"कोकम": अवतरणों में अंतर

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कोकम से बनाए जाने वाले पदार्थ - कोकम के छिलके को नमक के पानी में डूबाकर धूप में सूखाते है जिसे आमसूल करते है। आमसुल का उपयोग रसोई में खट्टापन लाने के लिए किया जाता है। सब्जी, मछली की सब्जी आदि पदार्थ में उपयोग किया जाता है।
कोकम से बनाए जाने वाले पदार्थ - कोकम के छिलके को नमक के पानी में डूबाकर धूप में सूखाते है जिसे आमसूल करते है। आमसुल का उपयोग रसोई में खट्टापन लाने के लिए किया जाता है। सब्जी, मछली की सब्जी आदि पदार्थ में उपयोग किया जाता है।
कोकम के छिलके में शक्कर भरी जाती है उस कारण निकले रस से कोकम शरबत तयार करते है। कोकम के छिलके में नमक भरकर रखने से जो पानी निकलत है उसे
आगळ असे म्हणतात, त्याचा वापर सोलकढी करण्यासाठी केला कहते है। कमच्या बियामध्ये 23-26% कोकम लोणी असते, जे खोलीच्या तपमानावर घनरूप राहते. हे चॉकलेट तयार करण्यासाठी वापरले जाते.
कोकम भारतीय भाषा में निम्नलिखित नाम से पहचाना जाता है-
कोकम भारतीय भाषा में निम्नलिखित नाम से पहचाना जाता है-



04:05, 29 मार्च 2021 का अवतरण

कोकम
कोकम का फल, बीज, गूदा, और छिलका
वैज्ञानिक वर्गीकरण edit
Unrecognized taxon (fix): Garcinia
जाति: Template:Taxonomy/GarciniaG. indica
द्विपद नाम
Template:Taxonomy/GarciniaGarcinia indica
Choisy

कोकम (वानस्पतिक नाम : Garcinia indica) मैंगोस्टीन कुल का एक पादप है। इसके फल का उपयोग रसोई में, दवा बनाने में तथा औद्योगिक कार्यों में किया जाता है। इसके फल गहरे रंग के जामुनी से लेकर काले रंग के चिपचिपे और टेढ़े-मेढ़े किनारे वाले होते हैं। इसके फल को बेचने से पहले प्रायः आधा काटकर धूप में आधा सुखाया जाता है और भारतीय पाकशैली में इसका प्रयोग मसाले की तरह किया जाता है।इसके धूप में सुखाए हुए विकल्प को 'आमसल कोकम' या 'कोकाम' कहते हैं। इसका प्रयोग अकसर महाराट्री, कोंकण और गुजराती पाकशैली में किया जाता है। इसे खाने में मिलाने से यह खाने को गुलाबी से बैंगनी रंग प्रदान करता है और खट्टा-मीठा स्वाद प्रदान करता है। करी और अन्य व्यंजन में प्रयोग करने के लिए यह इमली का एक अच्छा विकल्प है।

कोकम से बनाए जाने वाले पदार्थ - कोकम के छिलके को नमक के पानी में डूबाकर धूप में सूखाते है जिसे आमसूल करते है। आमसुल का उपयोग रसोई में खट्टापन लाने के लिए किया जाता है। सब्जी, मछली की सब्जी आदि पदार्थ में उपयोग किया जाता है। कोकम के छिलके में शक्कर भरी जाती है उस कारण निकले रस से कोकम शरबत तयार करते है। कोकम के छिलके में नमक भरकर रखने से जो पानी निकलत है उसे आगळ असे म्हणतात, त्याचा वापर सोलकढी करण्यासाठी केला कहते है। कमच्या बियामध्ये 23-26% कोकम लोणी असते, जे खोलीच्या तपमानावर घनरूप राहते. हे चॉकलेट तयार करण्यासाठी वापरले जाते. कोकम भारतीय भाषा में निम्नलिखित नाम से पहचाना जाता है-

संस्कृत-अत्यम्ला, तिंतिडीकम्‌ हिंदी-कोकम बंगाली-महादा, तेंतुल कानडी-मुलगला गुजराती-कोकम मल्याळम-पुनमचुली इंग्रजी-Kokam Butter tree/Wild Mangostein लॅटिन-Garcinia Indica

वर्णन यह एक लगभग १८ मीटर तक उंचा होनेवाला झुकी शाखाओ का वृक्ष होता है। इसकी पत्तियाँ २.५ ते ३.५ इंच लंबी और गडद हरे रंग की होती है। कोकम के फूल छोटे होते है। एक ही झाड पर नर और मादा फूल तैयार होते है। ग्रीष्म में इस वृक्ष में फलधारणा होती है। कच्चे फल हरे रंग के होते है। अप्रेल-मई महिने में फल पकते है। वह पकने पर गडद लाल रंग के होते है। फल के अमेरिकन सफेद, गुलाबी बीज और मुलायम मीठा गुदा होता है।


लाल मुँह के बंदर, वानरे, गिलहरी, चमगादड, कोकम के फल पर ताव मारते है। फल निबू से थोडे बडे आकार के होते है। फल का ताजा छिलका रसदार और आम्लधर्मी होता है।

लागवडीचे प्रदेेश

सन्दर्भ

  1. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर

बाहरी कड़ियाँ