"ताज-उल-मस्जिद, भोपाल": अवतरणों में अंतर
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[[भोपाल]] स्थित यह मस्जिद भारत की सबसे विशाल मस्जिदों में एक है। इस मस्जिद का निर्माण कार्य भोपाल के आठवें शासक शाहजहां बेगम के शासन काल में प्रारंभ हुआ था, लेकिन धन की कमी के कारण उनके जीवंतपर्यंत यह बन न सकी। 1971 में भारत सरकार के दखल के बाद यह मस्जिद पूरी तरह से बन तैयार हो सकी। गुलाबी रंग की इस विशाल मस्जिद की दो सफेद गुंबदनुमा मीनारें हैं, जिन्हें मदरसे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। तीन दिन तक चलने वाली यहां की वार्षिक इजतिमा प्रार्थना भारत भर से लोगों का ध्यान खींचती है। |
[[भोपाल]] स्थित यह मस्जिद भारत की सबसे विशाल मस्जिदों में एक है। इस मस्जिद का निर्माण कार्य भोपाल के आठवें शासक शाहजहां बेगम के शासन काल में प्रारंभ हुआ था, लेकिन धन की कमी के कारण उनके जीवंतपर्यंत यह बन न सकी। 1971 में भारत सरकार के दखल के बाद यह मस्जिद पूरी तरह से बन तैयार हो सकी। गुलाबी रंग की इस विशाल मस्जिद की दो सफेद गुंबदनुमा मीनारें हैं, जिन्हें मदरसे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। तीन दिन तक चलने वाली यहां की वार्षिक इजतिमा प्रार्थना भारत भर से लोगों का ध्यान खींचती है। |
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09:21, 14 जुलाई 2010 का अवतरण
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भोपाल स्थित यह मस्जिद भारत की सबसे विशाल मस्जिदों में एक है। इस मस्जिद का निर्माण कार्य भोपाल के आठवें शासक शाहजहां बेगम के शासन काल में प्रारंभ हुआ था, लेकिन धन की कमी के कारण उनके जीवंतपर्यंत यह बन न सकी। 1971 में भारत सरकार के दखल के बाद यह मस्जिद पूरी तरह से बन तैयार हो सकी। गुलाबी रंग की इस विशाल मस्जिद की दो सफेद गुंबदनुमा मीनारें हैं, जिन्हें मदरसे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। तीन दिन तक चलने वाली यहां की वार्षिक इजतिमा प्रार्थना भारत भर से लोगों का ध्यान खींचती है।