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'''अफ़ीम''' (Opium ; वैज्ञानिक नाम : lachryma papaveris) अफ़ीम के पौधे पैपेवर सोमनिफेरम के 'दूध' (latex) को सुखा कर बनाया गया पदार्थ है, जिसके सेवन से मादकता आती है। इसका सेवन करने वाले को अन्य बातों के अलावा तेज नींद आती है। अफीम में १२% तक [[मार्फीन]] (morphine) पायी जाती है जिसको प्रसंस्कृत (प्रॉसेस) करके [[हैरोइन]] (heroin) नामक मादक द्रब्य (ड्रग) तैयार किया जाता है। अफीम का दूध निकालने के लिये उसके कच्चे, अपक्व 'फल' में एक चीरा लगाया जाता है; इसका दूध निकलने लगता है, जो निकल कर सूख जाता है। यही दूध सूख कर गाढ़ा होने पर अफ़ीम कहलाता है। यह लसीला (sticky) होता है।
'''अफ़ीम''' (Opium ; वैज्ञानिक नाम : lachryma papaveris) अफ़ीम के पौधे पैपेवर सोमनिफेरम के 'दूध' (latex) को सुखा कर बनाया गया पदार्थ है, जिसके सेवन से मादकता आती है। इसका सेवन करने वाले को अन्य बातों के अलावा तेज नींद आती है। अफीम में १२% तक [[मार्फीन]] (morphine) पायी जाती है जिसको प्रसंस्कृत (प्रॉसेस) करके [[हैरोइन]] (heroin) नामक मादक द्रब्य (ड्रग) तैयार किया जाता है। अफीम का दूध निकालने के लिये उसके कच्चे, अपक्व 'फल' में एक चीरा लगाया जाता है; इसका दूध निकलने लगता है, जो निकल कर सूख जाता है। यही दूध सूख कर गाढ़ा होने पर अफ़ीम कहलाता है। यह लसीला (sticky) होता है।
==== रासायनिक संगठन ====
भारतीय औषधि अफिम में अनेक क्षाराभ पाये जाते हैं जिनकी मात्रा में भी समय समय पर फरक रहता है। इसमें मार्फीन (Morphine) ७ - १२%, नार्कोटीन (Narcotine) १.५ - १२.५%, कोडीन (Codeine) ०.३ - ४% तथा थीबेन (Thebaine), पॅपेहेराइन (Papaverine) एंव लॅडॅनाइन (Laudanine) आदि प्र्मुख हैं इन क्षाराभों के अतिरिक्त इसमें अ‍ॅसेटिक (Acetic), लॅक्टिक (Lactic), सल्फ्यूरिक (Sulphuric) एवं मेकोनिक (Mecouic), इतने प्र्कार के अम्ल (Acids), गोंद एवं पेक्टीन (Pectin) की तरह पदार्थ, अ‍ॅल्ब्यूमिन, मोम, स्नेह, कॅउट्चौक (Caoutohouc), राल, उडंशील तैल, गंधकयुक्त द्रव्य, मैकोनिन (Meconin) तथा अमोनियम, कॅल्शियम एवं मैग्नेशियम के लक्षण आदि पाये जाते हैं। व्यापारी अफीम में मॅर्फोन की मात्रा कम ज्यादा होती है
कुछ अन्य देशों से प्राप्त अफीम में मार्फोन की मात्रा - तुर्की ५ - १४%, पर्शियन ६ - १४%, चाइनीज १.५ - ११%, बोहेमिया ११ - १२%, तुर्किस्तान ५ - १८%, ऑस्टेलिया ४ - ११%।

पहले यह समझा जाता था कि भारतीय अफीम में मार्फेन की मात्रा कम होने के कारण वह औषधि के उपयोग की नहीं होती। लेकिन सन्र १९१४ के बाद औषधि प्रयोगी अफीम के उत्पादन के लिये विशेष प्र्यत्न किया गया जिससे इसमें मार्फेन की मात्रा बढती गई और अब यह अच्छी तुर्की अफीम से औषधिय गुण में समानता रखती है। भारतीय अफीम में एक और विशेषता यह कि अन्य देशों की अपेक्षा यहां की अफीम में कोडोन (Codeine) नामक क्षाराभ अधिक होता है। नार्कोटीन (Narcotine) नामक क्षाराभ पटना की अफीम में मार्फोन की अपेक्षा दुगना, मलवा की अफीम में मार्फोन से कुछ अधिक स्मिर्ना (Smyrna - तुर्की का एक स्थान) की अफीम में मार्फीन की अपेक्षा बहुत कम होता है।
==== अफीम के गुण एवं कार्य ====
यह उष्ण, तिक्त, रुक्ष, वेदनाहर, निद्राजनक, शामक, मादक, कफघ्न, कासघ्न, स्वेदजनन, शोथघ्न, ग्राही, रक्त्स्तम्भन,प्रसेकावरोधक एवं अल्प मात्रा में उत्तेजक, आहादकारक तथा वाजीकर है।
इसकी प्रधान क्रिया केंद्रा वातनाडी संस्थान पर होता है। अल्प मात्रा में इससे कुछ उत्तेजना होती है। मन को आनंद मालूम होता है। विचारशक्ति बढती है। उत्साह बढता है। कामवासना बढती है। किसी काम में मन एकग्र होता है। वेदना, खांसी, थकावट, क्षुधा तथा अन्य प्रकार की अप्रिय संवेदनाओं का ज्ञान कम होता है। मन शांत होकर निद्रा आती है। अधिक मात्रा में अवसाद होकर नींद आती है। नींद के बाद सर में दर्द तथा हल्लास मालूम होता है। वातनाडियों पर इसका विशेष प्रभाव नहीं पडता।

हृदय के ऊपर इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पडता केवल प्राणदा (Vagus) नाडी केंद्रा की उत्तेजना से इसकी गति कम होकर बल प्राप्त होता है। अधिक मात्रा में श्र्वसंकेंद्रा के अवसाद के कारण अन्य दुष्परिणाम दिखलाई देते हैं।
[[चित्र:Illustration Papaver somniferum0.jpg|right|thumb|300px|अफ़ीम के पौधे के विभिन्न भाग]]
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[[चित्र:HeroinWorld-fr.svg|right|thumb|300px|विश्व में अफ़ीम-उत्पादक मुख्य क्षेत्र]]
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17:06, 8 जुलाई 2020 का अवतरण

अफ़ीम की खेती

अफ़ीम (Opium ; वैज्ञानिक नाम : lachryma papaveris) अफ़ीम के पौधे पैपेवर सोमनिफेरम के 'दूध' (latex) को सुखा कर बनाया गया पदार्थ है, जिसके सेवन से मादकता आती है। इसका सेवन करने वाले को अन्य बातों के अलावा तेज नींद आती है। अफीम में १२% तक मार्फीन (morphine) पायी जाती है जिसको प्रसंस्कृत (प्रॉसेस) करके हैरोइन (heroin) नामक मादक द्रब्य (ड्रग) तैयार किया जाता है। अफीम का दूध निकालने के लिये उसके कच्चे, अपक्व 'फल' में एक चीरा लगाया जाता है; इसका दूध निकलने लगता है, जो निकल कर सूख जाता है। यही दूध सूख कर गाढ़ा होने पर अफ़ीम कहलाता है। यह लसीला (sticky) होता है।

अफ़ीम के पौधे के विभिन्न भाग
विश्व में अफ़ीम-उत्पादक मुख्य क्षेत्र

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ