"तत्त्वमीमांसा": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
Established similarities between western metaphysics and indian तत्त्वमीमांसा,
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
Removed double copied statements.
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
तत्त्वमीमांसा, [[दर्शन]] की वह शाखा है जो किसी ज्ञान की शाखा के वास्तविकता का अध्ययन करती है। परम्परागत रूप से इसकी दो शाखाएँ हैं - ब्रह्माण्ड विद्या तथा [[सत्तामीमांसा]] या आन्टोलॉजी।
तत्त्वमीमांसा, [[दर्शन]] की वह शाखा है जो किसी ज्ञान की शाखा के वास्तविकता का अध्ययन करती है। परम्परागत रूप से इसकी दो शाखाएँ हैं - ब्रह्माण्ड विद्या तथा [[सत्तामीमांसा]] या आन्टोलॉजी।


तत्वमीमांसा, पाश्चत्य दर्शन की शाखा "मेटाफिजिक्स" का भारतीय समकक्ष है तथा हिंदी भाषा में उसी संज्ञा का अनुवाद भी है। शब्द "मेटाफिजिक्स" दो ग्रीक शब्दों से आया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "प्राकृतिक के बाद या पीछे या [उसके अध्ययन] के बीच"। यह सुझाव दिया गया है कि यह शब्द पहली शताब्दी सी०ई० संपादक द्वारा गढ़ा गया हो सकता है, जिन्होंने [[अरस्तु|अरस्तू]] के कार्यों के विभिन्न छोटे चयनों को उस ग्रंथ में इकट्ठा किया जिसे अब हम ''मेटाफिजिक्स'' (μετὰ τὰ φυσικά , ''मेटा टा फिजिका'' , अक्षरशः -"[[भौतिक शास्त्र|भौतिक विज्ञान]] के बाद") के नाम से जानते हैं। द ''फिजिक्स''  ', अरस्तू की अन्य कृतियों में से एक है)।<ref>{{Citation|last=Cohen|first=S. Marc|title=Aristotle’s Metaphysics|date=2021|url=https://plato.stanford.edu/archives/win2021/entries/aristotle-metaphysics/|work=The Stanford Encyclopedia of Philosophy|editor-last=Zalta|editor-first=Edward N.|edition=Winter 2021|publisher=Metaphysics Research Lab, Stanford University|access-date=2022-03-05|last2=Reeve|first2=C. D. C.}}</ref>
तत्वमीमांसा, पाश्चत्य दर्शन की शाखा "मेटाफिजिक्स" का भारतीय समकक्ष है तथा हिंदी भाषा में उसी संज्ञा का अनुवाद भी है। शब्द "मेटाफिजिक्स" दो ग्रीक शब्दों से आया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "प्राकृतिक के बाद या पीछे या [उसके अध्ययन] के बीच"। यह सुझाव दिया गया है कि यह शब्द पहली शताब्दी सी०ई० संपादक द्वारा गढ़ा गया हो सकता है, जिन्होंने [[अरस्तु|अरस्तू]] के कार्यों के विभिन्न छोटे चयनों को उस ग्रंथ में इकट्ठा किया जिसे अब हम ''मेटाफिजिक्स'' (μετὰ τὰ φυσικά , ''मेटा टा फिजिका'' , अक्षरशः -"[[भौतिक शास्त्र|भौतिक विज्ञान]] के बाद") के नाम से जानते हैं। द ''फिजिक्स''  ', अरस्तू की अन्य कृतियों में से एक है)।<ref>{{Citation|last=Cohen|first=S. Marc|title=Aristotle’s Metaphysics|date=2021|url=https://plato.stanford.edu/archives/win2021/entries/aristotle-metaphysics/|work=The Stanford Encyclopedia of Philosophy|editor-last=Zalta|editor-first=Edward N.|edition=Winter 2021|publisher=Metaphysics Research Lab, Stanford University|access-date=2022-03-05|last2=Reeve|first2=C. D. C.}}</ref>

शब्द "मेटाफिजिक्स" दो ग्रीक शब्दों से आया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "प्राकृतिक के बाद या पीछे या उसके [अध्ययन] के बीच"। यह सुझाव दिया गया है कि यह शब्द पहली शताब्दी सीई संपादक द्वारा गढ़ा गया हो सकता है, जिन्होंने अरस्तू के कार्यों के विभिन्न छोटे चयनों को उस ग्रंथ में इकट्ठा किया जिसे अब हम ''मेटाफिजिक्स'' ( μετὰ τὰ φυσικά , ''मेटा टा फिजिका'' , <abbr>अक्षरशः</abbr> "भौतिकी विज्ञान के बाद") के नाम से जानते हैं। द ''फिजिक्स''  ', अरस्तू की अन्य कृतियों में से एक)।


तत्वमीमांसा में प्रमुख प्रश्न ये हैं-
तत्वमीमांसा में प्रमुख प्रश्न ये हैं-

10:32, 5 मार्च 2022 का अवतरण

दर्शनशास्त्र की कई शाखाएँ हैं,जिनमें से एक तत्व मीमांसा भी है। तत्त्व मीमांसा दर्शनशास्त्र की वह शाखा है,जो ब्रह्मांड के परम तत्व / ईश्वर की खोज करते हुये उसके परम स्वरूप का विवेचन करती है। तत्वमीमांसा दर्शन की वह शाखा है जो वास्तविकता की मौलिक प्रकृति, अस्तित्व, अस्मिता, परिवर्तन, दिक् और समय, कार्य-कारणता,अनिवाार्यता तथा संभावना के पहले सिद्धांतों का अध्ययन करती है।[1] इसका प्रमुख विषय वो परम तत्व ही होता है जो इस संसार के होने का कारण है और इस संसार का आधार है। इसमें उस परम तत्व के अस्तित्व को खोजने की कोशिश की जाती है। इसमें परम तत्व की व्याख्या कई प्रकार से की जाती है। कई उसे आकार रूप मानकर परिभाषित करते हैं,तो कई उसे निराकर रूप मानते हैं।

तत्त्वमीमांसा, दर्शन की वह शाखा है जो किसी ज्ञान की शाखा के वास्तविकता का अध्ययन करती है। परम्परागत रूप से इसकी दो शाखाएँ हैं - ब्रह्माण्ड विद्या तथा सत्तामीमांसा या आन्टोलॉजी।

तत्वमीमांसा, पाश्चत्य दर्शन की शाखा "मेटाफिजिक्स" का भारतीय समकक्ष है तथा हिंदी भाषा में उसी संज्ञा का अनुवाद भी है। शब्द "मेटाफिजिक्स" दो ग्रीक शब्दों से आया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "प्राकृतिक के बाद या पीछे या [उसके अध्ययन] के बीच"। यह सुझाव दिया गया है कि यह शब्द पहली शताब्दी सी०ई० संपादक द्वारा गढ़ा गया हो सकता है, जिन्होंने अरस्तू के कार्यों के विभिन्न छोटे चयनों को उस ग्रंथ में इकट्ठा किया जिसे अब हम मेटाफिजिक्स (μετὰ τὰ φυσικά , मेटा टा फिजिका , अक्षरशः -"भौतिक विज्ञान के बाद") के नाम से जानते हैं। द फिजिक्स  ', अरस्तू की अन्य कृतियों में से एक है)।[2]

तत्वमीमांसा में प्रमुख प्रश्न ये हैं-

  1. ज्ञान के अतिरिक्त ज्ञाता और ज्ञेय का भी अस्तित्व है

तत्वमीमांसा

जैन दर्शन के अनुसार तत्त्व सात है। यह हैं-

  1. जीव- जैन दर्शन में आत्मा के लिए "जीव" शब्द का प्रयोग किया गया हैं। आत्मा द्रव्य जो चैतन्यस्वरुप है। [3]
  2. अजीव- जड़ या की अचेतन द्रव्य को अजीव (पुद्गल) कहा जाता है।
  3. आस्रव - पुद्गल कर्मों का आस्रव करना
  4. बन्ध- आत्मा से कर्म
  5. संवर- कर्म बन्ध को रोकना
  6. निर्जरा- कर्मों को शय करना
  7. मोक्ष -
  8. मरण के चक्र से मुक्ति को मोक्ष कहते हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ सूची

  1. van Inwagen, Peter; Sullivan, Meghan (2021), Zalta, Edward N. (संपा॰), "Metaphysics", The Stanford Encyclopedia of Philosophy (Winter 2021 संस्करण), Metaphysics Research Lab, Stanford University, अभिगमन तिथि 2022-03-05
  2. Cohen, S. Marc; Reeve, C. D. C. (2021), Zalta, Edward N. (संपा॰), "Aristotle's Metaphysics", The Stanford Encyclopedia of Philosophy (Winter 2021 संस्करण), Metaphysics Research Lab, Stanford University, अभिगमन तिथि 2022-03-05
  3. शास्त्री २००७, पृ॰ ६४.
  • शास्त्री, प. कैलाशचन्द्र (२००७), जैन धर्म, आचार्य शंतिसागर 'छाणी' स्मृति ग्रन्थमाला, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-902683-8-4