"वसीम रिजवी": अवतरणों में अंतर

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== वसीम रिजवी का अब तक का सफर ==
== वसीम रिजवी का अब तक का सफर ==


वसीम रिजवी एक सामान्य परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता रेलवे के कर्मचारी थे लेकिन जब रिजवी क्लास 6 की पढ़ाई कर रहे थे तो उनके वालिद का इंतकाल हो गया। इसके बाद रिजवी और उनके भाई-बहनों की जिम्मेदारी उनकी वालदा पर आ गई। रिजवी अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा हासिल की और आगे की पढ़ाई के लिए नैनीताल के एक कॉलेज में प्रवेश लिया। लेकिन, पारिवारिक परिस्थितियां खराब होने के कारण उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी।
वसीम रिजवी एक सामान्य परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता रेलवे के सामान्य कर्मचारी थे लेकिन जब रिजवी क्लास 6 की पढ़ाई कर रहे थे तो उनके वालिद का इंतकाल हो गया। इसके बाद रिजवी और उनके भाई-बहनों की जिम्मेदारी उनकी वालदा पर आ गई। रिजवी अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा हासिल की और आगे की पढ़ाई के लिए नैनीताल के एक कॉलेज में प्रवेश लिया। लेकिन, अपनी कमजोर मानसिकता और चरीत्र खराब होने के कारण उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी।


इसके बाद वो सऊदी अरब चले गए और एक होटल में काम करने लगे। बाद में उन्हें जापान जाने का मौका मिला और वहां उन्होंने एक फैक्ट्री में काम किया। इसके बाद उनको अमेरिका में काम करने का मौका मिला जहां उन्होंने एक स्टोर में काम किया। लेकिन, पारिवारिक परिस्थितियों के कारण उन्हें भारत लौटना पड़ा और यहां उन्होंने ट्रेडिंग का काम करना शुरू कर दिया।
इसके बाद वो सऊदी अरब चले गए और एक होटल में निचले दर्जे सफाई का काम करने लगे। बाद में उन्हें जापान जाने का मौका मिला और वहां उन्होंने एक फैक्ट्री में काम किया। इसके बाद उनको अमेरिका में काम करने का मौका मिला जहां उन्होंने एक स्टोर में काम किया। लेकिन, अपनी चोरी की आदतो के कारण उन्हें भारत लौटना पड़ा और यहां उन्होंने ट्रेडिंग का काम करना शुरू कर दिया।


जब उनके सामाजिक संबंध अच्छे होने लगे तो उन्होंने नगर निगम का चुनाव लड़ने का फैसला किया। यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरूआत हुई। इसके बाद वो वक्फ बोर्ड के सदस्य बने और उसके बाद चेयरमैन के पद तक पहुंचे। वो पिछले दस सालों से बोर्ड में है और लगातार बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं।<ref>{{cite web|url=https://www.amarujala.com/amp/delhi-ncr/who-is-waseem-rizvi-know-about-uttar-pradesh-shia-waqf-chief-waseem-rizvi|title=कौन हैं वसीम रिजवी, जिन्होंने बार-बार की अयोध्या में राम मंदिर बनाने की वकालत|publisher=[[अमर उजाला]]|access-date=9 जनवरी 2019|archive-url=https://web.archive.org/web/20190110015325/https://www.amarujala.com/amp/delhi-ncr/who-is-waseem-rizvi-know-about-uttar-pradesh-shia-waqf-chief-waseem-rizvi|archive-date=10 जनवरी 2019|url-status=live}}</ref>
जब उनके सामाजिक संबंध अच्छे होने लगे तो उन्होंने नगर निगम का चुनाव लड़ने का फैसला किया। यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरूआत हुई। इसके बाद वो वक्फ बोर्ड के सदस्य बने और उसके बाद चेयरमैन के पद तक पहुंचे। वो पिछले दस सालों से बोर्ड में है और लगातार बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं, उन्होंने अपनी राजनीति चमकाने के लिए मुस्लिम विरोध का सहारा लिया है तथा भारत के मौजुदा हालात मे हिंदु मुस्लिम दुरी बढाने मे वसीम रिजवी का बडा योगदान है।<ref>{{cite web|url=https://www.amarujala.com/amp/delhi-ncr/who-is-waseem-rizvi-know-about-uttar-pradesh-shia-waqf-chief-waseem-rizvi|title=कौन हैं वसीम रिजवी, जिन्होंने बार-बार की अयोध्या में राम मंदिर बनाने की वकालत|publisher=[[अमर उजाला]]|access-date=9 जनवरी 2019|archive-url=https://web.archive.org/web/20190110015325/https://www.amarujala.com/amp/delhi-ncr/who-is-waseem-rizvi-know-about-uttar-pradesh-shia-waqf-chief-waseem-rizvi|archive-date=10 जनवरी 2019|url-status=live}}</ref>


== विवादों में ==
== विवादों में ==

14:51, 13 मार्च 2021 का अवतरण

वसीम रिजवी () उत्तर प्रदेश सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष हैं। ये एक लम्बे समय से इस पद आसीन हैं। इन्होंने मायावती, अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ सरकारों के काल में अपना काम अंजाम दिया है। तथा चाटुकारिता करते हुए यह अपने पद पर बने हुए हैं।

वसीम रिजवी का अब तक का सफर

वसीम रिजवी एक सामान्य परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता रेलवे के सामान्य कर्मचारी थे लेकिन जब रिजवी क्लास 6 की पढ़ाई कर रहे थे तो उनके वालिद का इंतकाल हो गया। इसके बाद रिजवी और उनके भाई-बहनों की जिम्मेदारी उनकी वालदा पर आ गई। रिजवी अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा हासिल की और आगे की पढ़ाई के लिए नैनीताल के एक कॉलेज में प्रवेश लिया। लेकिन, अपनी कमजोर मानसिकता और चरीत्र खराब होने के कारण उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

इसके बाद वो सऊदी अरब चले गए और एक होटल में निचले दर्जे सफाई का काम करने लगे। बाद में उन्हें जापान जाने का मौका मिला और वहां उन्होंने एक फैक्ट्री में काम किया। इसके बाद उनको अमेरिका में काम करने का मौका मिला जहां उन्होंने एक स्टोर में काम किया। लेकिन, अपनी चोरी की आदतो के कारण उन्हें भारत लौटना पड़ा और यहां उन्होंने ट्रेडिंग का काम करना शुरू कर दिया।

जब उनके सामाजिक संबंध अच्छे होने लगे तो उन्होंने नगर निगम का चुनाव लड़ने का फैसला किया। यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरूआत हुई। इसके बाद वो वक्फ बोर्ड के सदस्य बने और उसके बाद चेयरमैन के पद तक पहुंचे। वो पिछले दस सालों से बोर्ड में है और लगातार बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं, उन्होंने अपनी राजनीति चमकाने के लिए मुस्लिम विरोध का सहारा लिया है तथा भारत के मौजुदा हालात मे हिंदु मुस्लिम दुरी बढाने मे वसीम रिजवी का बडा योगदान है।[1]

विवादों में

अपने बयानों के चलते रिजवी कई बार विवादों में घिरे हैं और उन पर इस्लाम विरोधी होने का आरोप भी लगा है। इस्लामी इमामों के द्वारा उन्हें इस्लाम से खारिज़ भी कर दीया गया है।[2] हालांकि रिजवी अभी भी अपने आप को मुसलमान मानते हैं।

वसीम रिजवी के कुछ प्रसिद्ध वक्तव्य

१. देश की नौ विवादित मस्जिदों को हिन्दुओं को सौंप दें मुसलमान।[3]

२. हिन्दुस्तान की धरती पर कलंक की तरह है बाबरी ढांचा।[4]

३. रिजवी ने कहा कि चांद तारे वाला हरा झंडा इस्लाम का धार्मिक झंडा नहीं है। ये पाकिस्तान की राजनैतिक पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग से मिलता जुलता है। इस झंडे को फहराने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। रिजवी ने यहां तक कह दिया कि पैगम्बर मोहम्मद साहब अपने कारवां में सफेद या काले रंग का झंडा प्रयोग करते थे।[5]

४. इस्लामी मदरसों को बंद कर देना चाहिए क्योंकि ये आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। ये भारतीय मुसलमानों के लिए अच्छे नहीं हैं। ये मुसलमान नौजवानों के दिमाग में ज़हर घोलते हैं। बहुत मदरसों में आतंकी ट्रेनिंग दी जाती है। यहां आधुनिक शिक्षा नहीं दी जाती। मजहबी कट्टरता सिखाई जाती है।[6]

५. जानवरों की तरह बच्चे पैदा करने से देश को नुकसान - जनवरी २०२० में जनसंख्या नियंत्रण पर संभावित कानून का समर्थन करते हुए वसीम रिजवी ने कहा, कुछ लोग मानते हैं कि बच्चों का जन्म प्राकृतिक है और इससे कोई छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। लेकिन कई-कई बच्चों को जन्म देना समाज और देश के लिए काफी हानिकारक है। अगर देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाया जाता है तो यह बेतहाशा बढ़ती आबादी पर काबू पाने के लिए बेहतर होगा।[7]

६. कुरान की 26 आयतों को हटाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दी - मार्च २०२१ में वसीम रिजवी ने कुरान की 26 आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की है। अपनी याचिका में वसीम रिजवी ने कहा है कि कुरान की इन आयतों से आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है। वसीम रिजवी का कहना है कि मदरसों में बच्चों को कुरान की इन आयतों को पढ़ाया जा रहा है, जिससे उनका ज़हन कट्टरपंथ की ओर बढ़ रहा है। [8]

सन्दर्भ

  1. "कौन हैं वसीम रिजवी, जिन्होंने बार-बार की अयोध्या में राम मंदिर बनाने की वकालत". अमर उजाला. मूल से 10 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जनवरी 2019.
  2. "इस्लाम से खारिज किए गए शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी". News18. मूल से 10 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जनवरी 2019.
  3. "वसीम रिजवी ने 9 विवादित मस्जिदों को हिंदुओं को सौंपने की मांग की". Aajtak.intoday.in. मूल से 10 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जनवरी 2019.
  4. "वसीम रिजवी बोले, हिंदुस्तान की जमीन पर कलंक की तरह है बाबरी ढांचा". aajtak.intoday.in. मूल से 10 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जनवरी 2019.
  5. "इस्लामिक झंडे पर किया था कमेंट, वसीम रिजवी को मिली जान से मारने की धमकी". जनसत्ता. मूल से 10 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जनवरी 2019.
  6. https://www.thelallantop.com/bherant/wasim-rizvi-chairman-of-shia-waqf-board-has-written-a-letter-to-prime-minister-narendra-modi-that-madarsas-in-uttar-pradesh-are-producing-terrorists-so-need-to-eradicate-madarsas/amp/%7Cpublisher=कौन हैं शिया वक्फ़ बोर्ड के चेयरमैन, जिन्हें दाऊद ने बम से उड़ाने की धमकी दी है|publisher=thelallantop}}
  7. वसीम रिजवी बोले- जानवरों की तरह बच्चे पैदा करना देश के लिए हानिकारक
  8. वसीम रिजवी ने कुरान की 26 आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जनहित याचिका