"रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन": अवतरणों में अंतर
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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन | |
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चित्र:Defence Research and Development Organisation Logo.png | |
एजेंसी अवलोकन | |
गठन | 1958 |
मुख्यालय | DRDO भवन, नयी दिल्ली |
कर्मचारी | 30,000 (5000 scientists)[1] |
वार्षिक बजट | ₹14,818.74 करोड़ (US$2.2 अरब)(2017-18)[2] |
उत्तरदायी मंत्री | राजनाथ सिंह, रक्षामन्त्री |
एजेंसी कार्यपालक | डॉ जी सतीश रेड्डी, र. अ. वि. सं. के अध्यक्ष[3] |
मातृ एजेंसी | रक्षा मन्त्रालय |
वेबसाइट | |
drdo |
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (अंग्रेज़ी:DRDO, डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ऑर्गैनाइज़ेशन) भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिये देश की अग्रणी संस्था है। इसका मुख्यालय दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के निकट ही, सेना भवन के सामने डीआरडीओ भवन में स्थित है। यह संगठन भारतीय रक्षा मंत्रालय [4] की एक आनुषांगिक के रूप में काम करता है।
वर्तमान में संस्थान की अपनी इक्यावन प्रयोगशालाएँ हैं, एक प्रयोगशाला महात्मा गाँधी मार्ग पर उत्तर पश्चिमी दिल्ली में स्थित है। जो रक्षा उपकरण इत्यादि के क्षेत्र में अनुसंधान में कार्यरत हैं। पाँच हजार से अधिक वैज्ञानिक और पच्चीस हजार से भी अधिक तकनीकी कर्मचारी इस संस्था के संसाधन हैं। यहां इलेक्ट्रॉनिक्स, राडार, प्रक्षेपास्त्र इत्यादि से संबंधित कई बड़ी परियोजनाएँ चल रही हैं। इस संस्थान की स्थापना १९५८ में भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी।
इतिहास
१९५८ में पूर्व-कार्यरत भारतीय सेना की प्रौद्योगिकी विकास अधिष्ठान (टीडीई) तथा रक्षा विज्ञान संस्थान (डीएसओ) के साथ प्रौद्योगिकी विकास और उत्पादन का निदेशालय (डीटीडीपी) के एकीकरण से गठन किया गया और रक्षासंगठन एवं अनुसंधान संगठन का गठन किया गया था। उस समय डीआरडीओ १० प्रतिष्ठानों अथवा प्रयोगशालाओं वाला छोटा संगठन था।[5] इसके बाद आगे के वर्षों में संगठन ने विविध विषय शिक्षणों, अनेक प्रयोगशालाओं, उपलब्धियों आदि में बहु-दिशात्मक विकास किया है। आज, डीआरडीओ में ५० से अधिक प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं जो भिन्न प्रकार के शिक्षणों जैसे वैमानिकी, आयुध, इलेक्ट्रॉनिक्स, युद्धक वाहन, इंजीनियरिंग प्रणाली, उपकरण, मिसाइल, उन्नत कंप्यूटिंग और सिमुलेशन, विशेष सामग्री, नौसेना प्रणालियों, जीवन विज्ञान, प्रशिक्षण, सूचना प्रणालियों और कृषि को सुरक्षा देने वाली रक्षा प्रौद्योगिकियों का विकास करने में तत्परता से संलग्न हैं। वर्तमान में, संगठन वैज्ञानिकों, ५००० से अधिक वैज्ञानिकों और २५,००० अन्य वैज्ञानिक, तकनीकी और समर्थन के कर्मियों द्वारा कार्यरत है। मिसाइलों, हथियारों, हल्के लड़ाकू विमानों, रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों इत्यादि के विकास के लिए अनेक प्रमुख परियोजनाएं उपयोग के लिए उपलब्ध हैं तथा ऐसी अनेक प्रौद्योगिकियों में पहले ही महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की गई हैं।
लक्ष्य
संगठन की दृष्टि (विज़न) है:
- विश्व-स्तरीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीय आधार स्थापित कर भारत को समृद्ध बनाना और अपनी रक्षा सेना को अंतर्राष्ट्रीय रूप से प्रतिस्पर्धी प्रणालियों और समाधानों से लैसकर उन्हें निर्णायक लाभ प्रदान करना।
इसके अलावा डीआरडीओ के ध्येय इस प्रकार से हैं:
- अपनी रक्षा सेवाओं के लिए अत्याधुनिक सेंसर, शस्त्र प्रणालियां, मंच और सहयोगी उपकरण अभिकल्पित करना, विकसित करना और उत्पादन के लिए तैयार करना।
- संग्रामी प्रभावकारिता अधिकतम करने और सैनिकों की बेहतरी को बढ़ावा देने के लिए रक्षा सेवाओं को तकनीकी समाधान प्रदान करना।
- अवरचना तथा गुणवत्तापूर्ण प्रतिबद्ध श्रमशक्ति विकसित करना और मजबूत प्रौद्योगिकी आधार निर्मित करना।
संगठन ने अनेक उन्नत रक्षा प्रणालियां विकसित कर चुके डीआरडीओ ने रक्षा प्रौद्योगिकियों के एक व्यापक वर्णक्रम में विशेषज्ञता अर्जित कर ली है। संगठन की आधारभूत योग्यता वाले क्षेत्रों में शामिल हैं: संश्लिष्ट सेंसरों, शस्त्र प्रणालियों तथा मंचों का प्रणाली अभिकल्प एवं एकीकरण; संश्लिष्ट उच्च-स्तरीय सॉफ्टवेयर पैकेजों का विकास; कार्यात्मक सामग्रियों का विकास; परीक्षण एवं मूल्यांकन; प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं समावेशन। इसके अतिरिक्त, रक्षा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, गुणवत्ता आश्वासन एवं सुरक्षा, परियोजना एवं प्रौद्योगिकी प्रबंधन के लिए प्रासंगिक क्षेत्रों में मौलिक/प्रयुक्त अनुसंधान के लिए विशेषज्ञता तथा अवरचना भी निर्मित की गई है। यह विभिन्न प्रकार की आधूनिक सेवाओं को प्रदान करता है तथा पोजीशनिंग सिस्टम G P S प्रदान करता है
संगठन
संगठन का नेतृत्व रक्षा मंत्री, भारत सरकार, जो रक्षा मंत्रालय में सामान्य अनुसंधान और विकास के निदेशक तथा रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग (डीडीआर व डी) के सचिव भी हैं, के वैज्ञानिक सलाहकार[6] द्वारा किया जाता है।[7] मुख्यालय स्तर पर, उनकी सहायता अनुसंधान एवं विकास (सीसीआर व डी), प्रौद्योगिकी और निगमित निदेशालय के मुख्य नियंत्रक[8] द्वारा की जाती है। निगमित निदेशालय के अधिकारी, वित्तीय और संपदा प्रशिक्षण, नागरिक कार्य और संपदा, राज भाषा, विजिलेंस, इत्यादि के क्षेत्र/कार्य को तय करते हैं तथा प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला निदेशालय तथा मुख्य नियंत्रक तथा वैज्ञानिक सलाहकार से आरएम के बीच एक इंटरफेस के रूप में काम करते हैं। अतिरिक्त वित्तीय सलाहकार संगठन के उद्देश्यों के मुताबिक धनराशि की उचित उपयोगिता पर संगठन को परामर्श देता है।
प्रयोगशालाएँ/परियोजनाएँ
- एडवांस्ड नूमेरिकल रिसर्च एण्ड एनलिसिस ग्रुप (anurag ) – हैदराबाद
- एडवांस्ड सिस्टम्स लैब्रटोरी – हैदराबाद
- एरियल डेलीवेरी रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ईस्टैब्लिश्मन्ट – आगरा
- ऐरोनोटिकल डेवलपमेंट ईस्टैब्लिश्मन्ट – बेंगलुरू
- अर्नमेंट्स रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ईस्टैब्लिश्मन्ट – पुणे
- सेंटर फॉर ऐरबोर्न सिस्टम – बेंगलुरू
- सेंटर फॉर आर्टिफिसियल इन्टेलिजन्स एण्ड रोबाटिक्स – बेंगलुरू
- सेंटर फॉर फायर एक्सप्लोसिव एण्ड एनवायरनमेंट सैफ्टी – दिल्ली
- कम्बैट वीइकल रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ईस्टैब्लिश्मन्ट – चेन्नई
- डिफेन्स फूड रिसर्च लैब्रटोरी – मैसूर
- टर्मिनल बलिस्टिक रिसर्च लैब्रटोरी – चंडीगढ़
देखें
- नाभिकीय कमान *न्यूक्लियर ट्रायड
सन्दर्भ
- ↑ "Archived copy". मूल से 6 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 मई 2017.सीएस1 रखरखाव: Archived copy as title (link)
- ↑ http://pib.nic.in/newsite/erelease.aspx?relid=(Release Archived 18 अक्टूबर 2016 at the वेबैक मशीन ID :169887)
- ↑ "Archived copy". मूल से 29 मई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितम्बर 2018.सीएस1 रखरखाव: Archived copy as title (link)
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 7 अगस्त 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 अगस्त 2019.
- ↑ डीआरडीओ आधिकारिक जालस्थल[मृत कड़ियाँ] उत्पत्ति एवं वृद्धि
- ↑ "वैज्ञानिक सलाहकार". मूल से 7 मार्च 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 मई 2010.
- ↑ निगमित मुख्यालय[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "मुख्य नियंत्रकगण". मूल से 7 मार्च 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 मई 2010.
बाहरी कड़ियाँ
- आधिकारिक जालस्थलl love my India the next biggest cooperation,🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳