"पाटण, गुजरात": अवतरणों में अंतर

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'''पाटण''' [[भारत]] के [[गुजरात]] प्रदेश का जिला एवं जिला-मुख्यालय है। यह एक प्राचीन नगर है जिसकी स्थापना ७४५ ई में [[वनराज छावडा]] ने की थी। राजा ने इसका नाम 'अन्हिलपुर पाटण' या 'अन्हिलवाड़ पाटन' रखा
'''पाटण''' [[भारत]] के [[गुजरात]] प्रदेश का जिला एवं जिला-मुख्यालय है। यह एक प्राचीन नगर है जिसकी स्थापना ७४५ ई में [[वनराज छावडा]] ने की थी। राजा ने इसका नाम 'अन्हिलपुर पाटण' या 'अन्हिलवाड़ पाटन' रखा
था , पाटण नाम रखने के पीछे भील राजा का प्रमुख योगदान रहा दर्शल वनराज छावड़ा को पालने वाले भील ही थे , चूंकि वह वन में भीलों के देख रख में पला बढ़ा था , इसलिए उसका नाम भीलों ने वनराज रखा , राजा <ref>{{http://14.139.116.20:8080/jspui/bitstream/10603/47763/4/04_chapter%25201.pdf&ved=2ahUKEwjW6PGg8ajrAhXCwTgGHQEfBhwQFjABegQIAhAI&usg=AOvVaw02ZqAQuNqQVifl7QWZeHhr%7D%7D }}</ref>। । यह मध्यकाल में गुजरात की [[राजधानी]] हुआ करता था। इस नगर में बहुत से ऐतिहास स्थल हैं जिनमें हिन्दू एवं जैन मन्दिर, [[रानी की वाव]] आदि प्रसिद्ध हैं।
था , पाटण नाम रखने के पीछे भील राजा अणहील भील का प्रमुख योगदान रहा दर्शल वनराज छावड़ा को पालने वाले भील ही थे , चूंकि वह वन में भीलों के देख रख में पला बढ़ा था , इसलिए उसका नाम भीलों ने वनराज रखा , राजा अणहील भील की सहायता से वह 712 ईसवी में राजा बना <ref>{{http://14.139.116.20:8080/jspui/bitstream/10603/47763/4/04_chapter%25201.pdf&ved=2ahUKEwjW6PGg8ajrAhXCwTgGHQEfBhwQFjABegQIAhAI&usg=AOvVaw02ZqAQuNqQVifl7QWZeHhr%7D%7D }}</ref>। <Ref>{{ । यह मध्यकाल में गुजरात की [[राजधानी]] हुआ करता था। इस नगर में बहुत से ऐतिहास स्थल हैं जिनमें हिन्दू एवं जैन मन्दिर, [[रानी की वाव]] आदि प्रसिद्ध हैं।


पाटण का प्राचीन नाम 'अन्हिलपुर' है। प्राचीन काल में इसे मुसलमानों ने खंडहर बना दिया था, उन्हीं खंडहरों पर पुन: नवीन पाटन ने प्रगति की है। महाराज भीम की रानी उद्यामती का बनवाया भवन खंडहर अवस्था में अब भी विद्यमान है। नगर के दक्षिण में एक प्रसिद्ध खान सरोवर है। एक जैन मंदिर में वनराजा की मूर्ति भी दर्शनीय है। नवीन पाटन [[मराठा]] लोगों के प्रयास का फल है। यह [[सरस्वती नदी]] से डेढ किमी की दूरी पर है। जैन मंदिरों की संख्या यहाँ एक सौ से भी अधिक है, पर ये विशेष कलात्मक नहीं हैं। [[खादी]] के व्यवसाय में इधर काफी उन्नति हुई है।
पाटण का प्राचीन नाम 'अन्हिलपुर' है। प्राचीन काल में इसे मुसलमानों ने खंडहर बना दिया था, उन्हीं खंडहरों पर पुन: नवीन पाटन ने प्रगति की है। महाराज भीम की रानी उद्यामती का बनवाया भवन खंडहर अवस्था में अब भी विद्यमान है। नगर के दक्षिण में एक प्रसिद्ध खान सरोवर है। एक जैन मंदिर में वनराजा की मूर्ति भी दर्शनीय है। नवीन पाटन [[मराठा]] लोगों के प्रयास का फल है। यह [[सरस्वती नदी]] से डेढ किमी की दूरी पर है। जैन मंदिरों की संख्या यहाँ एक सौ से भी अधिक है, पर ये विशेष कलात्मक नहीं हैं। [[खादी]] के व्यवसाय में इधर काफी उन्नति हुई है।

04:05, 20 अगस्त 2020 का अवतरण

पाटण
नगर
रानी की वाव
रानी की वाव
उपनाम: पटोला नगर
पाटण is located in गुजरात
पाटण
पाटण
गुजरात में पातण की स्थिति
देश India
राज्यगुजरात
जिलापाटण ज़िला
संस्थापकवनराज छावड़ा
ऊँचाई76 मी (249 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल1,33,744
 • दर्जा26th (Gujarat)
भाषाएँ
 • आधिकारिकगुजराती, हिन्दी
समय मण्डलIST (यूटीसी+5:30)
PIN384265
Telephone code02766
वाहन पंजीकरणGJ-24
It was also known as capital of rajputana state before independence.
पाटण का सहस्रलिंग तालाव (एक हजार लिंग वाला तालाब)

पाटण भारत के गुजरात प्रदेश का जिला एवं जिला-मुख्यालय है। यह एक प्राचीन नगर है जिसकी स्थापना ७४५ ई में वनराज छावडा ने की थी। राजा ने इसका नाम 'अन्हिलपुर पाटण' या 'अन्हिलवाड़ पाटन' रखा था , पाटण नाम रखने के पीछे भील राजा अणहील भील का प्रमुख योगदान रहा दर्शल वनराज छावड़ा को पालने वाले भील ही थे , चूंकि वह वन में भीलों के देख रख में पला बढ़ा था , इसलिए उसका नाम भीलों ने वनराज रखा , राजा अणहील भील की सहायता से वह 712 ईसवी में राजा बना [1]। <Ref>{{ । यह मध्यकाल में गुजरात की राजधानी हुआ करता था। इस नगर में बहुत से ऐतिहास स्थल हैं जिनमें हिन्दू एवं जैन मन्दिर, रानी की वाव आदि प्रसिद्ध हैं।

पाटण का प्राचीन नाम 'अन्हिलपुर' है। प्राचीन काल में इसे मुसलमानों ने खंडहर बना दिया था, उन्हीं खंडहरों पर पुन: नवीन पाटन ने प्रगति की है। महाराज भीम की रानी उद्यामती का बनवाया भवन खंडहर अवस्था में अब भी विद्यमान है। नगर के दक्षिण में एक प्रसिद्ध खान सरोवर है। एक जैन मंदिर में वनराजा की मूर्ति भी दर्शनीय है। नवीन पाटन मराठा लोगों के प्रयास का फल है। यह सरस्वती नदी से डेढ किमी की दूरी पर है। जैन मंदिरों की संख्या यहाँ एक सौ से भी अधिक है, पर ये विशेष कलात्मक नहीं हैं। खादी के व्यवसाय में इधर काफी उन्नति हुई है।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

  1. {{http://14.139.116.20:8080/jspui/bitstream/10603/47763/4/04_chapter%25201.pdf&ved=2ahUKEwjW6PGg8ajrAhXCwTgGHQEfBhwQFjABegQIAhAI&usg=AOvVaw02ZqAQuNqQVifl7QWZeHhr%7D%7D }}