"भारवि": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
छो 117.96.5.56 (Talk) के संपादनों को हटाकर 2401:4900:5AA4:375A:D9DA:EF07:AD74:EA6F के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
छो 2401:4900:5AA4:375A:D9DA:EF07:AD74:EA6F (वार्ता) द्वारा किए बदलाव 5618526 को पूर्ववत किया
टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना
पंक्ति 16: पंक्ति 16:


== इन्हें भी देखें==
== इन्हें भी देखें==
*[[किरातार्जुनीयम्]]
*[[किरातार्जुनीयम्]] भारवि की माता का नाम सुशीला। पिता का नाम श्रीधर। इनकी पत्नी रसिकवती (रासिका) थी।
भारवि का वास्तविक नाम दामोदर था कथा तथा भारवि इनकी उपाधि है।


==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==

16:08, 23 अगस्त 2022 का अवतरण

भारवि (छठी शताब्दी) संस्कृत के महान कवि हैं। वे अर्थ की गौरवता के लिये प्रसिद्ध हैं ("भारवेरर्थगौरवम्")। किरातार्जुनीयम् महाकाव्य उनकी महान रचना है। इसे एक उत्कृष्ट श्रेणी की काव्यरचना माना जाता है। इनका काल छठी-सातवीं शताब्दी बताया जाता है। यह काव्य किरातरूपधारी शिव एवं पांडुपुत्र अर्जुन के बीच के धनुर्युद्ध तथा वाद-वार्तालाप पर केंद्रित है। महाभारत के वन पर्व पर आधारित इस महाकाव्य में अट्ठारह सर्ग हैं। भारवि सम्भ दक्षिण भारत के महर्षि कवि के वंश भट्ट ब्राह्मण कुल में जन्मे थे। उनका रचनाकाल पश्चिमी गंग राजवंश के राजा दुर्विनीत तथा पल्लव राजवंश के राजा सिंहविष्णु के शासनकाल के समय का है।

कवि ने बड़े से बड़े अर्थ को थोड़े से शब्दों में प्रकट कर अपनी काव्य-कुशलता का परिचय दिया है। कोमल भावों का प्रदर्शन भी कुशलतापूर्वक किया गया है। इसकी भाषा उदात्त एवं हृदय भावों को प्रकट करने वाली है। प्रकृति के दृश्यों का वर्णन भी अत्यन्त मनोहारी है। भारवि ने केवल एक अक्षर ‘न’ वाला श्लोक लिखकर अपनी काव्य चातुरी का परिचय दिया है।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

[[श्रेणी:संस्कृ


त कवि]]