"भगवान": अवतरणों में अंतर

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[[विशेषण]] के रूप में '''भगवान्''' हिन्दी में [[ईश्वर]] / [[परमेश्वर]] का मतलब नहीं रखता। इस रूप में ये [[देवता]]ओं, [[विष्णु]] और उनके [[अवतार|अवतारों]] ([[राम]], [[कृष्ण]]), [[शिव]], आदरणीय महापुरुषों जैसे, [[महावीर]], धर्मगुरुओं, [[श्रीमद्भगवद्गीता|गीता]], इत्यादि के लिये उपाधि है। इसका [[लिंग|स्त्रीलिंग]] '''भगवती''' है।
[[विशेषण]] के रूप में '''भगवान्''' हिन्दी में [[ईश्वर]] / [[परमेश्वर]] का मतलब नहीं रखता। इस रूप में ये [[देवता]]ओं, [[विष्णु]] और उनके [[अवतार|अवतारों]] ([[राम]], [[कृष्ण]]), [[शिव]], आदरणीय महापुरुषों जैसे, [[महावीर]], धर्मगुरुओं, [[श्रीमद्भगवद्गीता|गीता]], इत्यादि के लिये उपाधि है। इसका [[लिंग|स्त्रीलिंग]] '''भगवती''' है।


==इन्हें भी देखें==
==श्री कृष्ण परमावतार पूर्ण परमात्मा के स्वरूप में।==
श्री कृष्ण को सब देवों का देव माना जाता है वेद में भी एक मंत्र आता है कि देव परम तो इसका उत्तर मिलता है श्री कृष्ण देव परम। जो भगवान की भक्ति ज्ञान और उसके गुण लीला और धाम का निरंतर चिंतन सुमन तथा मन करता है वह भगवान की भक्ति का परिचायक बन जाता है तथा वह अंतिम समय में भगवान की प्राप्ति होती है अर्थात परमधाम को प्रस्थान करता है
* [[जैन धर्म में भगवान]]
* [[जैन धर्म में भगवान]]



07:57, 18 मार्च 2022 का अवतरण

भगवान गुण वाचक शब्द है जिसका अर्थ गुणवान होता है। यह "भग" धातु से बना है ,भग के ६ अर्थ है:- १-ऐश्वर्य २-वीर्य ३-स्मृति ४-यश ५-ज्ञान और ६ ये ६ गुण है वह भगवान है।

संस्कृत भाषा में भगवान "भंज" धातु से बना है जिसका अर्थ हैं:- सेवायाम् । जो सभी की सेवा में लगा रहे कल्याण और दया करके सभी मनुष्य जीव ,भूमि गगन वायु अग्नि नीर को दूषित ना होने दे सदैव स्वच्छ रखे वो भगवान का भक्त होता है भ=भक्ति ग=ज्ञान वा=वास न=नित्य, जिसे हमेस ध्यान करने का मन करता है

संज्ञा

संज्ञा के रूप में भगवान् हिन्दी में लगभग हमेशा ईश्वर / परमेश्वर का मतलब रखता है। इस रूप में ये देवताओं के लिये नहीं प्रयुक्त होता।

विशेषण

विशेषण के रूप में भगवान् हिन्दी में ईश्वर / परमेश्वर का मतलब नहीं रखता। इस रूप में ये देवताओं, विष्णु और उनके अवतारों (राम, कृष्ण), शिव, आदरणीय महापुरुषों जैसे, महावीर, धर्मगुरुओं, गीता, इत्यादि के लिये उपाधि है। इसका स्त्रीलिंग भगवती है।

इन्हें भी देखें