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विष्णु शर्मा

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पंडित विष्णु शर्मा एक प्रसिद्ध संस्कृत के लेखक थे, जिन्हें प्रसिद्ध संस्कृत नीतिपुस्तक पंचतन्त्र का रचनाकार माना जाता है। नीतिकथाओं में पंचतन्त्र का पहला स्थान है। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रंथ की रचना पूरी हुई, तब उनकी उम्र 80

वर्ष के करीब थी। वे दक्षिण भारत के महिलारोप्य नामक नगर में रहते थे।[1]

पंचतन्त्र की रचना

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महिलारोप्य के राजा अमरशक्ति के तीन मूर्ख पुत्र थे जो राजनीति एवं नेतृत्व गुण सीखने में असफल रहे। राजा ने उन्हें सिखाने के लिये बहुत से पण्डित एवं आचार्य रखे पर कोई भी उन्हें सिखा न सका। राजा ने घोषणा की कि जो विद्वान उन्हें पढ़ा देगा उसे बड़ा इनाम दिया जायेगा। फिर राजा ने अपने मन्त्रियों से सलाह ली। उन्होंने कहा कि वे आचार्य विष्णु शर्मा को उनका प्रशिक्षक नियुक्त करे। विष्णुशर्मा राजनीति तथा नीतिशास्त्र सहित सभी शास्त्रों के ज्ञाता थे। राजा तैयार हो गया तथा विष्णु शर्मा को दरबार में बुलाकर घोषणा की कि यदि वे उसके पुत्रों को कुशल राजसी प्रशासक बनाने में सफल होते हैं तो वह उन्हें सौ गाँव तथा बहुत सा स्वर्ण देगा। विष्णु शर्मा हँसे और कहा कि हे राजन् मैं अपनी विद्या को बेचता नहीं, मुझे किसी उपहार की इच्छा या लालच नहीं है। आपने मुझे विशेष सम्मान सहित बुलाया है, इसलिये मैं आपके पुत्रों को छह महीने के भीतर कुशल प्रशासक बनाने की शपथ लेता हूँ। अगर मैं अपना संकल्प पूरा करने में असफल रहा तो मैं अपना नाम बदल दूँगा।

राजा ने हर्षपूर्वक तीनों राजकुमारों की जिम्मेदारी विष्णु शर्मा को दे दी। विष्णु शर्मा जानते थे कि वे उन राजपुत्रों को पुराने तरीकों से कभी नहीं पढ़ा सकते। उन्हें थोड़ा सरल तरीका अपनाना होगा तथा वह तरीका था उन्हें जन्तु कथाओं की कथायें सुनाकर आवश्यक बुद्धिमता सिखाने का। इसलिये उन्होंने उन्हें शिक्षित करने हेतु कुछ कहानियों की रचना की जिनके माध्यम से वे उन्हें नीति सिखाया करते थे। शीघ्र ही राजकुमारों ने इसमें रुचि लेना आरम्भ कर दिया तथा नीति सीखने में सफलता प्राप्त की। इन कहानियों का संकलन पाँच समूहों में पंचतन्त्र के नाम से कोई २००० साल पहले बना।

सन्दर्भ

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  1. "Children's literature in South Asia: An overview". Archived from the original on 17 जुलाई 2011. Retrieved 13 अगस्त 2010.