"कलि संवत": अवतरणों में अंतर
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कलियुग का अंत कलीयुग संवत १७२०९९ में भगवान विष्णु के कल्कि अवतार होने और पापी मनुष्य का अंत करने के बाद फिर से सतयुग आएगा ऐसा गुजरात के देवायत पंडित की भविष्यवाणी में लिखा गया है । टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
कलियुग का अंत कलीयुग संवत १७२०९९ में भगवान विष्णु के कल्कि अवतार होने और पापी मनुष्य का अंत करने के बाद फिर से सतयुग आएगा ऐसा गुजरात के देवायत पंडित की भविष्यवाणी में लिखा गया है । टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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'''कलियुग संवत ''' भारत का प्राचीन संवत है जो [[३१०२ ईसा पूर्व|३१०२ ईपू]] से आरम्भ होता है। इस संवत की शुरुआत पांडवो के द्वारा अर्जुन के पौत्र परिक्षीत को सिँहासनारुढ़ करके स्वयं हिमालय की और प्रस्थान करने एंव भगवान श्रीकृष्ण के वैकुण्ठ जाने से मानी जाती है। कलियुग का अंत |
'''कलियुग संवत ''' भारत का प्राचीन संवत है जो [[३१०२ ईसा पूर्व|३१०२ ईपू]] से आरम्भ होता है। इस संवत की शुरुआत पांडवो के द्वारा अर्जुन के पौत्र परिक्षीत को सिँहासनारुढ़ करके स्वयं हिमालय की और प्रस्थान करने एंव भगवान श्रीकृष्ण के वैकुण्ठ जाने से मानी जाती है। कलियुग का अंत |
05:38, 4 जुलाई 2020 का अवतरण
कलियुग संवत
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कलियुग संवत भारत का प्राचीन संवत है जो ३१०२ ईपू से आरम्भ होता है। इस संवत की शुरुआत पांडवो के द्वारा अर्जुन के पौत्र परिक्षीत को सिँहासनारुढ़ करके स्वयं हिमालय की और प्रस्थान करने एंव भगवान श्रीकृष्ण के वैकुण्ठ जाने से मानी जाती है। कलियुग का अंत कलीयुग संवत १७२०९९ में भगवान विष्णु के कल्कि अवतार होने और पापी मनुष्य का अंत करने के बाद फिर से सतयुग आएगा ऐसा गुजरात के देवायत पंडित की भविष्यवाणी में लिखा गया है । अन्यय संवत
- प्राचीन सप्तर्षि ६६७६ ईपू
- सप्तर्षि संवत ३०७६ ईपू
- विक्रमी संवत ५७ ईपू
- शक संवत ७८
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वेद व्यास रचित महाभारत