"घूर्णाक्षदर्शी": अवतरणों में अंतर
नया पृष्ठ: right|thumb|250px|घूर्णदर्शी '''घूर्णदर्शी''' (Gyroscope) एक युक्ति है ... |
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09:27, 30 दिसम्बर 2009 का अवतरण
घूर्णदर्शी (Gyroscope) एक युक्ति है जो जो किसी वस्तु की कोणीय स्थिति (झुकाव) को मापने के काम आता है। इसकी क्रियाविधि कोणीय संवेग के संरक्षण के सिद्धान्त पर आधारित है। घूर्णदर्शी का प्रयोग जहाँ चुम्बकीय सूई काम नहीं करती वहाँ भी नेविगेशन में होती है (जैसे हब्बल दूरदर्शी में) । ये चुम्बकीय सूई की अपेक्षा अधिक सूक्ष्ममापी (प्रेसाइज) भी होते हैं जिसके कारण अन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्रों एवं रेडियो-नियंत्रित [[हेलिकॉप्टर|हेलिकॉप्टरों] आदि में इसका उपयोग किया जाता है।
घूर्णदर्शी यांत्रिक हो सकता है और एलेक्ट्रानिक भी। यांत्रिक घूर्णदर्शी एक संतुलित चक्र या पहिया होता हैं, जो इस प्रकार आधार वलयों (supporting rings) में स्थापित रहता है कि इसकी तीन स्वातंत्र्य संख्याएँ (degrees of freedom) होती हैं। इस पहिए को घूर्णक या रोटर (rotor) भी कहते हैं। यह चक्र एक अक्ष या धुरी के चारों और परिभ्रमण कर सकने के लिये स्वतंत्र होता है। इस अक्ष को भ्रमि अक्ष (spinning axis) कहते हैं। यह अक्ष या धुरी एक आधार वलय में उसके क्षैतिज व्यास पर स्थित रहती है और यह वलय स्वंय भी एक अन्य बाह्य वलय में एक क्षैतिज अक्ष के चारों ओर परिभ्रमण कर सकता है। यह अक्ष भ्रमि अक्ष के समकोणिक होता है। बाह्य वलय भी एक ऊर्ध्वाधर अक्ष के चारों ओर घूम सकता है। इस प्रकार इस चक्र या घूर्णक की धुरी किसी भी इच्छित दिशा में इंगित करती हुई रखी जा सकती है। भ्रमि करते समय यह चक्र दो मूल घूर्णदर्शी गुणों का प्रदर्शन करता है : (1) अवस्थितत्व (inertia) (2) पुरस्सरण (precession)। घूर्णदर्शी को भली भाँति समझने के लिये इन गुणों के लक्षणों को भी समझ लेना नितांत आवश्यक है।
बाहरी कड़ियाँ
- U.S. Dynamics Long Life Gyroscopes
- Technical White Papers on Gyroscopes
- Description of the Systron Donner Inertial MEMS gyroscope
- The Precession and Nutation of a Gyroscope
- Everything you needed to know about gyroscopes
- Project in which gyroscopes are used to drive a robotic arm
- Examples of gyroscopes
- An explanation of gyroscopes
- शोधपत्र
- Theory and Design of Micromechanical Vibratory Gyroscopes Vladislav Apostolyuk
- व्याख्यान
- The Royal Institution’s 1974–75 Christmas Lecture Professor Eric Laithwaite