"आनन्‍द केंटिश कुमारस्‍वामी": अवतरणों में अंतर

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'''आनन्‍द कुमारस्‍वामी''' (१८७७-१९४७) एक महान कल-शास्त्र के पण्डित थे। उनका जन्म श्रीलण्का में हुआ और देहान्त मेसाचुसेट्स, अमेरिका में।
'''आनन्‍द कुमारस्‍वामी''' (१८७७-१९४७) कला-शास्त्र के महान पण्डित एवं भारत-चिन्तक थे।


कुमारस्वामी का जन्म [[श्रीलंका]] में हुआ और देहान्त [[मेसाचुसेट्स]], अमेरिका में। उनके पिता [[तमिल]] मूल के हिन्दू थे और माता ब्रितानी। उनके पिता [[पालि]] के विद्वान]] थे। वे बड़े प्रबुद्ध थे - उस काल में कुछ इने-गिने भारतीय बैरिस्टरों में से थे। जब कुमारस्वामी केवल दो वर्ष के थे तभी उनका देहान्त हो गया। माँ उन्हें ब्रिटेन लायीं और वहीं उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। वहाँ उन्होने [[भूगर्भशास्त्र]] में एमएससी किया और उसके बाद श्रीलंका आये। वहाँ वे भूगर्भ-सर्वेक्षण के निदेशक बने। खोज मिट्टी के भीतर से आरम्भ हुई और इसी क्रम में उन्होने भारत का भ्रमण किया। यहाँ पश्चिम में शिक्षित इस महान अन्तश्चेतना को सबसे अधिक ''भारतीय शिल्पी की साधना'' ने आकृष्ट किया। भारत घूमते-घूमते वे [[स्वदेशी आन्दोलन]] से परिचित हुए।
[[श्रेणी:श्रीलंका के निवासी]]

== कुछ ग्रन्थ==
==कृतियाँ==
*The Dance of Siva (1918)
*The Dance of Siva (1918)
*History of Indian and Indonesian Art (1927)
*History of Indian and Indonesian Art (1927)
*The Transformation of Nature in Art (1934)
*The Transformation of Nature in Art (1934)

[[श्रेणी:श्रीलंका के निवासी]]
[[श्रेणी:कला]]


[[de:Ananda Kentish Coomaraswamy]]
[[de:Ananda Kentish Coomaraswamy]]

10:40, 6 जून 2010 का अवतरण

आनन्‍द कुमारस्‍वामी (१८७७-१९४७) कला-शास्त्र के महान पण्डित एवं भारत-चिन्तक थे।

कुमारस्वामी का जन्म श्रीलंका में हुआ और देहान्त मेसाचुसेट्स, अमेरिका में। उनके पिता तमिल मूल के हिन्दू थे और माता ब्रितानी। उनके पिता पालि के विद्वान]] थे। वे बड़े प्रबुद्ध थे - उस काल में कुछ इने-गिने भारतीय बैरिस्टरों में से थे। जब कुमारस्वामी केवल दो वर्ष के थे तभी उनका देहान्त हो गया। माँ उन्हें ब्रिटेन लायीं और वहीं उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। वहाँ उन्होने भूगर्भशास्त्र में एमएससी किया और उसके बाद श्रीलंका आये। वहाँ वे भूगर्भ-सर्वेक्षण के निदेशक बने। खोज मिट्टी के भीतर से आरम्भ हुई और इसी क्रम में उन्होने भारत का भ्रमण किया। यहाँ पश्चिम में शिक्षित इस महान अन्तश्चेतना को सबसे अधिक भारतीय शिल्पी की साधना ने आकृष्ट किया। भारत घूमते-घूमते वे स्वदेशी आन्दोलन से परिचित हुए।

कृतियाँ

  • The Dance of Siva (1918)
  • History of Indian and Indonesian Art (1927)
  • The Transformation of Nature in Art (1934)