"भौगोलिक सूचना तंत्र": अवतरणों में अंतर

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छो जीआईएस का नाम बदलकर भूगोलीय सूचना प्रणाली कर दिया गया है
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19:05, 13 सितंबर 2009 का अवतरण

डिजिटल एलिवेशन प्रतिरूप, मानचित्र, और वेक्टर डाटा

भूगोलीय सूचना प्रणाली (अंग्रेज़ी:जियोग्राफिक इनफॉरमेशन सिस्टम जीआईएस) हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर को एकीकृत करता है और भौगोलिक संदर्भ सूचनाओं के लिए आंकड़े एकत्र, प्रबंध, विश्लेषित और प्रदर्शित करता है। जीआईएस प्रौद्योगिकी का प्रयोग वैज्ञानिक अनुसंधान, रिसोर्स प्रबंधन, असेट मैनेजमेंट, पुरातत्वशास्त्र, शहरीकरण, अपराध-शास्त्र में होता है। उदाहरण के लिए जीआईएस के द्वारा पता लगाया जाता है कि किन क्षेत्रों में प्रदूषण कम है। जीआईएस के माध्यम से डाटा आसानी से समझ और शेयर कर सकते हैं।

१९६२ में कनाडा के ओंटेरियो में पहला जीआईएस बनाया गया। यह कनाडा के फीडरल डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेस्ट्री और रूरल डेवलपमेंट द्वारा बनाया गया था। इसका निर्माण डॉ. रोजर टॉमलिसन ने किया था। इस सिस्टम को कनाडा ज्योग्राफिक इनफॉरमेशन सिस्टम कहा जाता है और इसका प्रयोग कनाडा लैंड इंवेटरी द्वारा डाटा एकत्र और विश्लेषण हेतु किया जाता था। इससे कनाडा के ग्रामीण क्षेत्रों की जमीन, कृषि, पानी, वाइल्डलाइफ आदि के बारे में जानकारी एकत्र की जाती थी।

जीआईएस को तीन तरीकों से देखा जा सकता है।

  • डाटाबेस : दुनिया भर का अपने किस्म का डाटाबेस होता है। एक तरह से यह भूगोल का इनफॉरमेशन सिस्टम होता है। जीआईएस मुख्यत: संरचनात्मक डाटाबेस पर आधारित होता है, जो विश्व के बारे में भौगोलिक शब्दों के आधार पर बताता है।
  • मैप : यह ऐसे नक्शों का समूह है जो पृथ्वी की सतह संबंधी बातें विस्तार से बताते हैं।
  • मॉडल : यह सूचना ट्रांसफॉर्मेशन टूल्स का समूह होता है जिसके माध्यम से मौजूदा डाटाबेस द्वार

संदर्भ


बाहरी सूत्र