विष्णु रामकृष्ण करकरे

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गान्धी-वध के अभियुक्तों का एक समूह चित्र।
खड़े हुए : शंकर किस्तैया, गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा, दिगम्बर बड़गे.
बैठे हुए: नारायण आप्टे, विनायक दामोदर सावरकर, नाथूराम गोडसे, विष्णु रामकृष्ण करकरे

विष्णु रामकृष्ण करकरे (तमिल: விஷ்ணு இராமகிருஷ்ண கார்க்கரே, जन्म : १९१० - मृत्यु : १९७४) हिन्दू महासभा के एक समर्पित कार्यकर्ता थे।[उद्धरण चाहिए] इन्हें गन्धी-हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा दी गयी थी।

अदालत में जब गान्धी-ह्त्या का अभियोग चला तो मदनलाल पाहवा ने उसमें स्वीकार किया कि जो भी लोग इस षड्यन्त्र में शामिल थे पूर्व योजनानुसार उसे केवल बम फोड़कर सभा में गडबडी फैलाने का काम करना था, शेष कार्य अन्य लोगों के जिम्मे था। जब उसे छोटूराम ने जाने से रोका तो उसने जैसे भी उससे बन पाया अपना काम कर दिया। उस दिन की योजना भले ही असफल हो गयी हो परन्तु इस बात की जानकारी तो सरकार को हो ही गयी थी कि गान्धी की हत्या कभी भी कोई कर सकता है फिर उनकी सुरक्षा की चिन्ता आखिरकार किन्हें करनी चाहिये थी?

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