विश्व भाषा
विश्व भाषा (कभी-कभी वैश्विक भाषा[1], शायद ही कभी अन्तरराष्ट्रीय भाषा [2][3]) एक ऐसी भाषा होती है जो भौगोलिक रूप से व्यापक होती है और विभिन्न भाषा समुदायों के सदस्यों के लिए संवाद करना सम्भव बनाती है। इस शब्द का उपयोग मानवीय निर्मित अन्तरराष्ट्रीय सहायक भाषाओं जैसे कि एस्पेरान्तो के सन्दर्भ में भी किया जा सकता है।[4]
अंग्रेजी और फ़्रेंच सबसे महत्वपूर्ण भाषाएँ हैं जबकि कुछ लोग इन्हें केवल विश्व भाषा मानते हैं। इसके अलावा, इस बारे में कोई अकादमिक सहमति नहीं है कि कौन सी भाषाएँ 'विश्वभाषा' कहने के योग्य हैं। हिन्दी, स्पेनी, भाषा|अरबी, रूसी और चीनी, अन्य सम्भावित विश्व भाषाएँ हैं। कुछ लेखकों ने लैटिन को भूतकाल में विश्व भाषा माना है।[5][6][7]
संकल्पना
[संपादित करें]विश्व भाषा शब्द की विभिन्न परिभाषाएँ प्रस्तावित की गई हैं; कोई आम सहमति न होने के कारण कौन-सी परिभाषा प्रयोग करनी है ये निर्धारित नहीं हो पाया है।[8][9]
विश्व भाषा के रूप में हिन्दी
[संपादित करें]अंतरराष्ट्रीय पटल पर हिन्दी आज विश्व की प्रतिष्ठित भाषा बन गई है। साथ ही विश्व में बसे हुए भारतियों की भी संपर्क भाषा है। प्रवासी भारतीय तो उसे अपनी अस्मिता का प्रतीक मानते है। भूमंडलीकरण के दौर में हिंदी के विस्तार की संभावनाएं अधिक बढ़ गई है तो दूसरी ओर चुनौतियां भी हैं। [10]
डॉ. विजय राघव रेड्डी का कथन है कि “विश्व भाषा के रूप में हिंदी एवं राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी की प्रतिष्ठा को आज के इस भूमंडलीकरण और उदारीकरण के युग में अलग-अलग न मानते हुए अन्योंयाश्रित मानकर हमें ठोस कदम उठाने हैं।”
विश्व के कई देशों में व्यापक रूप से हिंदी भाषा का प्रचार हो रहा है। आज विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा का अधिक प्रयोग हो रहा है।
विश्व में हिंदी बोलनेवालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। हिंदी चीनी भाषा के बाद विश्व की दूसरे स्थान की भाषा है। एक शोध के अनुसार विश्व में सबसे अधिक बोलनेवाले और समझनेवाले की भाषा हिंदी है। लक्ष्मीकांत वर्मा का कथन है कि “हिंदी को एक विशाल जनसमूह के राजकाज और बातचीत को चलाना नहीं है, बल्कि उसी को शिक्षा का माध्यम बनाना है।” भारत के अलावा हिंदी बोलनेवाले और समझनेवाले सुरिनाम, त्रिनीडाड, दुबई, फिजी, मॉरीशस, कुबैत, संयुक्त अरब अमीरात, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, रूस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में मिलते हैं। विदेशों के अनेक देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी एक विषय के रूप में पढ़ाई जाती है।
हिंदी के साहित्यिक और सृजनात्मक अभिव्यक्ति का एक नया आयाम उसके अंतरराष्ट्रीय पक्ष के साथ भी जुड़ता है। डॉ. शिव गोपाल मिश्र का कथन है कि “विश्व भाषा का अर्थ है विश्व की अन्य भाषाओं के समकक्ष होना, उन्हीं जैसे साहित्य का सृजन और विश्वभर में भाषा के द्वारा वृतिक या व्यवसायिक अवसर उत्पन्न करना।” विश्व के अनेक देशों में हिंदी के माध्यम से कविता कहानी, उपन्यास, आलोचना तथा अन्य विधाओं में साहित्य सृजन काफी मात्रा में हो रहा है। इस साहित्य में विभिन्न देशों की मातृभूमि की गंध, वहां की जीवन शैली और वहां के लोकोक्तियों का सौंदर्य प्रचुर मात्रा में मिलता है। इनकी हिंदी की व्याकरण रचना की प्रकृति चाहे भारत की हिंदी के समान है किंतु उसकी बनावट में विभिन्न देशों की सामाजिक एवं सांस्कृतिक चेतना की छाप दिखाएं देती है। कृष्ण कुमार का कथन है कि “आज यह आवश्यक हो गया है कि इन देशों में रचित हिंदी साहित्य को इतिहास लेखन और आलोचनात्मक मूल्यांकन में स्थान दिया जाए तभी हिंदी साहित्य सही अर्थों में अंतरराष्ट्रीय साहित्य का रूप ले पाएगा।”
हिंदी भाषा अनेक देशों की समाज एवं संस्कृति के अंग के रूप में जुड़ी है। प्रवासी भारतीयों में हिंदी के ऐतिहासिक संबंधों की सामाजिक, सांस्कृतिक कड़ी और उनकी भावात्मक एकता का मूल आधार माना जाता है।
यह सभी देखें
[संपादित करें]- भाषाओं की सूची
- वैश्विक भाषा
- विश्व हिन्दी दिवस
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- विश्वभाषा बनती हिन्दी (जून २०२२)
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Ammon, Ulrich (2010-10-07), Coupland, Nikolas (संपा॰), "World Languages: Trends and Futures", The Handbook of Language and Globalization, Oxford, UK: Wiley-Blackwell, पृ॰ 101, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4443-2406-8, डीओआइ:10.1002/9781444324068.ch4
- ↑ Ammon, Ulrich (1997), Stevenson, Patrick (संपा॰), "To What Extent is German an International Language?", The German Language and the Real World: Sociolinguistic, Cultural, and Pragmatic Perspectives on Contemporary German (अंग्रेज़ी में), Clarendon Press, पपृ॰ 25–53, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-823738-9
- ↑ de Mejía, Anne-Marie (2002). Power, Prestige, and Bilingualism: International Perspectives on Elite Bilingual Education (अंग्रेज़ी में). Multilingual Matters. पपृ॰ 47–49. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-85359-590-5.
'international language' or 'world language' [...] The following languages of wider communication, that may be used as first or as second or foreign languages, are generally recognised: English, German, French, Spanish, Portuguese, Dutch, Arabic, Russian and Chinese.
- ↑ Ammon, Ulrich (1989). Status and Function of Languages and Language Varieties (अंग्रेज़ी में). Walter de Gruyter. पृ॰ 422. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-3-11-086025-2. अभिगमन तिथि 2021-02-13.
By the term world language approximately the following can be understood: Firstly, [...]. Secondly, international planned languages (e.g Esperanto, Ido, Interlingua).
- ↑ Wright, Roger (2012), Hernández-Campoy, Juan Manuel; Conde-Silvestre, Juan Camilo (संपा॰), "Convergence and Divergence in World Languages", The Handbook of Language and Globalization, John Wiley & Sons, पृ॰ 552, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4051-9068-8, डीओआइ:10.1002/9781118257227.ch30,
There is no generally agreed precise definition of what counts as a 'World' Language. For the purposes of this chapter, they can be defined as languages spoken over a wide geographical area, often as a result of previous colonization, and in many cases by native speakers of some other language. The category now includes Spanish, Portuguese, French, and English, but with reference to historically earlier periods the label has been applied to Latin [...]
- ↑ Mufwene, Salikoko S. (2010-10-07), Coupland, Nikolas (संपा॰), "Globalization, Global English, and World English(es): Myths and Facts", The Handbook of Language and Globalization, Oxford, UK: Wiley-Blackwell, पृ॰ 42, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4443-2406-8, डीओआइ:10.1002/9781444324068.ch1,
I submit that, as in the case of that earlier 'world language,' Latin, it was the association with trade and (more) lucrative business that favored English over its competitors, both in the United States and around the world.
- ↑ Crystal, David (2003). English as a global language (PDF) (2nd संस्करण). Cambridge, UK: Cambridge University Press. पृ॰ 190. OCLC 57418548. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-511-07862-5.
The emergence of English with a genuine global presence therefore has a significance which goes well beyond this particular language. Because there are no precedents for languages achieving this level of use (if we exclude Latin, which was in a sense 'global' when the world was much smaller), we do not know what happens to them in such circumstances.
- ↑ García, Adolfo M. (2014-01-02). "Neurocognitive determinants of performance variability among world-language users". Journal of World Languages. 1 (1): 60–77. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 2169-8252. डीओआइ:10.1080/21698252.2014.893671.
the notion of world language has been variously defined
- ↑ Wright, Roger (2012), Hernández-Campoy, Juan Manuel; Conde-Silvestre, Juan Camilo (संपा॰), "Convergence and Divergence in World Languages", The Handbook of Language and Globalization, John Wiley & Sons, पृ॰ 552, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4051-9068-8, डीओआइ:10.1002/9781118257227.ch30, अभिगमन तिथि 2021-04-16,
There is no generally agreed precise definition of what counts as a 'World' Language. For the purposes of this chapter, they can be defined as languages spoken over a wide geographical area, often as a result of previous colonization, and in many cases by native speakers of some other language. The category now includes Spanish, Portuguese, French, and English, but with reference to historically earlier periods the label has been applied to Latin [...]
- ↑ वैश्विक भाषा के रूप में उभर रही है हिंदी, विश्व के कई देशों में बढ़ा प्रयोग (2021)