"राजसूय": अवतरणों में अंतर

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[[File:King Yudhisthira Performs the Rajasuya Sacrifice.png|thumb|400px|राजा युधिष्ठिर राजसूय यज्ञ करते हुए ]]
[[File:King Yudhisthira Performs the ashvamedh Sacrifice.png|thumb|400px|राजा युधिष्ठिर राजसूय यज्ञ करते हुए ]]


'''राजसूय''' वैदिक काल का विख्यात यज्ञ है। इसे कोई भी राजा चक्रवती सम्राट बनने के लिए किया करते थे। यह एक वैदिक यज्ञ है जिसका वर्णन [[यजुर्वेद]] में मिलता है।
'''राजसूय''' वैदिक काल का विख्यात यज्ञ है। इसे कोई भी राजा चक्रवती सम्राट बनने के लिए किया करते थे। यह एक वैदिक यज्ञ है जिसका वर्णन [[यजुर्वेद]] में मिलता है।

07:14, 16 अक्टूबर 2020 का अवतरण

चित्र:King Yudhisthira Performs the ashvamedh Sacrifice.png
राजा युधिष्ठिर राजसूय यज्ञ करते हुए

राजसूय वैदिक काल का विख्यात यज्ञ है। इसे कोई भी राजा चक्रवती सम्राट बनने के लिए किया करते थे। यह एक वैदिक यज्ञ है जिसका वर्णन यजुर्वेद में मिलता है।

इस यज्ञ की विधी यह है की जिस किसी भी राजा को चक्रचती सम्राट बनना होता था वह राजसूय यज्ञ संपन्न कराकर एक अश्व (घोड़ा) छोड़ दिया करता था। वह घोड़ा अलग-अलग राज्यों और प्रदेशों में फिरता रहता था। उस अश्व के पीछे-पीछे गुप्त रूप से राजसूय यज्ञ कराने वाले राजा के कुछ सैनिक भी हुआ करते थे।

जब वह अश्व किसी राज्य से होकर जाता और उस राज्य का राजा उस अश्व को पकड़ लेता था तो उसे उस अश्व के राजा से युद्ध करना होता था और अपनी वीरता प्रदर्शित करनी होती थी और यदि कोई राजा उस अश्व को नहीं पकड़ता था तो इसका अर्थ यह था की वह राजा उस राजसूय अश्व के राजा को नमन करता है और उस राज्य के राजा की छत्रछाया में रहना स्वीकार करता है।

इन्हें भी देखें

महाभारत रामायण के राजा श्री राम ने राजसूय यज्ञ नहीं किया था बल्कि अश्वमेघ यज्ञ किए थे। इसलिए इसे Wikipedia correct kre।