"अजमेर": अवतरणों में अंतर
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अजमेर को मूल रूप से अजयमेरु के नाम से जाना जाता था। इस शहर की स्थापना ११वीं सदी के चहमण राजा अजयदेव ने की थी। इतिहासकार दशरथ शर्मा ने नोट किया कि शहर के नाम का सबसे पहला उल्लेख पल्हा की पट्टावली में मिलता है, जिसे १११३ सीई (११७० वी.एस.) में धारा में कॉपी किया गया था। इससे पता चलता है कि अजमेर की स्थापना 1113 ई. से कुछ समय पहले हुई थी।<ref>{{Cite book|title=|year=1959|pages=40}}</ref> |
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अजमेर शहर की स्थापना 7 वीं सदी में राजा अजय पाल चौहान ने की थी। चौहान वंश की मजबूत पकड़ 1195 में अजमेर में बनी रही, जब तक [[मोहम्मद ग़ोरी]] नामक एक अफगान शासक ने आखिरी चौहान सम्राट को हराया। उस समय तक अंतिम चौहान सम्राट [[पृथ्वीराज चौहान]] थे। उसके बाद से तेजी से बदलते सम्राटों के बाद से अजमेर को अराजक काल का सामना करना पड़ा था।<ref>{{Cite web|url=https://www.bhaskar.com/rajasthan/ajmer/news/RAJ-AJM-OMC-MAT-latest-ajmer-news-041503-1344846-NOR.html|title=अजमेर का स्थापना दिवस आज... 1112 में अजय राज चौहान ने रखी थी गढ़ अजयमेरू की नींव / अजमेर का स्थापना दिवस आज... 1112 में अजय राज चौहान ने रखी थी गढ़ अजयमेरू की नी |
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अंत में, 1556 में, मुगल सम्राट अकबर ने अजमेर जीता और अजमेर को राजस्थान राज्य में अपने सभी अभियानों के मुख्य मुख्यालय के रूप में इस्तेमाल किया। मुगलों की गिरावट के बाद, अजमेर शहर का नियंत्रण मराठों को पारित कर दिया गया है, खासकर ग्वालियर की सिंधियां |
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==भूगोल== |
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02:07, 30 जुलाई 2021 का अवतरण
अजमेर अजयमेरू[1] | |
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महानगर | |
अजमेर | |
मेयो कॉलेज, अजमेर | |
निर्देशांक: 26°27′00″N 74°38′24″E / 26.4499°N 74.6399°Eनिर्देशांक: 26°27′00″N 74°38′24″E / 26.4499°N 74.6399°E | |
देश | भारत |
राज्य | राजस्थान |
संभाग | अजमेर संभाग |
जिला | अजमेर |
संस्थापक | अजयराज प्रथम या अजयराज द्वितीय |
नाम स्रोत | अजयराज प्रथम या अजयराज द्वितीय |
शासन | |
• सभा | अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA), अजमेर नगर निगम (AMC) |
ऊँचाई | 480 मी (1,570 फीट) |
जनसंख्या (2011)[2] | |
• महानगर | 542,321 |
• महानगर | 551,101 |
समय मण्डल | IST (यूटीसी+5:30) |
पिन | 305001 to 305023 |
Telephone code | 0145, +91145 |
वाहन पंजीकरण | RJ-01(अजमेर)
RJ-36 (ब्यावर) |
वेबसाइट | www |
अजमेर राजस्थान प्रान्त के मध्य में स्थित एक महानगर व एतिहासिक शहर है। यह इसी नाम के अजमेर संभाग व अजमेर जिला का मुख्यालय भी है। अजमेर अरावली पर्वत श्रेणी की तारागढ़ पहाड़ी की ढाल पर स्थित है। यह नगर सातवीं शताब्दी में अजयराज सिंह नामक एक चौहान राजा द्वारा बसाया गया था। इस नगर का मूल नाम 'अजयमेरु' था। सन् 1365 में मेवाड़ के शासक, 1556 में अकबर और 1770 से 1880 तक मेवाड़ तथा मारवाड़ के अनेक शासकों द्वारा शासित होकर अंत में 1881 में यह अंग्रेजों के आधिपत्य में चला गया।
1236 ईस्वी में निर्मित, तीर्थस्थल ख्वाजा मोइन-उद दीन चिश्ती, एक प्रसिद्ध फारसी सुफी संत को समर्पित है। अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिम भील पूर्वजों के वंशज हैं। 12 वीं सदी की कृत्रिम झील आना सागर एक और पसंदीदा पर्यटन स्थल है जिसका महाराजा अना द्वारा निर्माण करवाया गया था।
अजमेर दुनिया के सबसे पुराने पहाड़ी किलों में से एक है – तारगढ़ किला जो चौहान राजवंश की सीट थी। अजमेर जैन मंदिर (जो सोनजी की नसीयाँ के नाम से भी जाना जाता है) अजमेर में एक और पर्यटन स्थल है।
तबीजी में यहां पर देश के प्रथम बीजीय मशाला अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई ।
इतिहास
अजमेर को मूल रूप से अजयमेरु के नाम से जाना जाता था। इस शहर की स्थापना ११वीं सदी के चहमण राजा अजयदेव ने की थी। इतिहासकार दशरथ शर्मा ने नोट किया कि शहर के नाम का सबसे पहला उल्लेख पल्हा की पट्टावली में मिलता है, जिसे १११३ सीई (११७० वी.एस.) में धारा में कॉपी किया गया था। इससे पता चलता है कि अजमेर की स्थापना 1113 ई. से कुछ समय पहले हुई थी।[3]
भूगोल
अजमेर, राजस्थान के केंद्र में में स्थित जिला है जो पूर्वी ओर से जयपुर और टोंक के जिलों और पश्चिमी तरफ पाली से घिरा हुआ है।
दर्शनीय स्थल तथा स्मारक
शहर अपने कई पुराने स्मारकों जैसे कि ब्रह्मा मंदिर(विश्व में एकमात्र) तेजगढ़ किला, अढ़ाई-दीन का-झोंपरा, मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और जैन मंदिर पुष्कर झील, आदि के लिए प्रसिद्ध है। भारत के नक्शे में अजमेर की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐतिहासिक अजमेर भारत और विदेश से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। अजमेर धर्म और संस्कृतियों की परंपराओं के साथ रहता है। कुछ प्रसिद्ध स्थान:
- पुष्कर
- मणिबंध/चामुण्डा माता मन्दिर
- तारागढ़ दुर्ग
- अजमेर शरीफ़ दरगाह
- सोनीजी की नसियां
- मेयो कॉलेज
- अकबरी किला तथा संग्रहालय
- नारेली जैन मन्दिर
- आना सागर झील
- फॉयसागर झील
- पृथ्वीराज स्मारक
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- अजमेर का वृहत् इतिहास (गूगल पुस्तक; लेखक-डॉ मोहन लाल गुप्त)
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