"विदर्भ": अवतरणों में अंतर

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==इतिहास==
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ग्यारहवीं शताब्दी में विदर्भ धार के सम्राट [[भोज परमार]] के अधिन मालवा साम्राज्य का अंग था। इसलिये पँवार नरेश भोज को [[विदर्भराज]] कहाँ जाता था। भोज परमार के बाद भी विदर्भ पर भोज वंशीयो का राज्य रहा। धार से यहां के जिलों में पँवारों का स्थानांतरण हुआ जिन्हें पोवार कहाँ जाता है।
ग्यारहवीं शताब्दी में विदर्भ धार के सम्राट [[परमार भोज]] के अधिन मालवा साम्राज्य का अंग था। इसलिये पँवार नरेश भोज को [[विदर्भराज]] कहाँ जाता था। भोज परमार के बाद भी विदर्भ पर भोज वंशीयो का राज्य रहा। धार से यहां के जिलों में पँवारों का स्थानांतरण हुआ जिन्हें पोवार कहाँ जाता है।


<ref>pt. II. Descriptive articles on the principal castes and tribes of the Central Provinces. Robert Vane Russell. Macmillan and Company, limited, 1916. </ref>
<ref>pt. II. Descriptive articles on the principal castes and tribes of the Central Provinces. Robert Vane Russell. Macmillan and Company, limited, 1916. </ref>

06:19, 27 अगस्त 2020 का अवतरण

विदर्भ महाराष्ट्र प्रांत का एक उपक्षेत्र है। इस उपक्षेत्र में कुल 11 जिले है। महाराष्ट्र में कोयला खदान और मूल्यवान मँगणिज कि खदाने विदर्भ में हि बहुतायत में पाये जाते हैं। कोयला खदानो कि वजह से हि विदर्भ में चंद्रपूर, कोराडी, खापरखेडा, मौदा और तिरोडा में औष्णिक विद्युत निर्माण संयंत्र पाये जाते हैं जिससे संपुर्ण महाराष्ट्र विद्युत आपूर्ती में लाभान्वित होता है। इसके अलावा महाराष्ट्र कि ज्यादातर वनसंपदा विदर्भ क्षेत्र में हि मौजूद है। इसके व्यतिरिक्त चावल उत्पादन में तुमसर मंडी विदर्भ में हि है जो महाराष्ट्र में सबसे बड़ी कृषी उत्पाद कि मंडी का सम्मान पाती है। प्रसिद्ध बासमती चावल का उत्पादन भी इसी क्षेत्र में होता है। विदर्भ के हि चंद्रपूर जिले में महाराष्ट्र के कुल सिमेंट कारखानो में सर्वाधिक कारखाने अकेले चंद्रपूर जिले में है। विदर्भ में मराठी और हिन्दी बोली जाती हैं। विदर्भ सन 1956 तक मध्यप्रदेश प्रांत का उपक्षेत्र हुआ करता था।


विदर्भ, महाराष्ट्र राज्य का उत्तर पूर्वी प्रादेशिक क्षेत्र है, वर्तमान में इस क्षेत्र के अंतर्गत नागपुर और अमरावती दो डिवीजन है जिनके अंतर्गत महाराष्ट्र के नागपुर, अमरावती, चंद्रपुर, अकोला, वर्धा, बुलढाना, यवतमाल, भंडारा, गोंदिया, वाशिम, गढ़चिरौली जिले आते हैं।

  नागपुर साल 1853 से 1861 तक 'नागपुर प्रॉविंस' की राजधानी रहा. इसके बाद मध्य प्रांत और बरार का साल 1950 तक. इसके बाद मध्य प्रदेश राज्य का जन्म हुआ और नागपुर एक बार फिर इसकी राजधानी बना. लेकिन 1960 में महाराष्ट्र राज्य के निर्माण के बाद इस शहर ने यह रुतबा खो दिया और तब से इसके रुतबे को वापस लाने के लिए एक आंदोलन जारी है.

वर्मा इसीलिए कहते हैं, "हम एक नए राज्य की मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि नागपुर के खोए हुए दर्जे को वापस बहाल करने की मांग कर रहे हैं."

इतिहास

ग्यारहवीं शताब्दी में विदर्भ धार के सम्राट परमार भोज के अधिन मालवा साम्राज्य का अंग था। इसलिये पँवार नरेश भोज को विदर्भराज कहाँ जाता था। भोज परमार के बाद भी विदर्भ पर भोज वंशीयो का राज्य रहा। धार से यहां के जिलों में पँवारों का स्थानांतरण हुआ जिन्हें पोवार कहाँ जाता है।

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  1. pt. II. Descriptive articles on the principal castes and tribes of the Central Provinces. Robert Vane Russell. Macmillan and Company, limited, 1916.