विकिपीडिया:पुनरीक्षक पद हेतु निवेदन

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
स्वतः परीक्षित सदस्य
(Autopatrolled)
पुनरीक्षक
(Reviewers)
प्रबंधक
(Administrator)
प्रशासक
(Bureaucrat)
विकिपीडिया पुनरीक्षक

पुनरीक्षक अन्य सदस्यों के संपादन जाँचने का अधिकार रखते है। इनके द्वारा अंकित हुआ संपादन सही माना जाता है।


दायित्व

इसके अलावा विकि पर कई लेख जो पुनरीक्षक के स्तर पर सुरक्षित किये जाते है केवल पुनरीक्षकों की अनुमति के बाद ही अपडेट होते है। मुख्यतः अब किसी भी पृष्ठ को अर्ध सुरक्षित या पूर्ण सुरक्षित करने की बजाय पुनरीक्षकों के स्तर पर सेट कर सकते हैं। इससे ऐसा होगा कि कोई अन्य सदस्य इस स्तर पर सुरक्षित पेज को संपादित कर पायेंगा। परन्तु उसके द्वारा किये गये परिवर्तन कच्चे होंगे वह तभी स्वीकार्य होंगे जब पुनरीक्षक उन्हे जाँच लेंगे मतलब स्वीकार कर लेंगे। इससे यह फायदा होगा कि जिस प्रकार कोई अविशिष्ट सदस्य पूर्ण सुरक्षित पृष्ठ को संपादित नहीं कर पाता परन्तु पुनरीक्षकों के स्तर पर सेट करने पर उस सदस्य को उस पृष्ठ पर संपादन करने का अधिकार मिलेगा और उसके द्वारा किये गये परिवर्तन वाले पृष्ठ को तब तक स्वीकार नहीं किया जायेगा जब तक कोई प्रबंधक या पुनरीक्षक उसे स्वीकार न करे।

स्वतः पुनरीक्षित सदस्यों के संपादन स्वतः ही जाचँ हो जायेंगे आशा है इस समस्या से पूर्ण सुरक्षित होने वाले पृष्ठों को किसी अनामक सदस्य द्वारा संपादित न कर पाने वाली समस्या दूर हो जायेगी। इसके साथ कई महत्त्वपूर्ण पृष्ठों को बर्बरता एवं उत्पात से बचाया जा सकेगा। जिससे प्रबंधक एवं रोलबैकर्स उन संपादनो को वापिस नहीं लौटाते। इस अधिकार प्राप्ति के लिये कोई भी सदस्य स्वयं अथवा कोई प्रबंधक किसी कुशल सदस्य को यहां नामांकित करे। कोई भी प्रबंधक उचित लगने पर आपको यह अधिकार दे देगा।

पुनरीक्षक पद हेतु आवश्यकताएं
  1. विकि पर अच्छा संपादन अनुभव
  2. ७०% बहुमत में समर्थन अथवा ४ विशेष समर्थन(प्रबंधक, विशिष्ट सदस्य एवं पुनरीक्षक) बिना किसी विरोध के
निवृत्ति
  1. विकि नीतियों का चेतावनी मिलने के वाबजूद निरंतर उल्लंघन
नामांकन

नामांकन करने हेतु प्रारूप नीचे दिया गया है। इसे कॉपी करके सबसे अंतिम नामांकन के नीचे पेस्ट करें और सदस्य का नाम कखग के जगह भरें

==[[सदस्य:कखग|कखग]]==
{{sr-request
|Status    = <!-- यह लाइन न बदलें -->
|user name = कखग
|Purpose = <!-- इस लाइन के जगह अपनी नामांकन टिप्पणी लिखें -->
}}
;स्वीकृति

;मत

;परिणाम
<!-- नया नामांकन इस लाइन के नीचे करें -->



NehalDaveND पुनरीक्षण दायित्व जारी रखा जाय अथवा नहीं?

सदस्य को वर्तमान में पुनरीक्षक दायित्व प्राप्त हैं और सदस्य ने मेरे संपादन बर्बरता कहते हुए ट्विंकल से रोलबैक किये जो कि इनके स्वयं के संपादनों को पूर्ववत करने के रूप में थे। पश्न पूछे जाने पर सदस्य का उत्तर सदस्य के वार्ता पन्ने और मेरे वार्ता पृष्ठ पर देखे जा सकते हैं। स्पष्ट है कि सदस्य को बर्बरता क्या नहीं होती, प्रत्यावर्तन करने से पूर्व किसे बातचीत करनी चाहिए और इसा तरह के प्रत्यावर्तन कब नहीं करना चाहिए इत्यादि मूलभूत चीजें भी नहीं पता।

अतः समुदाय मत व्यक्त करे कि इनके इस तरह के कायों को देखते हुए इनका पुनरीक्षक अधिकार जारी रखा जाय अथवा नहीं? धन्यवाद।--SM7--बातचीत-- 17:09, 17 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]

मत

आप भी बदले की भावना पहचानते हैं? मेटा पर चले जाएँ। --SM7--बातचीत-- 20:54, 17 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
सलाम वालेकुम मियाँ, हम में चौधरीगिरी कहाँ वो तो दूसरों लोगों ने मुँह छुपाने के लिए रख रखी हैं।--जयप्रकाश >>> वार्ता 01:43, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
क्यों मेटा तक जाने की आदत है? हमारे मियाँ होने और परदा उतरवाने भी चले जाओ। नीचे वाले बाबू साहब भी सहजोग करेंगे। --SM7--बातचीत-- 05:04, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
हम मेटा पर जाते हैं क्यूँकि विकि को समुदायक ढाँचा मानते हैं। लेकिन हम उन लोगों से तो अच्छे हैं जो पाक*** में बैठे उनके आकाओ के फ़तवे को पूरा करने के लिए हिंदी विकिपीडिया पर आए हैं।--जयप्रकाश >>> वार्ता 10:56, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
मुझे लगा था पहले मुझे कश्मीरी पत्थरबाज घोषित करोगे, आप तो सीधे पार्टी प्रवक्ता वाली लाइन पे आ गए। ईश्वर बचाए हिंदी विकिपीडिया को ऐसे विचारधारियों से।--SM7--बातचीत-- 13:34, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
  • हटाया जाय - सदस्य को नीति के बारे में कोई जानकारी नहीं है। ये बर्बरता कैसे हुई? साथ ही नेहल जी का उत्पीड़न का इतिहास भी है।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 17:28, 17 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
  • हटाया जाय --मुज़म्मिल (वार्ता) 18:37, 17 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
  • जारी रखा जाय। फिलहाल मैं सदस्य का पुनरीक्षण का अधिकार वापस लेने के पक्ष में नहीं हूँ। मशीनी अनुवाद की श्रेणी को यांत्रिक अनुवाद में बदलने के पीछे संस्कृतीकरण की मंशा यदि हो भी तो इस कार्य से हिंदी विकि का कुछ भी अहित नहीं हुआ है। इसके बजाय प्रबंधकों को सदस्य के खिलाफ अपने अधिकार प्रयोग में अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। अभी एक प्रबंधक ने मेरे संपादन को भी अनावश्यक रूप से पूर्ववत किया था। लेकिन मुझे नहीं लगता कि उनसे प्रबंधकीय अधिकार वापस लेने की माँग की जानी चाहिए। ऐसा करके हम एक गलत परंपरा को जन्म देंगें। अनिरुद्ध! (वार्ता) 19:48, 17 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
अनिरुद्ध! जी नमस्ते, आप शायद इसे "फिलहाल" वाली समस्या समझ रहे हैं। जबकि हुआ यह है कि इस घटनाक्रम में सदस्य की बर्बरता की समझ सामने आ गयी है। हिंदी का हित मशीनी में है अथवा यांत्रिक में यह अपना अपना मत हो सकता है और ऐसे प्रयासों से हिंदी का अहित होता है यह मैं बहुत दृढ़तापूर्वक मानता हूँ। मुझे नहीं लगता कि आप यह मानते होंगे कि संस्कृतनिष्ठ हिंदी ही अच्छी हिंदी होती। बहरहाल इस तरह के पक्षपात की नीयत बाँध कर संपादन करना विघटनकारी सम्पादन तो कहलाता ही है। कब उससे अहित होने से बच गया यह चर्चा का विषय है। और जो आपने अपनी बात कहा, एक प्रबंधक ने अनावश्यक आपका संपादन पूर्ववत किया तो आप उनसे कारण पूछ सकते हैं बजाय खुद अनावश्यक घोषित करने के। कम से कम आपने उस पूर्ववत करने को यह कहके तो रोलबैक नहीं ही कर दिया होगा कि यह बर्बरता है । मैंने यह आवेदन उक्त पूर्ववत करने से नाराज़ होकर नहीं किया बल्कि सदस्य की इस दायित्व हेतु अयोग्यता के स्पष्ट प्रमाण के रूप में इसे प्रस्तुत कर रहा। संस्कृताइजेशन तो यह बहुत दिनों से कर रहे, वह भी नाराजगी का विषय नहीं बल्कि चर्चा की चीज है, पर इस तरह कोई इंटेंशन रखते हुए विकिपीडिया पर अपने मत को प्रचारित करने का प्रयास विघटनकारी है; भले आपको लगता हो कि संस्कृताइजेशन से हिंदी का हित होगा। --SM7--बातचीत-- 20:43, 17 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
  • जारी रखा जाय। अनिरुध्द जी से सहमत हूँ, हिन्दी विकी पर वैसे ही पुनरीक्षकों और प्रबंधको की कमी है, पूरी चर्चा का (टिपण्णी सहित) सार निकाल कर देखें सिवाए आरोप प्रत्यारोप के कुछ नहीं है -- सुयश द्विवेदी (वार्ता) 14:36, 19 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
सुयश जी ये हुई टिपिकल अनामदासी सकारात्मकता। एक पुनरीक्षक किसी सदस्य के द्वारा पूर्ववत किये कार्य को पुनः बर्बरता कहके पलट देता है और मुँहजोरी ऊपर से कि नियमावली भी समझा रहा कि यह बर्बरता ही है, और आपको संख्या की पड़ी है कि हिंदी विकिपीडिया पर कम प्रबंधक और पुनरीक्षक हैं इसलिए कत्तई अयोग्य लोगों को भी पद पर जारी रखा जाय। धन्य धन्य। --SM7--बातचीत-- 15:16, 19 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
प्रबंधक बनने के बाद ज्ञानचक्षु खुल गए लगते हैं। समझ में आने लगा है कि कहाँ क्या बात करनी चाहिए। यह कहाँ दिखा कि संस्कृतनिष्ठ हिंदी के विरोध में यह प्रस्ताव लाया गया है। मत कार्य को देख कर दे रहे या आपकी विचारधारा का आदमी है इसलिए पद पर बने रहने दिया जाय ?--SM7--बातचीत-- 05:04, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
पक्षपात किसे कहते हैं, ये घटना उसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
  1. एक सदस्य जो किसी अधिकार को अनुपयुक्त मानता है, वो अधिकार त्यागना नहीं चाहता परन्तु कोई अन्य उसका उपयोग करने का प्रयास करे, तो उसे रोकना अवश्य चाहता है। इतने महिने हो गये अब तक चित्र प्रेरक का अधिकार त्यागा क्यों नहीं गया?
  2. एक सदस्य जो तीन प्रबन्धकों का कार्य पूर्ववत् कर देता है, जो पश्चात् अनुचित सिद्ध होता है, फिर वो एक पुनरीक्षक स्तर के सम्पादक को बिना कारण प्रतिबन्धित कर देता है, इतना सब करने के पश्चात् भी उसे चेतावनी नहीं मिली है, ये हास्यास्पद पक्षपात् का साक्षी समुदाय रहा है। उसे कब मिलेगी चेतावनी?
  3. एक सदस्य जो समुदाय की चर्चाओं को सर्वदा अनिर्णय की अवस्था में पहुंचा कर कलह को जन्म देता है, वो स्वयं पक्षपाती हो कर एक पक्ष को नष्ट करने का प्रयास करता है, वो सामने वाले को संस्कृतीकरण करने वाला कहता है। परन्तु उसके पूर्व किसी ने देवनागरी अङ्को से अरबी अङ्क कर दिये, तो तब वो कुछ नहीं बोलेगा। इस सम्पादन के विषय में बोलने से जो व्यक्ति भागता है, वो अन्य बातों में तो आक्रमक हो कर निर्णय लेने को कहता है, ऐसे की बात समुदाय क्यों सुने?
  4. इनके पक्षपात् का उदाहरण इस चर्चा में ही उपस्थित है, जो आपने अपनी बात कहा, एक प्रबंधक ने अनावश्यक आपका संपादन पूर्ववत किया तो आप उनसे कारण पूछ सकते हैं बजाय खुद अनावश्यक घोषित करने के। इस वाक्य से ये दूसरो को अनुचित घोषित करने का प्रयास करे, वो कुछ नहीं? क्या वो पूछ नहीं सकते थे कि मैंने ऐसा क्यों किया? क्यों उन्होंने मेरे सम्पादन को स्वयं ही अनावश्यक और अनुचित घोषित कर दिया? वो पूछते तो बिना विवाद ये बात समाप्त हो जाती। क्योंकि इस घटना में एक ही त्रुटि है, मशीनी अनुवाद श्रेणी को दूर करने का नामाङ्कन, मुझे विलय करने के लिये कहना चाहिये था, मशीनी अनुवाद नामक लेख भी यान्त्रिक अनुवाद को अनुप्रेषित हुआ है। आन्तर्विकि कड़ी का परिष्कार भी मैंने नहीं किया था। ये चर्चा पूर्ण होगी, तब मैं आन्तर्विकि का दोष दूर कर दूंगा और विलय के लिये नामाङ्कन भी करूंगा। अस्तु। ॐNehalDaveND 03:23, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
बंधू प्रस्ताव आप ही के खिलाफ है। यह मत अनुभाग में इतना प्रलाप क्यों ? पूछा जाय कुछ तो सफाई दीजिये और अलग अनुभाग में दीजिये। इतना तो पुनरीक्षक होने के नाते समझते होंगे। --SM7--बातचीत-- 05:04, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
  • सादर अधिकार बनाए रखें :- और इसके साथ हिन्दी विकि समुदाय यह भी समझ ले कि यह प्रस्ताव उस सदस्य को रास्ते से हटाने के लिए है जो हिन्दी विकी के फ़ाऱस़ीक़ऱण़ का विरोधी रहा है। मिया एस एम ७ आरम्भ से ही परोक्ष या प्रत्यक्ष हिन्दी और देवनागरी के विरुद्ध कार्य करते रहे हैं। मैं दसों उदाहरण दे सकता हूँ। सुनते हैं जयचन्द ने एक आक्रन्ता को चिट्ठी लिखी थी और भारत पर आक्रमण के लिए बुलाया था। यदि मेरी स्मृति ठीक है तो कुछ दिन पहले जनाब ने भी इस तरह की चिट्ठी लिखकर सबको चकित कर दिया था। इसलिए यदि इसी तरह की कोई कार्वाई करनी है तो इसके वास्तविक ह़क़द़ार ये ज़ऩाब ही हैं। --अनुनाद सिंह (वार्ता) 04:31, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
आप का आना स्वागत योग्य है। नजाने कितने वर्षों से हिंदी विकिपीडिया को हिंदू विकिपीडिया बनाने और भारतीय (अपनी संकीर्ण सोच के साथ) विकिपीडिया बनाने के प्रोजेक्ट पर हैं। बरसों पहले जिसे प्रतिबंधित हो जाना चाहिए था वो ऐसी बात यहाँ तो न करे। मत दें, कुछ और न करें। और अगली बार कोसिस करना बाबू साहब कि हर अच्छर के नीचे नुक्ता लगा के लिख पाओ। हो सकता है इससे आपके मत का वज़न कई गुना बढ़ जाए। --SM7--बातचीत-- 05:04, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
  • हटाया जाय हालाँकि केवल नेहल जी के इस कार्य के लिये यह प्रस्ताव आया होता तो मेरा मत "जारी रखा जाय" रहता मगर पिछले कुछ महीनों का मेरा अनुभव नेहल जी के साथ बढ़िया नहीं रहा है। और मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मैं मशीनी अनुवाद का यान्त्रिक अनुवाद श्रेणी में विलय का पक्षधर हूँ जो सदस्य स्वयं चाहते हैं। साथ ही मैं अति संस्कृतकरण और अतिउर्दुकरण दोनों का ही विरोधी हूँ। जहाँ नुक्ता आवश्यक हैं वहाँ प्रयोग किया जाना चाहिये और जहाँ पंचमाक्षर अतिआवश्यक हैं वहाँ भी इसे इस्तेमाल किया ही जाना चाहिए, जैसे मेरा ही लेख लॉङ्गतलाई (इस स्थान का नाम बिना पंचमाक्षर के लिख पाना संभव नहीं है।)
  1. ये जब चाहते है तब किसी सदस्य कठपुतली ठहरा देते हैं। इनके मत से जरा सा हट कर न बोलने लगो कि इन्हें हर कोई दूसरों की कठपुतली नज़र आने लगता है।
  2. मैं कभी हिन्दी में संस्कृत शब्दों के प्रयोग का विरोधी नहीं रहा हूँ, बल्कि मैंने अपने लेखों में यथासंभव शुद्ध हिन्दी के शब्द ही प्रयोग किये हैं। और हाल के लेखों में तो मैं देवनागरी अंकों का ही प्रयोग कर रहा हूँ। मैंने जब यह सुना कि इन्हें पंचमाक्षर नहीं लिखने नहीं दिये जा रहे थे तब मैंने ही चौपाल पर चर्चा शुरू कि मगर इन्होंने आकर मुझे ही आडम्बर करने वाला स्वयंसेवक घोषित कर दिया।
  3. ये सदस्य किसी भी पंचमाक्षर विरोधी को पुनः विद्यालयी शिक्षा ग्रहण करने की नसीहत सदैव दिया करते हैं।
  4. मुझे याद है कि जब हिन्दी विकिपीडिया की विश्व हिन्दी सम्मेलन में भागीदारी की चर्चाएँ चल रही थी तो ये मुझे सहित सभी जुड़े सदस्यों विदेश में मौजमस्ती करने वाला करार दे रहे थे। ये सबसे बेहूदे अंदाज में पूछते फिर रहे थे कि आप विश्व हिन्दी सम्मेलन में जाकर क्या करेंगे मगर जब दो सदस्यों का नाम सामने आया जिन पर शायद सबकी सहमति थी उनसे यह प्रश्न एक बार भी नहीं पूछा। कहना उचित होगा यह किसी के इशारे पर ही ऐसा कार्य कर रहे होंगे।
  5. यह किसी भी सदस्य के लिये बिना सोचे समझे लोहा लेना प्रारम्भ कर देते हैं। मुझसे ही इन्होंने एक बार जयप्रकाश जी व अनुनाद जी की तरफ़ से कटु शब्द सुनाये जबकि दोनों ही सदस्यों से आज तक विकि के बाहर या अन्दर छोटी सी भी बहस नहीं हुई है।
  6. इनोसेंटबनी जी के रोलबैकर नामांकन प्रस्ताव पर मुझपर इन्होंने कितने गलत शब्दों में तंज कसा था यह कोई अब भी देख सकता है। इसके अतिरिक्त लिंगायत मत के वार्ता पृष्ठ पर नाम बदलने की चर्चा के दौरान बहुत ही बुरी नियत से इन्होंने मुझपर तंज कसा था।
  7. मेरे प्रबंधन नामांकन के समय भी इन्होंने मुझे एसएम7 जी की कठपुतली करार दिया था साथ ही इन्हें मेरा नामांकन टोपियों का संग्रह लग रहा था, जबकि स्वयं ये हिन्दी विकि पर कितना पुनरीक्षण का कार्य करते हैं ये सब जानते हैं।-- गॉड्रिक की कोठरीमुझसे बातचीत करें 11:39, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]


टिप्पणी

कृपया सदस्य गण इन पुनरीक्षक महोदय के कार्यों पर विचार करें, इन्हें नीति नहीं समझ आती इसलिए प्रस्ताव लाया गया है। मेरे द्वारा इनका संपादन पूर्ववत करना बर्बरता था या नही यह विचार का विषय हो सकता है। संस्कृतीकरण, हिन्दूकरण, मेरा मियाँ होना, या एक ख़ास गैंग का इन हिंदुत्ववादी, ब्राह्मणवादी, मूर्खता पूर्ण भावनाओं के साथ समुदाय बना कर कार्य करना, हिंदी का हित किसमें है किसमें नहीं, यह तय करना ... इत्यादि इस प्रस्ताव के विषय नहीं हैं। ऐसी टिप्पणी करने वाले का मत प्रबंधक किस प्रकार गिनते हैं उन्हें भी सोचना होगा। यह वोटिंग नहीं है। --SM7--बातचीत-- 05:18, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]

कुतर्क करने के चक्कर में आप अपने आप को हास्यास्पद बना रहे हैं। ऊपर लिखते हैं, "मत दें, कुछ और न करें"। फिर नीचे लिखते हैं, "यह वोटिंग नहीं है"। वास्तव में आपके इस विषवमन ने मेरी बातों पर आपसे स्वयं मुहर लगवा दिया है। एक बात और। किस मदरसे ने आपको 'मिया' शब्द का नकारात्मक अर्थ रटाया है? --अनुनाद सिंह (वार्ता) 06:02, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
User:SM7 हिंदुत्ववादी, ब्राह्मणवादी, मूर्खता पूर्ण भावनाओं के साथ समुदाय बना कर कार्य करना ये हि.वि के वातावरण को कलुषित करने का प्रयास नहीं तो क्या है? कहाँ गये वो लोग जो कहा करते थे कि, नेहल व्यक्तिगत आरोप लगाता है? यहाँ धर्म के आधार पर भी अब सम्पादन होने को पुष्टि मिल रही है। आपके प्रस्ताव की दुर्भावना प्रत्यक्ष हो गई, तो अब चर्चा को और निम्न स्तर पर ले जा रहे हैं। इसके पश्चात् यदि कोई आपको प्रत्युत्तर देते हुए छोटा सा भी कुछ बोल देगा, तो आप उसके दोष को महादोष बनाने लग जाएँगे। अब ये बंद करें और अपना कार्य करें और दूसरो को अपना कार्य करने दें। इसके साथ साथ ये स्वीकार कर लें कि हिन्दी में अंग्रेजी, फारसी, उर्दू, बंगाली, बिहारी इत्यादि भाषाओँ के शब्दों के साथ साथ संस्कृत भाषा के भी शब्द हैं, अपने सीमित ज्ञान के अनुसार हिन्दी को सीमित न बनाएँ। आपको बर्बरता है या नहीं का उत्तर अपने चर्चा पृष्ठ पर ध्यान से पढना चाहिये था, तो इस प्रश्न का पुनरावर्तन न करना पडता। अस्तु। ॐNehalDaveND 08:18, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
बेवकूफ़ानन्दनन्दन जो बोल्ड में लिख रहे उन चीजों पर चर्चा न की जाय यही मैंने भी लिखा है।--SM7--बातचीत-- 08:28, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
अरे मूर्खवंशी, तो तू तो उस बात को ला रहा है, तेरे से पहले किसने लिखा ऐसा कुछ? संस्कृतीकरण की बात तू लाया मूखानन्द। हम हिन्दी की बात कर रहे हैं। हिन्दी में सभी शब्द अन्तर्भूत होते हैं और रही बात बर्बरता की तो वो अपने चर्चा पृष्ठ पर ही देखना उचित होगा तेरे लिये।ॐNehalDaveND 09:12, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
देख लो कितने संस्कृत वादी हो। बस वर्तनी की भूल हो जाती है। मुखानन्द माने क्या होता ? मुलम्मा उतर गया ? या अवरोधित भी होना है ? --SM7--बातचीत-- 11:35, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
विकलबुद्धि! मुझे प्रतिबन्धित करने के सपने छोड़ दे। मुझ से पहले तुझे होना पडेगा। क्योंकि आरम्भ तुने किया है। मैं सम्मान पूर्वक ही बात कर रहा था, परन्तु मेरे लिये जो शब्द का प्रयोग किया उसके पश्चात् मैंने उसी भाषा में प्रत्युत्तर दिया। हि.वि का स्तर तेरे कारण गिरा आरम्भ तुने किया। ॐNehalDaveND 11:41, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
@SM7, NehalDaveND, और अनुनाद सिंह: जी, सभी से निवेदन है कि एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाये बिना अपनी बातें कहें क्योंकि वर्तमान चर्चाएँ शिष्टाचार नीति का स्पष्ट उल्लंघन है।-- गॉड्रिक की कोठरीमुझसे बातचीत करें 11:44, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
गॉड्रिक जी टिप्पणी तो मैंने इसी नीयत से लिखा था कि इधर-उधर की बातें न की जाएँ। पर चोर की दाढ़ी में तिनका देखिये, मैं जिस कार्य को करने से मना कर रहा उसका नाम सुनते ही इन्हें लग गया कि इनपे आरोप लगाया जा रहा। खैर... मैं क्षमा प्रार्थी हूँ। अनुनाद जी को उत्तर उनके वार्ता पन्ने पर लिख दूँगा क्योंकि उनका प्रश्न नितांत अलग क़िस्म का है। --SM7--बातचीत-- 13:06, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]

बौद्धिक गतिविधियों सें संलग्न समाज में वार्ता का ये स्तर ? यह कदापि शोभनीय नहीं है। असहमति को भी सम्मान और जगह मिलनी चाहिए। सामने वैचारिक चुनौती नहीं तो फिर क्या लिखना और क्या पढ़ना..? सभी अपनी शैली और भाषा में लिखें इसमें क्या समस्या है? लेकिन दूसरे के लेखन पर लीपापोती करना, अनावश्यक काट-छांट करना, रद्दोबदल करना भी तर्कसंगत नहीं। तमाम धातुओं को पिघलाकर एक मिश्रधातु बना देने के आग्रह से कहीं अच्छा है कि विविधता बनी रहे। "हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो"...बाकी होगा तो वही जो यहां का साधु समाज चाहेगा। सादर--कलमकार वार्ता 18:15, 18 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]

गॉड्रिक जी ये चोर सर्वदा एक नीति पर चलता है, स्वयं के मन में चोर है, परन्तु उस चोर को छुपाने के लिये दूसरो पर मढ़ देता है। आरम्भ इन्होंने किया फिर मैंने उसी भाषा में प्रत्युत्तर दिया। इतने वर्षों से मैं पुनरीक्षण कार्य करते आ रहा हूँ, तब कुछ नहीं था परन्तु उनकी मनशा पूर्ण न हुई तो मैं अयोग्य हो गया। सब विवाद इनके और पीयूष जी द्वारा आरम्भ होते हैं और परिणाम ये निकलता है कि, हिन्दी विस्तृत है और उस में शब्दों, अङ्कों, पञ्चमाक्षरों के सन्दर्भ में सब को अपनी अपनी शैली में प्रयोग करने दो। फिर भी कुछ दिनों के पश्चात् ये पुनः कुछ ऐसा करेंगे, जिससे विवाद हो और कलङ्क सामने वाले पर लगता है।
  1. समुदाय में सब का मत है कि, मात्र शब्दों और अङ्कों के परिवर्तन के लिये सम्पादन जो भी करेगा वो स्वीकार्य नहीं होगा। इस में संस्कृतनिष्ठ शब्द से फारसी इत्यादि करना हो या इसके विपरीत। अङ्कों का देवनागरी से अरबी करना हो या इसके विपरीत। वो सब एक सामन दण्ड के अधिकरी हैं।
  2. बॉट के द्वारा जो पञ्चमाक्षर गये थे, उनको वापस लाने का निर्णय कब से हो गया है। मैं समय मिलते ही वापस लाऊंगा भी। अति करने की बात नहीं है। १ लाख लेख में १००० के आस पास ही पञ्चमाक्षरों का प्रयोग हुआ है, सम्पूर्ण सूची है मेरे पास। जो हिन्दी का अङ्ग है, उसके विषय में विवाद क्यों करना? ये अनिवार्य रूप से सब को प्रयोग करने के लिये विवश तो नहीं किया जा रहा है। जिन्होंने किया है स्वेच्छा से उनके कार्य को वापस लाने की बात है। जो उपयोग कर रहा है, उसको प्रताडित न करेने की बात है।
  3. दो पृष्ठ, श्रेणी यदि एक समान नाम से है, तो जो पुरातन होगी वो ही रहेगी ये भी समुदाय का मत है। उस में हिन्दी शब्दों के लिये भिन्न नियम और अंग्रेजी शब्दों के लिये भिन्न नियम नहीं है। आज हिन्दी शब्द की श्रेणी पहले बनी थी, कल अंग्रेजी शब्द की श्रेणी भी हो सकती है। सब में नियम समान होना चाहिये। पक्षपाती नहीं।
  4. कितना ही महान् सम्पादक क्यों न हो, कितने ही अधिक अधिकारों का वहन क्यों न करता है, उसे कोई अधिकार नहीं किसी विश्वस्त सम्पादक के कार्य को पूर्ववत् करने का। चर्चा करके समाधान हो सकता है। चर्चा नहीं करनी तो कोई नहीं, मात्र सन्देश तो भेज दो। हो सकता है विवाद को स्थान ही न रहे।
  5. User:कलमकार जी को मैं जानता नहीं परन्तु इनके वाक्यों से मुझे लगा कि ये विवाद के मूल को समझते हैं। विवाद कहाँ से उत्पन्न होता है और दुष्प्रचार के कारण किसकी छवि धूमिल होती है, ये भी जानते हैं। तथापि मैं सब के सामने ये चित्र उपस्थित करने का प्रयास करूंगा कि, भोपाल में जो सम्मेलन हुआ था, वहाँ मेरे प्रति सब के अन्दर कैसी हेय भावना थी। सब की दृष्टि में मैं एक हिन व्यक्ति के रूप में था, जो सभ्य नहीं है। आक्रमण शब्द पर आक्रमण न होता तो क्या मैं कुछ बोलाता? पृथ्वीराज चौहान लेख में पञ्चमाक्षर दूर न किये होते तो क्या मैं कुछ बोलाता? लेख में से अनावश्यक ही मात्र शब्दों और अङ्को के लिये सम्पादन करने का कार्य न होता, तो क्या मैं कुछ बोलता? मैंने मात्र क्रिया की प्रतिक्रिया दी है। कोई बेवकुफ बोले तो उसे उसी भी भाषा में प्रत्युत्तर दिया। कोई बाप पर जाए तो उसके स्वभाव को व्यक्त किया है। आरम्भ कोई करता है, तो ही कुछ होता है। यहाँ समुदाय जो भी निर्णय करे, अधिकार के लिये योग्य समझें या अयोग्य परन्तु सब को इतना अवश्य जान लेना चाहिये कि, ये परिणाम क्यों आया? अस्तु। ॐNehalDaveND 03:47, 19 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
आपसे यहाँ प्रलाप शुरू करने को मैंने कहा था? इस प्रस्ताव में संस्कृताइजेशन का नाम मैंने लिया? मैंने यहाँ सिर्फ यह लिखा है कि आपको बर्बरता की समझ तक नहीं और और ऐसे नन्दनन्दन को जो समुदाय पुनरीक्षक बनाये बैठा है। आपको नहीं तो शायद समुदाय को समझ में आ जाए कि कुछ मायनों में पुनरीक्षक का दायित्व प्रबंधक से ज्यादा होता है। दिक्कत यही है कि यहाँ शौचालय में पुनरीक्षण करने वाले तक प्रबंधक बने हुये हैं और ऐसे लोग, जिनमें आप भी शामिल हैं पुनरीक्षण के नाम पर क्या करते हैं यह विचारणीय विषय हो चला है। सालों से आप पुनरीक्षण के नाम पे क्या करते रहे हैं और आपका व्यवहार कैसा रहा है यह भी समीक्षा का विषय हो सकता है। इसी समीक्षा हेतु प्रस्तुत प्रस्ताव रखा गया है। लेकिन आप की कुछ समस्याएँ हैं क्योंकि कुछ चीजों को आपने कलेजे से लगा के रखा हुआ है कि इन्हें हर विवाद में कुरते का बटन खोल के दिखाना है – "आक्रमण" और "पंचमाक्षर" की हैसियत बस यही है। कहीं कोई चर्चा आपके साथ हुई है जिसमें आपने यह "आक्रमण" नामक जख्मे-जिगर न दिखाया हो? एक ही राग अलापने से कुछ नहीं होता – इससे "आक्रमण" और "हमला" के बीच का अंतर नहीं समाप्त हो जाएगा; आपको कब समझ में आएगा कि "खिड़की" और "वातायन" का एक ही अर्थ नहीं होता, "मशीनी" और "यांत्रिक" दोनों एक ही भाव नहीं ज़ाहिर करते ?
और पूर्ववत करने के बारे में भरम दूर कर लें। यह बड़ी सामान्य प्रक्रिया है और कोई आईपी से भी प्रबंधक का संपादन पूर्ववत किया जाता है तो वह बर्बरता नहीं है। किसी को भी किसी का संपादन पूर्ववत करने का अधिकार है बशर्ते कि उसके पीछे कारण उचित हो (या उस समय पूर्ववत करने वाले को लगे कि यह उचित है), वार्ता का नंबर पूर्ववत करने पर असंतोष होने के बाद आता है और जिसका संपादन पूर्ववत किया गया है वह पूर्ववत करने वाले से वार्ता कर सकता है, अगर पूर्ववत करने वाले ने बिना कारण बताये (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष) ऐसा किया हो। आपका यह वक्तव्य – "कितना ही महान् सम्पादक क्यों न हो, कितने ही अधिक अधिकारों का वहन क्यों न करता है, उसे कोई अधिकार नहीं किसी विश्वस्त सम्पादक के कार्य को पूर्ववत् करने का। " ही प्रमाण है कि आप इस मूलभूत चीज को नहीं समझते और पुनरीक्षक रहने के काबिल नहीं हैं।
कलमकार जी आग लगी देख के हाथ सेंकने वाले आदमी हैं। और कुछ अटेंशनेच्छु।
संस्कृतवादी आप कितने हो यह ऊपर दिख रहा – गाली (ऐसा भरम जरूर हुआ होगा आपको) का भी अनुवाद करके लौटा रहे और कह रहे कि प्रतिक्रिया दे रहा। हद्द है यार इतना भी नहीं जानते कि हर मूर्ख बेवकूफ़ नहीं होता। --SM7--बातचीत-- 09:07, 19 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
महाप्रभु, मैं व्यक्तिगत रूप से आपका प्रशंसक हूं और पड़ोसी भी। मेरी टिप्पणी में मेरा 'हाथ' जरूर हैं लेकिन 'आग' नहीं, फिर भी आपने झटपटिया फैसला सुना दिया दिया। ऐसा न करें सरकार...रही अटेंशन प्राप्त करने की तो उसकी कोई जरूरत नहीं हैं। व्यक्तिगत और प्रोफेशनल जीवन में वैसे ही बहुत लोड है। मैं वैचारिक रूप से बहुलतावाद का समर्थक हूं। साथ में हिंदुस्तान-पाकिस्तान करने वालों का विरोधी भी हूं। फिर भी विकिपीडिया साम्राज्य में टिप्पणी करके अगर अनाधिकार चेष्टा कर रहा हूं तो इसके लिए क्षमा करें। सादर--कलमकार वार्ता 09:32, 19 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
मुद्दत बाद आदमी आये और सक्रिय होके मतदान में भाग लेने लगे, विवाद में टिप्पणी करने लगे तो क्या कहा जाय प्रभु ! या तो आप आ ही गलत समय पर गए पुनः सक्रिय होकर। क्षमा करें। --SM7--बातचीत-- 09:39, 19 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
User talk:SM7 अभी तक आपने उस सम्पादन के सन्दर्भ में पक्षपात पूर्ण व्यवहार दिखाया है। समीक्षा हो रही है, अच्छी बात है, परन्तु ये आपके कुचक्रों के परिणाम से। विकिपीडिया पर अपना अप्रत्यक्ष वर्चस्व सिद्ध करने के लिये, ये हो रहा है। आपकी बकवास के लिये मैं समय व्यर्थ नहीं करूंगा। मैं सम्पादन के लिये आया था और वही किया मैंने। कुछ दिन असक्रिय क्या रहा, काम न करने वाला ही घोषित कर दिया। यहाँ सब समुदाय बनाने की बात करते हैं और आप तोड़ने की। समुदाय मिलकर कुछ करना चाहता है और सर्वदा उसे अनिर्णय की अवस्था में ला देते हैं। कभी न कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी कि समुदाय आपको परे रखकर स्वयं निर्णय लेगा और आपकी चालें धरी की धरी रह जाएंगी। ॐNehalDaveND 11:44, 19 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]
आप और आर्यावर्त जी इस तरह के वाहियात आरोप मेरे पर न जाने कब से लगा-लगा के अपना समय व्यर्थ गँवा रहे हैं। एक बंधू मियाँ कहके मेरे कठपुतली होने का इशारा भी करते हैं साफ़ नहीं कहते। समुदाय नहीं बल्कि उँगली पर गिने जा सकने वाले मुश्किल से चार लोग हैं जो कुछ ऐसा करना चाहते जिससे हिंदी और हिंदी विकिपीडिया दोनों का भारी अहित होगा; कहते और दावा ज़रूर करते हैं कि यही हिंदी का हित है; ईश्वर आप लोगों को सद्बुद्धि दे और चालें चलने की आदत से आप लोग बाज आयें। --SM7--बातचीत-- 12:05, 19 सितंबर 2018 (UTC)[उत्तर दें]