"धृतराष्ट्र": अवतरणों में अंतर
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[[महाभारत]] में '''धृतराष्ट्र''' [[हस्तिनापुर]] के महाराज [[विचित्रवीर्य]] की पहली पत्नी [[अंबिका]] के पुत्र थे। उनका जन्म महर्षि [[वेद व्यास]] के वरदान स्वरूप हुआ था। हस्तिनापुर के ये नेत्रहीन महाराज सौ पुत्रों और एक पुत्री के पिता थे। उनकी पत्नी का नाम गांधारी था। बाद में ये सौ पुत्र [[कौरव]] कहलाए। [[दुर्योधन]] और [[दु:शासन]] क्रमशः पहले दो पुत्र थे। |
[[महाभारत]] में '''धृतराष्ट्र''' [[हस्तिनापुर]] के महाराज [[विचित्रवीर्य]] की पहली पत्नी [[अंबिका]] के पुत्र थे। उनका जन्म महर्षि [[वेद व्यास]] के वरदान स्वरूप हुआ था। हस्तिनापुर के ये नेत्रहीन महाराज सौ पुत्रों और एक पुत्री के पिता थे। उनकी पत्नी का नाम गांधारी था। बाद में ये सौ पुत्र [[कौरव]] कहलाए। [[दुर्योधन]] और [[दु:शासन]] क्रमशः पहले दो पुत्र थे। |
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16:38, 1 अगस्त 2010 का अवतरण
इस श्रेणी में हिन्दू एवं वैदिक धर्म ग्रंथों में दिये समस्त पौराणिक पात्रों को रखा गया है
महाभारत में धृतराष्ट्र हस्तिनापुर के महाराज विचित्रवीर्य की पहली पत्नी अंबिका के पुत्र थे। उनका जन्म महर्षि वेद व्यास के वरदान स्वरूप हुआ था। हस्तिनापुर के ये नेत्रहीन महाराज सौ पुत्रों और एक पुत्री के पिता थे। उनकी पत्नी का नाम गांधारी था। बाद में ये सौ पुत्र कौरव कहलाए। दुर्योधन और दु:शासन क्रमशः पहले दो पुत्र थे।
जन्म
अपने पुत्र विचित्रवीर्य की मृत्यु के बाद माता सत्यवती अपने सबसे पहले जन्में पुत्र, व्यास के पास गईं। अपनी माता की आज्ञा का पालन करते हुए, व्यास मुनि विचित्रवीर्य की दोनों पत्नियों के पास गए और अपनी यौगिक शक्तियों से उन्हें पुत्र उत्पन्न करनें का वरदान दिया। उन्होंने अपनी माता से कहा कि वे दोनों रानीयों को एक-एक कर उनके पास भेजें, और उन्हे देखकर जो जिस भाव में रहेगा उसका पुत्र वैसा ही होगा। तब पहले बड़ी रानी अंबिका कक्ष में गईं लेकिन व्यासजी के भयानक रूप को देखकर डर गई और भय के मारे अपनी आँखें बंद कर लीं। इसलिए उन्हें जो पुत्र उतपन्न हुआ वह जन्मान्ध था। वह जन्मान्ध पुत्र था धृतराष्ट्र। उनकी नेत्रहीनता के कारण हर्तिनापुर का महाराज उनके अनुज पांडु को नियुक्त किया गया। पांडु की मृत्यु के बाद वे हस्तिनापुर के महाराज बनें।