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(नया पृष्ठ: रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 7 From Hindi Literature Jump to: navigation, search कवि: रामधारी सिंह...) |
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'हाय, कर्ण, तू क्यों जन्मा था? जन्मा तो क्यों वीर हुआ?
बिना उठाये पाँव शत्रु को कर्ण नहीं पा सकता था।
किन्तु, पाँव के हिलते ही गुरुवर की नींद उचट जाती,
ब्राह्मण है या और किसी अभिजन का पुत्र बली है तू?
'सहनशीलता को अपनाकर ब्राह्मण कभी न जीता है,
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