"संज्ञा और उसके भेद": अवतरणों में अंतर

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संज्ञा (नाउन) शब्द लैटिन शब्द के “Nomen” से आया है जिसका अर्थ होता है – “किसी वस्तु का नाम ” मतलब जो भी नाम हम किसी व्यक्ति, वास्तु और स्थान को देते है उसे हम संज्ञा कहते है.{{स्रोतहीन|date=अप्रैल 2020}}
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'''संज्ञा''' - किसी जाति, द्रव्य, गुण, भाव, व्यक्ति, स्थान और क्रिया आदि के नाम को '''संज्ञा''' कहते हैं।
'''संज्ञा'''-


किसी जाति, द्रव्य, गुण, भाव, व्यक्ति, स्थान और क्रिया आदि के नाम को '''संज्ञा''' कहते हैं।
'''जैसे''' - पशु (जाति), सुंदरता (गुण), व्यथा (भाव), मोहन (व्यक्ति), दिल्ली (स्थान), मारना (क्रिया)।

जैसे - पशु (जाति), सुंदरता (गुण), व्यथा (भाव), मोहन (व्यक्ति), दिल्ली (स्थान), मारना (क्रिया)।


यह पाँच प्रकार की होती है --
यह पाँच प्रकार की होती है --
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5. भाववाचक संज्ञा
5. भाववाचक संज्ञा


भाववाचक संज्ञा:
== भाववाचक संज्ञा ==

जिस संज्ञा शब्द से पदार्थों की अवस्था, गुण-दोष, भाव या दशा,धर्म आदि का बोध हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
जिस संज्ञा शब्द से पदार्थों की अवस्था, गुण-दोष, भाव या दशा,धर्म आदि का बोध हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।


यथा- बुढ़ापा, मिठास, बचपन, मोटापा, चढ़ाई, थकावट आदि।
'''जैसे''' - बुढ़ापा, मिठास, बचपन, मोटापा, चढ़ाई, थकावट आदि।


==समूहवाचक संज्ञा==
==समूहवाचक संज्ञा==
जब किसी संज्ञा शब्द से व्यक्ति या वस्तु के समूह का बोध होता है तब उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।
जब किसी संज्ञा शब्द से व्यक्ति या वस्तु के समूह का बोध होता है तब उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।


यथा- परिवार, कक्षा, सेना, भीड़, पुलिस आदि।
'''जैसे''' - परिवार, कक्षा, सेना, भीड़, पुलिस आदि।


==द्रव्यवाचक संज्ञा==
==द्रव्यवाचक संज्ञा==
जब किसी संज्ञा शब्द से किसी द्रव्य का बोध हो तो उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।
जब किसी संज्ञा शब्द से किसी द्रव्य का बोध हो तो उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।


यथा- पानी, लोहा, तेल, घी, दाल, इत्यादि।
'''जैसे''' - पानी, लोहा, तेल, घी, दाल, इत्यादि।


==जातिवाचक संज्ञा==
==जातिवाचक संज्ञा==
जिस शब्द से किसी प्राणी या वस्तु की समस्त जाति का बोध होता है,उन शब्दों को जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जिस शब्द से किसी प्राणी या वस्तु की समस्त जाति का बोध होता है,उन शब्दों को जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।


यथा- घोड़ा, फूल, मनुष्य,वृक्ष इत्यादि।
'''जैसे''' - घोड़ा, फूल, मनुष्य,वृक्ष इत्यादि।


==व्यक्तिवाचक संज्ञा==
==व्यक्तिवाचक संज्ञा==

10:25, 20 अगस्त 2020 का अवतरण

संज्ञा (नाउन) शब्द लैटिन शब्द के “Nomen” से आया है जिसका अर्थ होता है – “किसी वस्तु का नाम ” मतलब जो भी नाम हम किसी व्यक्ति, वास्तु और स्थान को देते है उसे हम संज्ञा कहते है.

संज्ञा - किसी जाति, द्रव्य, गुण, भाव, व्यक्ति, स्थान और क्रिया आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं।

जैसे - पशु (जाति), सुंदरता (गुण), व्यथा (भाव), मोहन (व्यक्ति), दिल्ली (स्थान), मारना (क्रिया)।

यह पाँच प्रकार की होती है --

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा

2. जातिवाचक संज्ञा

3. समूहवाचक संज्ञा

4. द्रव्यवाचक संज्ञा

5. भाववाचक संज्ञा

भाववाचक संज्ञा

जिस संज्ञा शब्द से पदार्थों की अवस्था, गुण-दोष, भाव या दशा,धर्म आदि का बोध हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे - बुढ़ापा, मिठास, बचपन, मोटापा, चढ़ाई, थकावट आदि।

समूहवाचक संज्ञा

जब किसी संज्ञा शब्द से व्यक्ति या वस्तु के समूह का बोध होता है तब उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे - परिवार, कक्षा, सेना, भीड़, पुलिस आदि।

द्रव्यवाचक संज्ञा

जब किसी संज्ञा शब्द से किसी द्रव्य का बोध हो तो उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे - पानी, लोहा, तेल, घी, दाल, इत्यादि।

जातिवाचक संज्ञा

जिस शब्द से किसी प्राणी या वस्तु की समस्त जाति का बोध होता है,उन शब्दों को जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे - घोड़ा, फूल, मनुष्य,वृक्ष इत्यादि।

व्यक्तिवाचक संज्ञा

जिन शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान अथवा वस्तु के नाम का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।

यथा- जयपुर, दिल्ली, भारत, रामायण, अमेरिका, राम इत्यादि।