"रूढ़िवाद": अवतरणों में अंतर
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'''रूढ़िवाद''' सामाजिक विज्ञान के अंतर्गत व्यवहृत एक ऐसी [[विचारधारा]] है जो पारंपरिक मान्यताओं का अनुकरण [[तार्किकता]] या [[वैज्ञानिकता]] के स्थान पर केवल [[आस्था]] तथा प्रागनुभवों के आधार पर करती है। यह सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक मान्यताओं का समुच्चय है जो चिरकाल से प्रचलित मान्यताओं और व्यवस्था के प्रति सम्मान को बढ़ावा देती है। यह विचारधारा नए और बिना आज़माए हुए विचारों और संस्थाओं को अपनाने के बजाय पुराने और आज़माए हुए विचारों और संस्थाओं को क़ायम रखने का समर्थन करती है। [[डेविड ह्यूम]] और [[एडमंड बर्क]] रूढ़िवाद के प्रमुख उन्नायक माने जाते हैं। समकालीन विचारकों में [[माइकेल ओकशॉट]] को रूढ़िवाद का प्रमुख सिद्धांतकार माना जाता है।<ref>राजनीतिक सिद्धांत की रूपरेखा, ओम प्रकाश गाबा, मयूर पेपरबैक्स, २0१0, पृष्ठ- २६, ISBN:८१-७१९८-0९२-९</ref> |
'''रूढ़िवाद''' सामाजिक विज्ञान के अंतर्गत व्यवहृत एक ऐसी [[विचारधारा]] है जो पारंपरिक मान्यताओं का अनुकरण [[तार्किकता]] या [[वैज्ञानिकता]] के स्थान पर केवल [[आस्था]] तथा प्रागनुभवों के आधार पर करती है। यह सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक मान्यताओं का समुच्चय है जो चिरकाल से प्रचलित मान्यताओं और व्यवस्था के प्रति सम्मान को बढ़ावा देती है। यह विचारधारा नए और बिना आज़माए हुए विचारों और संस्थाओं को अपनाने के बजाय पुराने और आज़माए हुए विचारों और संस्थाओं को क़ायम रखने का समर्थन करती है। [[डेविड ह्यूम]] और [[एडमंड बर्क]] रूढ़िवाद के प्रमुख उन्नायक माने जाते हैं। समकालीन विचारकों में [[माइकेल ओकशॉट]] को रूढ़िवाद का प्रमुख सिद्धांतकार माना जाता है।<ref>राजनीतिक सिद्धांत की रूपरेखा, ओम प्रकाश गाबा, मयूर पेपरबैक्स, २0१0, पृष्ठ- २६, ISBN:८१-७१९८-0९२-९</ref> |
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विशेषताएं- |
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1.यह स्थायी होती है जिस कारण यह किसी नए परिवर्तन का विरोध करती है। |
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2.पक्ष की अपेक्षा विरोधी प्रवृति पाई जाती है। |
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3.यह सामान्यतः एक नकारात्मक विचारधारा है। |
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4. इसमें तर्कों व वैज्ञानिकता का अभाव रहता है। |
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5. प्राचीन, नैतिक परंपराओं का संरक्षण करने के लिए तत्पर रहती है। |
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6. यथास्थिति का समर्थन करती है। |
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राजनीति पर एक शृंखला का हिस्सा |
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रूढ़िवाद सामाजिक विज्ञान के अंतर्गत व्यवहृत एक ऐसी विचारधारा है जो पारंपरिक मान्यताओं का अनुकरण तार्किकता या वैज्ञानिकता के स्थान पर केवल आस्था तथा प्रागनुभवों के आधार पर करती है। यह सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक मान्यताओं का समुच्चय है जो चिरकाल से प्रचलित मान्यताओं और व्यवस्था के प्रति सम्मान को बढ़ावा देती है। यह विचारधारा नए और बिना आज़माए हुए विचारों और संस्थाओं को अपनाने के बजाय पुराने और आज़माए हुए विचारों और संस्थाओं को क़ायम रखने का समर्थन करती है। डेविड ह्यूम और एडमंड बर्क रूढ़िवाद के प्रमुख उन्नायक माने जाते हैं। समकालीन विचारकों में माइकेल ओकशॉट को रूढ़िवाद का प्रमुख सिद्धांतकार माना जाता है।[1]
विशेषताएं-
1.यह स्थायी होती है जिस कारण यह किसी नए परिवर्तन का विरोध करती है।
2.पक्ष की अपेक्षा विरोधी प्रवृति पाई जाती है।
3.यह सामान्यतः एक नकारात्मक विचारधारा है।
4. इसमें तर्कों व वैज्ञानिकता का अभाव रहता है।
5. प्राचीन, नैतिक परंपराओं का संरक्षण करने के लिए तत्पर रहती है।
6. यथास्थिति का समर्थन करती है।
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सन्दर्भ
- ↑ राजनीतिक सिद्धांत की रूपरेखा, ओम प्रकाश गाबा, मयूर पेपरबैक्स, २0१0, पृष्ठ- २६, ISBN:८१-७१९८-0९२-९