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'''थार मरुस्थल''' भारत के उत्तरपश्चिम में तथा [[पाकिस्तान]] के दक्षिणपूर्व में स्थितहै। यह अधिकांश तो [[राजस्थान]] में स्थित है परन्तु कुछ भाग [[हरियाणा]], [[पंजाब (भारत)|पंजाब]],[[गुजरात]] और पाकिस्तान के [[सिंध]] और [[पंजाब (पाकिस्तान)|पंजाब]] प्रांतों में भी फैला है। अरावली पहाड़ी के पश्चिमी किनारे पर थार मरुस्थल स्थित है। यह मरुस्थल बालू के टिब्बों से ढँका हुआ एक तरंगित मैदान था।
'''थार मरुस्थल''' भारत के उत्तरपश्चिम में तथा [[पाकिस्तान]] के दक्षिणपूर्व में स्थितहै। यह अधिकांश तो [[राजस्थान]] में स्थित है परन्तु कुछ भाग [[हरियाणा]], [[पंजाब (भारत)|पंजाब]],[[गुजरात]] और पाकिस्तान के [[सिंध]] और [[पंजाब (पाकिस्तान)|पंजाब]] प्रांतों में भी फैला है। अरावली पहाड़ी के पश्चिमी किनारे पर थार मरुस्थल स्थित है। यह मरुस्थल बालू के टिब्बों से ढँका हुआ एक तरंगित मैदान है।

राजस्थान का थार का मरुस्थल पर्मो_कार्बो_नि_फेरस युग में टेथिस सागर का अंश था, इस तथ्य की पुष्टि करने वाले तत्व है~ अकल जीवाश्म पार्क, जलोदभिद तलछट व लिग्नाइट, खनिज तेल और प्राकृतिक गैस का जमाव आदि।

राजस्थान में थार का मरुस्थल अरावली पर्वतमाला से उत्तर पश्चिम में स्थित है।

और अब थार का मरुस्थल पेलियो आर्कटिक अफ्रीका मरुस्थल का ही पूर्वी भाग है।

पश्चिमी रेगिस्तान दो मुख्य भागो में बटा हुआ है~

१. बांगर प्रदेश~ वह प्रदेश जो प्राचीन जलोढ मिट्टी से निर्मित है। और जहां वर्तमान में नदियों का जल नही पहुंचता।

इसके अंतर्गत चार प्रकार के क्षेत्र आते है।

(१) घग्घर क्षेत्र ~ गंगानगर, हनुमानगढ़ का क्षेत्र जहां घग्घर नदी बहती है।

(२) शेखावाटी क्षेत्र ~ घग्घर नदी के पाट/ नीचे वाला हिस्सा

(३) नागौरी उच्च प्रदेश

(४) लूणी बेसिन~ जोधपुर, सिरोही, पाली, जालौर, राजसमंद,

२. शुष्क मरुस्थल ~ उत्तरी पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश जिसके दो उपभाग~

(१) पथरीला मरुस्थल/ हम्माद~ जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर, जालौर,

(२) मिश्रित मरुस्थल/ रैग~ जैसलमेर के निकट रामगढ़ और लोद्रवा क्षेत्र

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== जलवायु ==
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== जन-जीवन ==
== जन-जीवन ==
जन-जीवन के नाम पर मरुस्थल में मीलों दूर कोई-कोई गांव मिलता है। थार के मरुस्थल में अगर कोई शहर विकसित हुआ है तो वह शहर [[जोधपुर]] शहर है यहां हिंदू एवम मुसलमान धर्म के लोग ही निवास करते हैं प्रकृति की मार को सहन करते हुए भी यहां पर कुछ जातियां समृद्धि के चरम को छू रही है उदाहरण के लिए राजपुरोहित समाज इस समाज के लोगों ने यहां पर खूब तरक्की की है यहां विश्नोई समाज के लोग वन एवं पर्यावरण संरक्षण<ref>{{Cite web|url=https://www.news.bishnoism.org/2021/03/international-forest-day-2021.html|title=International Forest Day 2021 {{!}} थार के मरुस्थल में वन संरक्षण की सुदीर्घ योजना के प्रतिपादक : गुरु जाम्भोजी|website=Bishnoi News : बिश्नोई समाज का एक मात्र विश्वसनीय न्यूज़ पॉर्टल|access-date=2021-04-20}}</ref> के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करते हुए पाए जाते हैं । थार के मरुस्थल में रहने वाले लोग वीर एवं साहसी होते हैं लोगों में देश प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी होती है पशुपालन यहां का मुख्य व्यवसाय है पशुओं में गाय बैल भैंस बकरी भेड़ घोड़े गधे इत्यादि जानवरों को पाला जाता है
जन-जीवन के नाम पर मरुस्थल में मीलों दूर कोई-कोई गांव मिलता है। थार के मरुस्थल में अगर कोई शहर विकसित हुआ है तो वह शहर [[जोधपुर]] शहर है यहां हिंदू एवम मुसलमान धर्म के लोग ही निवास करते हैं प्रकृति की मार को सहन करते हुए भी यहां पर कुछ जातियां समृद्धि के चरम को छू रही है उदाहरण के लिए राजपुरोहित समाज इस समाज के लोगों ने यहां पर खूब तरक्की की है यहां विश्नोई समाज के लोग वन एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करते हुए पाए जाते हैं । थार के मरुस्थल में रहने वाले लोग वीर एवं साहसी होते हैं लोगों में देश प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी होती है पशुपालन यहां का मुख्य व्यवसाय है पशुओं में गाय बैल भैंस बकरी भेड़ घोड़े गधे इत्यादि जानवरों को पाला जाता है
मुख्य रूप से यहाँ ऊंट पाले जाते है
मुख्य रूप से यहाँ ऊंट पाले जाते है



08:42, 20 अप्रैल 2021 का अवतरण

थार मरुस्थल का दृष्य

थार मरुस्थल भारत के उत्तरपश्चिम में तथा पाकिस्तान के दक्षिणपूर्व में स्थितहै। यह अधिकांश तो राजस्थान में स्थित है परन्तु कुछ भाग हरियाणा, पंजाब,गुजरात और पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों में भी फैला है। अरावली पहाड़ी के पश्चिमी किनारे पर थार मरुस्थल स्थित है। यह मरुस्थल बालू के टिब्बों से ढँका हुआ एक तरंगित मैदान है।

जलवायु

थार मरुस्थल अद्भुत है। गर्मियों में यहां की रेत उबलती है। इस मरुभूमि में 52 डिग्री सेल्शियस तक तापमान रिकार्ड किया गया है। जबकि सर्दियों में तापमान शून्य से नीचे चला जाता है। जिसका मुख्य कारण हैं यहाँ की बालू रेत जो जल्दी गर्म और जल्दी ठंडी हो जाती है। गरमियों में मरुस्थल की तेज गर्म हवाएं चलती है जिन्हें "लू" कहते हैं तथा रेत के टीलों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती हैं और टीलों को नई आकृतियां प्रदान करती हैं। गर्मी ऋतु में यहां पर तेज आंधियां चलती है जो रेत के बड़े-बड़े टीलों को दूसरे स्थानों पर धकेल देती है जिससे यहां मरुस्थलीकरण की समस्या बढ़ती जाती है।

जन-जीवन

जन-जीवन के नाम पर मरुस्थल में मीलों दूर कोई-कोई गांव मिलता है। थार के मरुस्थल में अगर कोई शहर विकसित हुआ है तो वह शहर जोधपुर शहर है यहां हिंदू एवम मुसलमान धर्म के लोग ही निवास करते हैं प्रकृति की मार को सहन करते हुए भी यहां पर कुछ जातियां समृद्धि के चरम को छू रही है उदाहरण के लिए राजपुरोहित समाज इस समाज के लोगों ने यहां पर खूब तरक्की की है यहां विश्नोई समाज के लोग वन एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करते हुए पाए जाते हैं । थार के मरुस्थल में रहने वाले लोग वीर एवं साहसी होते हैं लोगों में देश प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी होती है पशुपालन यहां का मुख्य व्यवसाय है पशुओं में गाय बैल भैंस बकरी भेड़ घोड़े गधे इत्यादि जानवरों को पाला जाता है मुख्य रूप से यहाँ ऊंट पाले जाते है

मरू समारोह

लौहयुगीन वैदिक भारत में थार मरुस्थल की स्थिति (नारंगी रंग में)

राजस्थान में मरू समारोह (फरवरी में) - फरवरी में पूर्णमासी के दिन पड़ने वाला एक मनोहर समारोह है। तीन दिन तक चलने वाले इस समारोह में प्रदेश की समृद्ध संस्कृति का प्रदर्शन किया जाता है।

प्रसिद्ध गैर व अग्नि नर्तक इस समारोह का मुख्य आकर्षण होते है। पगड़ी बांधने व मरू श्री की प्रतियोगिताएं समारोह के उत्साह को दुगना कर देती है। सम बालु के टीलों की यात्रा पर समापन होता है, वहां ऊंट की सवारी का आनंद उठा सकते हैं और पूर्णमासी की चांदनी रात में टीलों की सुरम्य पृष्ठभूमि में लोक कलाकारों का उत्कृष्ट कार्यक्रम होता है।

थार की सुंदरता

बाहरी कड़ियाँ