"दोलन": अवतरणों में अंतर
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दोलन गति---- |
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जब कोई वस्तु किसी निश्चित बिन्दु के आगे-पीछे अपनी गति को अनिश्चित समयांतराल में दुहराए, तो यह दोलन गति कहलाती है। |
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[[चित्र:Simple harmonic oscillator.gif|right|frame|250px|इस [[कमानी]] व भार के [[भौतिक तंत्र]] में दोलन देखा जा सकता है]] |
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'''दोलन''' (oscillation) एक लगातार दोहराता हुआ बदलाव होता है, जो किसी केन्द्रीय मानक स्थिति से बदलकर किसी दिशा में जाता है लेकिन सदैव लौटकर केन्द्रीय स्थिति में आता रहता है। अक्सर केन्द्रीय स्थिति से हटकर दो या दो से अधिक ध्रुवीय स्थितियाँ होती हैं और दोलती हुई वस्तु या माप इन ध्रुवों के बीच घूमता रहता है लेकिन किन्ही दो ध्रुवों के बीच की दूरी तय करते हुए केन्द्रीय स्थिति से अवश्य गुज़रता है। किसी [[भौतिक तंत्र]] में हो रहे दोलन को अक्सर [[कम्पन]] (vibration) कहा जाता है।<ref>Strogatz, Steven. Sync: The Emerging Science of Spontaneous Order. Hyperion, 2003, pp 106-109</ref> |
'''दोलन''' (oscillation) एक लगातार दोहराता हुआ बदलाव होता है, जो किसी केन्द्रीय मानक स्थिति से बदलकर किसी दिशा में जाता है लेकिन सदैव लौटकर केन्द्रीय स्थिति में आता रहता है। अक्सर केन्द्रीय स्थिति से हटकर दो या दो से अधिक ध्रुवीय स्थितियाँ होती हैं और दोलती हुई वस्तु या माप इन ध्रुवों के बीच घूमता रहता है लेकिन किन्ही दो ध्रुवों के बीच की दूरी तय करते हुए केन्द्रीय स्थिति से अवश्य गुज़रता है। किसी [[भौतिक तंत्र]] में हो रहे दोलन को अक्सर [[कम्पन]] (vibration) कहा जाता है।<ref>Strogatz, Steven. Sync: The Emerging Science of Spontaneous Order. Hyperion, 2003, pp 106-109</ref> |
16:11, 30 दिसम्बर 2020 का अवतरण
दोलन (oscillation) एक लगातार दोहराता हुआ बदलाव होता है, जो किसी केन्द्रीय मानक स्थिति से बदलकर किसी दिशा में जाता है लेकिन सदैव लौटकर केन्द्रीय स्थिति में आता रहता है। अक्सर केन्द्रीय स्थिति से हटकर दो या दो से अधिक ध्रुवीय स्थितियाँ होती हैं और दोलती हुई वस्तु या माप इन ध्रुवों के बीच घूमता रहता है लेकिन किन्ही दो ध्रुवों के बीच की दूरी तय करते हुए केन्द्रीय स्थिति से अवश्य गुज़रता है। किसी भौतिक तंत्र में हो रहे दोलन को अक्सर कम्पन (vibration) कहा जाता है।[1]
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- Vibrations – एक ऑनलाइन पाठ्यपुस्तक से अध्याय
सन्दर्भ
- ↑ Strogatz, Steven. Sync: The Emerging Science of Spontaneous Order. Hyperion, 2003, pp 106-109