"महाविस्फोट सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर

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09:41, 27 जनवरी 2011 का अवतरण

बिग बैंग प्रतिरूप के अनुसार, यह ब्रह्मांड अति सघन और ऊष्म अवस्था से विस्तृत हुआ है, और अब तक इसका विस्तार चालू है। एक सामान्य धारणा के अनुसार अंतरिक्ष स्वयं भी अपनी आकाशगंगाओं सहित विस्तृत होता जा रहा है। ऊपर दर्शित चित्र ब्रह्माण्ड के एक सपाट भाग के विस्तार का कलात्मक दृश्य है।

ब्रह्मांड का जन्म एक महाविस्फोट (बिग बैंग) के परिणामस्वरूप हुआ। इसी को बिग बैंग सिद्धान्त या महाविस्फोट का सिद्धान्त कहते हैं।[1], जिसके अनुसार से लगभग बारह से चौदह अरब वर्ष पूर्व संपूर्ण ब्रह्मांड एक परमाण्विक इकाई के रूप में था।[2] उस समय मानवीय समय और स्थान जैसी कोई वस्तु अस्तित्व में नहीं थी।[3] बिग बैंग प्रतिरूप के अनुसार लगभग १३.७ अरब वर्ष पूर्व[4] इस धमाके में अत्यधिक ऊर्जा का उत्सजर्न हुआ। यह ऊर्जा इतनी अधिक थी जिसके प्रभाव से आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है। सारी भौतिक मान्यताएं इस एक ही घटना से परिभाषित होती हैं जिसे बिग बैंग सिद्धांत कहा जाता है। बिग बैंग नामक इस महाविस्फोट के धमाके के मात्र १.४३ सेकेंड अंतराल के बाद समय, अंतरिक्ष की वर्तमान मान्यताएं अस्तित्व में आ चुकी थीं। भौतिकी के नियम लागू होने लग गये थे। १.३४वें सेकेंड में ब्रह्मांड १०३० गुणा फैल चुका था और क्वार्क, लैप्टान और फोटोन का गर्म द्रव्य बन चुका था। १.४ सेकेंड पर क्वार्क मिलकर प्रोटॉन और न्यूट्रॉन बनाने लगे, और ब्रह्मांड अब कुछ ठंडा हो चुका था। हाइड्रोजन, हीलियम आदि के अस्तित्त्व का आरंभ होने लगा था और अन्य भौतिक तत्व बनने लगे थे।[1][3]

बिग बैंग सिद्धान्त के आरंभ का इतिहास आधुनिक भौतिकी में जॉर्ज लिमेत्री ने लिखा हुआ है। लिमेत्री एक रोमन कैथोलिक पादरी थे और साथ ही वैज्ञानिक भी। उनका यह सिद्धान्त अल्बर्ट आइंसटीन के प्रसिद्ध सामान्य सापेक्षवाद के सिद्धांत पर आधारित था। बिंग बैंग सिद्धांत दो मुख्य धारणाओं पर आधारित होता है। पहला भौतिक नियम और दूसरा ब्रह्माण्डीय (कॉस्मोलाजिकल) सिद्धांत। ब्रह्माण्डीय सिद्वांत के मुताबिक ब्रह्मांड होमोजीनस और आइसोट्रॉपिक होता है। १९६४ में ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर हिग्गस ने बिग बैंग के बाद एक सेकेंड के अरबें भाग में ब्रह्मांड के द्रव्यों को मिलने वाले भार का सिद्धांत प्रतिपादित किया था, जो भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस के बोसोन सिद्धांत पर ही आधारित था। इसे बाद में 'हिग्गस-बोसोन' के नाम से जाना गया।इस सिद्धांत ने जहां ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों पर से पर्दा उठाया, वहीं उसके स्वरूप को परिभाषित करने में भी मदद की।[5]

संदर्भ

  1. यह बिग बैंग की पुनरावृत्ति नहीं है?अमर उजाला(हिन्दी)।श्य़ामरत्न पाठक, तारा भौतिकविद
  2. बिग बैंग थ्यौरी क्या है?बीबीसी हिन्दी(हिन्दी)।बीबीसी संवाददाता, लंदन:ममता गुप्ता और महबूब ख़ान
  3. बिग बैंग सिद्धान्तहिन्दुस्तान लाइव(हिन्दी)२७ अक्तूबर, २००९
  4. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  5. 'बिग बैंग' प्रयोग के प्रणेता हैं बोस, पर नहीं मिला नोबल।दैट्स हिन्दी॥(हिन्दी)१० सितंबर, २००८।इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

बाहरी सूत्र

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