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23:56, 21 जुलाई 2010 का अवतरण
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देवकी महाभारत काल में मथुरा के राजा उग्रसेन के भाई देवक की कन्या थी और श्रीकृष्ण और बलराम की माता थीं। उनको अदिति का अवतार भी माना जाता है। यह भी माना जाता है कि उनका पुनर्जन्म पृश्नि के रूप में हुआ और उस जन्म में उनका विवाह राज सुतपस से हुआ। [1]
देवकी के रूप में इनका विवाह वसुदेव से हुआ। उग्रसेन के क्रूर बेटे कंस को जब यह भविष्यवाणी पता लगी कि उसका वध देवकी के आठवें बेटे के हाथों होगा तो उसने देवकी और वसुदेव को कारागार में बंद कर दिया और उनके सात बच्चों की जन्म होते ही हत्या कर दी। आठवें बच्चे कृष्ण (जो वास्तव में विष्णु का अवतार थे) का जन्म होते ही वसुदेव उसे पास में ही एक दूसरे गाँव गोकुल में छोड़ आए जहाँ नंद और उनकी पत्नी यशोदा ने उसका पालन-पोषण किया। लौटते समय वसुदेव यशोदा की कन्या महामाया को अपने साथ लेते आए। कहते हैं कि जब कंस ने उसको मारने की चेष्टा की तो वह हाथ से छूट गई और आकाश की ओर जाते हुआ उसने भविष्यवाणी कि कि तेरा मारने वाला तो गोकुल में जन्म ले चुका है। जब कंस को पता चला कि देवकी का आठवाँ पुत्र गायब हो चुका है तो उसने वसुदेव और देवकी को कारागार से मुक्त कर दिया। मुक्त होने के बाद वे लोग मथुरा में रहने लगे।
वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी से कृष्ण की सुभद्रा नाम की एक बहन थीं, जिसका विवाह अर्जुन से हुआ था और जो अभिमन्यु की माता थीं।