विश्वास का प्रयोग

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मानव के सन्मुख सदैव ही कुछ ऐसे सवाल रहे हैैं जिनका उस के पास कोई उतर नही था परंतु ये सवाल उस के लिये बहुुुत महत्व् पुुुर्ण थे और वो बहुुुत प्रयास के बाद भी उन का उत्तर प्राप्त नही कर सका असफ़लता मिलने पर भी मनुुष्य ने इन सवालों की खोज जारी रखी और अपने इन्ही अनसुलझे प्रश्नो का उत्तर प्राप्त करने के लिये मानव ने विश्वास का प्रयोग किया क्योंकि इसमे कोई तार्किक दृष्टिकोण की आवश्यकता नही होती बस उस का मन इस बात पर सहमत होता है और उसकी उतर प्राप्त करने की प्यास बुझ जाती है ।

उदाहरण के लिए कोई सृष्टि के आरम्भ के विषय में सटीक उतर नही दे सकता क्योंकि उस समय वो वहां पर उपस्थित नही था फिर भी मनुष्य सृष्टि की रचना को ले कर कई विचार प्रकट करता है और इन विचारों पर उस का अटूट विश्वास होता है कई बार तो इनका आधार तथ्य न हो कर मात्र विश्वास होता है जो उसे प्राप्त जानकारी पर आधारित होता है इस मे उसकी कोई खोज शामिल नही होती वो बस किसी के कहने कुछ या पढने से प्राप्त जानकारी को सच मानता है ओर विश्वास करता है