"कांचबिंदु": अवतरणों में अंतर
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22:46, 17 दिसम्बर 2009 का अवतरण
कांच बिंदु रोग वर्गीकरण एवं बाह्य साधन | |
Human eye cross-sectional view. | |
आईसीडी-१० | H40.-H42. |
आईसीडी-९ | 365 |
डिज़ीज़-डीबी | 5226 |
ईमेडिसिन | oph/578 |
एम.ईएसएच | D005901 |
कांच बिंदु रोग (अंग्रेज़ी:ग्लौकोमा) नेत्र का रोग है। यह रोग तंत्र में गंभीर एवं निरंतर बढ़ती हुई क्षति करते हुए धीरे-धीरे दृष्टि को नष्ट कर देता है। किसी वस्तु को देखने के बाद, छवि दृष्टि पटल से मस्तिष्क तक नेत्र तंतु द्वारा पहुंचाई जाती है। कांच बिंदु में अंत:नेत्र दाब प्रभावित आँख की सहने की क्षमता से अधिक हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप नेत्र तंतु की क्षति होती है जिससे दृष्टि चली जाती है।वस्तु को देखते समय कांच बिंदु वाले व्यक्ति को केवल वस्तु का केन्द्र दिखाई देता है। समय बीतने के साथ व्यक्ति यह क्षमता भी खो जाता है। सामान्यत:,लोग इस पर कदाचित ही ध्यान देते हैं जबतक कि काफी क्षति न हो गई हो। अक्सर कांच बिंदु बिना किसी लक्षण के विकसित होता है। विश्व स्तर पर कांच बिंदु लगभग छह करोड़ लोगों को प्रभावित करता है और भारत में यह अंधत्व का दूसरा सबसे आम कारण है। करीब एक करोड़ भारतीय कांच बिंद से पीड़ित हैं जिनमें से १.५ लाख नेत्रहीन हैं।
कांच बिंदु आमतौर पर दोनों आँखों को प्रभावित करता है। हालाँकि आमतौर पर यह 40 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों के बीच में पाया जाता है, यह नवजात शिशुओं को भी प्रभावित कर सकता हैं।
प्रकार
कांच बिंदु रोग मुख्यतः दो प्रकार का होता है: प्राथमिक खुला कोण और बंद कोण कांच बिंदु।
प्राथमिक खुला कोण
प्राथमिक खुला कोण कांच बिंदु में आँख की जल निकासी नली धीरे-धीरे बंद हो जाती है। जल निकासी प्रणाली ठीक ढंग से काम नहीं करने की वजह से आंख का आंतरिक दाब बढ़ जाता है, हालाँकि,जल निकासी नली का प्रवेश आमतौर पर काम कर रहा होता हैं एवं अवरुद्ध नहीं होता हैं। रुकावट अंदर होती है एवं द्रव बाहर नहीं आ पाता है,इस वज़ह से आंख के अंदर दबाव में वृद्धि होती है।इस प्रकार के कांच बिंदु से सबंधित कोई विशेष लक्षण नहीं होते हैं। समय पर समय पर की जाने वाली आँख परीक्षण कांच बिंदु को जल्द से जल्द पहचानने के लिए आवश्यक है। इसके ज़रिए इसे दवा से नियंत्रित किया जा सकता है।
कोण बंद
कोण बंद कांच बिंदु एक तीव्र प्रकार का कांच बिंदु है। इस स्थिति में आंखों में दबाव तेजी से बढ़ता है। आईरिस एवं कॉर्निया की चौड़ाई कम होती है, परिणामस्वरूप जल निकासी नली के आकार में कमी होती है।वयस्कों में मरीज परिधीय दृष्टि के नुकसान की शिकायत करता है और कुण्डल या इंद्रधनुष-रंग के गोले या रोशनी देख सकते हैं। उनकी दृष्टि मटमैली या धुँधली हो जाती है। रोगी आंख में दर्द एवं लालिमा की शिकायत कर सकते हैं तथा दृष्टि का क्षेत्र इतना कम होता है कि मरीज स्वतंत्र रूप से नहीं चल सकता।जब भी आंखों की चोट के बाद दर्द या दृष्टि में कमी हो तो माध्यमिक कांच बिंदु की आशंका करनी चाहिए। मधुमेह के मरीज भी कांच बिंदु से पीड़ित हो सकते हैं।
शिशुओं एवं बच्चों में इसके लक्षणों मे लालिमा,पानी आना, आँखों का बड़ा होना, कॉर्निया का धुंधलापन एवं प्रकाश भीति शामिल है।