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== लघुकथा ==
== लघुकथा ==


[[हिंदी साहित्य]] में लघुकथा नवीनतम् विधा है। हिंदी की प्रथम लघुकथा के बारे में विभिन्न विद्वानों के विभिन्न मत हैं। हिंदी के अन्य सभी विधाओं की तुलना में अधिक लघुआकार होने के कारण यह समकालीन पाठकों के ज्यादा करीब है और सिर्फ़ इतना ही नहीं यह अपनी विधागत सरोकार की दृष्टि से भी एक पूर्ण विधा के रूप में हिदीं जगत् में समादृत हो रही है। इसे स्थापित करने में जितना हाथ [[विष्णु प्रभाकर|भारतेन्दु हरिश्चंद्र, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद, माखनलाल चतुर्वेदी, पदुमलाल पन्ना लाल बख्शी, सुदर्शन, यशपाल, उपेन्द्रनाथ अश्क, रामवृक्ष बेनीपुरी, कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर, विष्णु प्रभाकर]], रावी, अमृतलाल नागर, रामनारायण उपाध्याय, [[हरिशंकर परसाई]], [[कमलेश्वर]], [[राजेन्द्र यादव]], [[बलराम]], [[सतीशराज पुष्करणा|सतीशराज पुष्करणा, आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल',]] [[रमेश बतरा]], [[जगदीश कश्यप]], [[कृष्ण कमलेश]], [[भगीरथ]], [[सतीश दुबे]], [[बलराम अग्रवाल]], डॉ. प्रमथनाथ मिश्र, रामकंत श्रीवास्तव, कृष्णानंद कृष्ण, नागेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ. सतीश दुबे, कृष्ण मोहन सक्सेना, सिद्धेश्वर, डॉ. कमलकिशोर गोयनका, [[विक्रम सोनी]], [[सुकेश साहनी]], संतोष श्रीवास्तव आदि लघुकथाकारों का रहा है उतना ही रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु', [[कमल चोपड़ा]], अशोक भाटिया, अशोक जैन, [[योगराज प्रभाकर]], रवि प्रभाकर,चंद्रेश कुमार छ्तलानी,राजेश शॉ, सतीश राठी, बी. एल. आच्छा, उमेश महादोषी, कांता राय आदि संपादकों का भी रहा है। समकालीन लघुकथाकारों में दीपक मशाल,मार्टिन जान, डॉ. चंद्रेश कुमार छ्तलानी, कुमार गौरव,अंतरा करवड़े,अपराजिता 'अजितेश ' जग्गी, विनय कुमार सिंह, संतोष सुपेकर, सुधीर द्विवेदी, सीमा सिंह, अमरेश गौतम 'अयुज', ज्योत्स्ना सिंह, विरेंदर 'वीर' मेहता, विभा रश्मि, शोभना श्याम, मधु जैन, विनय कुमार मिश्रा, सरस्वती माथुर, पूनम डोगरा, कान्ता रॉय, शोभा रस्तोगी, सुनील वर्मा, पवन जैन, कल्पना भट्ट, नरेश टाँक, अनूपा हरबोला, उपमा शर्मा, मून्नू लाल, कुमार गौरव, रोहित शर्मा, हेमंत राणा, पदम गोधा, चितरंजन मित्तल, सरला अग्रवाल, सतविंदर कुमार, शेख शहजाद उस्मानी, डॉ.लता अग्रवाल, डॉ. विनिता राहुरिकर, नयना आरती कानिटकर, मीना सिंह, नीना सिंह सोलंकी, शारदा गुप्ता, घनश्याम मैथिल, जया आर्य, विभा रानी श्रीवास्तव, बालकृष्ण गुप्ता 'गुरु', अ. जग्गी आदि कई लेखक हैं जो इस विधा की उन्नति में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं।
[[हिंदी साहित्य]] में लघुकथा नवीनतम् विधा है। हिंदी की प्रथम लघुकथा के बारे में विभिन्न विद्वानों के विभिन्न मत हैं। हिंदी के अन्य सभी विधाओं की तुलना में अधिक लघुआकार होने के कारण यह समकालीन पाठकों के ज्यादा करीब है और सिर्फ़ इतना ही नहीं यह अपनी विधागत सरोकार की दृष्टि से भी एक पूर्ण विधा के रूप में हिदीं जगत् में समादृत हो रही है। इसे स्थापित करने में जितना हाथ [[विष्णु प्रभाकर|भारतेन्दु हरिश्चंद्र, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद, माखनलाल चतुर्वेदी, पदुमलाल पन्ना लाल बख्शी, सुदर्शन, यशपाल, उपेन्द्रनाथ अश्क, रामवृक्ष बेनीपुरी, कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर, विष्णु प्रभाकर]], रावी, अमृतलाल नागर, रामनारायण उपाध्याय, [[हरिशंकर परसाई]], [[कमलेश्वर]], [[राजेन्द्र यादव]], [[बलराम]], [[सतीशराज पुष्करणा|सतीशराज पुष्करणा, आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल',]] [[रमेश बतरा]], [[जगदीश कश्यप]], [[कृष्ण कमलेश]], [[भगीरथ]], [[सतीश दुबे]], [[बलराम अग्रवाल]], डॉ. प्रमथनाथ मिश्र, रामकंत श्रीवास्तव, कृष्णानंद कृष्ण, नागेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ. सतीश दुबे, कृष्ण मोहन सक्सेना, सिद्धेश्वर, डॉ. कमलकिशोर गोयनका, [[विक्रम सोनी]], [[सुकेश साहनी]], संतोष श्रीवास्तव आदि लघुकथाकारों का रहा है उतना ही रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु', [[कमल चोपड़ा]], अशोक भाटिया, अशोक जैन, [[योगराज प्रभाकर]], रवि प्रभाकर,चंद्रेश कुमार छ्तलानी,राजेश शॉ, सतीश राठी, बी. एल. आच्छा, उमेश महादोषी, कांता राय आदि संपादकों का भी रहा है। समकालीन लघुकथाकारों में दीपक मशाल,मार्टिन जान, डॉ. चंद्रेश कुमार छ्तलानी, कुमार गौरव,अंतरा करवड़े,अपराजिता 'अजितेश ' जग्गी, विनय कुमार सिंह, संतोष सुपेकर, सुधीर द्विवेदी, सीमा सिंह, अमरेश गौतम 'अयुज', ज्योत्स्ना सिंह, विरेंदर 'वीर' मेहता, विभा रश्मि, शोभना श्याम, मधु जैन, विनय कुमार मिश्रा, सरस्वती माथुर, पूनम डोगरा, कान्ता रॉय, शोभा रस्तोगी, सुनील वर्मा, पवन जैन, कल्पना भट्ट, नरेश टाँक, अनूपा हरबोला, उपमा शर्मा, मून्नू लाल, कुमार गौरव, रोहित शर्मा, हेमंत राणा, पदम गोधा, चितरंजन मित्तल, सरला अग्रवाल, सतविंदर कुमार, शेख शहजाद उस्मानी, डॉ.लता अग्रवाल, डॉ. विनिता राहुरिकर, नयना आरती कानिटकर, मीना सिंह, नीना सिंह सोलंकी, शारदा गुप्ता, घनश्याम मैथिल, जया आर्य, विभा रानी श्रीवास्तव, बालकृष्ण गुप्ता 'गुरु', अ. जग्गी, चित्तरंजन गोप 'लुकाठी' आदि कई लेखक हैं जो इस विधा की उन्नति में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। चित्तरंजन गोप 'लुकाठी'लघुकथा विधा के प्रथम स्तंभकार हैं जिन्हें प्रखर गुंज प्रकाशन नई दिल्ली की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका साहित्यनामा में लघुकथा का एक स्थाई स्तंभ दिया गया है। स्तंभ का नाम है-- लिये लुकाठी हाथ।


==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==

03:39, 19 दिसम्बर 2020 का अवतरण

लघुकथा का मतलब छोटी कहानी से नहीं है, छोटी कहानी लघु कथा होती है जिसमें लघु और कथा के बीच में एक खाली स्थान होता है।

लघुकथा

हिंदी साहित्य में लघुकथा नवीनतम् विधा है। हिंदी की प्रथम लघुकथा के बारे में विभिन्न विद्वानों के विभिन्न मत हैं। हिंदी के अन्य सभी विधाओं की तुलना में अधिक लघुआकार होने के कारण यह समकालीन पाठकों के ज्यादा करीब है और सिर्फ़ इतना ही नहीं यह अपनी विधागत सरोकार की दृष्टि से भी एक पूर्ण विधा के रूप में हिदीं जगत् में समादृत हो रही है। इसे स्थापित करने में जितना हाथ भारतेन्दु हरिश्चंद्र, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद, माखनलाल चतुर्वेदी, पदुमलाल पन्ना लाल बख्शी, सुदर्शन, यशपाल, उपेन्द्रनाथ अश्क, रामवृक्ष बेनीपुरी, कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर, विष्णु प्रभाकर, रावी, अमृतलाल नागर, रामनारायण उपाध्याय, हरिशंकर परसाई, कमलेश्वर, राजेन्द्र यादव, बलराम, सतीशराज पुष्करणा, आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल', रमेश बतरा, जगदीश कश्यप, कृष्ण कमलेश, भगीरथ, सतीश दुबे, बलराम अग्रवाल, डॉ. प्रमथनाथ मिश्र, रामकंत श्रीवास्तव, कृष्णानंद कृष्ण, नागेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ. सतीश दुबे, कृष्ण मोहन सक्सेना, सिद्धेश्वर, डॉ. कमलकिशोर गोयनका, विक्रम सोनी, सुकेश साहनी, संतोष श्रीवास्तव आदि लघुकथाकारों का रहा है उतना ही रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु', कमल चोपड़ा, अशोक भाटिया, अशोक जैन, योगराज प्रभाकर, रवि प्रभाकर,चंद्रेश कुमार छ्तलानी,राजेश शॉ, सतीश राठी, बी. एल. आच्छा, उमेश महादोषी, कांता राय आदि संपादकों का भी रहा है। समकालीन लघुकथाकारों में दीपक मशाल,मार्टिन जान, डॉ. चंद्रेश कुमार छ्तलानी, कुमार गौरव,अंतरा करवड़े,अपराजिता 'अजितेश ' जग्गी, विनय कुमार सिंह, संतोष सुपेकर, सुधीर द्विवेदी, सीमा सिंह, अमरेश गौतम 'अयुज', ज्योत्स्ना सिंह, विरेंदर 'वीर' मेहता, विभा रश्मि, शोभना श्याम, मधु जैन, विनय कुमार मिश्रा, सरस्वती माथुर, पूनम डोगरा, कान्ता रॉय, शोभा रस्तोगी, सुनील वर्मा, पवन जैन, कल्पना भट्ट, नरेश टाँक, अनूपा हरबोला, उपमा शर्मा, मून्नू लाल, कुमार गौरव, रोहित शर्मा, हेमंत राणा, पदम गोधा, चितरंजन मित्तल, सरला अग्रवाल, सतविंदर कुमार, शेख शहजाद उस्मानी, डॉ.लता अग्रवाल, डॉ. विनिता राहुरिकर, नयना आरती कानिटकर, मीना सिंह, नीना सिंह सोलंकी, शारदा गुप्ता, घनश्याम मैथिल, जया आर्य, विभा रानी श्रीवास्तव, बालकृष्ण गुप्ता 'गुरु', अ. जग्गी, चित्तरंजन गोप 'लुकाठी' आदि कई लेखक हैं जो इस विधा की उन्नति में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। चित्तरंजन गोप 'लुकाठी'लघुकथा विधा के प्रथम स्तंभकार हैं जिन्हें प्रखर गुंज प्रकाशन नई दिल्ली की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका साहित्यनामा में लघुकथा का एक स्थाई स्तंभ दिया गया है। स्तंभ का नाम है-- लिये लुकाठी हाथ।

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