाहरी कड़ियाँ

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