"बाजबहादुर": अवतरणों में अंतर

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'''मियान बाईज़िद बाज बहादुर''' खान, माल्वा के अंतिम सुल्तान थे, जिन्होंने 1555 से 1562 तक राज्य किया। वह रूपमती के साथ अपने रोमानी संपर्क के लिए जाना जाता है। बाजबहादुर के बारे समय में [[ भील ]] समुदाय ने उनकी बेहद मदद करी <ref>{{https://books.google.co.in/books?id=CFJ4DwAAQBAJ&pg=PA77&dq=%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%9C+%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0+%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%B2&hl=hi&sa=X&ved=2ahUKEwjCvef9nKrrAhXV4zgGHQXjCycQ6AEwAHoECAMQAQ}}</ref>।
'''मियान बाईज़िद बाज बहादुर''' खान, माल्वा के अंतिम सुल्तान थे, जिन्होंने 1555 से 1562 तक राज्य किया। वह रूपमती के साथ अपने रोमानी संपर्क के लिए जाना जाता है। बाजबहादुर के बुरे समय में [[ भील ]] समुदाय ने उनकी बेहद मदद करी <ref>{{https://books.google.co.in/books?id=CFJ4DwAAQBAJ&pg=PA77&dq=%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%9C+%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0+%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%B2&hl=hi&sa=X&ved=2ahUKEwjCvef9nKrrAhXV4zgGHQXjCycQ6AEwAHoECAMQAQ}}</ref>।


pp.सुलतान के रूप में बाज बहादुर अपने राज्य की देखभाल करने के लिए परेशान नहीं हुए और उन्होंने एक मजबूत सेना बनाए रखी। कला और उसके परम के प्रति समर्पित मुगलों ने उसे हराया और अपनी रानी रूपमाती पर कब्जा कर लिया, जिन्होंने घटनाओं के इस मोड़ पर खुद को मार डाला।
pp.सुलतान के रूप में बाज बहादुर अपने राज्य की देखभाल करने के लिए परेशान नहीं हुए और उन्होंने एक मजबूत सेना बनाए रखी। कला और उसके परम के प्रति समर्पित मुगलों ने उसे हराया और अपनी रानी रूपमाती पर कब्जा कर लिया, जिन्होंने घटनाओं के इस मोड़ पर खुद को मार डाला।

16:45, 20 अगस्त 2020 का अवतरण

बाजबहादुर
Sultan of Malwa
Baz Bahadur
अनुचरों के साथ घोड़ों पर बाज़ बहादुर और रूपमती
जीवनसंगीरानी रूपमती
पिताशुजाअत खान
धर्मइस्लाम

मियान बाईज़िद बाज बहादुर खान, माल्वा के अंतिम सुल्तान थे, जिन्होंने 1555 से 1562 तक राज्य किया। वह रूपमती के साथ अपने रोमानी संपर्क के लिए जाना जाता है। बाजबहादुर के बुरे समय में भील समुदाय ने उनकी बेहद मदद करी [1]

pp.सुलतान के रूप में बाज बहादुर अपने राज्य की देखभाल करने के लिए परेशान नहीं हुए और उन्होंने एक मजबूत सेना बनाए रखी। कला और उसके परम के प्रति समर्पित मुगलों ने उसे हराया और अपनी रानी रूपमाती पर कब्जा कर लिया, जिन्होंने घटनाओं के इस मोड़ पर खुद को मार डाला।

1561 में, अदम खान और पीर मुहम्मद खान की अगुआई वाली अकबर की सेना ने माल्वा पर हमला किया और 29 मार्च 1561 को सारंगपुर की लड़ाई में बाज बहादुर को हराया। अधाम खान के हमले के कारणों में से एक कारण रानी रूपमती के लिए उनका प्यार है। रानी रूपमती ने मंडु के पतन की सुनवाई पर खुद को जहर दिया। बाज बहादुर खानदेश से भाग गए अकबर ने जल्द ही अधाम खान को याद किया और पीर मुहम्मद को आदेश दिया, जिन्होंने खानदेश पर हमला किया और बुरहानपुर तक आगे बढ़ दिया लेकिन जल्द ही उन्हें तीन शक्तियों के गठबंधन से पराजित किया गया: खानदेश के मीरान मुबारक शाह द्वितीय, बेरार के तुफल खान और बाज बहादुर पीछे हटने के दौरान पीर मुहम्मद का मृत्यु हो गया। सामग्र सेना ने मुगलों का पीछा किया और उन्हें मालवा से बाहर कर दिया, और इस तरह बाज़ बहादुर ने एक संक्षिप्त अवधि के लिए अपना राज्य पुनः प्राप्त किया। 1562 में, अकबर ने अब्दुल्ला खान की अगुवाई में एक अन्य सेना को भेजा, जिसने अंततः बज़ बहादुर को हराया बाज बहादुर युद्ध में चोटिल हो गए और उनकी मृत्यु हो गई।[2][3]

सन्दर्भ

  1. {{https://books.google.co.in/books?id=CFJ4DwAAQBAJ&pg=PA77&dq=%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%9C+%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0+%E0%A4%AD%E0%A5%80%E0%A4%B2&hl=hi&sa=X&ved=2ahUKEwjCvef9nKrrAhXV4zgGHQXjCycQ6AEwAHoECAMQAQ}}
  2. स्मिथ, विन्सेंट, आर्थर. Akbar the Great Mogul, 1542-1605 [अकबर द ग्रेट मुग़ल, १५४२-१६०५]. मूल से 16 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 दिसंबर 2017.
  3. आर॰सी॰ मजुमदार (२००७) The Mughul Empire [मुग़ल सम्राट], मुम्बई: भारतीय विद्या भवन, पृ॰ 112-3