"नायकी देवी": अवतरणों में अंतर

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'''नायकी देवी''' [[चालुक्य राजवंश|चालुक्य वंश]] की महारानी थी, जिसने ११७८ ई. में [[मोहम्मद ग़ोरी]] को परास्त किया था।
'''नायकी देवी''' [[चालुक्य राजवंश|चालुक्य वंश]] की महारानी थी, जिसने ११७८ ई. में [[मोहम्मद ग़ोरी]] को परास्त किया था।
जंग का मैदान था
जंग का मैदान था, सन था 1178, (athatar) गुजरात के सोलंकी राजा अजयपाला की मृत्यु को 7 साल हो चुके है सिंघासन पर बैठा है उनका 8 se 10 साल का पुत्र। और राजधानी के करीब 40 किलोमीटर पर मोहमद गोरी अपनी सेना के साथ शिविर लगाये, मुल्तान को फ़तह करने के बाद ,गुजरात को लूटने के mansube पाले बैठा है। तभी गोरी का एक सन्देश वाहक आता है और फरमान सुनाता है, की रानी और बालक के साथ राज्य का सारा धन उसे दे दो तो वो बिना खून खराबे के लौट जायेगा।
रानी नैकिदेवी, जो कदमबा की राजकुमारी और गुजरात की रानी थी, ने सन्देश वाहक को, ये शर्त मान लेने का aashvaasan देकर वापस भेज diya।सन्देश वाहक जैसे ही गोरी को ये बताता है, की उसकी शर्ते मानली गई है, गोरी ख़ुशी से झूम उठता है।... पर ये क्या.... अचानक,.. उसेअपने खेमे की तरफ़ घोड़े और हाथियों के झुण्ड के आने की आवाज़ आती है।आसमान में उडती धूल ये बताने के लिए काफी है, की सोलंकी साम्राज्य की रानी अपना गुजरात इतनी आसानी से नही देगी।अभी गोरी कुछ समझ ही पाता की, रानी नैकिदेवी की सेना दुश्मनों पर टूट पड़ती है,दोनों हाथो में तलवार लिए रानी नैकिदेवी, dushman के सर धड से अलग करती चली जाती है,तभी उसकी तेज़ धार की तलवार का सामना गोरी से हो जाता है, कुछ इतिहास कारो का कहना है की रानी ने उसके sena अग्रभाग पर हमला कर उसके,... आला ए तनाशुल... को घायल कर दिया था।
उसके बाद raktranjit गोरी अपना घोडा लेकर सीधे मुल्तान की तरफ भागा, और उसने अपने सैनिको को बोल दिया था की रास्ते में कही नही रुकना है, मुल्तान भागते समय, उसका घोडा अगर गश खाकर ज़मीन पर गिर जाता था, तो गोरी घोडा बदल लेता था, पर रुकता नही था।
उसके बाद गोरी में इतना खौफ बैठ गया, की फिर उसने दिल्ली पर तो वार किया पर कभी गुजरात की तरफ नही देखा।
Aur is prakaar नैकिदेवी की गाथा, इतिहास में कही दफन रह गई, पर भारतीय नारीयो को स्वाभिमान से जीना सीखा गई।


== जीवन ==
== जीवन ==

18:04, 25 जुलाई 2021 का अवतरण

नायकी देवी चालुक्य वंश की महारानी थी, जिसने ११७८ ई. में मोहम्मद ग़ोरी को परास्त किया था। जंग का मैदान था

जीवन

वीरांगना नायकी देवी कंदब (आज के गोवा) के महामंडलेश्वर पर्मांडी की पुत्री थी. इनका विवाह गुजरात के महाराजा अजयपाल से हुआ था. अजयपाल सिद्धराज जयसिंह के पौत्र तथा कुमारपाल के पुत्र थे. अंगरक्षक द्वारा वर्ष ११७६ में अजयपाल की हत्या के बाद राज्य की बागडोर महारानी नायकी देवी के हाथ में आ गई थी, क्योंकि तब उनके पुत्र मूलराज बाल्य अवस्था में थे.

युद्ध

मोहम्मद ग़ोरी को जब पता चला कि गुजरात पर एक विधवा रानी का शासन है तो उसने गुजरात पर आक्रमण कर दिया. पूर्व सूचना के आधार पर नायाकि देवी की सेना ने गुजरात की राजधानी पाटण से दूर आबू पर्वत की तलहटी में कयादरा के निकट पहुँच कर घोरी से युद्ध किया. इस युद्ध में घोरी बुरी तरह से घायल हुआ और उसे प्राण बचा कर भागना पड़ा. इसके बाद घोरी ने कभी गुजरात की ओर मुड़ कर नहीं देखा.


सन्दर्भ