"मोर्स कोड": अवतरणों में अंतर

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मोर्स कोड, बाइनरी कोड (द्विक कोड) से मिलता-जुलता है किन्तु ध्यान से इसका विश्लेषण करने से पता चलेगा कि यह बाइनरी नहीं है क्योंकि लघु एवं दीर्घ संकेत के अलावा रिक्त स्थान भी छोड़ना पडता है।
मोर्स कोड, बाइनरी कोड (द्विक कोड) से मिलता-जुलता है किन्तु ध्यान से इसका विश्लेषण करने से पता चलेगा कि यह बाइनरी नहीं है क्योंकि लघु एवं दीर्घ संकेत के अलावा रिक्त स्थान भी छोड़ना पडता है।

==== मोर्स कोड का इतिहास ====
'''[https://hindileaks.in/morse-code-kya-hai/ Morse Code]''' का आविष्कार '''Samuel Morse''' ने किया. और उस समय टेलीफोन का आविष्कार नहीं हुवाथा और लोग एक दूसरे को संदेश चिट्ठीयो के द्वारा भेजा करते थे.

'''Samuel Morse Washington DC''' में रहते थे. और उनके माता पिता '''new haven city''' में रहते थे जो की वह से 500 किलोमीटर की दुरी पर था.

किसी बिमारी की वजह से Samuel Morse के माता की मौत हुई. और जैसे ही चिठ्ठी Samuel Morse को मिली वे तुरंत अपनें गांव की तरफ रवाना हुए.

लेकिन जब तक वे अपने गांव गए उनके मां का अंतिम संस्कार हो गया था. इस बात से उन्हे बेहद घुस्सा आया और उन्होने सोचा कि कुछ ऐसा बनना चाहिए जिसके जरिए वे एक दुसरे को संदेश भेज सके.

जिसके बाद उन्होंने '''Telegram Machine''' की खोज की. और इस मशीन से इलेक्ट्रिक तारो के माध्यम से संदेशा भेजा गया.

लेकिन जब संदेश भेजा तब वे beep की आवाज़ में भेजा गया. यही पर समस्या होने लगीं जिस वजह से ये किसी को समझ नही आया.

'''इस समस्या को समझते हुए Samuel Morse ने code का निर्माण किया जिसे हम Morse code कहते हैं. इस खोज के बाद लोग एक दुसरे को आसनी से संदेश भेजा करते थे.'''
* [https://web.archive.org/web/20090516191011/http://en.wikipedia.org/wiki/Morse_code MorseCode]
* [https://web.archive.org/web/20090516191011/http://en.wikipedia.org/wiki/Morse_code MorseCode]



12:02, 9 जुलाई 2021 का अवतरण

मोर्स कोड, सन्देश भेजने की एक पद्धति है। इसकी रचना सैमुएल मोर्स ने १८४० के दशक के आरम्भिक वर्षों में वैद्युत टेलीग्राफ के माध्यम से सन्देश भेजने के लिये की थी। बाद में १८९० के दशक से मोर्स कोड का उपयोग रेडियो संचार के आरम्भिक दिनों में भी हुआ।

मोर्स कोड के अन्तर्गत एक लघु संकेत तथा दूसरा दीर्घ संकेत प्रयोग किये जाते हैं। इन दो संकेतों के पूर्व निर्धारित मानकीकृत समन्वय से किसी भी संदेश को अभिव्यक्त किया जा सकता है। कागज आदि पर मोर्स कोड में कुछ लिखने के लिये लघु संकेत के लिये डॉट का प्रयोग तथा दीर्घ संकेत के लिये डैश का प्रयोग किया जाता है। किन्तु मोर्स कोड के लघु और दीर्घ संकेतों के लिये अन्य रूप भी प्रयुक्त हो सकते हैं ; जैसे - ध्वनि, पल्स या प्रकाश संकेत आदि

अन्तर्राष्ट्रीय मार्स कोड के पाँच अवयव हैं:

1. लघु मार्क, डाट या डिट (·) — एक इकाई लम्बा

2. दीर्घ मार्क, डैश या डा (-) — तीन इकाई के तुल्य लम्बा

3. लघु एवं दीर्घ संकेतों के बीच रिक्त स्थान या समय — एक इकाई लम्बा

4. छोटा रिक्त स्थान (दो अक्षरों के बीच में) — तीन इकाई लम्बा

5. मध्यम रिक्ति (दो शब्दों के बीच में) — सात इकाई लम्बा

मोर्स कोड, बाइनरी कोड (द्विक कोड) से मिलता-जुलता है किन्तु ध्यान से इसका विश्लेषण करने से पता चलेगा कि यह बाइनरी नहीं है क्योंकि लघु एवं दीर्घ संकेत के अलावा रिक्त स्थान भी छोड़ना पडता है।