"कर्नाटक": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
[पुनरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
चित्र हटाये जा चुके हैं
Rescuing 91 sources and tagging 1 as dead.) #IABot (v2.0.1
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
| क्षेत्रफल = 1,91,791
| क्षेत्रफल = 1,91,791
| ज़िले = 30
| ज़िले = 30
| राजभाषा = [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]]<ref name="भाषा">{{cite web |url=http://nclm.nic.in/shared/linkimages/NCLM50thReport.pdf |title= Report of the Commissioner for linguistic minorities: 50th report (July 2012 to June 2013) |publisher=Commissioner for Linguistic Minorities, Ministry of Minority Affairs, Government of India |format=PDF| accessdate=12 जुलाई 2017}}</ref>
| राजभाषा = [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]]<ref name="भाषा">{{cite web |url=http://nclm.nic.in/shared/linkimages/NCLM50thReport.pdf |title=Report of the Commissioner for linguistic minorities: 50th report (July 2012 to June 2013) |publisher=Commissioner for Linguistic Minorities, Ministry of Minority Affairs, Government of India |format=PDF |accessdate=12 जुलाई 2017 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150322000632/http://nclm.nic.in/shared/linkimages/NCLM50thReport.pdf |archive-date=22 मार्च 2015 |url-status=dead }}</ref>
| अतिरिक्त राजभाषा = [[संस्कृत]] <ref name="भाषा"/>
| अतिरिक्त राजभाषा = [[संस्कृत]] <ref name="भाषा"/>
| गठन = 1 नवम्बर 1956
| गठन = 1 नवम्बर 1956
पंक्ति 27: पंक्ति 27:
कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई व्याख्याओं में से सर्वाधिक स्वीकृत व्याख्या यह है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के [[:en:Bayaluseeme|बयलुसीम क्षेत्र]] की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो [[कृष्णा नदी]] के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है।<ref>देखें [[थोमस बैबिंगटन मैकाले|लॉर्ड मैकॉले]]'ज़ लाइफ़ ऑफ क्लाइव एण्ड जेम्स टॉलबॉयज़ व्हीलर: ''अर्ली हिस्ट्री ऑफ ब्रिटिश इण्डिया'', लंदन (१८७८), पृ.९८। The principal meaning is the western half of this area, but the rulers there controlled the [[कोरोमंडल तट]] as well.</ref>
कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई व्याख्याओं में से सर्वाधिक स्वीकृत व्याख्या यह है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के [[:en:Bayaluseeme|बयलुसीम क्षेत्र]] की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो [[कृष्णा नदी]] के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है।<ref>देखें [[थोमस बैबिंगटन मैकाले|लॉर्ड मैकॉले]]'ज़ लाइफ़ ऑफ क्लाइव एण्ड जेम्स टॉलबॉयज़ व्हीलर: ''अर्ली हिस्ट्री ऑफ ब्रिटिश इण्डिया'', लंदन (१८७८), पृ.९८। The principal meaning is the western half of this area, but the rulers there controlled the [[कोरोमंडल तट]] as well.</ref>


प्राचीन एवं मध्यकालीन [[भारत का इतिहास|इतिहास]] देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन साम्राज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, [[कर्नाटक संगीत]] और [[हिन्दुस्तानी संगीत]] को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक [[ज्ञानपीठ सम्मान]] मिले हैं।<ref>[http://www.dailynewsnetwork.in/news/tastenlife/26012011/republic-day/27328.html संस्कृति का समंदर दक्षिण भारत]। डेली न्यूज़। २६ जनवरी, २०११। अभिगमन तिथि: १८ फ़रवरी २०११</ref> राज्य की राजधानी [[बंगलुरु]] शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है।
प्राचीन एवं मध्यकालीन [[भारत का इतिहास|इतिहास]] देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन साम्राज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, [[कर्नाटक संगीत]] और [[हिन्दुस्तानी संगीत]] को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक [[ज्ञानपीठ सम्मान]] मिले हैं।<ref>[http://www.dailynewsnetwork.in/news/tastenlife/26012011/republic-day/27328.html संस्कृति का समंदर दक्षिण भारत]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}। डेली न्यूज़। २६ जनवरी, २०११। अभिगमन तिथि: १८ फ़रवरी २०११</ref> राज्य की राजधानी [[बंगलुरु]] शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है।


== इतिहास ==
== इतिहास ==
पंक्ति 33: पंक्ति 33:
[[चित्र:Mallikarjuna and Kasivisvanatha temples at Pattadakal.jpg|175px|thumb|left|[[पत्तदकल]] में मल्लिकार्जुन और काशी विश्वनाथ मंदिर [[चालुक्य]] एवं [[राष्ट्रकूट वंश]] द्वारा बनवाये गए थे, जो अब [[यूनेस्को विश्व धरोहर]] हैं]]
[[चित्र:Mallikarjuna and Kasivisvanatha temples at Pattadakal.jpg|175px|thumb|left|[[पत्तदकल]] में मल्लिकार्जुन और काशी विश्वनाथ मंदिर [[चालुक्य]] एवं [[राष्ट्रकूट वंश]] द्वारा बनवाये गए थे, जो अब [[यूनेस्को विश्व धरोहर]] हैं]]


कर्नाटक का विस्तृत इतिहास है जिसने समय के साथ कई करवटें बदलीं हैं।<ref>[http://www.bharat.gov.in/knowindia/st_karnataka.php कर्नाटक]। भारत सरकार के पोर्टल पर</ref> राज्य का प्रागैतिहास [[पाषाण युग]] तक जाता है तथा इसने कई युगों का विकास देखा है। राज्य में मध्य एवं नव पाषाण युगों के साक्ष्य भी पाये गए हैं। [[हड़प्पा]] में खोजा गया [[स्वर्ण]] कर्नाटक की खानों से निकला था, जिसने इतिहासकारों को ३००० ई.पू के कर्नाटक और [[सिंधु घाटी सभ्यता]] के बीच संबंध खोजने पर विवश किया।<ref>{{cite web|url=http://metalrg.iisc.ernet.in/~wootz/heritage/K-hertage.htm|archiveurl=http://web.archive.org/web/20070121024542/http://metalrg.iisc.ernet.in/~wootz/heritage/K-hertage.htm|title= द गोल्डन हैरिटेज ऑफ कर्नाटक |author= एस रंगनाथन|work= खनन विभाग |publisher= भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलुरु }}
कर्नाटक का विस्तृत इतिहास है जिसने समय के साथ कई करवटें बदलीं हैं।<ref>[http://www.bharat.gov.in/knowindia/st_karnataka.php कर्नाटक] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20101214013339/http://bharat.gov.in/knowindia/st_karnataka.php |date=14 दिसंबर 2010 }}। भारत सरकार के पोर्टल पर</ref> राज्य का प्रागैतिहास [[पाषाण युग]] तक जाता है तथा इसने कई युगों का विकास देखा है। राज्य में मध्य एवं नव पाषाण युगों के साक्ष्य भी पाये गए हैं। [[हड़प्पा]] में खोजा गया [[स्वर्ण]] कर्नाटक की खानों से निकला था, जिसने इतिहासकारों को ३००० ई.पू के कर्नाटक और [[सिंधु घाटी सभ्यता]] के बीच संबंध खोजने पर विवश किया।<ref>{{cite web |url= http://metalrg.iisc.ernet.in/~wootz/heritage/K-hertage.htm |archiveurl= https://web.archive.org/web/20070121024542/http://metalrg.iisc.ernet.in/~wootz/heritage/K-hertage.htm |title= द गोल्डन हैरिटेज ऑफ कर्नाटक |author= एस रंगनाथन |work= खनन विभाग |publisher= भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलुरु |access-date= 24 नवंबर 2010 |archive-date= 21 जनवरी 2007 |url-status= dead }}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.ancientindia.co.uk/staff/resources/background/bg16/home.html|title=ट्रेड|publisher=ब्रिटिश संग्रहालय|access-date=24 नवंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20070526202851/http://www.ancientindia.co.uk/staff/resources/background/bg16/home.html|archive-date=26 मई 2007|url-status=live}}</ref>
</ref><ref>{{cite web |url=http://www.ancientindia.co.uk/staff/resources/background/bg16/home.html|title= ट्रेड |publisher=ब्रिटिश संग्रहालय}}</ref>
[[तृतीय शताब्दी]] ई.पू से पूर्व, अधिकांश कर्नाटक राज्य [[मौर्य वंश]] के [[सम्राट अशोक]] के अधीन आने से पहले [[नंद वंश]] के अधीन रहा था। [[सातवाहन वंश]] को शासन की चार शताब्दियां मिलीं जिनमें उन्होंने कर्नाटक के बड़े भूभाग पर शासन किया। सातवाहनों के शासन के पतन के साथ ही स्थानीय शासकों [[कदंब वंश]] एवं [[पश्चिम गंग वंश]] का उदय हुआ। इसके साथ ही क्षेत्र में स्वतंत्र राजनैतिक शक्तियां अस्तित्त्व में आयीं। [[कदंब वंश]] की स्थापना [[मयूर शर्मा]] ने ३४५ ई. में की और अपनी राजधानी [[बनवासी]] में बनायी;<ref name="origin">तालगुण्ड शिलालेख के अनुसार (डॉ॰ बी एल राइस, कामत (२००१), पृ.३०)</ref><ref name="origin1">मोअरेज़ (१९३१), पृ.१०</ref> एवं [[पश्चिम गंग वंश]] की स्थापना कोंगणिवर्मन माधव ने ३५० ई में [[तालकाड़]] में राजधानी के साथ की।<ref name="gan">अडिग एवं शेख अली, अडिग (२००६), पृ.८९</ref><ref name="gan1">रमेश (१९८४), पृ.१-२</ref>
[[तृतीय शताब्दी]] ई.पू से पूर्व, अधिकांश कर्नाटक राज्य [[मौर्य वंश]] के [[सम्राट अशोक]] के अधीन आने से पहले [[नंद वंश]] के अधीन रहा था। [[सातवाहन वंश]] को शासन की चार शताब्दियां मिलीं जिनमें उन्होंने कर्नाटक के बड़े भूभाग पर शासन किया। सातवाहनों के शासन के पतन के साथ ही स्थानीय शासकों [[कदंब वंश]] एवं [[पश्चिम गंग वंश]] का उदय हुआ। इसके साथ ही क्षेत्र में स्वतंत्र राजनैतिक शक्तियां अस्तित्त्व में आयीं। [[कदंब वंश]] की स्थापना [[मयूर शर्मा]] ने ३४५ ई. में की और अपनी राजधानी [[बनवासी]] में बनायी;<ref name="origin">तालगुण्ड शिलालेख के अनुसार (डॉ॰ बी एल राइस, कामत (२००१), पृ.३०)</ref><ref name="origin1">मोअरेज़ (१९३१), पृ.१०</ref> एवं [[पश्चिम गंग वंश]] की स्थापना कोंगणिवर्मन माधव ने ३५० ई में [[तालकाड़]] में राजधानी के साथ की।<ref name="gan">अडिग एवं शेख अली, अडिग (२००६), पृ.८९</ref><ref name="gan1">रमेश (१९८४), पृ.१-२</ref>
[[चित्र:Belur4.jpg|thumb|right|175px|[[होयसाल साम्राज्य]] स्थापत्य, [[बेलूर]] में। ]]
[[चित्र:Belur4.jpg|thumb|right|175px|[[होयसाल साम्राज्य]] स्थापत्य, [[बेलूर]] में। ]]
पंक्ति 51: पंक्ति 50:
== भूगोल ==
== भूगोल ==
[[चित्र:Jog Rani.JPG|right|thumb|200px|[[जोग प्रपात]] भारत में सबसे ऊंचा [[जल प्रपात]] है। यहां [[शरावती नदी]] ऊंचाई से नीचे गिरती है। ]]
[[चित्र:Jog Rani.JPG|right|thumb|200px|[[जोग प्रपात]] भारत में सबसे ऊंचा [[जल प्रपात]] है। यहां [[शरावती नदी]] ऊंचाई से नीचे गिरती है। ]]
कर्नाटक राज्य में तीन प्रधान मंडल हैं: तटीय क्षेत्र [[करावली]], पहाड़ी क्षेत्र [[मालेनाडु]] जिसमें [[पश्चिमी घाट]] आते हैं, तथा तीसरा [[बयालुसीमी]] क्षेत्र जहां [[दक्खिन पठार]] का क्षेत्र है। राज्य का अधिकांश क्षेत्र बयालुसीमी में आता है और इसका उत्तरी क्षेत्र भारत का सबसे बड़ा शुष्क क्षेत्र है।<ref name="arid">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/fline/fl1817/18170420.htm|first=Parvathi |last=Menon|title=Karnataka's agony|work=The Frontline, Volume 18 - Issue 17, 18–31 अगस्त 2001|publisher=Frontline|accessdate=4 मई 2007}}</ref> कर्नाटक का सबसे ऊंचा स्थल [[चिकमंगलूर जिला|चिकमंगलूर जिले]] का मुल्लयनगिरि पर्वत है। यहां की [[समुद्र सतह से ऊंचाई]] {{convert|1929|m|ft|0}} है। कर्नाटक की महत्त्वपूर्ण नदियों में [[कावेरी]], [[तुंगभद्रा नदी]], [[कृष्णा नदी]], [[मलयप्रभा नदी]] और [[शरावती नदी]] हैं।
कर्नाटक राज्य में तीन प्रधान मंडल हैं: तटीय क्षेत्र [[करावली]], पहाड़ी क्षेत्र [[मालेनाडु]] जिसमें [[पश्चिमी घाट]] आते हैं, तथा तीसरा [[बयालुसीमी]] क्षेत्र जहां [[दक्खिन पठार]] का क्षेत्र है। राज्य का अधिकांश क्षेत्र बयालुसीमी में आता है और इसका उत्तरी क्षेत्र भारत का सबसे बड़ा शुष्क क्षेत्र है।<ref name="arid">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/fline/fl1817/18170420.htm|first=Parvathi|last=Menon|title=Karnataka's agony|work=The Frontline, Volume 18 - Issue 17, 18–31 अगस्त 2001|publisher=Frontline|accessdate=4 मई 2007|archive-url=https://web.archive.org/web/20071011104303/http://www.hinduonnet.com/fline/fl1817/18170420.htm|archive-date=11 अक्तूबर 2007|url-status=dead}}</ref> कर्नाटक का सबसे ऊंचा स्थल [[चिकमंगलूर जिला|चिकमंगलूर जिले]] का मुल्लयनगिरि पर्वत है। यहां की [[समुद्र सतह से ऊंचाई]] {{convert|1929|m|ft|0}} है। कर्नाटक की महत्त्वपूर्ण नदियों में [[कावेरी]], [[तुंगभद्रा नदी]], [[कृष्णा नदी]], [[मलयप्रभा नदी]] और [[शरावती नदी]] हैं।


कृषि हेतु योग्यता के अनुसार यहां की मृदा को छः प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: लाल, लैटेरिटिक, काली, ऍल्युवियो-कोल्युविलय एवं तटीय रेतीली मिट्टी। राज्य में चार प्रमुख ऋतुएं आती हैं। जनवरी और फ़रवरी में शीत ऋतु, उसके बाद मार्च-मई तक ग्रीष्म ऋतु, जिसके बाद जून से सितंबर तक वर्षा ऋतु (मॉनसून) और अंततः अक्टूबर से दिसम्बर पर्यन्त मॉनसूनोत्तर काल। मौसम विज्ञान के आधार पर कर्नाटक तीन क्षेत्रों में बांटा जा सकता है: तटीय, उत्तरी आंतरिक और दक्षिणी आंतरिक क्षेत्र। इनमें से तटीय क्षेत्र में सर्वाधिक वर्षा होती है, जिसका लगभग {{convert|3638.5|mm|in|abbr=on|0}} प्रतिवर्ष है, जो राज्य के वार्षिक औसत {{convert|1139|mm|in|abbr=on|0}} से कहीं अधिक है। [[शिमोगा जिला]] में [[अगुम्बे]] भारत में दूसरा सर्वाधिक वार्षिक औसत वर्षा पाने वाला स्थल है।<ref name="second">अगुम्बे के सर्वाधिक वर्षा पाने का उल्लेख {{cite web|url=http://www.centralchronicle.com/20070328/2803302.htm|title=लिंक गोदावरी, कृष्णा & कावेरी|first=अरबिन्द | last=घोष|work=द सेन्ट्रल क्रॉनिकल, दि:२८ मार्च २००७|publisher=२००७, सेन्ट्रल क्रॉनिकल |accessdate=१६ मई २००७}}</ref> द्वारा किया गया है। यहां का सर्वाधिक अंकित तापमान ४५.६ [[सेल्सियस|° से.]] (११४ [[फ़ैरन्हाइट|°फ़ै.]]) [[रायचूर]] में तथा न्यूनतम तापमान {{convert|2.8|°C|°F|abbr=on|0}} [[बीदर]] में नापा गया है।
कृषि हेतु योग्यता के अनुसार यहां की मृदा को छः प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: लाल, लैटेरिटिक, काली, ऍल्युवियो-कोल्युविलय एवं तटीय रेतीली मिट्टी। राज्य में चार प्रमुख ऋतुएं आती हैं। जनवरी और फ़रवरी में शीत ऋतु, उसके बाद मार्च-मई तक ग्रीष्म ऋतु, जिसके बाद जून से सितंबर तक वर्षा ऋतु (मॉनसून) और अंततः अक्टूबर से दिसम्बर पर्यन्त मॉनसूनोत्तर काल। मौसम विज्ञान के आधार पर कर्नाटक तीन क्षेत्रों में बांटा जा सकता है: तटीय, उत्तरी आंतरिक और दक्षिणी आंतरिक क्षेत्र। इनमें से तटीय क्षेत्र में सर्वाधिक वर्षा होती है, जिसका लगभग {{convert|3638.5|mm|in|abbr=on|0}} प्रतिवर्ष है, जो राज्य के वार्षिक औसत {{convert|1139|mm|in|abbr=on|0}} से कहीं अधिक है। [[शिमोगा जिला]] में [[अगुम्बे]] भारत में दूसरा सर्वाधिक वार्षिक औसत वर्षा पाने वाला स्थल है।<ref name="second">अगुम्बे के सर्वाधिक वर्षा पाने का उल्लेख {{cite web|url=http://www.centralchronicle.com/20070328/2803302.htm|title=लिंक गोदावरी, कृष्णा & कावेरी|first=अरबिन्द|last=घोष|work=द सेन्ट्रल क्रॉनिकल, दि:२८ मार्च २००७|publisher=२००७, सेन्ट्रल क्रॉनिकल|accessdate=१६ मई २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20071013130243/http://www.centralchronicle.com/20070328/2803302.htm|archive-date=13 अक्तूबर 2007|url-status=dead}}</ref> द्वारा किया गया है। यहां का सर्वाधिक अंकित तापमान ४५.६ [[सेल्सियस|° से.]] (११४ [[फ़ैरन्हाइट|°फ़ै.]]) [[रायचूर]] में तथा न्यूनतम तापमान {{convert|2.8|°C|°F|abbr=on|0}} [[बीदर]] में नापा गया है।


कर्नाटक का लगभग {{convert|38724|km2|sqmi|0|abbr=on}} (राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का २०%) वनों से आच्छादित है। ये वन संरक्षित, सुरक्षित, खुले, ग्रामीण और निजी वनों में वर्गीकृत किये जा सकते हैं। यहां के वनाच्छादित क्षेत्र भारत के औसत वनीय क्षेत्र २३% से कुछ ही कम हैं, किन्तु राष्ट्रीय वन नीति द्वारा निर्धारित ३३% से कहीं कम हैं।<ref name="forest_area">{{cite web|url=http://www.kar.nic.in/kla/karnataka.htm|work=कर्नाटक विधायिका के आधिकारिक जालस्थल पर |title= कर्नाटक – ऍन इन्ट्रोडक्शन |accessdate= ४ अक्टूबर २००७}}</ref>
कर्नाटक का लगभग {{convert|38724|km2|sqmi|0|abbr=on}} (राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का २०%) वनों से आच्छादित है। ये वन संरक्षित, सुरक्षित, खुले, ग्रामीण और निजी वनों में वर्गीकृत किये जा सकते हैं। यहां के वनाच्छादित क्षेत्र भारत के औसत वनीय क्षेत्र २३% से कुछ ही कम हैं, किन्तु राष्ट्रीय वन नीति द्वारा निर्धारित ३३% से कहीं कम हैं।<ref name="forest_area">{{cite web|url=http://www.kar.nic.in/kla/karnataka.htm|work=कर्नाटक विधायिका के आधिकारिक जालस्थल पर|title=कर्नाटक – ऍन इन्ट्रोडक्शन|accessdate=४ अक्टूबर २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20070807055904/http://www.kar.nic.in/kla/karnataka.htm|archive-date=7 अगस्त 2007|url-status=dead}}</ref>


== उप-मंडल ==
== उप-मंडल ==
पंक्ति 61: पंक्ति 60:
[[चित्र:कर्नाटक के जिले.png|left|thumb|कर्नाटक के जिले]]
[[चित्र:कर्नाटक के जिले.png|left|thumb|कर्नाटक के जिले]]
कर्नाटक राज्य में ३० जिले हैं —[[बागलकोट जिला|बागलकोट]], [[बंगलुरु ग्रामीणजिला|बेंगलुरु ग्रामीण]],
कर्नाटक राज्य में ३० जिले हैं —[[बागलकोट जिला|बागलकोट]], [[बंगलुरु ग्रामीणजिला|बेंगलुरु ग्रामीण]],
[[बंगलुरु शहरी जिला|बेंगलूरु शहरी]], [[बेलगाम जिला|बेलगावि]], [[बेल्लारी जिला|बल्लारी]], [[बीदर जिला|बीदर]], [[बीजापुर जिला|बीजापुर]] (विजयपुर), [[चामराजनगर जिला|चामराजनगर]], [[चिकबल्लपुर जिला|चिकबल्लापुर]],<ref name="newdis">{{cite web|url=http://timesofindia.indiatimes.com/2_new_districts_notified_in_Bangalore/articleshow/2258093.cms|title= टू न्यू डिस्ट्रिक्ट्स नोटीफाइड इन बैंगलॉर|work=द टाइम्स ऑफ इण्डिया, ६ अगस्त २००७|accessdate=}}</ref> [[चिकमंगलूर जिला|चिकमगलूर]], [[चित्रदुर्ग जिला|चित्रदुर्ग]], [[दक्षिण कन्नड़]], [[दावणगिरि जिला|दावणगेरे]], [[धारवाड़ जिला|धारवाड़]], [[गडग जिला|गदग]], [[गुलबर्ग जिला|गुलबर्गा]], [[हसन जिला|हासन]], [[हवेरी जिला|हावेरी]], [[कोडगु]], [[कोलार जिला|कोलार]], [[कोप्पल जिला|कोप्पल]], [[मांड्या जिला|मंड्या]], [[मैसूर जिला|मैसूर]], [[रायचूर जिला|रायचूर]], [[रामनगरम जिला|रामनगर]],<ref name="newdis"/> [[शिमोगा जिला|शिवमोग्गा]], [[तुमकुर जिला|तुमकूर]], [[उडुपी जिला|उडुपी]], [[उत्तर कन्नड़]] एवं [[यादगीर]]। प्रत्येक जिले का प्रशासन एक जिलाधीश या जिलायुक्त के अधीन होता है। ये जिले फिर उप-क्षेत्रों में बंटे हैं, जिनका प्रशासन उपजिलाधीश के अधीन है। उप-जिले ब्लॉक और पंचायतों तथा नगरपालिकाओं द्वारा देखे जाते हैं।
[[बंगलुरु शहरी जिला|बेंगलूरु शहरी]], [[बेलगाम जिला|बेलगावि]], [[बेल्लारी जिला|बल्लारी]], [[बीदर जिला|बीदर]], [[बीजापुर जिला|बीजापुर]] (विजयपुर), [[चामराजनगर जिला|चामराजनगर]], [[चिकबल्लपुर जिला|चिकबल्लापुर]],<ref name="newdis">{{cite web|url=http://timesofindia.indiatimes.com/2_new_districts_notified_in_Bangalore/articleshow/2258093.cms|title=टू न्यू डिस्ट्रिक्ट्स नोटीफाइड इन बैंगलॉर|work=द टाइम्स ऑफ इण्डिया, ६ अगस्त २००७|accessdate=|archive-url=https://web.archive.org/web/20071012170921/http://timesofindia.indiatimes.com/2_new_districts_notified_in_Bangalore/articleshow/2258093.cms|archive-date=12 अक्तूबर 2007|url-status=live}}</ref> [[चिकमंगलूर जिला|चिकमगलूर]], [[चित्रदुर्ग जिला|चित्रदुर्ग]], [[दक्षिण कन्नड़]], [[दावणगिरि जिला|दावणगेरे]], [[धारवाड़ जिला|धारवाड़]], [[गडग जिला|गदग]], [[गुलबर्ग जिला|गुलबर्गा]], [[हसन जिला|हासन]], [[हवेरी जिला|हावेरी]], [[कोडगु]], [[कोलार जिला|कोलार]], [[कोप्पल जिला|कोप्पल]], [[मांड्या जिला|मंड्या]], [[मैसूर जिला|मैसूर]], [[रायचूर जिला|रायचूर]], [[रामनगरम जिला|रामनगर]],<ref name="newdis"/> [[शिमोगा जिला|शिवमोग्गा]], [[तुमकुर जिला|तुमकूर]], [[उडुपी जिला|उडुपी]], [[उत्तर कन्नड़]] एवं [[यादगीर]]। प्रत्येक जिले का प्रशासन एक जिलाधीश या जिलायुक्त के अधीन होता है। ये जिले फिर उप-क्षेत्रों में बंटे हैं, जिनका प्रशासन उपजिलाधीश के अधीन है। उप-जिले ब्लॉक और पंचायतों तथा नगरपालिकाओं द्वारा देखे जाते हैं।


२००१ की जनगणना के आंकड़ों से ज्ञात होता है कि जनसंख्यानुसार कर्नाटक के शहरों की सूची में सर्वोच्च छः नगरों में [[बेंगलुरु]], [[हुबली]]-[[धारवाड़]], [[मैसूर]], [[गुलबर्ग]], [[बेलगाम]] एवं [[मंगलौर]] आते हैं। १० लाख से अधिक जनसंख्या वाले [[महानगर|महानगरों]] में मात्र बंगलुरु ही आता है। [[बंगलुरु शहरी]], [[बेलगाम जिला|बेलगाम]] एवं [[गुलबर्ग जिला|गुलबर्ग]] सर्वाधिक जनसंख्या वाले जिले हैं। प्रत्येक में ३० लाख से अधिक जनसंख्या है। [[गडग जिला|गडग]], [[चामराजनगर जिला|चामराजनगर]] एवं [[कोडगु]] जिलों की जनसंख्या १० लाख से कम है।<ref name="popu_cen">{{cite web|url=http://www.censusindiamaps.net/IndiaCensus_Gif_Ver/karnataka.htm|work=भारत की जनगणना, २००१ |title=कर्नाटका, पॉपुलेशन: पर्सन्स (टोटल)|accessdate=}}</ref>
२००१ की जनगणना के आंकड़ों से ज्ञात होता है कि जनसंख्यानुसार कर्नाटक के शहरों की सूची में सर्वोच्च छः नगरों में [[बेंगलुरु]], [[हुबली]]-[[धारवाड़]], [[मैसूर]], [[गुलबर्ग]], [[बेलगाम]] एवं [[मंगलौर]] आते हैं। १० लाख से अधिक जनसंख्या वाले [[महानगर|महानगरों]] में मात्र बंगलुरु ही आता है। [[बंगलुरु शहरी]], [[बेलगाम जिला|बेलगाम]] एवं [[गुलबर्ग जिला|गुलबर्ग]] सर्वाधिक जनसंख्या वाले जिले हैं। प्रत्येक में ३० लाख से अधिक जनसंख्या है। [[गडग जिला|गडग]], [[चामराजनगर जिला|चामराजनगर]] एवं [[कोडगु]] जिलों की जनसंख्या १० लाख से कम है।<ref name="popu_cen">{{cite web|url=http://www.censusindiamaps.net/IndiaCensus_Gif_Ver/karnataka.htm|work=भारत की जनगणना, २००१|title=कर्नाटका, पॉपुलेशन: पर्सन्स (टोटल)|accessdate=|archive-url=https://web.archive.org/web/20100706213256/http://www.censusindiamaps.net/IndiaCensus_Gif_Ver/karnataka.htm|archive-date=6 जुलाई 2010|url-status=dead}}</ref>


{{-}}
{{-}}
पंक्ति 79: पंक्ति 78:
| estyear=
| estyear=
| estref=
| estref=
| footnote=स्रोत:भारत की जनगणना<ref name="Census Population">{{cite web|url=http://indiabudget.nic.in/es2006-07/chapt2007/tab97.pdf|title=सेन्सस पॉपुलेशन |work=सेन्सस ऑफ इण्डिया |publisher=वित्त मंत्रालय, भारत सरकार |accessdate=१८ फ़रवरी २००८|format=पीडीएफ}}</ref> }}
| footnote=स्रोत:भारत की जनगणना<ref name="Census Population">{{cite web|url=http://indiabudget.nic.in/es2006-07/chapt2007/tab97.pdf|title=सेन्सस पॉपुलेशन|work=सेन्सस ऑफ इण्डिया|publisher=वित्त मंत्रालय, भारत सरकार|accessdate=१८ फ़रवरी २००८|format=पीडीएफ|archive-url=https://web.archive.org/web/20081219073658/http://indiabudget.nic.in/es2006-07/chapt2007/tab97.pdf|archive-date=19 दिसंबर 2008|url-status=dead}}</ref> }}
[[जनसंख्या के आधार पर भारत के राज्य और संघ क्षेत्र|२००१ की भारतीय जनगणना]] के अनुसार, कर्नाटक की कुल जनसंख्या ५२,८५०,५६२ है, जिसमें से २६,८९८,९१८ (५०.८९%) पुरुष और २५,९५१,६४४ स्त्रियां (४३.११%) हैं। यानि प्रत्येक १००० पुरुष ९६४ स्त्रियां हैं। इसके अनुसार १९९१ की जनसंख्या में १७.२५% की वृद्धि हुई है। राज्य का जनसंख्या घनत्व २७५.६ प्रति वर्ग कि.मी है और ३३.९८% लोग शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। यहां की साक्षरता दर ६६.६% है, जिसमें ७६.१% पुरुष और ५६.९% स्त्रियां साक्षर हैं।<ref name="popu"/> यहां की कुल जनसंख्या का ८३% [[हिन्दू]] हैं और १३% मुस्लिम, २% ईसाई, ०.७८% जैन, ०.३% बौद्ध और शेष लोग अन्य धर्मावलंबी हैं।<ref name="legrel">{{cite web|url=http://www.censusindiamaps.net/page/Religion_WhizMap1/housemap.htm|title=इण्डिया (रिलीजन), सेन्सस (२००१)|work=भारत की जनगणना |publisher=महालेखाधिकारी, भारत सरकार|accessdate=}}</ref>
[[जनसंख्या के आधार पर भारत के राज्य और संघ क्षेत्र|२००१ की भारतीय जनगणना]] के अनुसार, कर्नाटक की कुल जनसंख्या ५२,८५०,५६२ है, जिसमें से २६,८९८,९१८ (५०.८९%) पुरुष और २५,९५१,६४४ स्त्रियां (४३.११%) हैं। यानि प्रत्येक १००० पुरुष ९६४ स्त्रियां हैं। इसके अनुसार १९९१ की जनसंख्या में १७.२५% की वृद्धि हुई है। राज्य का जनसंख्या घनत्व २७५.६ प्रति वर्ग कि.मी है और ३३.९८% लोग शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। यहां की साक्षरता दर ६६.६% है, जिसमें ७६.१% पुरुष और ५६.९% स्त्रियां साक्षर हैं।<ref name="popu"/> यहां की कुल जनसंख्या का ८३% [[हिन्दू]] हैं और १३% मुस्लिम, २% ईसाई, ०.७८% जैन, ०.३% बौद्ध और शेष लोग अन्य धर्मावलंबी हैं।<ref name="legrel">{{cite web|url=http://www.censusindiamaps.net/page/Religion_WhizMap1/housemap.htm|title=इण्डिया (रिलीजन), सेन्सस (२००१)|work=भारत की जनगणना|publisher=महालेखाधिकारी, भारत सरकार|accessdate=|archive-url=https://web.archive.org/web/20100706213221/http://www.censusindiamaps.net/page/Religion_WhizMap1/housemap.htm|archive-date=6 जुलाई 2010|url-status=dead}}</ref>


कर्नाटक की आधिकारिक भाषा [[कन्नड़]] है और स्थानीय भाषा के रूप में ६४.७५% लोगों द्वारा बोली जाती है। १९९१ के अनुसार अन्य भाषायी अल्पसंख्यकों में [[उर्दु]] (१०.५४ %), [[तेलुगु]] (७.०३ %), [[तमिल]] (३.५७ %), [[मराठी]] (३.६० %), [[तुलु]] (३.०० %), [[हिन्दी]] (२.५६ %), [[कोंकणी]] (१.४६ %), [[मलयालम]] (१.३३ %) और कोडव तक्क भाषी ०.३ % हैं।<ref name="demographics">{{cite web|url=http://www.languageinindia.com/dec2002/urduinkarnataka.html|author=ए आर फ़ातिही|work=लैंग्वेज इन इण्डिय़ा, खण्ड-२: ९ दिसम्बर २००२|publisher=एम एस तिरुमलै, प्रबधन शंपादक, लैंग्वेज इन इण्डिय़ा|title=कर्नाटक में उर्दु|accessdate=२९ जून २००७}}</ref> राज्य की जन्म दर २.२% और मृत्यु दर ०.७२% है। इसके अलावा शिशु मृत्यु (मॉर्टैलिटी) दर ५.५% एवं मातृ मृत्यु दर ०.१९५% है। कुल प्रजनन (फर्टिलिटी) दर २.२ है।<ref name="health">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/fline/fl2118/stories/20040910002909100.htm|title= एन्विसेजिंग अ हैल्दी ग्रोथ|work=द फ़्रंटलाइन|publisher=द हिन्दू|accessdate=२१ जून २००७}}</ref>
कर्नाटक की आधिकारिक भाषा [[कन्नड़]] है और स्थानीय भाषा के रूप में ६४.७५% लोगों द्वारा बोली जाती है। १९९१ के अनुसार अन्य भाषायी अल्पसंख्यकों में [[उर्दु]] (१०.५४ %), [[तेलुगु]] (७.०३ %), [[तमिल]] (३.५७ %), [[मराठी]] (३.६० %), [[तुलु]] (३.०० %), [[हिन्दी]] (२.५६ %), [[कोंकणी]] (१.४६ %), [[मलयालम]] (१.३३ %) और कोडव तक्क भाषी ०.३ % हैं।<ref name="demographics">{{cite web|url=http://www.languageinindia.com/dec2002/urduinkarnataka.html|author=ए आर फ़ातिही|work=लैंग्वेज इन इण्डिय़ा, खण्ड-२: ९ दिसम्बर २००२|publisher=एम एस तिरुमलै, प्रबधन शंपादक, लैंग्वेज इन इण्डिय़ा|title=कर्नाटक में उर्दु|accessdate=२९ जून २००७|archive-url=https://www.webcitation.org/65KF1EIPW?url=http://www.languageinindia.com/dec2002/urduinkarnataka.html|archive-date=9 फ़रवरी 2012|url-status=live}}</ref> राज्य की जन्म दर २.२% और मृत्यु दर ०.७२% है। इसके अलावा शिशु मृत्यु (मॉर्टैलिटी) दर ५.५% एवं मातृ मृत्यु दर ०.१९५% है। कुल प्रजनन (फर्टिलिटी) दर २.२ है।<ref name="health">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/fline/fl2118/stories/20040910002909100.htm|title=एन्विसेजिंग अ हैल्दी ग्रोथ|work=द फ़्रंटलाइन|publisher=द हिन्दू|accessdate=२१ जून २००७|archive-url=https://www.webcitation.org/5xa3CvJ2e?url=http://www.hinduonnet.com/fline/fl2118/stories/20040910002909100.htm|archive-date=30 मार्च 2011|url-status=dead}}</ref>


स्वास्थ्य एवं आरोग्य के क्षेत्र (''सुपर स्पेशियलिटी हैल्थ केयर'') में कर्नाटक की निजी क्षेत्र की कंपनियां विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं से तुलनीय हैं।<ref name="healthcare">{{cite web|url=http://www.blonnet.com/2004/11/24/stories/2004112402271700.htm|title= कर्नाटक बैट्स बिग ऑन हेलथकेयर टुरिज़्म|work=द हिन्दू बिज़्नेस लाइन, तिथि:२३ नवम्बर २००४|publisher=२००४, द हिन्दू|accessdate=२१ जून २००७}}</ref> कर्नाटक में उत्तम जन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं, जिनके आंकड़े व स्थिति भारत के अन्य अधिकांश राज्यों की तुलना में काफी बेहतर है। इसके बावजूद भी राज्य के कुछ अति पिछड़े इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है।<ref name="childcare">{{cite web|url=http://www.educationworldonline.net/eduworld/article.php?choice=prev_art&article_id=336&issueid=28|title= टिकिंग चाइल्ड हेलथकेयर टाइम बॉम्ब|work=द एड्युकेशन वर्ल्ड|publisher=एड्युकेशन वर्ल्ड|accessdate=२१ जून २००७}}</ref>
स्वास्थ्य एवं आरोग्य के क्षेत्र (''सुपर स्पेशियलिटी हैल्थ केयर'') में कर्नाटक की निजी क्षेत्र की कंपनियां विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं से तुलनीय हैं।<ref name="healthcare">{{cite web|url=http://www.blonnet.com/2004/11/24/stories/2004112402271700.htm|title=कर्नाटक बैट्स बिग ऑन हेलथकेयर टुरिज़्म|work=द हिन्दू बिज़्नेस लाइन, तिथि:२३ नवम्बर २००४|publisher=२००४, द हिन्दू|accessdate=२१ जून २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20080929184911/http://www.blonnet.com/2004/11/24/stories/2004112402271700.htm|archive-date=29 सितंबर 2008|url-status=dead}}</ref> कर्नाटक में उत्तम जन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं, जिनके आंकड़े व स्थिति भारत के अन्य अधिकांश राज्यों की तुलना में काफी बेहतर है। इसके बावजूद भी राज्य के कुछ अति पिछड़े इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है।<ref name="childcare">{{cite web|url=http://www.educationworldonline.net/eduworld/article.php?choice=prev_art&article_id=336&issueid=28|title=टिकिंग चाइल्ड हेलथकेयर टाइम बॉम्ब|work=द एड्युकेशन वर्ल्ड|publisher=एड्युकेशन वर्ल्ड|accessdate=२१ जून २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20080317085248/http://www.educationworldonline.net/eduworld/article.php?choice=prev_art&article_id=336&issueid=28|archive-date=17 मार्च 2008|url-status=live}}</ref>
प्रशासनिक उद्देश्य हेतु, कर्नाटक को चार रेवेन्यु मंडलों, ४९ उप-मंडलों, २९ जिलों, १७५ तालुकों और ७४५ होब्लीज़/रेवेन्यु वृत्तों में बांटा गया है।<ref name="split">{{cite web|url=http://karnatakaforest.gov.in/English/forest_glance/forest_at_glance.htm|title=स्टैटिस्टिक्स – कर्नाटक स्टेट |work=वन विभाग |publisher=कर्नाटक सरकार |accessdate=४ जून २००७}}</ref> प्रत्येक जिला प्रशासन का अध्यक्ष जिला उपायुक्त होता है, जो [[भारतीय प्रशासनिक सेवा]] (आई.ए.एस) से होता है और उसके अधीन कर्नाटक राज्य सेवाओं के अनेक अधिकारीगण होते हैं। राज्य के न्याय और कानून व्यवस्था का उत्तरदायित्व पुलिस उपायुक्त पर होता है। ये [[भारतीय पुलिस सेवा]] का अधिकारी होता है, जिसके अधीन कर्नाटक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारीगण कार्यरत होते हैं। [[भारतीय वन सेवा]] से वन उपसंरक्षक अधिकारी तैनात होता है, जो राज्य के वन विभाग की अध्यक्षता करता है। जिलों के सर्वांगीण विकास, प्रत्येक जिले के विकास विभाग जैसे लोक सेवा विभाग, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पशु-पालन, आदि विभाग देखते हैं। राज्य की न्यायपालिका [[बंगलुरु]] में स्थित [[कर्नाटक उच्च न्यायालय]] (''अट्टार कचेरी'') और प्रत्येक जिले में जिले और सत्र न्यायालय तथा तालुक स्तर के निचले न्यायालय के द्वारा चलती है।
प्रशासनिक उद्देश्य हेतु, कर्नाटक को चार रेवेन्यु मंडलों, ४९ उप-मंडलों, २९ जिलों, १७५ तालुकों और ७४५ होब्लीज़/रेवेन्यु वृत्तों में बांटा गया है।<ref name="split">{{cite web |url=http://karnatakaforest.gov.in/English/forest_glance/forest_at_glance.htm |title=स्टैटिस्टिक्स – कर्नाटक स्टेट |work=वन विभाग |publisher=कर्नाटक सरकार |accessdate=४ जून २००७ |archive-url=https://web.archive.org/web/20070927093340/http://karnatakaforest.gov.in/English/forest_glance/forest_at_glance.htm |archive-date=27 सितंबर 2007 |url-status=dead }}</ref> प्रत्येक जिला प्रशासन का अध्यक्ष जिला उपायुक्त होता है, जो [[भारतीय प्रशासनिक सेवा]] (आई.ए.एस) से होता है और उसके अधीन कर्नाटक राज्य सेवाओं के अनेक अधिकारीगण होते हैं। राज्य के न्याय और कानून व्यवस्था का उत्तरदायित्व पुलिस उपायुक्त पर होता है। ये [[भारतीय पुलिस सेवा]] का अधिकारी होता है, जिसके अधीन कर्नाटक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारीगण कार्यरत होते हैं। [[भारतीय वन सेवा]] से वन उपसंरक्षक अधिकारी तैनात होता है, जो राज्य के वन विभाग की अध्यक्षता करता है। जिलों के सर्वांगीण विकास, प्रत्येक जिले के विकास विभाग जैसे लोक सेवा विभाग, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पशु-पालन, आदि विभाग देखते हैं। राज्य की न्यायपालिका [[बंगलुरु]] में स्थित [[कर्नाटक उच्च न्यायालय]] (''अट्टार कचेरी'') और प्रत्येक जिले में जिले और सत्र न्यायालय तथा तालुक स्तर के निचले न्यायालय के द्वारा चलती है।


== सरकार एवं प्रशासन ==
== सरकार एवं प्रशासन ==
{{Main|कर्नाटक सरकार }}
{{Main|कर्नाटक सरकार }}
[[चित्र:Soudha.jpg|thumb|left|[[बंगलुरु]] स्थित [[कर्नाटक सरकार]] का विधान भवन: [[विधान सौध]] ]]
[[चित्र:Soudha.jpg|thumb|left|[[बंगलुरु]] स्थित [[कर्नाटक सरकार]] का विधान भवन: [[विधान सौध]] ]]
कर्नाटक राज्य में भारत के अन्य [[भारत के राज्य|राज्यों]] कि भांति ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा चुनी गयी एक द्विसदनीय संसदीय सरकार है: [[विधान सभा]] एवं [[विधान परिषद]]। विधान सभा में 225 सदस्य हैं जो पांच वर्ष की अवधि हेतु चुने जाते हैं।<ref name="legi">{{cite web|url=http://www.kar.nic.in/kla/legislature.htm|title= ओरिजिन एण्ड ग्रोथ ऑफ कर्नाटक लेजिस्लेचर |work= कर्नाटक सरकार |publisher= कर्नाटक सरकार |accessdate=५ मई २००७}}</ref> विधान परिषद एक ७५ सदस्यीय स्थायी संस्था है और इसके एक-तिहाई सदस्य (२५) प्रत्येक २ वर्ष में सेवा से निवृत्त होते जाते हैं।<ref name="legi"/>
कर्नाटक राज्य में भारत के अन्य [[भारत के राज्य|राज्यों]] कि भांति ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा चुनी गयी एक द्विसदनीय संसदीय सरकार है: [[विधान सभा]] एवं [[विधान परिषद]]। विधान सभा में 225 सदस्य हैं जो पांच वर्ष की अवधि हेतु चुने जाते हैं।<ref name="legi">{{cite web |url= http://www.kar.nic.in/kla/legislature.htm |title= ओरिजिन एण्ड ग्रोथ ऑफ कर्नाटक लेजिस्लेचर |work= कर्नाटक सरकार |publisher= कर्नाटक सरकार |accessdate= ५ मई २००७ |archive-url= https://web.archive.org/web/20070526152743/http://www.kar.nic.in/kla/legislature.htm |archive-date= 26 मई 2007 |url-status= dead }}</ref> विधान परिषद एक ७५ सदस्यीय स्थायी संस्था है और इसके एक-तिहाई सदस्य (२५) प्रत्येक २ वर्ष में सेवा से निवृत्त होते जाते हैं।<ref name="legi"/>


[[कर्नाटक सरकार]] की अध्यक्षता विधान सभा चुनावों में जीतकर शासन में आयी पार्टी के [[विधायक|सदस्य]] द्वारा चुने गये [[मुख्य मंत्री]] करते हैं। मुख्य मंत्री अपने मंत्रिमंडल सहित तय किये गए विधायी एजेंडा का पालन अपनी अधिकांश कार्यकारी शक्तियों के उपयोग से करते हैं।<ref>पायली, एम वी. २००३ कॉन्स्टीट्यूश्नल गवर्न्वेंट इन इण्डिया, न्यू देह्ली: एस.चांद & कं. पृ.३६५</ref> फिर भी राज्य का संवैधानिक एवं औपचारिक अध्यक्ष [[राज्यपाल]] ही कहलाता है। राज्यपाल को ५ वर्ष की अवधि हेतु [[भारत सरकार|केन्द्र सरकार]] के परामर्श से [[भारत के राष्ट्रपति]] द्वारा नियुक्त किया जाता है।<ref>"The Head of the State is called the Governor who is the constitutional head of the state as the President is for the whole of India", पायली, एम वी, २००३। कॉन्स्टीट्यूश्नल गवर्न्वेंट इन इण्डिया, न्यू देह्ली: एस.चांद & कं. पृ.३५७।</ref> कर्नाटक राज्य की जनता द्वारा आम चुनावों के माध्यम से २८ सदस्य [[लोक सभा]] हेतु भी चुने जाते हैं।<ref name="loksabha-hi">{{cite web|url= http://164.100.24.207/loksabha_hindi/our_parliament/par1.htm |title= हमारी संसद – एक परिचय |work= भारतीय संसद |publisher=भारत सरकार |accessdate= २५ दिसम्बर २०१०}}</ref><ref name="loksabha">{{cite web|url=http://parliamentofindia.nic.in/ls/intro/introls.htm|title=लोक सभा- इंट्रोडक्शन |work=द इण्डियन पार्लियामेण्ट |publisher=भारत सरकार |accessdate= ४ जून २००७}}</ref> विधान परिषद के सदस्य भारत के संसद के उच्च सदन, [[राज्य सभा]] हेतु १२ सदस्य चुन कर भेजते हैं।
[[कर्नाटक सरकार]] की अध्यक्षता विधान सभा चुनावों में जीतकर शासन में आयी पार्टी के [[विधायक|सदस्य]] द्वारा चुने गये [[मुख्य मंत्री]] करते हैं। मुख्य मंत्री अपने मंत्रिमंडल सहित तय किये गए विधायी एजेंडा का पालन अपनी अधिकांश कार्यकारी शक्तियों के उपयोग से करते हैं।<ref>पायली, एम वी. २००३ कॉन्स्टीट्यूश्नल गवर्न्वेंट इन इण्डिया, न्यू देह्ली: एस.चांद & कं. पृ.३६५</ref> फिर भी राज्य का संवैधानिक एवं औपचारिक अध्यक्ष [[राज्यपाल]] ही कहलाता है। राज्यपाल को ५ वर्ष की अवधि हेतु [[भारत सरकार|केन्द्र सरकार]] के परामर्श से [[भारत के राष्ट्रपति]] द्वारा नियुक्त किया जाता है।<ref>"The Head of the State is called the Governor who is the constitutional head of the state as the President is for the whole of India", पायली, एम वी, २००३। कॉन्स्टीट्यूश्नल गवर्न्वेंट इन इण्डिया, न्यू देह्ली: एस.चांद & कं. पृ.३५७।</ref> कर्नाटक राज्य की जनता द्वारा आम चुनावों के माध्यम से २८ सदस्य [[लोक सभा]] हेतु भी चुने जाते हैं।<ref name="loksabha-hi">{{cite web |url= http://164.100.24.207/loksabha_hindi/our_parliament/par1.htm |title= हमारी संसद – एक परिचय |work= भारतीय संसद |publisher= भारत सरकार |accessdate= २५ दिसम्बर २०१० |archive-url= https://web.archive.org/web/20110218014220/http://164.100.24.207/loksabha_hindi/our_parliament/par1.htm |archive-date= 18 फ़रवरी 2011 |url-status= dead }}</ref><ref name="loksabha">{{cite web |url=http://parliamentofindia.nic.in/ls/intro/introls.htm |title=लोक सभा- इंट्रोडक्शन |work=द इण्डियन पार्लियामेण्ट |publisher=भारत सरकार |accessdate=४ जून २००७ |archive-url=https://web.archive.org/web/20110809071918/http://parliamentofindia.nic.in/ls/intro/introls.htm |archive-date=9 अगस्त 2011 |url-status=live }}</ref> विधान परिषद के सदस्य भारत के संसद के उच्च सदन, [[राज्य सभा]] हेतु १२ सदस्य चुन कर भेजते हैं।
<!--[[Image:Flag of Karnataka.svg|thumb|right|De facto flag of Karnataka. This flag - a modification of the erstwhile Mysore Kingdom flag - is widely used as a symbol of Kannada culture and identity and appears on the official website of the state government.]]-->
<!--[[Image:Flag of Karnataka.svg|thumb|right|De facto flag of Karnataka. This flag - a modification of the erstwhile Mysore Kingdom flag - is widely used as a symbol of Kannada culture and identity and appears on the official website of the state government.]]-->


प्रशासनिक सुविधा हेतु कर्नाटक राज्य को चार राजस्व विभागों, ४९ उप-मंडलों, २९ जिलों, १७५ [[तालुक]] तथा ७४५ राजस्व वृत्तों में बांटा गया है।<ref name="split">{{cite web|url=http://karnatakaforest.gov.in/English/forest_glance/forest_at_glance.htm|title= स्टैटिस्टिक्स- कर्नाटक स्टेट |work= वन विभाग |publisher= कर्नाटक सरकार |accessdate= ४ जून २००७}}</ref> प्रत्येक जिले के प्रशासन का अध्यक्ष वहां का उपायुक्त (डिप्टी कमिश्नर) होता है। उपायुक्त एक [[भारतीय प्रशासनिक सेवा]] का अधिकारी होता है तथा उसकी सहायता हेतु राज्य सरकार के अनेक उच्चाधिकारी तत्पर रहते हैं। [[भारतीय पुलिस सेवा]] से एक अधिकारी राज्य में उपायुक्त पद पर आसीन रहता है। उसके अधीन भी राज्य पुलिस सेवा के अनेक उच्चाधिकारी तत्पर रहते हैं। पुलिस उपायुक्त जिले में न्याय और प्रशासन संबंधी देखभाल के लिये उत्तरदायी होता है। [[भारतीय वन सेवा]] से एक अधिकारी वन उपसंक्षक अधिकारी (डिप्टी कन्ज़र्वेटर ऑफ फ़ॉरेस्ट्स) के पद पर तैनात होता है। ये जिले में वन और पादप संबंधी मामलों हेतु उत्तरदायी रहता है। प्रत्येक विभाग के विकास अनुभाग के जिला अधिकारी राज्य में विभिन्न प्रकार की प्रगति देखते हैं, जैसे राज्य लोक सेवा विभाग, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पशुपालन आदि। ] बीच में बना है। इसके ऊपर घेरे हुए चार सिंह चारों दिशाओं में देख रहे हैं। इसे [[सारनाथ]] में [[अशोक स्तंभ]] से लिया गया है। इस चिह्न में दो शरभ हैं, जिनके [[हाथी]] के सिर और [[सिंह]] के धड़ हैं।]]
प्रशासनिक सुविधा हेतु कर्नाटक राज्य को चार राजस्व विभागों, ४९ उप-मंडलों, २९ जिलों, १७५ [[तालुक]] तथा ७४५ राजस्व वृत्तों में बांटा गया है।<ref name="split">{{cite web |url= http://karnatakaforest.gov.in/English/forest_glance/forest_at_glance.htm |title= स्टैटिस्टिक्स- कर्नाटक स्टेट |work= वन विभाग |publisher= कर्नाटक सरकार |accessdate= ४ जून २००७ |archive-url= https://web.archive.org/web/20070927093340/http://karnatakaforest.gov.in/English/forest_glance/forest_at_glance.htm |archive-date= 27 सितंबर 2007 |url-status= dead }}</ref> प्रत्येक जिले के प्रशासन का अध्यक्ष वहां का उपायुक्त (डिप्टी कमिश्नर) होता है। उपायुक्त एक [[भारतीय प्रशासनिक सेवा]] का अधिकारी होता है तथा उसकी सहायता हेतु राज्य सरकार के अनेक उच्चाधिकारी तत्पर रहते हैं। [[भारतीय पुलिस सेवा]] से एक अधिकारी राज्य में उपायुक्त पद पर आसीन रहता है। उसके अधीन भी राज्य पुलिस सेवा के अनेक उच्चाधिकारी तत्पर रहते हैं। पुलिस उपायुक्त जिले में न्याय और प्रशासन संबंधी देखभाल के लिये उत्तरदायी होता है। [[भारतीय वन सेवा]] से एक अधिकारी वन उपसंक्षक अधिकारी (डिप्टी कन्ज़र्वेटर ऑफ फ़ॉरेस्ट्स) के पद पर तैनात होता है। ये जिले में वन और पादप संबंधी मामलों हेतु उत्तरदायी रहता है। प्रत्येक विभाग के विकास अनुभाग के जिला अधिकारी राज्य में विभिन्न प्रकार की प्रगति देखते हैं, जैसे राज्य लोक सेवा विभाग, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पशुपालन आदि। ] बीच में बना है। इसके ऊपर घेरे हुए चार सिंह चारों दिशाओं में देख रहे हैं। इसे [[सारनाथ]] में [[अशोक स्तंभ]] से लिया गया है। इस चिह्न में दो शरभ हैं, जिनके [[हाथी]] के सिर और [[सिंह]] के धड़ हैं।]]
राज्य की न्यायपालिका में सर्वोच्च पीठ कर्नाटक उच्च न्यायालय है, जिसे स्थानीय लोग "अट्टार कचेरी" बुलाते हैं। ये राजधानी [[बंगलुरु]] में स्थित है। इसके अधीन जिला और सत्र न्यायालय प्रत्येक जिले में तथा निम्न स्तरीय न्यायालय ताल्लुकों में कार्यरत हैं।
राज्य की न्यायपालिका में सर्वोच्च पीठ कर्नाटक उच्च न्यायालय है, जिसे स्थानीय लोग "अट्टार कचेरी" बुलाते हैं। ये राजधानी [[बंगलुरु]] में स्थित है। इसके अधीन जिला और सत्र न्यायालय प्रत्येक जिले में तथा निम्न स्तरीय न्यायालय ताल्लुकों में कार्यरत हैं।


[[:Image:Karnataka emblem.png|कर्नाटक राज के आधिकारिक चिह्न]] में [[गंडबेरुण्ड|''गंद बेरुंड'']] बीच में बना है। इसके ऊपर घेरे हुए चार सिंह चारों दिशाओं में देख रहे हैं। इसे [[सारनाथ]] में [[अशोक स्तंभ]] से लिया गया है। इस चिह्न में दो शरभ हैं, जिनके [[हाथी]] के सिर और [[सिंह]] के धड़ हैं। कर्नाटक की राजनीति में मुख्यतः तीन राजनैतिक पार्टियों: [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]], [[भारतीय जनता पार्टी]] और [[जनता दल]] का ही वर्चस्व रहता है।<ref name="politics">{{cite web|url=http://www.ourkarnataka.com/Articles/starofmysore/karnatakapolitics1.htm|title=कर्नाटक पॉलिटिक्स – सस्पेन्स टिल २७ जनवरी |work= OurKarnataka.com|publisher=OurKarnataka.Com,Inc.|accessdate=४ जून २००७}}</ref> कर्नाटक के राजनीतिज्ञों ने भारत की [[भारत सरकार|संघीय सरकार]] में [[भारत के प्रधानमंत्री|प्रधानमंत्री]] तथा [[भारत के उपराष्ट्रपति|उपराष्ट्रपति]] जैसे उच्च पदों की भी शोभा बढ़ायी है। वर्तमान [[संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन]] ([[यू.पी.ए]] सरकार में भी तीन [[पंद्रहवीं लोकसभा का मंत्रीमंडल|कैबिनेट स्तरीय मंत्री]] कर्नाटक से हैं। इनमें से उल्लेखनीय हैं पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान [[क़ानून एवं न्याय मंत्रालय, भारत सरकार|क़ानून एवं न्याय मंत्रालय]] – [[वीरप्पा मोइली]] हैं। राज्य के [[कासरगोड जिला|कासरगोड]]<ref name="kasaragod-dispute">{{cite news | first= | last= |author2= | title= 'गवर्न्मेंट नॉट कीन ऑन सॉल्विंग कसरगोड डिस्प्यूट' | date=२४ अक्टूबर २००५ | publisher=द हिन्दू| url =http://www.hindu.com/2005/10/24/stories/2005102417830300.htm | work = | pages = | language = अंग्रेज़ी}}</ref> और [[शोलापुर]]<ref name="sholapur-dispute">{{cite news | first= | last= |author2= | title= बॉर्डर रो: गवर्न्मेन्ट टोल्ड टू फ़ाइण्ड पर्मानेन्ट सॉल्यूशन | date=२९ सितंबर २००६ | publisher=द हिन्दू| url =http://www.hindu.com/2006/09/29/stories/2006092902300300.htm | work = | pages = | language = अंग्रेज़ी}}</ref> जिलों पर तथा [[महाराष्ट्र]] के [[:en:Belgaum border dispute|बेलगाम पर दावे]] के विवाद राज्यों के पुनर्संगठन काल से ही चले आ रहे हैं।<ref name="belgaummajority1">{{cite news|author =|title = बॉर्डर डिस्प्यूट सॉल्व्स एन.सी.पी द ब्लशेज़ |url = http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/2030188.cms|publisher = द टाइम्स ऑफ इण्डिया|date = २६ सितंबर २००६}}</ref>
[[:Image:Karnataka emblem.png|कर्नाटक राज के आधिकारिक चिह्न]] में [[गंडबेरुण्ड|''गंद बेरुंड'']] बीच में बना है। इसके ऊपर घेरे हुए चार सिंह चारों दिशाओं में देख रहे हैं। इसे [[सारनाथ]] में [[अशोक स्तंभ]] से लिया गया है। इस चिह्न में दो शरभ हैं, जिनके [[हाथी]] के सिर और [[सिंह]] के धड़ हैं। कर्नाटक की राजनीति में मुख्यतः तीन राजनैतिक पार्टियों: [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]], [[भारतीय जनता पार्टी]] और [[जनता दल]] का ही वर्चस्व रहता है।<ref name="politics">{{cite web|url=http://www.ourkarnataka.com/Articles/starofmysore/karnatakapolitics1.htm|title=कर्नाटक पॉलिटिक्स – सस्पेन्स टिल २७ जनवरी|work=OurKarnataka.com|publisher=OurKarnataka.Com,Inc.|accessdate=४ जून २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20070927003409/http://www.ourkarnataka.com/Articles/starofmysore/karnatakapolitics1.htm|archive-date=27 सितंबर 2007|url-status=dead}}</ref> कर्नाटक के राजनीतिज्ञों ने भारत की [[भारत सरकार|संघीय सरकार]] में [[भारत के प्रधानमंत्री|प्रधानमंत्री]] तथा [[भारत के उपराष्ट्रपति|उपराष्ट्रपति]] जैसे उच्च पदों की भी शोभा बढ़ायी है। वर्तमान [[संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन]] ([[यू.पी.ए]] सरकार में भी तीन [[पंद्रहवीं लोकसभा का मंत्रीमंडल|कैबिनेट स्तरीय मंत्री]] कर्नाटक से हैं। इनमें से उल्लेखनीय हैं पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान [[क़ानून एवं न्याय मंत्रालय, भारत सरकार|क़ानून एवं न्याय मंत्रालय]] – [[वीरप्पा मोइली]] हैं। राज्य के [[कासरगोड जिला|कासरगोड]]<ref name="kasaragod-dispute">{{cite news | first= | last= | author2= | title= 'गवर्न्मेंट नॉट कीन ऑन सॉल्विंग कसरगोड डिस्प्यूट' | date= २४ अक्टूबर २००५ | publisher= द हिन्दू | url= http://www.hindu.com/2005/10/24/stories/2005102417830300.htm | work= | pages= | language= अंग्रेज़ी | access-date= 20 नवंबर 2010 | archive-url= https://web.archive.org/web/20080116160641/http://www.hindu.com/2005/10/24/stories/2005102417830300.htm | archive-date= 16 जनवरी 2008 | url-status= live }}</ref> और [[शोलापुर]]<ref name="sholapur-dispute">{{cite news | first= | last= | author2= | title= बॉर्डर रो: गवर्न्मेन्ट टोल्ड टू फ़ाइण्ड पर्मानेन्ट सॉल्यूशन | date= २९ सितंबर २००६ | publisher= द हिन्दू | url= http://www.hindu.com/2006/09/29/stories/2006092902300300.htm | work= | pages= | language= अंग्रेज़ी | access-date= 20 नवंबर 2010 | archive-url= https://web.archive.org/web/20071001031711/http://www.hindu.com/2006/09/29/stories/2006092902300300.htm | archive-date= 1 अक्तूबर 2007 | url-status= live }}</ref> जिलों पर तथा [[महाराष्ट्र]] के [[:en:Belgaum border dispute|बेलगाम पर दावे]] के विवाद राज्यों के पुनर्संगठन काल से ही चले आ रहे हैं।<ref name="belgaummajority1">{{cite news|author = |title = बॉर्डर डिस्प्यूट सॉल्व्स एन.सी.पी द ब्लशेज़|url = http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/2030188.cms|publisher = द टाइम्स ऑफ इण्डिया|date = २६ सितंबर २००६|access-date = 20 नवंबर 2010|archive-url = https://web.archive.org/web/20090112132644/http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/2030188.cms|archive-date = 12 जनवरी 2009|url-status = live}}</ref>


== अर्थव्यवस्था ==
== अर्थव्यवस्था ==


कर्नाटक राज्य का वर्ष २००७-०८ का [[सकल घरेलु उत्पाद|सकल राज्य घरेलु उत्पाद]] लगभग {{रु}} २१५.२८२ हजार करोड़ ($ ५१.२५ बिलियन) रहा।<ref name="contrib">{{cite web|url=http://www.kar.nic.in/finance/bud2008/budhig08.pdf|title=हाईलाईट्स ऑफ कर्नाटक्स बजट २००८-०९ |work=वित्त विभाग |publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=१९ अगस्त २००८|format=पीडीएफ़}}</ref> २००७-०८ में इसके सकल घरेलु उत्पाद में ७% की वृद्धी हुई थी।<ref name="gsdp">{{cite web|url=http://www.thehindubusinessline.com/2008/07/21/stories/2008072151311500.htm|title= कर्नाटक्स बजट बेस्ड ऑन ५% इन्फ़्लेशन रेट |author=ए. श्रीनिवास|work=द हिन्दू, २१ जुलाई २००८|publisher= २००८, द हिन्दू बिज़्नेस लाइन |accessdate=१९ अगस्त २००८}}</ref> भारत के राष्ट्रीय [[सकल घरेलु उत्पाद]] में वर्ष २००४-०५ में इस राज्य का योगदान ५.२% रहा था।<ref name="gsdp1">{{cite web|url=http://mospi.nic.in/6_gsdp_cur_9394ser.htm|work=सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय |publisher=भारत सरकार|title=स्टेटमेन्ट: ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रॉडक्ट ऍट करेन्ट प्राइसेज़ |accessdate=११ जून २००७}}</ref>
कर्नाटक राज्य का वर्ष २००७-०८ का [[सकल घरेलु उत्पाद|सकल राज्य घरेलु उत्पाद]] लगभग {{रु}} २१५.२८२ हजार करोड़ ($ ५१.२५ बिलियन) रहा।<ref name="contrib">{{cite web|url=http://www.kar.nic.in/finance/bud2008/budhig08.pdf|title=हाईलाईट्स ऑफ कर्नाटक्स बजट २००८-०९|work=वित्त विभाग|publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=१९ अगस्त २००८|format=पीडीएफ़|archive-url=https://web.archive.org/web/20110722060310/http://www.kar.nic.in/finance/bud2008/budhig08.pdf|archive-date=22 जुलाई 2011|url-status=dead}}</ref> २००७-०८ में इसके सकल घरेलु उत्पाद में ७% की वृद्धी हुई थी।<ref name="gsdp">{{cite web|url=http://www.thehindubusinessline.com/2008/07/21/stories/2008072151311500.htm|title= कर्नाटक्स बजट बेस्ड ऑन ५% इन्फ़्लेशन रेट |author=ए. श्रीनिवास|work=द हिन्दू, २१ जुलाई २००८|publisher= २००८, द हिन्दू बिज़्नेस लाइन |accessdate=१९ अगस्त २००८}}</ref> भारत के राष्ट्रीय [[सकल घरेलु उत्पाद]] में वर्ष २००४-०५ में इस राज्य का योगदान ५.२% रहा था।<ref name="gsdp1">{{cite web|url=http://mospi.nic.in/6_gsdp_cur_9394ser.htm|work=सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय|publisher=भारत सरकार|title=स्टेटमेन्ट: ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रॉडक्ट ऍट करेन्ट प्राइसेज़|accessdate=११ जून २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20160303231836/http://mospi.nic.in/6_gsdp_cur_9394ser.htm|archive-date=3 मार्च 2016|url-status=dead}}</ref>
कर्नाटक पिछले कुछ दशकों में जीडीपी एवं प्रति व्यक्ति जीडीपी के पदों में तीव्रतम विकासशील राज्यों में रहा है। यह ५६.२% जीडीपी और ४३.९% प्रति व्यक्ति जीडीपी के साथ भारतीय राज्यों में छठे स्थान पर आता है।<ref name="percapita">{{cite web|url=http://www.thehindubusinessline.com/2005/06/09/stories/2005060900951700.htm|title= इन टर्म्स ऑफ पर कैपिटा जीडीपी — कर्नाटक, बंगाल फ़ास्टेस्ट ग्रोइंग स्टेट्स |work=द हिन्दु, ९ जून २००५ |publisher=द हिन्दू, २००५ |accessdate=११ जून २००७}}</ref> सितंबर, २००६ तक इसे वित्तीय वर्ष २००६-०७ के लिये ७८.०९७ बिलियन ($ १.७२५५ बिलियन) का विदेशी निवेश प्राप्त हुआ था, जिससे राज्य भारत के अन्य राज्यों में तीसरे स्थान पर था।<ref name="fdi">{{cite web|url=http://indiabudget.nic.in/es2006-07/chapt2007/chap78.pdf|title=फ़ॉरेन डयरेक्ट इन्वेस्टमेंट |author=भारत सरकार|work=इण्डियन बजट - २००७|accessdate=११ जून २००७|format=पीडीएफ़}}</ref> वर्ष २००४ के अंत तक, राज्य में अनुद्योग दर (बेरोजगार दर) ४.९४% थी, जो राष्ट्रीय अनुद्योग दर ५.९९% से कम थी।<ref name="unemployment">{{cite web|url=http://indiabudget.nic.in/es2003-04/chapt2004/chap104.pdf|title=एम्प्लॉयमेंट एण्ड अनेम्प्लॉयमेंट |author=भारत सरकार|work=इण्डियन बजट - २००७|accessdate=१९ जून २००७|format=पीडीएफ}}</ref> वित्तीय वर्ष २००६-०७ में राज्य की [[मुद्रा स्फीति दर]] ४.४% थी, जो राष्ट्रीय दर ४.७% से थोड़ी कम थी।<ref name="inflation">{{cite web|url=http://www.kar.nic.in/finance/bud2006/budhig06.htm|title=बजट २००६-२००७|work=वित्त विभाग |publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=१९ जून २००७}}</ref> वर्ष २००४-०५ में राज्य का अनुमानित गरीबी अनुपात १७% रहा, जो राष्ट्रीय अनुपात २७.५% से कहीं नीचे है।<ref name="poor">{{cite web|url=http://planningcommission.nic.in/news/prmar07.pdf|title= पोवर्टी एस्टिमेट्स फ़ॉर २००४-२००५|work=योजना आयोग |publisher=भारत सरकार|accessdate=१८ जुलाई २००७|format=पीडीएफ}}</ref>
कर्नाटक पिछले कुछ दशकों में जीडीपी एवं प्रति व्यक्ति जीडीपी के पदों में तीव्रतम विकासशील राज्यों में रहा है। यह ५६.२% जीडीपी और ४३.९% प्रति व्यक्ति जीडीपी के साथ भारतीय राज्यों में छठे स्थान पर आता है।<ref name="percapita">{{cite web|url=http://www.thehindubusinessline.com/2005/06/09/stories/2005060900951700.htm|title=इन टर्म्स ऑफ पर कैपिटा जीडीपी — कर्नाटक, बंगाल फ़ास्टेस्ट ग्रोइंग स्टेट्स|work=द हिन्दु, ९ जून २००५|publisher=द हिन्दू, २००५|accessdate=११ जून २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20101005090908/http://www.thehindubusinessline.com/2005/06/09/stories/2005060900951700.htm|archive-date=5 अक्तूबर 2010|url-status=live}}</ref> सितंबर, २००६ तक इसे वित्तीय वर्ष २००६-०७ के लिये ७८.०९७ बिलियन ($ १.७२५५ बिलियन) का विदेशी निवेश प्राप्त हुआ था, जिससे राज्य भारत के अन्य राज्यों में तीसरे स्थान पर था।<ref name="fdi">{{cite web|url=http://indiabudget.nic.in/es2006-07/chapt2007/chap78.pdf|title=फ़ॉरेन डयरेक्ट इन्वेस्टमेंट|author=भारत सरकार|work=इण्डियन बजट - २००७|accessdate=११ जून २००७|format=पीडीएफ़|archive-url=https://web.archive.org/web/20101205042243/http://indiabudget.nic.in/es2006-07/chapt2007/chap78.pdf|archive-date=5 दिसंबर 2010|url-status=dead}}</ref> वर्ष २००४ के अंत तक, राज्य में अनुद्योग दर (बेरोजगार दर) ४.९४% थी, जो राष्ट्रीय अनुद्योग दर ५.९९% से कम थी।<ref name="unemployment">{{cite web|url=http://indiabudget.nic.in/es2003-04/chapt2004/chap104.pdf|title=एम्प्लॉयमेंट एण्ड अनेम्प्लॉयमेंट|author=भारत सरकार|work=इण्डियन बजट - २००७|accessdate=१९ जून २००७|format=पीडीएफ|archive-url=https://web.archive.org/web/20101224155012/http://indiabudget.nic.in/es2003-04/chapt2004/chap104.pdf|archive-date=24 दिसंबर 2010|url-status=dead}}</ref> वित्तीय वर्ष २००६-०७ में राज्य की [[मुद्रा स्फीति दर]] ४.४% थी, जो राष्ट्रीय दर ४.७% से थोड़ी कम थी।<ref name="inflation">{{cite web|url=http://www.kar.nic.in/finance/bud2006/budhig06.htm|title=बजट २००६-२००७|work=वित्त विभाग|publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=१९ जून २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20060822072325/http://www.kar.nic.in/finance/bud2006/budhig06.htm|archive-date=22 अगस्त 2006|url-status=dead}}</ref> वर्ष २००४-०५ में राज्य का अनुमानित गरीबी अनुपात १७% रहा, जो राष्ट्रीय अनुपात २७.५% से कहीं नीचे है।<ref name="poor">{{cite web|url=http://planningcommission.nic.in/news/prmar07.pdf|title=पोवर्टी एस्टिमेट्स फ़ॉर २००४-२००५|work=योजना आयोग|publisher=भारत सरकार|accessdate=१८ जुलाई २००७|format=पीडीएफ|archive-url=https://web.archive.org/web/20110107150449/http://planningcommission.nic.in/news/prmar07.pdf|archive-date=7 जनवरी 2011|url-status=dead}}</ref>


कर्नाटक की लगभग ५६% जनसंख्या कृषि और संबंधित गतिविधियों में संलग्न है।<ref name="excel">{{cite web|url=http://planningcommission.nic.in/plans/stateplan/sdr_pdf/shdr_kar05.pdf|title= कर्नाटक ह्यूमन डवलपमेंट रिपोर्ट २००५ |work=योजना आयोग |publisher=भारत सरकार|accessdate=४ जून २००७|format=पीडीएफ़}}</ref> राज्य की कुल भूमि का ६४.६%, यानि १.२३१ करोड़ हेक्टेयर भूमि कृषि कार्यों में संलग्न है।<ref name="stats">{{cite web|url=http://raitamitra.kar.nic.in/Agri%20Policy%20Eng.pdf|title=कर्नाटक एग्रीकल्चरल पॉलिसी २००६|work=कृषि विभाग |publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=४ जून २००७|format=पीडीएफ़}}</ref> यहाँ के कुल रोपित क्षेत्र का २६.५% ही सिंचित क्षेत्र है। इसलिए यहाँ की अधिकांश खेती [[मानसून|दक्षिण-पश्चिम मानसून]] पर निर्भर है।<ref name="stats"/> यहाँ भारत के [[सार्वजनिक क्षेत्र]] के अनेक बड़े उद्योग स्थापित किए गए हैं, जैसे [[हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड]], [[नेशनल एरोस्पेस लैबोरेटरीज़]], [[भारत हैवी एलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड]], [[इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज़]], [[भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड]] एवं [[हिन्दुस्तान मशीन टूल्स]] आदि जो बंगलुरु में ही स्थित हैं। यहाँ भारत के कई प्रमुख विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र भी हैं, जैसे [[भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन]], [[केन्द्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान]], [[भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड]] एवं [[केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान]]। [[मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकैमिकल्स लिमिटेड]], [[मंगलोर]] में स्थित एक तेल शोधन केन्द्र है।
कर्नाटक की लगभग ५६% जनसंख्या कृषि और संबंधित गतिविधियों में संलग्न है।<ref name="excel">{{cite web|url=http://planningcommission.nic.in/plans/stateplan/sdr_pdf/shdr_kar05.pdf|title=कर्नाटक ह्यूमन डवलपमेंट रिपोर्ट २००५|work=योजना आयोग|publisher=भारत सरकार|accessdate=४ जून २००७|format=पीडीएफ़|archive-url=https://web.archive.org/web/20070615001643/http://planningcommission.nic.in/plans/stateplan/sdr_pdf/shdr_kar05.pdf|archive-date=15 जून 2007|url-status=dead}}</ref> राज्य की कुल भूमि का ६४.६%, यानि १.२३१ करोड़ हेक्टेयर भूमि कृषि कार्यों में संलग्न है।<ref name="stats">{{cite web|url=http://raitamitra.kar.nic.in/Agri%20Policy%20Eng.pdf|title=कर्नाटक एग्रीकल्चरल पॉलिसी २००६|work=कृषि विभाग|publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=४ जून २००७|format=पीडीएफ़|archive-url=https://web.archive.org/web/20070615001645/http://raitamitra.kar.nic.in/Agri%20Policy%20Eng.pdf|archive-date=15 जून 2007|url-status=live}}</ref> यहाँ के कुल रोपित क्षेत्र का २६.५% ही सिंचित क्षेत्र है। इसलिए यहाँ की अधिकांश खेती [[मानसून|दक्षिण-पश्चिम मानसून]] पर निर्भर है।<ref name="stats"/> यहाँ भारत के [[सार्वजनिक क्षेत्र]] के अनेक बड़े उद्योग स्थापित किए गए हैं, जैसे [[हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड]], [[नेशनल एरोस्पेस लैबोरेटरीज़]], [[भारत हैवी एलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड]], [[इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज़]], [[भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड]] एवं [[हिन्दुस्तान मशीन टूल्स]] आदि जो बंगलुरु में ही स्थित हैं। यहाँ भारत के कई प्रमुख विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र भी हैं, जैसे [[भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन]], [[केन्द्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान]], [[भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड]] एवं [[केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान]]। [[मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकैमिकल्स लिमिटेड]], [[मंगलोर]] में स्थित एक तेल शोधन केन्द्र है।


१९८० के दशक से कर्नाटक (विशेषकर बंगलुरु) [[सूचना प्रौद्योगिकी]] के क्षेत्र में विशेष उभरा है। वर्ष २००७ के आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक से लगभग २००० आई.टी फर्म संचालित हो रही थीं। इनमें से कई के मुख्यालय भी राज्य में ही स्थित हैं, जिनमें दो सबसे बड़ी आई.टी कंपनियां [[इन्फोसिस]] और [[विप्रो]] हैं।<ref name="it" /> इन संस्थाओं से निर्यात रु. ५०,००० करोड़ (१२.५ बिलियन) से भी अधिक पहुंचा है, जो भारत के कुल सूचना प्रौद्योगिकी निर्यात का ३८% है।<ref name="it">{{cite web|url=http://www.financialexpress.com/old/fe_full_story.php?content_id=164868|work=द फ़ाइनेन्शियल एक्स्प्रेस, २२ मई २००७|title=आईटी एक्स्पोर्ट्स फ़्रॉम कर्नाटक एक्सीड्स रु.५०के करोड़ |publisher=२००७: इण्डियन एक्स्प्रेस न्यूज़पेपर (मुंबई) लि.|accessdate=५ जून २००७}}</ref> [[देवनहल्ली]] के बाहरी ओर का [[नंदी हिल]] क्षेत्र में ५० वर्ग कि.मी भाग, आने वाले २२ बिलियन के [[ब्याल आईटी निवेश क्षेत्र]] की स्थली है। ये कर्नाटक की मूल संरचना इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी परियोजना है।<ref>[http://www.hindu.com/2010/01/29/stories/2010012953620400.htm स्टेट कैबिनेट अप्रूव्स आई.टी पार्क नियर देवनहल्ली एयरपोर्ट]। द हिन्दू। २९ जनवरी २०१०। विशेष संवाददाता</ref> इन सब कारणों के चलते ही बंगलौर को भारत की सिलिकॉन घाटी कहा जाने लगा है।<ref name="business">{{cite web|url=http://www.indiainbusiness.nic.in/know-india/states/karnataka.htm|work=Ministry of External affairs|title=India in Business|publisher=भारत सरकार|accessdate=11 जून 2007}}</ref>
१९८० के दशक से कर्नाटक (विशेषकर बंगलुरु) [[सूचना प्रौद्योगिकी]] के क्षेत्र में विशेष उभरा है। वर्ष २००७ के आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक से लगभग २००० आई.टी फर्म संचालित हो रही थीं। इनमें से कई के मुख्यालय भी राज्य में ही स्थित हैं, जिनमें दो सबसे बड़ी आई.टी कंपनियां [[इन्फोसिस]] और [[विप्रो]] हैं।<ref name="it" /> इन संस्थाओं से निर्यात रु. ५०,००० करोड़ (१२.५ बिलियन) से भी अधिक पहुंचा है, जो भारत के कुल सूचना प्रौद्योगिकी निर्यात का ३८% है।<ref name="it">{{cite web|url=http://www.financialexpress.com/old/fe_full_story.php?content_id=164868|work=द फ़ाइनेन्शियल एक्स्प्रेस, २२ मई २००७|title=आईटी एक्स्पोर्ट्स फ़्रॉम कर्नाटक एक्सीड्स रु.५०के करोड़|publisher=२००७: इण्डियन एक्स्प्रेस न्यूज़पेपर (मुंबई) लि.|accessdate=५ जून २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20080212034256/http://www.financialexpress.com/old/fe_full_story.php?content_id=164868|archive-date=12 फ़रवरी 2008|url-status=live}}</ref> [[देवनहल्ली]] के बाहरी ओर का [[नंदी हिल]] क्षेत्र में ५० वर्ग कि.मी भाग, आने वाले २२ बिलियन के [[ब्याल आईटी निवेश क्षेत्र]] की स्थली है। ये कर्नाटक की मूल संरचना इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी परियोजना है।<ref>[http://www.hindu.com/2010/01/29/stories/2010012953620400.htm स्टेट कैबिनेट अप्रूव्स आई.टी पार्क नियर देवनहल्ली एयरपोर्ट] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20100405143940/http://www.hindu.com/2010/01/29/stories/2010012953620400.htm |date=5 अप्रैल 2010 }}। द हिन्दू। २९ जनवरी २०१०। विशेष संवाददाता</ref> इन सब कारणों के चलते ही बंगलौर को भारत की सिलिकॉन घाटी कहा जाने लगा है।<ref name="business">{{cite web|url=http://www.indiainbusiness.nic.in/know-india/states/karnataka.htm|work=Ministry of External affairs|title=India in Business|publisher=भारत सरकार|accessdate=11 जून 2007|archive-url=https://web.archive.org/web/20070805124658/http://www.indiainbusiness.nic.in/know-india/states/karnataka.htm|archive-date=5 अगस्त 2007|url-status=dead}}</ref>


भारत में कर्नाटक [[जैवप्रौद्योगिकी]] के क्षेत्र में भी अग्रणी है। यह भारत के सबसे बड़े जैव आधारित उद्योग समूह का केन्द्र भी है। यहां देश की ३२० जैवप्रौद्योगिकी संस्थाओं व कंपनियों में से १५८ स्थित हैं।<ref name="biotech">{{cite web|url=http://www.blonnet.com/2006/06/08/stories/2006060804710300.htm|work=द हिन्दू बिज़्नेस लाइन, ८ जून. २००६|title=बैंगलौर टॉप्स बायोक्लस्टर लिस्ट विद रु.१४०० करोड़ रेवेन्यु |publisher=© २००६, द हिन्दू बिज़्नेस लाइन |accessdate=५ जून २००६}}</ref> इसी राज्य से भारत के कुल पुष्प-उद्योग का ७५% योगदान है। पुष्प उद्योग तेजी से उभरता और फैलता उद्योग है, जिसमें विश्व भर में सजावटी पौधे और फूलों की आपूर्ति की जाती है।<ref name="flower">{{cite web|url=http://www.karnataka.com/industry/floriculture/|work=वन इण्डिया न्यूज़, १२ जून २००७|title=फ्लोरीकल्चर|publisher=www.Karnataka.com|accessdate=१२ जून २००७}}</ref>
भारत में कर्नाटक [[जैवप्रौद्योगिकी]] के क्षेत्र में भी अग्रणी है। यह भारत के सबसे बड़े जैव आधारित उद्योग समूह का केन्द्र भी है। यहां देश की ३२० जैवप्रौद्योगिकी संस्थाओं व कंपनियों में से १५८ स्थित हैं।<ref name="biotech">{{cite web|url=http://www.blonnet.com/2006/06/08/stories/2006060804710300.htm|work=द हिन्दू बिज़्नेस लाइन, ८ जून. २००६|title=बैंगलौर टॉप्स बायोक्लस्टर लिस्ट विद रु.१४०० करोड़ रेवेन्यु|publisher=© २००६, द हिन्दू बिज़्नेस लाइन|accessdate=५ जून २००६|archive-url=https://web.archive.org/web/20070929121144/http://www.blonnet.com/2006/06/08/stories/2006060804710300.htm|archive-date=29 सितंबर 2007|url-status=dead}}</ref> इसी राज्य से भारत के कुल पुष्प-उद्योग का ७५% योगदान है। पुष्प उद्योग तेजी से उभरता और फैलता उद्योग है, जिसमें विश्व भर में सजावटी पौधे और फूलों की आपूर्ति की जाती है।<ref name="flower">{{cite web|url=http://www.karnataka.com/industry/floriculture/|work=वन इण्डिया न्यूज़, १२ जून २००७|title=फ्लोरीकल्चर|publisher=www.Karnataka.com|accessdate=१२ जून २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20101008011227/http://www.karnataka.com/industry/floriculture/|archive-date=8 अक्तूबर 2010|url-status=live}}</ref>


भारत के अग्रणी बैंकों में से सात बैंकों, [[केनरा बैंक]], [[सिंडिकेट बैंक]], [[कार्पोरेशन बैंक]], [[विजया बैंक]], [[कर्नाटक बैंक]], [[वैश्य बैंक]] और [[स्टेट बैंक ऑफ मैसूर]] का उद्गम इसी राज्य से हुआ था।<ref name="cradle">{{cite web|url=http://www.flonnet.com/fl2221/stories/20051021002509200.htm|work=द फ़्रंटलाइन, खण्ड २२, इशू-२१ अक्टूबर २००५|title=बिल्डिंग ऑन अ स्ट्रॉन्ग बेस |author=रवि शर्मा |publisher=फ़्रंटलाइन|accessdate=२१ जून २००७}}</ref> राज्य के तटीय जिलों [[उडुपी]] और [[दक्षिण कन्नड़]] में प्रति ५०० व्यक्ति एक बैंक शाखा है। ये भारत का सर्वश्रेष्ठ बैंक वितरण है।<ref name="fl">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/fline/fl2015/stories/20030801002810400.htm|work=द फ़्रंटलाईन, खण्ड २०, इशु:१५, १९ जुलाई,-१ अगस्त २००३ |title=ए पायोनियर्स प्रॉग्रेस |author=रवि शर्मा |publisher=फ़्रंटलाईन|accessdate=२१ जून २००७}}</ref> मार्च २००२ के अनुसार, कर्नाटक राज्य में विभिन्न बैंकों की ४७६७ शाखाएं हैं, जिनमें से प्रत्येक शाखा औसत ११,००० व्यक्तियों की सेवा करती है। ये आंकड़े राष्ट्रीय औसत १६,००० से काफी कम है।<ref name="rbi">{{cite web|url=http://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Publications/PDFs/35585.pdf|title=स्टेट/यूनियन टेरिटरी वाइज़ नंबर ऑफ ब्रांचेज़ ऑफ शिड्यूल्ड कमर्शियल बैंक्स एण्ड एवरेज पॉपुलेशन पर बैंक ब्रांच– मार्च २००२|work=भारतीय रिज़र्व बैंक का ऑनलाइन वेबपेज |accessdate=२१ जून २००७|format=पीडीएफ़}}</ref>
भारत के अग्रणी बैंकों में से सात बैंकों, [[केनरा बैंक]], [[सिंडिकेट बैंक]], [[कार्पोरेशन बैंक]], [[विजया बैंक]], [[कर्नाटक बैंक]], [[वैश्य बैंक]] और [[स्टेट बैंक ऑफ मैसूर]] का उद्गम इसी राज्य से हुआ था।<ref name="cradle">{{cite web|url=http://www.flonnet.com/fl2221/stories/20051021002509200.htm|work=द फ़्रंटलाइन, खण्ड २२, इशू-२१ अक्टूबर २००५|title=बिल्डिंग ऑन अ स्ट्रॉन्ग बेस|author=रवि शर्मा|publisher=फ़्रंटलाइन|accessdate=२१ जून २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20071007155202/http://www.flonnet.com/fl2221/stories/20051021002509200.htm|archive-date=7 अक्तूबर 2007|url-status=dead}}</ref> राज्य के तटीय जिलों [[उडुपी]] और [[दक्षिण कन्नड़]] में प्रति ५०० व्यक्ति एक बैंक शाखा है। ये भारत का सर्वश्रेष्ठ बैंक वितरण है।<ref name="fl">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/fline/fl2015/stories/20030801002810400.htm|work=द फ़्रंटलाईन, खण्ड २०, इशु:१५, १९ जुलाई,-१ अगस्त २००३|title=ए पायोनियर्स प्रॉग्रेस|author=रवि शर्मा|publisher=फ़्रंटलाईन|accessdate=२१ जून २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20071012200723/http://hinduonnet.com/fline/fl2015/stories/20030801002810400.htm|archive-date=12 अक्तूबर 2007|url-status=live}}</ref> मार्च २००२ के अनुसार, कर्नाटक राज्य में विभिन्न बैंकों की ४७६७ शाखाएं हैं, जिनमें से प्रत्येक शाखा औसत ११,००० व्यक्तियों की सेवा करती है। ये आंकड़े राष्ट्रीय औसत १६,००० से काफी कम है।<ref name="rbi">{{cite web|url=http://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Publications/PDFs/35585.pdf|title=स्टेट/यूनियन टेरिटरी वाइज़ नंबर ऑफ ब्रांचेज़ ऑफ शिड्यूल्ड कमर्शियल बैंक्स एण्ड एवरेज पॉपुलेशन पर बैंक ब्रांच– मार्च २००२|work=भारतीय रिज़र्व बैंक का ऑनलाइन वेबपेज|accessdate=२१ जून २००७|format=पीडीएफ़|archive-url=https://web.archive.org/web/20070810094850/http://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Publications/PDFs/35585.pdf|archive-date=10 अगस्त 2007|url-status=dead}}</ref>


भारत के ३५०० करोड़ के रेशम उद्योग से अधिकांश भाग कर्नाटक राज्य में आधारित है, विशेषकर उत्तरी बंगलौर क्षेत्रों जैसे मुद्दनहल्ली, कनिवेनारायणपुरा एवं दोड्डबल्लपुर, जहां शहर का ७० करोड़ रेशम उद्योग का अंश स्थित है। यहां की बंगलौर सिल्क और मैसूर सिल्क विश्वप्रसिद्ध हैं।<ref>[http://www.deccanherald.com/content/31009/silk-city-come-up-near.html सिल्क सिटी टू कम अप नियर बंगलौर]</ref><ref>[http://sify.com/news/fullstory.php?a=jg1rkmebjfi&title=Karnataka_silk_weavers_fret_over_falling_profits_due_to_globalisation&tag=Karnataka कर्नाटक के रेशम बुनकर वैश्वीकरण के चलते घाटे में गिरते जा रहे हैं]</ref>
भारत के ३५०० करोड़ के रेशम उद्योग से अधिकांश भाग कर्नाटक राज्य में आधारित है, विशेषकर उत्तरी बंगलौर क्षेत्रों जैसे मुद्दनहल्ली, कनिवेनारायणपुरा एवं दोड्डबल्लपुर, जहां शहर का ७० करोड़ रेशम उद्योग का अंश स्थित है। यहां की बंगलौर सिल्क और मैसूर सिल्क विश्वप्रसिद्ध हैं।<ref>{{Cite web |url=http://www.deccanherald.com/content/31009/silk-city-come-up-near.html |title=सिल्क सिटी टू कम अप नियर बंगलौर |access-date=20 नवंबर 2010 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150715103600/http://www.deccanherald.com/content/31009/silk-city-come-up-near.html |archive-date=15 जुलाई 2015 |url-status=live }}</ref><ref>{{Cite web |url=http://sify.com/news/fullstory.php?a=jg1rkmebjfi&title=Karnataka_silk_weavers_fret_over_falling_profits_due_to_globalisation&tag=Karnataka |title=कर्नाटक के रेशम बुनकर वैश्वीकरण के चलते घाटे में गिरते जा रहे हैं |access-date=20 नवंबर 2010 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150418235819/http://www.sify.com/news/fullstory.php?a=jg1rkmebjfi&title=Karnataka_silk_weavers_fret_over_falling_profits_due_to_globalisation&tag=Karnataka |archive-date=18 अप्रैल 2015 |url-status=dead }}</ref>


== यातायात ==
== यातायात ==
पंक्ति 121: पंक्ति 120:
कर्नाटक में वायु यातायात देश के अन्य भागों की तरह ही बढ़ता हुआ किंतु कहीं उन्नत है। कर्नाटक राज्य में [[बंगलुरु विमानक्षेत्र|बंगलुरु]], [[मंगलौर विमानक्षेत्र|मंगलौर]], [[हुबली विमानक्षेत्र|हुबली]], [[बेलगाम विमानक्षेत्र|बेलगाम]], हम्पी एवं [[बेल्लारी विमानक्षेत्र]] में विमानक्षेत्र हैं, जिनमें [[बंगलुरु विमानक्षेत्र|बंगलुरु]] एवं [[मंगलौर विमानक्षेत्र|मंगलौर]] अंतर्राष्ट्रीय [[विमानक्षेत्र]] हैं। मैसूर, गुलबर्ग, बीजापुर, हस्सन एवं शिमोगा में भी २००७ से प्रचालन कुछ हद तक आरंभ हुआ है।<ref name=5airports>{{cite web|url=http://web.archive.org/web/20071012193016/http://deccanherald.com/Content/Jun52007/district200706045625.asp|accessdate=5 जून 2007|title=५ एयरपोर्ट्स टू बी ऑपरेश्नल सून|work=डेक्कन हेराल्ड, ऑनलाइन; तिथि: ५ जून २००७|publisher=२००७, द प्रिंटर्स (मैसूर) प्रा.लि.|accessdate=२९ जून २००७}}</ref> यहां चालू प्रधान वायुसेवाओं में [[किंगफिशर एयरलाइंस]] एवं [[एयर डेक्कन]] हैं, जो बंगलुरु में आधारित हैं।
कर्नाटक में वायु यातायात देश के अन्य भागों की तरह ही बढ़ता हुआ किंतु कहीं उन्नत है। कर्नाटक राज्य में [[बंगलुरु विमानक्षेत्र|बंगलुरु]], [[मंगलौर विमानक्षेत्र|मंगलौर]], [[हुबली विमानक्षेत्र|हुबली]], [[बेलगाम विमानक्षेत्र|बेलगाम]], हम्पी एवं [[बेल्लारी विमानक्षेत्र]] में विमानक्षेत्र हैं, जिनमें [[बंगलुरु विमानक्षेत्र|बंगलुरु]] एवं [[मंगलौर विमानक्षेत्र|मंगलौर]] अंतर्राष्ट्रीय [[विमानक्षेत्र]] हैं। मैसूर, गुलबर्ग, बीजापुर, हस्सन एवं शिमोगा में भी २००७ से प्रचालन कुछ हद तक आरंभ हुआ है।<ref name=5airports>{{cite web|url=http://web.archive.org/web/20071012193016/http://deccanherald.com/Content/Jun52007/district200706045625.asp|accessdate=5 जून 2007|title=५ एयरपोर्ट्स टू बी ऑपरेश्नल सून|work=डेक्कन हेराल्ड, ऑनलाइन; तिथि: ५ जून २००७|publisher=२००७, द प्रिंटर्स (मैसूर) प्रा.लि.|accessdate=२९ जून २००७}}</ref> यहां चालू प्रधान वायुसेवाओं में [[किंगफिशर एयरलाइंस]] एवं [[एयर डेक्कन]] हैं, जो बंगलुरु में आधारित हैं।


कर्नाटक का रेल यातायात जाल लगभग {{convert|3089|km|mi|0}} लंबा है। २००३ में हुबली में मुख्यालय सहित [[दक्षिण पश्चिम रेलवे|दक्षिण पश्चिमी रेलवे]] के सृजन से पूर्व राज्य [[दक्षिण रेलवे|दक्षिणी]] एवं [[पश्चिमी रेलवे]] मंडलों में आता था। अब राज्य के कई भाग दक्षिण पश्चिमी मंडल में आते हैं, व शेष भाग दक्षिण रेलवे मंडल में आते हैं। तटीय कर्नाटक के भाग [[कोंकण रेलवे]] नेटवर्क के अंतर्गत आते हैं, जिसे भारत में इस शताब्दी की सबसे बड़ी रेलवे परियोजना के रूप में देखा गया है।<ref name="konkan">{{cite web|url=http://pib.nic.in/archieve/lreleng/lyr98/l0498/PIBR220498.html|title=प्राइम मिनिस्टर टू डेडिकेट कोंकण रेलवे लाइन टू द नेशन ऑन १ मई|work=पी.आई.बी|publisher=भारत सरकार|accessdate=18 जुलाई 2007}}</ref> बंगलुरु अन्तर्राज्यीय शहरों से रेल यातायात द्वारा भली-भांति जुड़ा हुआ है। राज्य के अन्य शहर अपेक्षाकृत कम जुड़े हैं।<ref name="rail1">{{cite web|url=http://www.deccanherald.com/archives/dec252006/state143720061225.asp|title=पायलट प्रोजेक्ट: जीपीएस सिस्टम ऑन बंगलौर-हुबली जन शताब्दी|work=डेकन हेराल्ड, ऑनलाइन, ति:२५, दिसम्बर, २००६|publisher=२००५, द प्रिंटर्स (मैसूर) प्रा.लि. |accessdate=६ मई २००७}}</ref><ref name="rail2">{{cite web|url=http://www.ourkarnataka.com/issues/karnataka_railways.htm|author=जी.एस. प्रसन्न कुमार|title=कर्नाटक एण्ड इण्डियन रेलवेज़, Colossal wastage of available resources or is it sheer madness of the authorities concerned|work=ऑनलाईन वेबपेज:OurKarnataka.com|publisher=OurKarnataka.Com, इंका|accessdate=20 अप्रैल 2007}}</ref>
कर्नाटक का रेल यातायात जाल लगभग {{convert|3089|km|mi|0}} लंबा है। २००३ में हुबली में मुख्यालय सहित [[दक्षिण पश्चिम रेलवे|दक्षिण पश्चिमी रेलवे]] के सृजन से पूर्व राज्य [[दक्षिण रेलवे|दक्षिणी]] एवं [[पश्चिमी रेलवे]] मंडलों में आता था। अब राज्य के कई भाग दक्षिण पश्चिमी मंडल में आते हैं, व शेष भाग दक्षिण रेलवे मंडल में आते हैं। तटीय कर्नाटक के भाग [[कोंकण रेलवे]] नेटवर्क के अंतर्गत आते हैं, जिसे भारत में इस शताब्दी की सबसे बड़ी रेलवे परियोजना के रूप में देखा गया है।<ref name="konkan">{{cite web|url=http://pib.nic.in/archieve/lreleng/lyr98/l0498/PIBR220498.html|title=प्राइम मिनिस्टर टू डेडिकेट कोंकण रेलवे लाइन टू द नेशन ऑन १ मई|work=पी.आई.बी|publisher=भारत सरकार|accessdate=18 जुलाई 2007|archive-url=https://web.archive.org/web/20071012205128/http://pib.nic.in/archieve/lreleng/lyr98/l0498/PIBR220498.html|archive-date=12 अक्तूबर 2007|url-status=live}}</ref> बंगलुरु अन्तर्राज्यीय शहरों से रेल यातायात द्वारा भली-भांति जुड़ा हुआ है। राज्य के अन्य शहर अपेक्षाकृत कम जुड़े हैं।<ref name="rail1">{{cite web|url=http://www.deccanherald.com/archives/dec252006/state143720061225.asp|title=पायलट प्रोजेक्ट: जीपीएस सिस्टम ऑन बंगलौर-हुबली जन शताब्दी|work=डेकन हेराल्ड, ऑनलाइन, ति:२५, दिसम्बर, २००६|publisher=२००५, द प्रिंटर्स (मैसूर) प्रा.लि.|accessdate=६ मई २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20071012185947/http://deccanherald.com/archives/dec252006/state143720061225.asp|archive-date=12 अक्तूबर 2007|url-status=live}}</ref><ref name="rail2">{{cite web|url=http://www.ourkarnataka.com/issues/karnataka_railways.htm|author=जी.एस. प्रसन्न कुमार|title=कर्नाटक एण्ड इण्डियन रेलवेज़, Colossal wastage of available resources or is it sheer madness of the authorities concerned|work=ऑनलाईन वेबपेज:OurKarnataka.com|publisher=OurKarnataka.Com, इंका|accessdate=20 अप्रैल 2007|archive-url=https://web.archive.org/web/20070211025612/http://www.ourkarnataka.com/issues/karnataka_railways.htm|archive-date=11 फ़रवरी 2007|url-status=dead}}</ref>


कर्नाटक में ११ जहाजपत्तन हैं, जिनमें मंगलौर पोर्ट सबसे नया है, जो अन्य दस की अपेक्षा सबसे बड़ा और आधुनिक है।<ref name="ports">{{cite web|url=http://www.karnatakaports.in/our_ports.htm|title=माइनर पोर्ट्स ऑफ कर्नाटक|work=Online Webpage of Karnataka Ports Department|publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=6 मई 2007}}</ref> मंगलौर का नया पत्तन भारत के नौंवे प्रधान पत्तन के रूप में [[४ मई]], [[१९७४]] को राष्ट्र को सौंपा गया था। इस पत्तन में वित्तीय वर्ष २००६-०७ में ३ करोड़ २०.४ लाख टन का निर्यात एवं १४१.२ लाख टन का आयात व्यापार हुआ था। इस वित्तीय वर्ष में यहां कुल १०१५ जलपोतों की आवाजाही हुई, जिसमें १८ क्यूज़ पोत थे। राज्य में अन्तर्राज्यीय जलमार्ग उल्लेखनीय स्तर के विकसित नहीं हैं।<ref name="पोर्ट्स">[http://www.karnatakaports.in/ कर्नाटक पोर्ट्स.इन]</ref>
कर्नाटक में ११ जहाजपत्तन हैं, जिनमें मंगलौर पोर्ट सबसे नया है, जो अन्य दस की अपेक्षा सबसे बड़ा और आधुनिक है।<ref name="ports">{{cite web|url=http://www.karnatakaports.in/our_ports.htm|title=माइनर पोर्ट्स ऑफ कर्नाटक|work=Online Webpage of Karnataka Ports Department|publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=6 मई 2007|archive-url=https://web.archive.org/web/20070516191502/http://www.karnatakaports.in/our_ports.htm|archive-date=16 मई 2007|url-status=live}}</ref> मंगलौर का नया पत्तन भारत के नौंवे प्रधान पत्तन के रूप में [[४ मई]], [[१९७४]] को राष्ट्र को सौंपा गया था। इस पत्तन में वित्तीय वर्ष २००६-०७ में ३ करोड़ २०.४ लाख टन का निर्यात एवं १४१.२ लाख टन का आयात व्यापार हुआ था। इस वित्तीय वर्ष में यहां कुल १०१५ जलपोतों की आवाजाही हुई, जिसमें १८ क्यूज़ पोत थे। राज्य में अन्तर्राज्यीय जलमार्ग उल्लेखनीय स्तर के विकसित नहीं हैं।<ref name="पोर्ट्स">{{Cite web |url=http://www.karnatakaports.in/ |title=कर्नाटक पोर्ट्स.इन |access-date=31 मई 2008 |archive-url=https://web.archive.org/web/20070708233622/http://www.karnatakaports.in/ |archive-date=8 जुलाई 2007 |url-status=live }}</ref>


कर्नाटक के राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों की कुल लंबाइयां क्रमशः {{convert|3973|km|mi|0}} एवं {{convert|9829|km|mi|0}} हैं। [[कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम]] (के.एस.आर.टी.सी) राज्य का सरकारी लोक यातायात एवं परिवहन निगम है, जिसके द्वारा प्रतिदिन लगभग २२ लाख यात्रियों को परिवहन सुलभ होता है। निगम में २५,००० कर्मचारी सेवारत हैं।<ref name="ksrtc">{{cite web|url=http://web.archive.org/web/20080822211002/http://ksrtc.in/about_ksrtc.htm|title=अबाउट के.एस.आर.टी.सी|work=ऑनलाइन वेबपेज KSRTC|publisher=KSRTC|accessdate=6 मई 2007}}</ref> १९९० के दशक के अंतिम दौर में निगम को तीन निगमों में विभाजित किया गया था, बंगलौर मेट्रोपॉलिटन ट्रांस्पोर्ट कार्पोरेशन, नॉर्थ-वेस्ट कर्नाटक ट्रांस्पोर्ट कार्पोरेशन एवं नॉर्थ-ईस्ट कर्नाटक ट्रांस्पोर्ट कार्पोरेशन। इनके मुख्यालय क्रमशः बंगलौर, हुबली एवं गुलबर्ग में स्थित हैं।<ref name="ksrtc"/>
कर्नाटक के राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों की कुल लंबाइयां क्रमशः {{convert|3973|km|mi|0}} एवं {{convert|9829|km|mi|0}} हैं। [[कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम]] (के.एस.आर.टी.सी) राज्य का सरकारी लोक यातायात एवं परिवहन निगम है, जिसके द्वारा प्रतिदिन लगभग २२ लाख यात्रियों को परिवहन सुलभ होता है। निगम में २५,००० कर्मचारी सेवारत हैं।<ref name="ksrtc">{{cite web|url=http://web.archive.org/web/20080822211002/http://ksrtc.in/about_ksrtc.htm|title=अबाउट के.एस.आर.टी.सी|work=ऑनलाइन वेबपेज KSRTC|publisher=KSRTC|accessdate=6 मई 2007}}</ref> १९९० के दशक के अंतिम दौर में निगम को तीन निगमों में विभाजित किया गया था, बंगलौर मेट्रोपॉलिटन ट्रांस्पोर्ट कार्पोरेशन, नॉर्थ-वेस्ट कर्नाटक ट्रांस्पोर्ट कार्पोरेशन एवं नॉर्थ-ईस्ट कर्नाटक ट्रांस्पोर्ट कार्पोरेशन। इनके मुख्यालय क्रमशः बंगलौर, हुबली एवं गुलबर्ग में स्थित हैं।<ref name="ksrtc"/>
पंक्ति 133: पंक्ति 132:
कर्नाटक राज्य में विभिन्न बहुभाषायी और धार्मिक जाति-प्रजातियां बसी हुई हैं। इनके लंबे इतिहास ने राज्य की सांस्कृतिक धरोहर में अमूल्य योगदान दिया है। कन्नड़िगों के अलावा, यहां तुलुव, कोडव और कोंकणी जातियां, भी बसी हुई हैं। यहां अनेक अल्पसंख्यक जैसे तिब्बती बौद्ध तथा अनेक जनजातियाँ जैसे सोलिग, येरवा, टोडा और सिद्धि समुदाय हैं जो राज्य में भिन्न रंग घोलते हैं। कर्नाटक की परंपरागत लोक कलाओं में संगीत, नृत्य, नाटक, घुमक्कड़ कथावाचक आदि आते हैं। मालनाड और तटीय क्षेत्र के यक्षगण, शास्त्रीय नृत्य-नाटिकाएं राज्य की प्रधान रंगमंच शैलियों में से एक हैं। यहां की रंगमंच परंपरा अनेक सक्रिय संगठनों जैसे निनासम, रंगशंकर, रंगायन एवं प्रभात कलाविदरु के प्रयासों से जीवंत है। इन संगठनों की आधारशिला यहां गुब्बी वीरन्ना, टी फी कैलाशम, बी वी करंथ, के वी सुबन्ना, प्रसन्ना और कई अन्य द्वारा रखी गयी थी।<ref>मुख्य संपादक:एच चित्तरंजन। २००५। हैण्डबुक ऑफ कर्नाटक। राजपत्र विभाग, कर्नाटक सरकार। अध्याय-१३। पृष्ठ:३३२-३३७</ref> वीरागेस, कमसेल, कोलाट और डोलुकुनिता यहां की प्रचलित नृत्य शैलियां हैं। [[मैसूर राज्य|मैसूर]] शैली के [[भरतनाट्यम|भरतनाट्य]] यहां जत्ती तयम्मा जैसे पारंगतों के प्रयासों से आज शिखर पर पहुंचा है और इस कारण ही कर्नाटक, विशेषकर बंगलौर भरतनाट्य के लिये प्रधान केन्द्रों में गिना जाता है।<ref>मुख्य संपादक:एच चित्तरंजन। २००५। हैण्डबुक ऑफ कर्नाटक। राजपत्र विभाग, कर्नाटक सरकार। अध्याय-१३। पृष्ठ:३५०-३५२</ref>
कर्नाटक राज्य में विभिन्न बहुभाषायी और धार्मिक जाति-प्रजातियां बसी हुई हैं। इनके लंबे इतिहास ने राज्य की सांस्कृतिक धरोहर में अमूल्य योगदान दिया है। कन्नड़िगों के अलावा, यहां तुलुव, कोडव और कोंकणी जातियां, भी बसी हुई हैं। यहां अनेक अल्पसंख्यक जैसे तिब्बती बौद्ध तथा अनेक जनजातियाँ जैसे सोलिग, येरवा, टोडा और सिद्धि समुदाय हैं जो राज्य में भिन्न रंग घोलते हैं। कर्नाटक की परंपरागत लोक कलाओं में संगीत, नृत्य, नाटक, घुमक्कड़ कथावाचक आदि आते हैं। मालनाड और तटीय क्षेत्र के यक्षगण, शास्त्रीय नृत्य-नाटिकाएं राज्य की प्रधान रंगमंच शैलियों में से एक हैं। यहां की रंगमंच परंपरा अनेक सक्रिय संगठनों जैसे निनासम, रंगशंकर, रंगायन एवं प्रभात कलाविदरु के प्रयासों से जीवंत है। इन संगठनों की आधारशिला यहां गुब्बी वीरन्ना, टी फी कैलाशम, बी वी करंथ, के वी सुबन्ना, प्रसन्ना और कई अन्य द्वारा रखी गयी थी।<ref>मुख्य संपादक:एच चित्तरंजन। २००५। हैण्डबुक ऑफ कर्नाटक। राजपत्र विभाग, कर्नाटक सरकार। अध्याय-१३। पृष्ठ:३३२-३३७</ref> वीरागेस, कमसेल, कोलाट और डोलुकुनिता यहां की प्रचलित नृत्य शैलियां हैं। [[मैसूर राज्य|मैसूर]] शैली के [[भरतनाट्यम|भरतनाट्य]] यहां जत्ती तयम्मा जैसे पारंगतों के प्रयासों से आज शिखर पर पहुंचा है और इस कारण ही कर्नाटक, विशेषकर बंगलौर भरतनाट्य के लिये प्रधान केन्द्रों में गिना जाता है।<ref>मुख्य संपादक:एच चित्तरंजन। २००५। हैण्डबुक ऑफ कर्नाटक। राजपत्र विभाग, कर्नाटक सरकार। अध्याय-१३। पृष्ठ:३५०-३५२</ref>
कर्नाटक का विश्वस्तरीय शास्त्रीय संगीत में विशिष्ट स्थान है, जहां संगीत की<ref>[https://www.vedamsbooks.com/no38001.htm ''कर्नाटक म्यूज़िक ऍज़ ऍस्थेटिक फ़ॉर्म/ आर सत्यनारायण'']। नई दिल्ली। सेन्टर फ़ॉर स्टडीज़ इन सिविलाइज़ेशन्स, २००४, त्रयोदश, पृ. १८५, ISBN 81-87586-16-8.</ref> कर्नाटक ([[कर्नाटक संगीत|''कार्नेटिक'']]) और [[हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत|हिन्दुस्तानी]] शैलियां स्थान पाती हैं। राज्य में दोनों ही शैलियों के पारंगत कलाकार हुए हैं। वैसे [[कर्नाटक संगीत]] में कर्नाटक नाम कर्नाटक राज्य विशेष का ही नहीं, बल्कि दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत को दिया गया है।[[१६वीं शताब्दी]] के हरिदास आंदोलन कर्नाटक संगीत के विकास में अभिन्न योगदान दिया है। सम्मानित हरिदासों में से एक, [[पुरंदर दास]] को कर्नाटक संगीत पितामह की उपाधि दी गयी है।<ref name="father">{{cite web|title=पुरंदर दास |url=http://www.kamat.com/indica/faiths/bhakti/purandara.htm|author=डॉ॰ज्योत्सना कामत |publisher= कामत्स पॉट पौरी |work=|accessdate=३१ दिसम्बर २००६}}</ref> कर्नाटक संगीत के कई प्रसिद्ध कलाकार जैसे [[गंगूबाई हंगल]], [[मल्लिकार्जुन मंसूर]], [[भीमसेन जोशी]], [[बसवराज राजगुरु]], [[सवाई गंधर्व]] और कई अन्य कर्नाटक राज्य से हैं और इनमें से कुछ को [[कालिदास सम्मान]], [[पद्म भूषण]] और [[पद्म विभूषण]] से भी भारत सरकार ने सम्मानित किया हुआ है।
कर्नाटक का विश्वस्तरीय शास्त्रीय संगीत में विशिष्ट स्थान है, जहां संगीत की<ref>[https://www.vedamsbooks.com/no38001.htm ''कर्नाटक म्यूज़िक ऍज़ ऍस्थेटिक फ़ॉर्म/ आर सत्यनारायण''] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20090108105715/http://www.vedamsbooks.com/no38001.htm |date=8 जनवरी 2009 }}। नई दिल्ली। सेन्टर फ़ॉर स्टडीज़ इन सिविलाइज़ेशन्स, २००४, त्रयोदश, पृ. १८५, ISBN 81-87586-16-8.</ref> कर्नाटक ([[कर्नाटक संगीत|''कार्नेटिक'']]) और [[हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत|हिन्दुस्तानी]] शैलियां स्थान पाती हैं। राज्य में दोनों ही शैलियों के पारंगत कलाकार हुए हैं। वैसे [[कर्नाटक संगीत]] में कर्नाटक नाम कर्नाटक राज्य विशेष का ही नहीं, बल्कि दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत को दिया गया है।[[१६वीं शताब्दी]] के हरिदास आंदोलन कर्नाटक संगीत के विकास में अभिन्न योगदान दिया है। सम्मानित हरिदासों में से एक, [[पुरंदर दास]] को कर्नाटक संगीत पितामह की उपाधि दी गयी है।<ref name="father">{{cite web |title=पुरंदर दास |url=http://www.kamat.com/indica/faiths/bhakti/purandara.htm |author=डॉ॰ज्योत्सना कामत |publisher=कामत्स पॉट पौरी |work= |accessdate=३१ दिसम्बर २००६ |archive-url=https://web.archive.org/web/20061208155920/http://www.kamat.com/indica/faiths/bhakti/purandara.htm |archive-date=8 दिसंबर 2006 |url-status=live }}</ref> कर्नाटक संगीत के कई प्रसिद्ध कलाकार जैसे [[गंगूबाई हंगल]], [[मल्लिकार्जुन मंसूर]], [[भीमसेन जोशी]], [[बसवराज राजगुरु]], [[सवाई गंधर्व]] और कई अन्य कर्नाटक राज्य से हैं और इनमें से कुछ को [[कालिदास सम्मान]], [[पद्म भूषण]] और [[पद्म विभूषण]] से भी भारत सरकार ने सम्मानित किया हुआ है।
[[चित्र:Dharwad peda.jpg|thumb|left|[[धारवाड़ पेड़ा]]]]
[[चित्र:Dharwad peda.jpg|thumb|left|[[धारवाड़ पेड़ा]]]]


कर्नाटक संगीत पर आधारित एक अन्य [[भारतीय शास्त्रीय संगीत|शास्त्रीय संगीत]] शैली है, जिसका प्रचलन कर्नाटक राज्य में है। कन्नड़ भगवती शैली आधुनिक कविगणों के भावात्मक रस से प्रेरित प्रसिद्ध संगीत शैली है। मैसूर चित्रकला शैली ने अनेक श्रेष्ठ चित्रकार दिये हैं, जिनमें से सुंदरैया, तंजावुर कोंडव्य, बी.वेंकटप्पा और केशवैय्या हैं। [[राजा रवि वर्मा]] के बनाये धार्मिक चित्र पूरे भारत और विश्व में आज भी पूजा अर्चना हेतु प्रयोग होते हैं।<ref name="play2">कामत (२००१), पृ. २८३</ref> मैसूर चित्रकला की शिक्षा हेतु [[चित्रकला परिषत]] नामक संगठन यहां विशेष रूप से कार्यरत है।
कर्नाटक संगीत पर आधारित एक अन्य [[भारतीय शास्त्रीय संगीत|शास्त्रीय संगीत]] शैली है, जिसका प्रचलन कर्नाटक राज्य में है। कन्नड़ भगवती शैली आधुनिक कविगणों के भावात्मक रस से प्रेरित प्रसिद्ध संगीत शैली है। मैसूर चित्रकला शैली ने अनेक श्रेष्ठ चित्रकार दिये हैं, जिनमें से सुंदरैया, तंजावुर कोंडव्य, बी.वेंकटप्पा और केशवैय्या हैं। [[राजा रवि वर्मा]] के बनाये धार्मिक चित्र पूरे भारत और विश्व में आज भी पूजा अर्चना हेतु प्रयोग होते हैं।<ref name="play2">कामत (२००१), पृ. २८३</ref> मैसूर चित्रकला की शिक्षा हेतु [[चित्रकला परिषत]] नामक संगठन यहां विशेष रूप से कार्यरत है।


कर्नाटक में महिलाओं की परंपरागत भूषा [[साड़ी]] है। कोडगु की महिलाएं एक विशेष प्रकार से साड़ी पहनती हैं, जो शेष कर्नाटक से कुछ भिन्न है।<ref name="attire">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/thehindu/mp/2006/09/02/stories/2006090202760300.htm|author=के.जेशी|work=हिन्दू का ऑनलाइन संस्करण, १२ सितंबर २००६ |title=रीविज़िटिंग टैक्स्टाइल ट्रैडीशंस |publisher=द हिन्दू |accessdate=२४ जुलाई २००७}}</ref> राज्य के पुरुषों का परंपरागत पहनावा धोती है, जिसे यहां पाँचे कहते हैं। वैसे शहरी क्षेत्रों में लोग प्रायः कमीज-पतलून तथा सलवार-कमीज पहना करते हैं। राज्य के दक्षिणी क्षेत्र में विशेष शैली की पगड़ी पहनी जाती है, जिसे मैसूरी पेटा कहते हैं और उत्तरी क्षेत्रों में राजस्थानी शैली जैसी पगड़ी पहनी जाती है और पगड़ी या पटगा कहलाती है।
कर्नाटक में महिलाओं की परंपरागत भूषा [[साड़ी]] है। कोडगु की महिलाएं एक विशेष प्रकार से साड़ी पहनती हैं, जो शेष कर्नाटक से कुछ भिन्न है।<ref name="attire">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/thehindu/mp/2006/09/02/stories/2006090202760300.htm|author=के.जेशी|work=हिन्दू का ऑनलाइन संस्करण, १२ सितंबर २००६|title=रीविज़िटिंग टैक्स्टाइल ट्रैडीशंस|publisher=द हिन्दू|accessdate=२४ जुलाई २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20071012201234/http://hinduonnet.com/thehindu/mp/2006/09/02/stories/2006090202760300.htm|archive-date=12 अक्तूबर 2007|url-status=dead}}</ref> राज्य के पुरुषों का परंपरागत पहनावा धोती है, जिसे यहां पाँचे कहते हैं। वैसे शहरी क्षेत्रों में लोग प्रायः कमीज-पतलून तथा सलवार-कमीज पहना करते हैं। राज्य के दक्षिणी क्षेत्र में विशेष शैली की पगड़ी पहनी जाती है, जिसे मैसूरी पेटा कहते हैं और उत्तरी क्षेत्रों में राजस्थानी शैली जैसी पगड़ी पहनी जाती है और पगड़ी या पटगा कहलाती है।


[[चावल]] ({{Lang-kn|ಅಕ್ಕಿ}}) और [[रागी]] राज्य के प्रधान खाद्य में आते हैं और [[जोलड रोट्टी]], [[सोरघम]] उत्तरी कर्नाटक के प्रधान खाद्य हैं। इनके अलावा तटीय क्षेत्रों एवं कोडगु में अपनी विशिष्ट खाद्य शैली होती है। [[बिसे बेले भात]], [[जोलड रोट्टी]], [[रागी बड़ा]], [[उपमा]], [[मसाला दोसा]] और [[मद्दूर वड़ा]] कर्नाटक के कुछ प्रसिद्ध खाद्य पदार्थ हैं। मिष्ठान्न में [[मैसूर पाक]], बेलगावी कुंड, [[गोकक करदंतु]] और [[धारवाड़ पेड़ा]] मशहूर हैं।
[[चावल]] ({{Lang-kn|ಅಕ್ಕಿ}}) और [[रागी]] राज्य के प्रधान खाद्य में आते हैं और [[जोलड रोट्टी]], [[सोरघम]] उत्तरी कर्नाटक के प्रधान खाद्य हैं। इनके अलावा तटीय क्षेत्रों एवं कोडगु में अपनी विशिष्ट खाद्य शैली होती है। [[बिसे बेले भात]], [[जोलड रोट्टी]], [[रागी बड़ा]], [[उपमा]], [[मसाला दोसा]] और [[मद्दूर वड़ा]] कर्नाटक के कुछ प्रसिद्ध खाद्य पदार्थ हैं। मिष्ठान्न में [[मैसूर पाक]], बेलगावी कुंड, [[गोकक करदंतु]] और [[धारवाड़ पेड़ा]] मशहूर हैं।
पंक्ति 149: पंक्ति 148:
[[इस्लाम]] का आरंभिक उदय भारत के पश्चिमी छोर पर [[१०वीं शताब्दी]] के लगभग हुआ था। इस धर्म को कर्नाटक में [[बहमनी साम्राज्य]] और [[बीजापुर]] सल्तनत का संरक्षण मिला।<ref name="bam">शास्त्री (१९५५), पृ.३९६</ref> कर्नाटक में [[ईसाई धर्म]] [[१६वीं शताब्दी]] में [[पुर्तगाल|पुर्तगालियों]] और १५४५ में [[सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर]] के आगमन के साथ फैला।<ref name="chris">शास्त्री (१९५५), पृ.३९८</ref> राज्य के [[गुलबर्ग]] और [[बनवासी]] आदि स्थानों में प्रथम सहस्राब्दी में [[बौद्ध धर्म]] की जड़े पनपीं। [[गुलबर्ग जिला|गुलबर्ग जिले]] में १९८६ में हुई अकस्मात खोज में मिले [[मौर्य]] काल के अवशेष और अभिलेखों से ज्ञात हुआ कि कृष्णा नदी की तराई क्षेत्र में बौद्ध धर्म के [[महायन]] और [[हिनायन]] मतों का खूब प्रचार हुआ था।
[[इस्लाम]] का आरंभिक उदय भारत के पश्चिमी छोर पर [[१०वीं शताब्दी]] के लगभग हुआ था। इस धर्म को कर्नाटक में [[बहमनी साम्राज्य]] और [[बीजापुर]] सल्तनत का संरक्षण मिला।<ref name="bam">शास्त्री (१९५५), पृ.३९६</ref> कर्नाटक में [[ईसाई धर्म]] [[१६वीं शताब्दी]] में [[पुर्तगाल|पुर्तगालियों]] और १५४५ में [[सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर]] के आगमन के साथ फैला।<ref name="chris">शास्त्री (१९५५), पृ.३९८</ref> राज्य के [[गुलबर्ग]] और [[बनवासी]] आदि स्थानों में प्रथम सहस्राब्दी में [[बौद्ध धर्म]] की जड़े पनपीं। [[गुलबर्ग जिला|गुलबर्ग जिले]] में १९८६ में हुई अकस्मात खोज में मिले [[मौर्य]] काल के अवशेष और अभिलेखों से ज्ञात हुआ कि कृष्णा नदी की तराई क्षेत्र में बौद्ध धर्म के [[महायन]] और [[हिनायन]] मतों का खूब प्रचार हुआ था।


[[मैसूर#दशहरा|मैसूर]] [[दशहरा#भारत के विभिन्न प्रदेशों का दशहरा|मैसूर]] राज्य में ''नाड हब्बा'' (राज्योत्सव) के रूप में मनाया जाता है। यह मैसूर के प्रधान त्यौहारों में से एक है।<ref name="nada-habba">{{cite web|title=दशहरा फ़ेस्ट पैनल मीट्स थर्स्डे |url=http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/88517.cms|work=द टाइम्स ऑफ इण्डिया, दि. २२ जुलाई २००३|publisher=टाइम्स इंटरनेट लि.|accessdate=१७ जुलाई २००७}}</ref> [[उगादि]] (कन्नड़ नव वर्ष), [[मकर संक्रांति]], [[गणेश चतुर्थी]], [[नाग पंचमी]], [[बसव जयंती]], [[दीपावली]] आदि कर्नाटक के प्रमुख त्यौहारों में से हैं।
[[मैसूर#दशहरा|मैसूर]] [[दशहरा#भारत के विभिन्न प्रदेशों का दशहरा|मैसूर]] राज्य में ''नाड हब्बा'' (राज्योत्सव) के रूप में मनाया जाता है। यह मैसूर के प्रधान त्यौहारों में से एक है।<ref name="nada-habba">{{cite web|title=दशहरा फ़ेस्ट पैनल मीट्स थर्स्डे|url=http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/88517.cms|work=द टाइम्स ऑफ इण्डिया, दि. २२ जुलाई २००३|publisher=टाइम्स इंटरनेट लि.|accessdate=१७ जुलाई २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20071012174112/http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/88517.cms|archive-date=12 अक्तूबर 2007|url-status=live}}</ref> [[उगादि]] (कन्नड़ नव वर्ष), [[मकर संक्रांति]], [[गणेश चतुर्थी]], [[नाग पंचमी]], [[बसव जयंती]], [[दीपावली]] आदि कर्नाटक के प्रमुख त्यौहारों में से हैं।


== भाषा ==
== भाषा ==
{{Main|कन्नड़ भाषा|तुलु|कोंकणी भाषा|कन्नड़ साहित्य}}
{{Main|कन्नड़ भाषा|तुलु|कोंकणी भाषा|कन्नड़ साहित्य}}
[[चित्र:Halmidi oldKannada inscription mounted.JPG|left|thumb|कन्नड़ भाषा में प्राचीनतम अभिलेख [[४५०]] ई. के [[:en:Halmidi inscription|हल्मिडी शिलालेखों]] में मिलते हैं। ]]
[[चित्र:Halmidi oldKannada inscription mounted.JPG|left|thumb|कन्नड़ भाषा में प्राचीनतम अभिलेख [[४५०]] ई. के [[:en:Halmidi inscription|हल्मिडी शिलालेखों]] में मिलते हैं। ]]
राज्य की आधिकारिक भाषा है [[कन्नड़]], जो स्थानीय निवासियों में से ६५% लोगों द्वारा बोली जाती है।<ref name="OfficialLang">{{cite web|url=http://dpal.kar.nic.in/30%20of%201981%20(E).pdf|title= कर्नाटक लोकल अथॉरिटीज़ (ऑफीशियल लैंग्वेज) एक्ट, १९८१|work= कर्नाटक सरकार, आधिकारिक जालस्थल|publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=२६ जुलाई २००७|format=पी डी एफ़}}</ref><ref name="antiquity">{{cite web|url=http://pib.nic.in/release/release.asp?relid=44340|title=डिक्लेयरेशन ऑफ तेलुगु एण्ड कन्नड़ ऍज़ क्लासिकल लैंग्वेजेज़|work= प्रेस सूचना ब्यूरो|publisher= पर्यटन एवं संस्कृति विकास मंत्रालय, भारत सरकार|accessdate=३१ अक्टूबर २००८}}</ref> कन्नड़ भाषा ने कर्नाटक राज्य की स्थापना में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है, जब १९५६ में राज्यों के सृजन हेतु भाषायी सांख्यिकी मुख्य मानदंड रहा था। राज्य की अन्य भाषाओं में [[कोंकणी]] एवं कोडव टक हैं, जिनका राज्य में लंबा इतिहास रहा है। यहां की मुस्लिम जनसंख्या द्वारा [[उर्दु]] भी बोली जाती है। अन्य भाषाओं से अपेक्षाकृत कम बोली जाने वाली भाषाओं में बेयरे भाषा व कुछ अन्य बोलियां जैसे संकेती भाषा आती हैं। कन्नड़ भाषा का प्राचीन एवं प्रचुर साहित्य है, जिसके विषयों में काफी भिन्नता है और [[जैन धर्म]], वचन, [[हरिदास|हरिदास साहित्य]] एवं आधुनिक कन्नड़ साहित्य है। [[अशोक]] के समय की राजाज्ञाओं व अभिलेखों से ज्ञात होता है कि कन्नड़ लिपि एवं साहित्य पर बौद्ध साहित्य का भी प्रभाव रहा है। [[:en:Halmidi inscription|हल्मिडी शिलालेख]] ४५० ई. में मिले कन्नड़ भाषा के प्राचीनतम उपलब्ध अभिलेख हैं, जिनमें अच्छी लंबाई का लेखन मिलता है। प्राचीनतम उपलब्ध साहित्य में ८५० ई. के कविराजमार्ग के कार्य मिलते हैं। इस साहित्य से ये भी सिद्ध होता है कि कन्नड़ साहित्य में ''चट्टान'', ''बेद्दंड'' एवं ''मेलवदु'' छंदों का प्रयोग आरंभिक शताब्दियों से होता आया है।<ref name="kavi5">नरसिंहाचार्य (१९८८), पृ. १२, १७</ref>
राज्य की आधिकारिक भाषा है [[कन्नड़]], जो स्थानीय निवासियों में से ६५% लोगों द्वारा बोली जाती है।<ref name="OfficialLang">{{cite web|url=http://dpal.kar.nic.in/30%20of%201981%20(E).pdf|title=कर्नाटक लोकल अथॉरिटीज़ (ऑफीशियल लैंग्वेज) एक्ट, १९८१|work=कर्नाटक सरकार, आधिकारिक जालस्थल|publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=२६ जुलाई २००७|format=पी डी एफ़|archive-url=https://web.archive.org/web/20070810094855/http://dpal.kar.nic.in/30%20of%201981%20(E).pdf|archive-date=10 अगस्त 2007|url-status=live}}</ref><ref name="antiquity">{{cite web|url=http://pib.nic.in/release/release.asp?relid=44340|title=डिक्लेयरेशन ऑफ तेलुगु एण्ड कन्नड़ ऍज़ क्लासिकल लैंग्वेजेज़|work=प्रेस सूचना ब्यूरो|publisher=पर्यटन एवं संस्कृति विकास मंत्रालय, भारत सरकार|accessdate=३१ अक्टूबर २००८|archive-url=https://web.archive.org/web/20081216124306/http://pib.nic.in/release/release.asp?relid=44340|archive-date=16 दिसंबर 2008|url-status=live}}</ref> कन्नड़ भाषा ने कर्नाटक राज्य की स्थापना में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है, जब १९५६ में राज्यों के सृजन हेतु भाषायी सांख्यिकी मुख्य मानदंड रहा था। राज्य की अन्य भाषाओं में [[कोंकणी]] एवं कोडव टक हैं, जिनका राज्य में लंबा इतिहास रहा है। यहां की मुस्लिम जनसंख्या द्वारा [[उर्दु]] भी बोली जाती है। अन्य भाषाओं से अपेक्षाकृत कम बोली जाने वाली भाषाओं में बेयरे भाषा व कुछ अन्य बोलियां जैसे संकेती भाषा आती हैं। कन्नड़ भाषा का प्राचीन एवं प्रचुर साहित्य है, जिसके विषयों में काफी भिन्नता है और [[जैन धर्म]], वचन, [[हरिदास|हरिदास साहित्य]] एवं आधुनिक कन्नड़ साहित्य है। [[अशोक]] के समय की राजाज्ञाओं व अभिलेखों से ज्ञात होता है कि कन्नड़ लिपि एवं साहित्य पर बौद्ध साहित्य का भी प्रभाव रहा है। [[:en:Halmidi inscription|हल्मिडी शिलालेख]] ४५० ई. में मिले कन्नड़ भाषा के प्राचीनतम उपलब्ध अभिलेख हैं, जिनमें अच्छी लंबाई का लेखन मिलता है। प्राचीनतम उपलब्ध साहित्य में ८५० ई. के कविराजमार्ग के कार्य मिलते हैं। इस साहित्य से ये भी सिद्ध होता है कि कन्नड़ साहित्य में ''चट्टान'', ''बेद्दंड'' एवं ''मेलवदु'' छंदों का प्रयोग आरंभिक शताब्दियों से होता आया है।<ref name="kavi5">नरसिंहाचार्य (१९८८), पृ. १२, १७</ref>


[[चित्र:Kuvempu.jpg|right|thumb| राष्ट्रकवि [[कुवेंपु]], २०वीं शताब्दी के कन्नड़ साहित्य के प्रतिष्ठित कवि]]
[[चित्र:Kuvempu.jpg|right|thumb| राष्ट्रकवि [[कुवेंपु]], २०वीं शताब्दी के कन्नड़ साहित्य के प्रतिष्ठित कवि]]


[[कुवेंपु]], प्रसिद्ध कन्नड़ कवि एवं लेखक थे, जिन्होंने [[जय भारत जननीय तनुजते]] लिखा था, जिसे अब राज्य का गीत (एन्थम) घोषित किया गया है।<ref name="anthem">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/2004/01/11/stories/2004011103410400.htm|title=पोयम डिक्लेयर्ड स्टेट सॉन्ग|work= ऑनलाइन वेबपेज ऑफ द हिन्दू |publisher=द हिन्दू |accessdate= १५ जुलाई २००७}}</ref> इन्हें प्रथम [[कर्नाटक रत्न]] सम्मान दिया गया था, जो कर्नाटक सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। अन्य समकालीन कन्नड़ साहित्य भी भारतीय साहित्य के प्रांगण में अपना प्रतिष्ठित स्थान बनाये हुए है। सात कन्नड़ लेखकों को भारत का सर्वोच्च साहित्य सम्मान [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] मिल चुका है, जो किसी भी भारतीय भाषा के लिये सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान होता है।<ref name="jnanpith">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/thehindu/mp/2002/10/31/stories/2002103100120200.htm|title=ग्लोबल थॉट्स इन द लोकल टंग |work=ऑनलाईन एडिशन, द हिन्दू: ३१ अक्टूबर २००२|author= एच एस व्यंकटेश, मूर्ति |accessdate= १ नवम्बर २००७}}</ref> तुलु भाषा मुख्यतः राज्य के तटीय जिलों [[उडुपी]] और [[दक्षिण कन्नड़]] में बोली जाती है। ''तुलु महाभरतो'', अरुणब्ज द्वारा इस भाषा में लिखा गया पुरातनतम उपलब्ध पाठ है।<ref name="tuluold">{{cite web|url=http://www.hindu.com/2004/11/13/stories/2004111302140500.htm|author= रवि प्रसाद कामिल |title= टुलु अकादमी येट टू रियलाइज़ इट्स गोल |work= द हिन्दू, ऑनलाईन वेबपेज: १३ नवम्बर २००४|accessdate= ५ मई २००७ |publisher=द हिन्दू}}</ref> तुलु लिपि के क्रमिक पतन के कारण तुलु भाषा अब कन्नड़ लिपि में ही लिखी जाती है, किन्तु कुछ शताब्दी पूर्व तक इस लिपि का प्रयोग होता रहा था। कोडव जाति के लोग, जो मुख्यतः [[कोडगु जिला|कोडगु जिले]] के निवासी हैं, '''कोडव टक्क''' बोलते हैं। इस भाषा की दो क्षेत्रीय बोलियां मिलती हैं: उत्तरी ''मेन्डले टक्क'' और दक्षिणी ''किग्गाति टक।''<ref name="takk">{{cite web|url=http://www.languageinindia.com/oct2001/kodavarajyashree.html|author=के एस राज्यश्री |title= कोदव स्पीच कम्युनिटी: एन एथनोलिंग्विस्टिक स्टडी |work= लैंग्वेज इण्डिया.कॉम |publisher= एम एस तिरुमलै |accessdate= ६ मई २००७}}</ref> [[कोंकणी]] मुख्यतः [[उत्तर कन्नड़]] जिले में और उडुपी एवं [[दक्षिण कन्नड़]] जिलों के कुछ समीपस्थ भागों में बोली जाती है। कोडव टक्क और कोंकणी, दोनों में ही कन्नड़ लिपि का प्रयोग किया जाता है। कई विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी है और अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियों तथा प्रौद्योगिकी-संबंधित कंपनियों तथा बीपीओ में अंग्रेज़ी का प्रयोग ही होता है।
[[कुवेंपु]], प्रसिद्ध कन्नड़ कवि एवं लेखक थे, जिन्होंने [[जय भारत जननीय तनुजते]] लिखा था, जिसे अब राज्य का गीत (एन्थम) घोषित किया गया है।<ref name="anthem">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/2004/01/11/stories/2004011103410400.htm|title=पोयम डिक्लेयर्ड स्टेट सॉन्ग|work=ऑनलाइन वेबपेज ऑफ द हिन्दू|publisher=द हिन्दू|accessdate=१५ जुलाई २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20071012200650/http://hinduonnet.com/2004/01/11/stories/2004011103410400.htm|archive-date=12 अक्तूबर 2007|url-status=dead}}</ref> इन्हें प्रथम [[कर्नाटक रत्न]] सम्मान दिया गया था, जो कर्नाटक सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। अन्य समकालीन कन्नड़ साहित्य भी भारतीय साहित्य के प्रांगण में अपना प्रतिष्ठित स्थान बनाये हुए है। सात कन्नड़ लेखकों को भारत का सर्वोच्च साहित्य सम्मान [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] मिल चुका है, जो किसी भी भारतीय भाषा के लिये सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान होता है।<ref name="jnanpith">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/thehindu/mp/2002/10/31/stories/2002103100120200.htm|title=ग्लोबल थॉट्स इन द लोकल टंग|work=ऑनलाईन एडिशन, द हिन्दू: ३१ अक्टूबर २००२|author=एच एस व्यंकटेश, मूर्ति|accessdate=१ नवम्बर २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20080116203805/http://www.hinduonnet.com/thehindu/mp/2002/10/31/stories/2002103100120200.htm|archive-date=16 जनवरी 2008|url-status=dead}}</ref> तुलु भाषा मुख्यतः राज्य के तटीय जिलों [[उडुपी]] और [[दक्षिण कन्नड़]] में बोली जाती है। ''तुलु महाभरतो'', अरुणब्ज द्वारा इस भाषा में लिखा गया पुरातनतम उपलब्ध पाठ है।<ref name="tuluold">{{cite web |url= http://www.hindu.com/2004/11/13/stories/2004111302140500.htm |author= रवि प्रसाद कामिल |title= टुलु अकादमी येट टू रियलाइज़ इट्स गोल |work= द हिन्दू, ऑनलाईन वेबपेज: १३ नवम्बर २००४ |accessdate= ५ मई २००७ |publisher= द हिन्दू |archive-url= https://web.archive.org/web/20071012153132/http://hindu.com/2004/11/13/stories/2004111302140500.htm |archive-date= 12 अक्तूबर 2007 |url-status= live }}</ref> तुलु लिपि के क्रमिक पतन के कारण तुलु भाषा अब कन्नड़ लिपि में ही लिखी जाती है, किन्तु कुछ शताब्दी पूर्व तक इस लिपि का प्रयोग होता रहा था। कोडव जाति के लोग, जो मुख्यतः [[कोडगु जिला|कोडगु जिले]] के निवासी हैं, '''कोडव टक्क''' बोलते हैं। इस भाषा की दो क्षेत्रीय बोलियां मिलती हैं: उत्तरी ''मेन्डले टक्क'' और दक्षिणी ''किग्गाति टक।''<ref name="takk">{{cite web |url= http://www.languageinindia.com/oct2001/kodavarajyashree.html |author= के एस राज्यश्री |title= कोदव स्पीच कम्युनिटी: एन एथनोलिंग्विस्टिक स्टडी |work= लैंग्वेज इण्डिया.कॉम |publisher= एम एस तिरुमलै |accessdate= ६ मई २००७ |archive-url= https://web.archive.org/web/20070625093611/http://www.languageinindia.com/oct2001/kodavarajyashree.html |archive-date= 25 जून 2007 |url-status= live }}</ref> [[कोंकणी]] मुख्यतः [[उत्तर कन्नड़]] जिले में और उडुपी एवं [[दक्षिण कन्नड़]] जिलों के कुछ समीपस्थ भागों में बोली जाती है। कोडव टक्क और कोंकणी, दोनों में ही कन्नड़ लिपि का प्रयोग किया जाता है। कई विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी है और अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियों तथा प्रौद्योगिकी-संबंधित कंपनियों तथा बीपीओ में अंग्रेज़ी का प्रयोग ही होता है।


राज्य की सभी भाषाओं को सरकारी एवं अर्ध-सरकारी संस्थाओं का संरक्षण प्राप्त है। ''कन्नड़ साहित्य परिषत'' एवं ''कन्नड़ साहित्य अकादमी'' कन्नड़ भाषा के उत्थान हेतु एवं कन्नड़ कोंकणी साहित्य अकादमी कोंकणी साहित्य के लिये कार्यरत है।<ref name="konkani">{{cite web|url=http://www.deccanherald.com/archives/sep162005/district1814202005915.asp|title= कोंकण प्रभा रिलीज़्ड |work= डेक्कन हेरल्ड, १६ सितंबर २००५|publisher=२००५, द प्रिंटर्स (मैसूर) प्रा. लि. |accessdate= ६ मई २००७}}</ref> ''तुलु साहित्य अकादमी'' एवं ''कोडव साहित्य अकादमी'' अपनी अपनी भाषाओं के विकास में कार्यशील हैं।
राज्य की सभी भाषाओं को सरकारी एवं अर्ध-सरकारी संस्थाओं का संरक्षण प्राप्त है। ''कन्नड़ साहित्य परिषत'' एवं ''कन्नड़ साहित्य अकादमी'' कन्नड़ भाषा के उत्थान हेतु एवं कन्नड़ कोंकणी साहित्य अकादमी कोंकणी साहित्य के लिये कार्यरत है।<ref name="konkani">{{cite web|url= http://www.deccanherald.com/archives/sep162005/district1814202005915.asp|title= कोंकण प्रभा रिलीज़्ड|work= डेक्कन हेरल्ड, १६ सितंबर २००५|publisher= २००५, द प्रिंटर्स (मैसूर) प्रा. लि.|accessdate= ६ मई २००७|archive-url= https://web.archive.org/web/20110604013214/http://www.deccanherald.com/archives/sep162005/district1814202005915.asp|archive-date= 4 जून 2011|url-status= live}}</ref> ''तुलु साहित्य अकादमी'' एवं ''कोडव साहित्य अकादमी'' अपनी अपनी भाषाओं के विकास में कार्यशील हैं।


== शिक्षा ==
== शिक्षा ==
पंक्ति 166: पंक्ति 165:
[[चित्र:Sheeju iisc.jpg|thumb|right|[[भारतीय विज्ञान संस्थान]], भारत का एक प्रतिष्ठित विज्ञान संस्थान, बंगलुरु में स्थित है]]
[[चित्र:Sheeju iisc.jpg|thumb|right|[[भारतीय विज्ञान संस्थान]], भारत का एक प्रतिष्ठित विज्ञान संस्थान, बंगलुरु में स्थित है]]


२००१ की जनसंख्या अनुसार, कर्नाटक की साक्षरता दर ६७.०४% है, जिसमें ७६.२९% पुरुष तथा ५७.४५% स्त्रियाँ <!-- साक्षर --> हैं।<ref name="censusLit">{{cite web|url=http://www.nlm.nic.in/tables/k_pg_06.htm|work=राष्ट्रीय साक्षरता अभियान, भारत|title=राज्य वार साक्षरता दर|accessdate=१ नवम्बर २००७}}</ref> राज्य में भारत के कुछ प्रतिष्ठित शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान भी स्थित हैं, जैसे [[भारतीय विज्ञान संस्थान]], [[भारतीय प्रबंधन संस्थान]], [[राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कर्नाटक]] और [[भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय]]।
२००१ की जनसंख्या अनुसार, कर्नाटक की साक्षरता दर ६७.०४% है, जिसमें ७६.२९% पुरुष तथा ५७.४५% स्त्रियाँ <!-- साक्षर --> हैं।<ref name="censusLit">{{cite web|url=http://www.nlm.nic.in/tables/k_pg_06.htm|work=राष्ट्रीय साक्षरता अभियान, भारत|title=राज्य वार साक्षरता दर|accessdate=१ नवम्बर २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20071009104758/http://www.nlm.nic.in/tables/k_pg_06.htm|archive-date=9 अक्तूबर 2007|url-status=dead}}</ref> राज्य में भारत के कुछ प्रतिष्ठित शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान भी स्थित हैं, जैसे [[भारतीय विज्ञान संस्थान]], [[भारतीय प्रबंधन संस्थान]], [[राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कर्नाटक]] और [[भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय]]।


मार्च २००६ के अनुसार, कर्नाटक में ५४,५२९ प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें २,५२,८७५ शिक्षक तथा ८४.९५ लाख विद्यार्थी हैं।<ref name="school">{{cite web|url=http://www.schooleducation.kar.nic.in/pdffiles/SomeImportantStatistics.pdf|title=नंबर ऑफ स्कूल्स इन कर्नाटक ऐज़ ऑफ ३१ मार्च २००६|work= जन निर्देश विभाग|publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=६ जून २००७|format=पी डी एफ़}}</ref> इसके अलावा ९४९८ माध्यमिक विद्यालय जिनमें ९२,२८७ शिक्षक तथा १३.८४ लाख विद्यार्थी हैं।<ref name="school"/> राज्य में तीन प्रकार के विद्यालय हैं, सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त निजी (सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त) एवं पूर्णतया निजी (कोई सरकारी सहायता नहीं)। अधिकांश विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम कन्नड़ एवं अंग्रेज़ी है। विद्यालयों में पढ़ाया जाने वाला पाठ्यक्रम या तो [[केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड|सीबीएसई]], [[काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस|आई.सी.एस.ई]] या कर्नाटक सरकार के शिक्षा विभाग के अधीनस्थ राज्य बोर्ड पाठ्यक्रम ([[:en:SSLC|एसएसएलसी]]) से निर्देशित होता है। कुछ विद्यालय [[राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान|ओपन स्कूल]] पाठ्यक्रम भी चलाते हैं। राज्य में बीजापुर में एक सैनिक स्कूल भी है।
मार्च २००६ के अनुसार, कर्नाटक में ५४,५२९ प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें २,५२,८७५ शिक्षक तथा ८४.९५ लाख विद्यार्थी हैं।<ref name="school">{{cite web|url=http://www.schooleducation.kar.nic.in/pdffiles/SomeImportantStatistics.pdf|title=नंबर ऑफ स्कूल्स इन कर्नाटक ऐज़ ऑफ ३१ मार्च २००६|work=जन निर्देश विभाग|publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=६ जून २००७|format=पी डी एफ़|archive-url=https://web.archive.org/web/20070615001645/http://www.schooleducation.kar.nic.in/pdffiles/SomeImportantStatistics.pdf|archive-date=15 जून 2007|url-status=live}}</ref> इसके अलावा ९४९८ माध्यमिक विद्यालय जिनमें ९२,२८७ शिक्षक तथा १३.८४ लाख विद्यार्थी हैं।<ref name="school"/> राज्य में तीन प्रकार के विद्यालय हैं, सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त निजी (सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त) एवं पूर्णतया निजी (कोई सरकारी सहायता नहीं)। अधिकांश विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम कन्नड़ एवं अंग्रेज़ी है। विद्यालयों में पढ़ाया जाने वाला पाठ्यक्रम या तो [[केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड|सीबीएसई]], [[काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस|आई.सी.एस.ई]] या कर्नाटक सरकार के शिक्षा विभाग के अधीनस्थ राज्य बोर्ड पाठ्यक्रम ([[:en:SSLC|एसएसएलसी]]) से निर्देशित होता है। कुछ विद्यालय [[राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान|ओपन स्कूल]] पाठ्यक्रम भी चलाते हैं। राज्य में बीजापुर में एक सैनिक स्कूल भी है।


विद्यालयों में अधिकतम उपस्थिति को बढ़ावा देने हेतु, कर्नाटक सरकार ने सरकारी एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों में विद्यार्थियों हेतु निःशुल्क अपराह्न-भोजन योजना आरंभ की है।<ref name="lunch">{{cite web|url=http://timesofindia.indiatimes.com/Cities/Bangalore/Mid-day_meal_scheme_extended/articleshow/2050892.cms|title=मिड डे मील स्कीम एक्स्टेण्डेड|work=द टाइम्स ऑफ इण्डिया, दि. १६ मई २००७|publisher=टाइम्स इंटरनेट लि.|accessdate=६ जून २००७}}</ref> [[:en:SSLC|राज्य बोर्ड परीक्षाएं]] माध्यमिक शिक्षा अवधि के अंत में आयोजित की जाती हैं, जिसमें उत्तीर्ण होने वाले छात्रों को द्विवर्षीय विश्वविद्यालय-पूर्व कोर्स में प्रवेश मिलता है। इसके बाद विद्यार्थी स्नातक पाठ्यक्रम के लिये अर्हक होते हैं।
विद्यालयों में अधिकतम उपस्थिति को बढ़ावा देने हेतु, कर्नाटक सरकार ने सरकारी एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों में विद्यार्थियों हेतु निःशुल्क अपराह्न-भोजन योजना आरंभ की है।<ref name="lunch">{{cite web|url=http://timesofindia.indiatimes.com/Cities/Bangalore/Mid-day_meal_scheme_extended/articleshow/2050892.cms|title=मिड डे मील स्कीम एक्स्टेण्डेड|work=द टाइम्स ऑफ इण्डिया, दि. १६ मई २००७|publisher=टाइम्स इंटरनेट लि.|accessdate=६ जून २००७|archive-url=https://web.archive.org/web/20070526220312/http://www1.timesofindia.indiatimes.com/Cities/Bangalore/Mid-day_meal_scheme_extended/articleshow/2050892.cms|archive-date=26 मई 2007|url-status=live}}</ref> [[:en:SSLC|राज्य बोर्ड परीक्षाएं]] माध्यमिक शिक्षा अवधि के अंत में आयोजित की जाती हैं, जिसमें उत्तीर्ण होने वाले छात्रों को द्विवर्षीय विश्वविद्यालय-पूर्व कोर्स में प्रवेश मिलता है। इसके बाद विद्यार्थी स्नातक पाठ्यक्रम के लिये अर्हक होते हैं।


राज्य में छः मुख्य विश्वविद्यालय हैं: [[बंगलुरु विश्वविद्यालय]],[[गुलबर्ग विश्वविद्यालय]], [[कर्नाटक विश्वविद्यालय]], [[कुवेंपु विश्वविद्यालय]], [[मंगलौर विश्वविद्यालय]] तथा [[मैसूर विश्वविद्यालय]]। इनके अलावा एक मानिव विश्वविद्यालय [[क्राइस्ट विश्वविद्यालय]] भी है। इन विश्वविद्यालयों से मान्यता प्राप्त ४८१ स्नातक महाविद्यालय हैं।<ref name="degree">{{cite web|url=http://www.dce.kar.nic.in/statistics/districtwise%20&%20universitywise.pdf|title= २००६-०७ के दौरान स्नातक छात्रों की जिलेवार एवं विश्वविद्यालयवार सांख्यिकी|work=कॉलिजियेट एड्युकेशन विभाग|publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=६ जून २००७|format=पी डी एफ़}}</ref> १९९८ में राज्य भर के अभियांत्रिकी महाविद्यालयों को नवगठित [[बेलगाम]] स्थित [[विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय]] के अंतर्गत्त लाया गया, जबकि चिकित्सा महाविद्यालयों को [[राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय]] के अधिकारक्षेत्र में लाया गया था। इनमें से कुछ अच्छे महाविद्यालयों को मानित विश्वविद्यालय का दर्जा भी प्रदान किया गया था। राज्य में १२३ अभियांत्रिकी, ३५ चिकित्सा ४० दंतचिकित्सा महाविद्यालय हैं।<ref name="techmed">{{cite web|url=http://cet.kar.nic.in/Brochure%202007a.pdf|title=सी.ई.टी ब्रोशर, २००७|work=द कॉमन एंट्रेंस टेस्ट सेल|publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=६ जून २००७|format=पी डी एफ़}}</ref> राज्य में वैदिक एवं संस्कृत शिक्षा हेतु [[उडुपी]], [[शृंगेरी]], [[गोकर्ण]] तथा [[मेलकोट]] प्रसिद्ध स्थान हैं। केन्द्र सरकार की ११वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत्त मुदेनहल्ली में एक [[भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान]] की स्थापना को स्वीकृति मिल चुकी है। ये राज्य का प्रथम आई.आई.टी संस्थान होगा।<ref>[http://www.deccanherald.com/content/15938/iit-muddenahalli-moily.html आई.टी ऍट मुद्दनहल्ली], डिक्कन हेरल्ड, १४ सितंबर २००९, चिकबल्लपुर</ref> इसके अतिरिक्त मेदेनहल्ली-कानिवेनारायणपुरा में [[विश्वेश्वरैया उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान]] का ६०० करोड़ रुपये की लागत से निर्माण प्रगति पर है।<ref>[http://www.hindu.com/edu/2009/09/07/stories/2009090750220300.htm ऍन इमर्जिंग एड्युकेशन हब], द हिन्दू, ७ सितंबर २००९, के वी सुब्रह्मण्यम</ref>
राज्य में छः मुख्य विश्वविद्यालय हैं: [[बंगलुरु विश्वविद्यालय]],[[गुलबर्ग विश्वविद्यालय]], [[कर्नाटक विश्वविद्यालय]], [[कुवेंपु विश्वविद्यालय]], [[मंगलौर विश्वविद्यालय]] तथा [[मैसूर विश्वविद्यालय]]। इनके अलावा एक मानिव विश्वविद्यालय [[क्राइस्ट विश्वविद्यालय]] भी है। इन विश्वविद्यालयों से मान्यता प्राप्त ४८१ स्नातक महाविद्यालय हैं।<ref name="degree">{{cite web|url=http://www.dce.kar.nic.in/statistics/districtwise%20&%20universitywise.pdf|title=२००६-०७ के दौरान स्नातक छात्रों की जिलेवार एवं विश्वविद्यालयवार सांख्यिकी|work=कॉलिजियेट एड्युकेशन विभाग|publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=६ जून २००७|format=पी डी एफ़|archive-url=https://web.archive.org/web/20070615001645/http://www.dce.kar.nic.in/statistics/districtwise%20%26%20universitywise.pdf|archive-date=15 जून 2007|url-status=live}}</ref> १९९८ में राज्य भर के अभियांत्रिकी महाविद्यालयों को नवगठित [[बेलगाम]] स्थित [[विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय]] के अंतर्गत्त लाया गया, जबकि चिकित्सा महाविद्यालयों को [[राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय]] के अधिकारक्षेत्र में लाया गया था। इनमें से कुछ अच्छे महाविद्यालयों को मानित विश्वविद्यालय का दर्जा भी प्रदान किया गया था। राज्य में १२३ अभियांत्रिकी, ३५ चिकित्सा ४० दंतचिकित्सा महाविद्यालय हैं।<ref name="techmed">{{cite web|url=http://cet.kar.nic.in/Brochure%202007a.pdf|title=सी.ई.टी ब्रोशर, २००७|work=द कॉमन एंट्रेंस टेस्ट सेल|publisher=कर्नाटक सरकार|accessdate=६ जून २००७|format=पी डी एफ़|archive-url=https://web.archive.org/web/20110510085857/http://cet.kar.nic.in/Brochure%202007a.pdf|archive-date=10 मई 2011|url-status=dead}}</ref> राज्य में वैदिक एवं संस्कृत शिक्षा हेतु [[उडुपी]], [[शृंगेरी]], [[गोकर्ण]] तथा [[मेलकोट]] प्रसिद्ध स्थान हैं। केन्द्र सरकार की ११वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत्त मुदेनहल्ली में एक [[भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान]] की स्थापना को स्वीकृति मिल चुकी है। ये राज्य का प्रथम आई.आई.टी संस्थान होगा।<ref>[http://www.deccanherald.com/content/15938/iit-muddenahalli-moily.html आई.टी ऍट मुद्दनहल्ली] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20110516073320/http://www.deccanherald.com/content/15938/iit-muddenahalli-moily.html |date=16 मई 2011 }}, डिक्कन हेरल्ड, १४ सितंबर २००९, चिकबल्लपुर</ref> इसके अतिरिक्त मेदेनहल्ली-कानिवेनारायणपुरा में [[विश्वेश्वरैया उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान]] का ६०० करोड़ रुपये की लागत से निर्माण प्रगति पर है।<ref>[http://www.hindu.com/edu/2009/09/07/stories/2009090750220300.htm ऍन इमर्जिंग एड्युकेशन हब] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20110122145909/http://www.hindu.com/edu/2009/09/07/stories/2009090750220300.htm |date=22 जनवरी 2011 }}, द हिन्दू, ७ सितंबर २००९, के वी सुब्रह्मण्यम</ref>


== मीडिया ==
== मीडिया ==
राज्य में समाचार पत्रों का इतिहास १८४३ से आरंभ होता है, जब बेसल मिशन के एक मिश्नरी, [[हर्मैन मोग्लिंग]] ने प्रथम कन्नड़ समाचार पत्र ''मंगलुरु समाचार '' का प्रकाशन आरंभ किया था। प्रथम कन्नड़ सामयिक, ''मैसुरु वृत्तांत प्रबोधिनी'' मैसूर में भाष्यम भाष्याचार्य ने निकाला था। [[भारतीय स्वतंत्रता]] उपरांत १९४८ में के। एन.गुरुस्वामी ने ''द प्रिंटर्स (मैसूर) प्रा.लि.'' की स्थापना की और वहीं से दो समाचार-पत्र [[डेक्कन हेराल्ड]] और प्रजावनी का प्रकाशन शुरु किया। आधुनिक युग के पत्रों में [[द टाइम्स ऑफ इण्डिया]] और [[भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की सूची#कन्नड़|विजय कर्नाटक]] क्रमशः सर्वाधिक प्रसारित अंग्रेज़ी और कन्नड़ दैनिक हैं।<ref name="toi">{{cite web|url=http://www.telegraphindia.com/1061119/asp/look/story_7016875.asp|title=बैटलेग अराउण्ड बैंग्लौर |author= शुमा राहा |work= ऑनलाइन एडिशन, द टेलीग्राफ, १९ नवम्बर २००६ |publisher= द टेलीग्राफ}}</ref><ref name="vk">{{cite news|url=http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/1651347.cms|title= टाइम्सग्रुप एक्वायर्स विजयानंद प्रिंटर्स |work= द टाइम्स ऑफ इण्डिया, दिनांक १५ जून २००६ का ऑनलाइन संस्करण|publisher= टाइम्स इण्टरनेट लि.}}</ref> दोनों ही भाषाओं में बड़ी संख्या में साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक पत्रिकाओं का प्रकाशन भी प्रगति पर है। राज्य से निकलने वाले कुछ प्रसिद्ध दैनिकों में उदयवाणि, कन्नड़प्रभा, संयुक्त कर्नाटक, वार्ता भारती, संजीवनी, होस दिगंत, एईसंजे और करावली आले आते हैं।
राज्य में समाचार पत्रों का इतिहास १८४३ से आरंभ होता है, जब बेसल मिशन के एक मिश्नरी, [[हर्मैन मोग्लिंग]] ने प्रथम कन्नड़ समाचार पत्र ''मंगलुरु समाचार '' का प्रकाशन आरंभ किया था। प्रथम कन्नड़ सामयिक, ''मैसुरु वृत्तांत प्रबोधिनी'' मैसूर में भाष्यम भाष्याचार्य ने निकाला था। [[भारतीय स्वतंत्रता]] उपरांत १९४८ में के। एन.गुरुस्वामी ने ''द प्रिंटर्स (मैसूर) प्रा.लि.'' की स्थापना की और वहीं से दो समाचार-पत्र [[डेक्कन हेराल्ड]] और प्रजावनी का प्रकाशन शुरु किया। आधुनिक युग के पत्रों में [[द टाइम्स ऑफ इण्डिया]] और [[भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की सूची#कन्नड़|विजय कर्नाटक]] क्रमशः सर्वाधिक प्रसारित अंग्रेज़ी और कन्नड़ दैनिक हैं।<ref name="toi">{{cite web |url= http://www.telegraphindia.com/1061119/asp/look/story_7016875.asp |title= बैटलेग अराउण्ड बैंग्लौर |author= शुमा राहा |work= ऑनलाइन एडिशन, द टेलीग्राफ, १९ नवम्बर २००६ |publisher= द टेलीग्राफ |access-date= 28 दिसंबर 2010 |archive-url= https://web.archive.org/web/20071011172555/http://telegraphindia.com/1061119/asp/look/story_7016875.asp |archive-date= 11 अक्तूबर 2007 |url-status= live }}</ref><ref name="vk">{{cite news|url= http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/1651347.cms|title= टाइम्सग्रुप एक्वायर्स विजयानंद प्रिंटर्स|work= द टाइम्स ऑफ इण्डिया, दिनांक १५ जून २००६ का ऑनलाइन संस्करण|publisher= टाइम्स इण्टरनेट लि.|access-date= 28 दिसंबर 2010|archive-url= https://web.archive.org/web/20070701070350/http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/1651347.cms|archive-date= 1 जुलाई 2007|url-status= live}}</ref> दोनों ही भाषाओं में बड़ी संख्या में साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक पत्रिकाओं का प्रकाशन भी प्रगति पर है। राज्य से निकलने वाले कुछ प्रसिद्ध दैनिकों में उदयवाणि, कन्नड़प्रभा, संयुक्त कर्नाटक, वार्ता भारती, संजीवनी, होस दिगंत, एईसंजे और करावली आले आते हैं।


[[दूरदर्शन]] [[भारत सरकार]] द्वारा चलाया गया आधिकारिक सरकारी प्रसारणकर्त्ता है और इसके द्वारा प्रसारित कन्नड़ चैनल है [[डीडी चंदना]]। प्रमुख गैर-सरकारी सार्वजनिक [[भारत में कन्नड़ चैनलों की सूची|कन्नड़ टीवी चैनलों]] में [[ईटीवी कन्नड़]], [[ज़ीटीवी कन्नड़]], [[उदय टीवी]], [[यू२]], [[टीवी९]], [[एशियानेट सुवर्ण]] एवं [[कस्तूरी टीवी]] हैं।<ref name="chan">{{cite web|url=http://mib.nic.in/informationb/CODES/Consolidatedchannels310707.htm|work=भारत सरकार की सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आधिकारिक जालस्थल का ओनलाइनवेबपेज |title= कंसॉलिडेटेड लिस्ट ऑफ चैनल्स अलाउड टू बी कैरीड बाए केबल ऑपरेटर्स/मल्टीसिस्टम ऑपरेटर्स/डीटीएच लाइसेंसीज़ इन इण्डिया |archiveurl = http://web.archive.org/web/20071012001735/http://mib.nic.in/informationb/CODES/Consolidatedchannels310707.htm |url-status=dead}}</ref>
[[दूरदर्शन]] [[भारत सरकार]] द्वारा चलाया गया आधिकारिक सरकारी प्रसारणकर्त्ता है और इसके द्वारा प्रसारित कन्नड़ चैनल है [[डीडी चंदना]]। प्रमुख गैर-सरकारी सार्वजनिक [[भारत में कन्नड़ चैनलों की सूची|कन्नड़ टीवी चैनलों]] में [[ईटीवी कन्नड़]], [[ज़ीटीवी कन्नड़]], [[उदय टीवी]], [[यू२]], [[टीवी९]], [[एशियानेट सुवर्ण]] एवं [[कस्तूरी टीवी]] हैं।<ref name="chan">{{cite web|url=http://mib.nic.in/informationb/CODES/Consolidatedchannels310707.htm|work=भारत सरकार की सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आधिकारिक जालस्थल का ओनलाइनवेबपेज|title=कंसॉलिडेटेड लिस्ट ऑफ चैनल्स अलाउड टू बी कैरीड बाए केबल ऑपरेटर्स/मल्टीसिस्टम ऑपरेटर्स/डीटीएच लाइसेंसीज़ इन इण्डिया|archiveurl=https://web.archive.org/web/20071012001735/http://mib.nic.in/informationb/CODES/Consolidatedchannels310707.htm|url-status=dead|access-date=28 दिसंबर 2010|archive-date=12 अक्तूबर 2007}}</ref>


कर्नाटक का भारतीय रेडियो के इतिहास में एक विशिष्ट स्थान है। भारत का प्रथम निजी रेडियो स्टेशन ''[[आकाशवाणी]]'' १९३५ में प्रो॰एम॰वी॰ गोपालस्वामी द्वारा [[मैसूर]] में आरंभ किया गया था।<ref name="gs">Named by Na. Kasturi, a popular Kannada writer {{cite news|author=Deepa Ganesh|url=http://www.hindu.com/thehindu/mp/2006/03/09/stories/2006030901660100.htm|work=द हिन्दू का ९ मार्च २००६ का ऑनलाइन संस्करण|publisher=२००६, द हिन्दू |title= स्टिल अ हॉट फ़ेवरेट ऍट 50|location=चेन्नई, भारत}}</ref> यह रेडियोस्टेशन काफी लोकप्रिय रहा और बाद में इसे स्थानीय नगरपालिका ने ले लिया था। १९५५ में इसे [[ऑल इण्डिया रेडियो]] द्वारा अधिग्रहण कर [[बंगलुरु]] ले जाया गया। इसके २ वर्षोपरांत ए.आई.आर ने इसका मूल नाम आकाशवाणी ही अपना लिया। इस चैनल पर प्रसारित होने वाले कुछ प्रसिद्ध कार्यक्रमों में ''निसर्ग संपदा'' और ''सास्य संजीवनी'' रहे हैं। इनमें गानों, नाटकों या कहानियों के माध्यम से विज्ञान की शिक्षा दी जाती थी। ये कार्यक्रम इतने लोकप्रिय बने कि इनका अनुवाद १८ भाषाओं में हुआ और प्रसारित किया गया। कर्नाटक सरकार ने इस पूरी शृंखला को ऑडियो कैसेटों में रिकॉर्ड कराकर राज्य भर के सैंकड़ों विद्यालयों में बंटवाया था।<ref name="gs"/> राज्य में [[एफ एम प्रसारण|एफ एम प्रसारण रेडियो]] चैनलों में भी बढ़ोत्तरी हुई है। ये मुख्यतः [[बंगलुरु]], [[मंगलौर]] और [[मैसूर]] में चलन में हैं।<ref name="fm">{{cite web|url=http://www.asiawaves.net/india/karnataka-radio.htm|title=रेडियो स्टेशंस इन कर्नाटक, इण्डिया|work= asiawaves.net पर|publisher=एलान जी. डेवीज़}}</ref><ref name="popfm">{{cite news|url=http://www.hindu.com/2006/01/12/stories/2006011218120200.htm|work=द हिन्दू का १२ जनवरी २००६ का ऑनलाईन संस्करण|publisher= द हिन्दू|title=रेडियो हैज़ बिकम पॉपुलर अगेन|location=चेन्नई, भारत}}</ref>
कर्नाटक का भारतीय रेडियो के इतिहास में एक विशिष्ट स्थान है। भारत का प्रथम निजी रेडियो स्टेशन ''[[आकाशवाणी]]'' १९३५ में प्रो॰एम॰वी॰ गोपालस्वामी द्वारा [[मैसूर]] में आरंभ किया गया था।<ref name="gs">Named by Na. Kasturi, a popular Kannada writer {{cite news|author=Deepa Ganesh|url=http://www.hindu.com/thehindu/mp/2006/03/09/stories/2006030901660100.htm|work=द हिन्दू का ९ मार्च २००६ का ऑनलाइन संस्करण|publisher=२००६, द हिन्दू|title=स्टिल अ हॉट फ़ेवरेट ऍट 50|location=चेन्नई, भारत|access-date=28 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20071012153231/http://hindu.com/thehindu/mp/2006/03/09/stories/2006030901660100.htm|archive-date=12 अक्तूबर 2007|url-status=live}}</ref> यह रेडियोस्टेशन काफी लोकप्रिय रहा और बाद में इसे स्थानीय नगरपालिका ने ले लिया था। १९५५ में इसे [[ऑल इण्डिया रेडियो]] द्वारा अधिग्रहण कर [[बंगलुरु]] ले जाया गया। इसके २ वर्षोपरांत ए.आई.आर ने इसका मूल नाम आकाशवाणी ही अपना लिया। इस चैनल पर प्रसारित होने वाले कुछ प्रसिद्ध कार्यक्रमों में ''निसर्ग संपदा'' और ''सास्य संजीवनी'' रहे हैं। इनमें गानों, नाटकों या कहानियों के माध्यम से विज्ञान की शिक्षा दी जाती थी। ये कार्यक्रम इतने लोकप्रिय बने कि इनका अनुवाद १८ भाषाओं में हुआ और प्रसारित किया गया। कर्नाटक सरकार ने इस पूरी शृंखला को ऑडियो कैसेटों में रिकॉर्ड कराकर राज्य भर के सैंकड़ों विद्यालयों में बंटवाया था।<ref name="gs"/> राज्य में [[एफ एम प्रसारण|एफ एम प्रसारण रेडियो]] चैनलों में भी बढ़ोत्तरी हुई है। ये मुख्यतः [[बंगलुरु]], [[मंगलौर]] और [[मैसूर]] में चलन में हैं।<ref name="fm">{{cite web|url=http://www.asiawaves.net/india/karnataka-radio.htm|title=रेडियो स्टेशंस इन कर्नाटक, इण्डिया|work=asiawaves.net पर|publisher=एलान जी. डेवीज़|access-date=28 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20070603101601/http://www.asiawaves.net/india/karnataka-radio.htm|archive-date=3 जून 2007|url-status=live}}</ref><ref name="popfm">{{cite news|url=http://www.hindu.com/2006/01/12/stories/2006011218120200.htm|work=द हिन्दू का १२ जनवरी २००६ का ऑनलाईन संस्करण|publisher=द हिन्दू|title=रेडियो हैज़ बिकम पॉपुलर अगेन|location=चेन्नई, भारत|access-date=28 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20071012153147/http://hindu.com/2006/01/12/stories/2006011218120200.htm|archive-date=12 अक्तूबर 2007|url-status=live}}</ref>


== क्रीड़ा ==
== क्रीड़ा ==
{{Main|कर्नाटक में खेल }}
{{Main|कर्नाटक में खेल }}
[[चित्र:Anil Kumble.jpg|thumb|right|[[भारतीय क्रिकेट टीम]] के पूर्व कप्तान, [[अनिल कुंबले]] अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भारत के लिये सर्वाधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी]]
[[चित्र:Anil Kumble.jpg|thumb|right|[[भारतीय क्रिकेट टीम]] के पूर्व कप्तान, [[अनिल कुंबले]] अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भारत के लिये सर्वाधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी]]
कर्नाटक का एक छोटा सा जिला [[कोडगु जिला|कोडगु]] [[भारतीय हाकी टीम]] के लिये सर्वाधिक योगदान देता है। यहां से अनेक खिलाड़ियों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।<ref>{{cite news|url=http://www.hindu.com/thehindu/mag/2004/06/13/stories/2004061300490800.htm |title=अ फ़ील्ड डे इन कूर्ग|quote="Since Coorg (Kodagu) was the cradle of Indian hockey, with over 50 players from the region going on to represent the nation so far, seven of whom were Olympians..."|location=चेन्नई, भारत|work=द हिन्दू }}</ref> वार्षिक [[:w:Kodava Hockey Festival|कोडव हॉकी उत्सव]] विश्व में सबसे बड़ा हॉकी टूर्नामेण्ट है।<ref>{{cite news|author=कृष्ण कुमार|url=http://www.hindu.com/thehindu/mag/2004/06/13/stories/2004061300490800.htm|title=अ फ़ील्ड डे इन कूर्ग|publisher= द हिन्दू|quote="...the festival assumed such monstrous proportions (one year, 350 families took part in the festival) that it found place in the Limca Book of Records. It was recognized as the largest hockey tournament in the world. This has been referred to the Guinness Book of World Records too."|location=चेन्नई}}</ref> बंगलुरु शहर में महिला टेनिस संघ ([[:w:Women's Tennis Association|डब्लु.टी.ए]] का एक टेनिस ईवेन्ट भी हुआ है, तथा १९९७ में शहर भारत के चतुर्थ राष्ट्रीय खेल सम्मेलन का भी आतिथेय रहा है।<ref name="natlgam">{{cite web|url=http://www.indianexpress.com/res/web/pIe/ie/daily/19970612/16350393.html|title=कर्टेन्स डाउन ऑन फ़ोर्थ नेश्नल गेम्स|publisher=[[इंडियन एक्स्प्रेस]]| last=राव|first=रूपा}}</ref> इसी शहर में भारत के सर्वोच्च क्रीड़ा संस्थान, [[भारतीय खेल प्राधिकरण]] तथा नाइके टेनिस अकादमी भी स्थित हैं। अन्य राज्यों की तुलना में तैराकी के भी उच्च आनक भी कर्नाटक में ही मिलते हैं।<ref name="swimming">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/tss/tss3008/stories/20070224009103300.htm|title=सेटिंग न्यू स्टैण्डर्ड्स|work=द स्पोर्ट्स्टार खण्ड.८०:संख्या.०८, दिनांक २४ फ़र.२००७|publisher=[[द हिन्दू]]|author= एस.सबनायकन}}</ref>
कर्नाटक का एक छोटा सा जिला [[कोडगु जिला|कोडगु]] [[भारतीय हाकी टीम]] के लिये सर्वाधिक योगदान देता है। यहां से अनेक खिलाड़ियों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।<ref>{{cite news|url=http://www.hindu.com/thehindu/mag/2004/06/13/stories/2004061300490800.htm|title=अ फ़ील्ड डे इन कूर्ग|quote="Since Coorg (Kodagu) was the cradle of Indian hockey, with over 50 players from the region going on to represent the nation so far, seven of whom were Olympians..."|location=चेन्नई, भारत|work=द हिन्दू|access-date=29 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20070622070003/http://www.hindu.com/thehindu/mag/2004/06/13/stories/2004061300490800.htm|archive-date=22 जून 2007|url-status=live}}</ref> वार्षिक [[:w:Kodava Hockey Festival|कोडव हॉकी उत्सव]] विश्व में सबसे बड़ा हॉकी टूर्नामेण्ट है।<ref>{{cite news|author=कृष्ण कुमार|url=http://www.hindu.com/thehindu/mag/2004/06/13/stories/2004061300490800.htm|title=अ फ़ील्ड डे इन कूर्ग|publisher=द हिन्दू|quote="...the festival assumed such monstrous proportions (one year, 350 families took part in the festival) that it found place in the Limca Book of Records. It was recognized as the largest hockey tournament in the world. This has been referred to the Guinness Book of World Records too."|location=चेन्नई|access-date=29 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20070622070003/http://www.hindu.com/thehindu/mag/2004/06/13/stories/2004061300490800.htm|archive-date=22 जून 2007|url-status=live}}</ref> बंगलुरु शहर में महिला टेनिस संघ ([[:w:Women's Tennis Association|डब्लु.टी.ए]] का एक टेनिस ईवेन्ट भी हुआ है, तथा १९९७ में शहर भारत के चतुर्थ राष्ट्रीय खेल सम्मेलन का भी आतिथेय रहा है।<ref name="natlgam">{{cite web|url=http://www.indianexpress.com/res/web/pIe/ie/daily/19970612/16350393.html|title=कर्टेन्स डाउन ऑन फ़ोर्थ नेश्नल गेम्स|publisher=[[इंडियन एक्स्प्रेस]]|last=राव|first=रूपा|access-date=29 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20070929124058/http://www.indianexpress.com/res/web/pIe/ie/daily/19970612/16350393.html|archive-date=29 सितंबर 2007|url-status=live}}</ref> इसी शहर में भारत के सर्वोच्च क्रीड़ा संस्थान, [[भारतीय खेल प्राधिकरण]] तथा नाइके टेनिस अकादमी भी स्थित हैं। अन्य राज्यों की तुलना में तैराकी के भी उच्च आनक भी कर्नाटक में ही मिलते हैं।<ref name="swimming">{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/tss/tss3008/stories/20070224009103300.htm|title=सेटिंग न्यू स्टैण्डर्ड्स|work=द स्पोर्ट्स्टार खण्ड.८०:संख्या.०८, दिनांक २४ फ़र.२००७|publisher=[[द हिन्दू]]|author=एस.सबनायकन|access-date=29 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20101022090340/http://www.hinduonnet.com/tss/tss3008/stories/20070224009103300.htm|archive-date=22 अक्तूबर 2010|url-status=dead}}</ref>


राज्य का एक लोकप्रिय खेल [[क्रिकेट]] है। [[कर्नाटक क्रिकेट टीम|राज्य की क्रिकेट टीम]] छः बार [[रणजी ट्रॉफी]] जीत चुकी है और जीत के आंकड़ों में मात्र [[मुंबई क्रिकेट टीम]] से पीछे रही है।<ref name="ranji">{{cite web|url=http://www.cricinfo.com/link_to_database/NATIONAL/IND/RANJI_WINNERS.html|title=Ranji Trophy winners|publisher=Cricinfo}}</ref> बंगलुरु स्थित [[चिन्नास्वामी स्टेडियम]] में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों का आयोजन होता रहता है। साथ ही ये २००० में आरंभ हुई राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी का भी केन्द्र रहा है, जहां अकादमी भविष्य के लिए अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को तैयार करती है। राज्य क्रिकेट टीम के कई प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी रहे हैं। १९९० के दशक में हुए एक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच में यहीं के खिलाड़ियों का बाहुल्य रहा था।<ref name="odi">इस मैच में सुजीत सोमसुंदर, [[राहुल द्रविड़]], [[जावागल श्रीनाथ]], सुनील जोशी, [[अनिल कुंबले]] तथा [[व्यंकटेश प्रसाद]] आदि खिलाड़ी कर्नाटक से ही थे: {{cite web|url=http://content-ind.cricinfo.com/ci/engine/match/63848.html|title=ओ.डी.आई.सं. ११२७, टाईटन कप – फ़र्स्ट मैच इण्डिया वर्सेज़ साउथ अफ़्रीका १९९६/९७ सीज़न |publisher= क्रिक इन्फ़ो }}</ref><ref name="test">विजय भारद्वाज, [[राहुल द्रविड़]], [[जवागल श्रीनाथ]], सुनील जोशी, [[अनिल कुंबले]] एण्ड [[वेंकटेश प्रसाद]], ऑल फ़्रॉम कर्नाटक प्लेय्ड दिस मैच:{{cite web|url=http://content-ind.cricinfo.com/ci/engine/match/66059.html|title= टैस्ट सं:१४६२ न्यूज़ीलैंड इन इण्डिया टेस्ट शृंखला- प्रथम टेस्ट भारत बनाम न्यूज़ीलैण्ड १९९९/०० सीज़न|publisher= Cricinfo}}</ref> [[कर्नाटक प्रीमियर लीग]] राज्य का एक अंतर्क्षेत्रीय [[ट्वेन्टी-ट्वेन्टी]] क्रिकेट टूर्नामेंट है। [[रॉयल चैलेन्जर्स बैंगलौर]] [[भारतीय प्रीमियर लीग]] का एक फ़्रैंचाइज़ी है जो बंगलुरु में ही स्थित है।
राज्य का एक लोकप्रिय खेल [[क्रिकेट]] है। [[कर्नाटक क्रिकेट टीम|राज्य की क्रिकेट टीम]] छः बार [[रणजी ट्रॉफी]] जीत चुकी है और जीत के आंकड़ों में मात्र [[मुंबई क्रिकेट टीम]] से पीछे रही है।<ref name="ranji">{{cite web|url=http://www.cricinfo.com/link_to_database/NATIONAL/IND/RANJI_WINNERS.html|title=Ranji Trophy winners|publisher=Cricinfo|access-date=29 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20080509201218/http://www.cricinfo.com/link_to_database/NATIONAL/IND/RANJI_WINNERS.html|archive-date=9 मई 2008|url-status=live}}</ref> बंगलुरु स्थित [[चिन्नास्वामी स्टेडियम]] में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों का आयोजन होता रहता है। साथ ही ये २००० में आरंभ हुई राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी का भी केन्द्र रहा है, जहां अकादमी भविष्य के लिए अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को तैयार करती है। राज्य क्रिकेट टीम के कई प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी रहे हैं। १९९० के दशक में हुए एक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच में यहीं के खिलाड़ियों का बाहुल्य रहा था।<ref name="odi">इस मैच में सुजीत सोमसुंदर, [[राहुल द्रविड़]], [[जावागल श्रीनाथ]], सुनील जोशी, [[अनिल कुंबले]] तथा [[व्यंकटेश प्रसाद]] आदि खिलाड़ी कर्नाटक से ही थे: {{cite web|url=http://content-ind.cricinfo.com/ci/engine/match/63848.html|title=ओ.डी.आई.सं. ११२७, टाईटन कप – फ़र्स्ट मैच इण्डिया वर्सेज़ साउथ अफ़्रीका १९९६/९७ सीज़न|publisher=क्रिक इन्फ़ो|access-date=29 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20071014000236/http://content-ind.cricinfo.com/ci/engine/match/63848.html|archive-date=14 अक्तूबर 2007|url-status=live}}</ref><ref name="test">विजय भारद्वाज, [[राहुल द्रविड़]], [[जवागल श्रीनाथ]], सुनील जोशी, [[अनिल कुंबले]] एण्ड [[वेंकटेश प्रसाद]], ऑल फ़्रॉम कर्नाटक प्लेय्ड दिस मैच:{{cite web|url= http://content-ind.cricinfo.com/ci/engine/match/66059.html|title= टैस्ट सं:१४६२ न्यूज़ीलैंड इन इण्डिया टेस्ट शृंखला- प्रथम टेस्ट भारत बनाम न्यूज़ीलैण्ड १९९९/०० सीज़न|publisher= Cricinfo|access-date= 29 दिसंबर 2010|archive-url= https://web.archive.org/web/20071017145728/http://content-ind.cricinfo.com/ci/engine/match/66059.html|archive-date= 17 अक्तूबर 2007|url-status= live}}</ref> [[कर्नाटक प्रीमियर लीग]] राज्य का एक अंतर्क्षेत्रीय [[ट्वेन्टी-ट्वेन्टी]] क्रिकेट टूर्नामेंट है। [[रॉयल चैलेन्जर्स बैंगलौर]] [[भारतीय प्रीमियर लीग]] का एक फ़्रैंचाइज़ी है जो बंगलुरु में ही स्थित है।


राज्य के अंचलिक क्षेत्रों में [[खो खो]], [[कबड्डी]], [[चिन्नई डांडु]] तथा कंचे या गोली आदि खेल खूब खेले जाते हैं।
राज्य के अंचलिक क्षेत्रों में [[खो खो]], [[कबड्डी]], [[चिन्नई डांडु]] तथा कंचे या गोली आदि खेल खूब खेले जाते हैं।


राज्य के उल्लेखनीय खिलाड़ियों में १९८० के [[ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप]] विजेता [[प्रकाश पादुकोन]] का नाम सम्मान से लिया जाता है। इनके अलावा [[पंकज आडवाणी]] भी उल्लेखनीय हैं, जिन्होंने २० वर्ष की आयु से ही बैडमिंटन स्पर्धाएं आरंभ कर दी थीं तथा तथा क्यू स्पोर्ट्स के तीन उपाधियां धारण की हैं, जिनमें २००३ की [[विश्व स्नूकर चैंपियनशिप]] एवं २००५ की विश्व बिलियर्ड्स चैंपियनशिप आती हैं।<ref name="prak">{{cite web|url=http://www.tatapadukoneacademy.com/faculty.asp|title=फ़ैकल्टी|work= टाटा प्रकाश पादुकोन बैडमिंटन अकादमी के ऑनलाइन जालपृष्ठ से |publisher=© २००७, टाटा प्रकाश पादुकोन बैडमिंटन अकादमी }}</ref><ref name="cue">{{cite news|url=http://www.hindu.com/2005/07/12/stories/2005071204242000.htm|title=पंकज आडवाणी इज़ अ फ़ेनोमेनाँ:सावुर|date=१२ जुलाई २००५|publisher=[[द हिन्दू]] |location=चेन्नई, भारत}}</ref>
राज्य के उल्लेखनीय खिलाड़ियों में १९८० के [[ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप]] विजेता [[प्रकाश पादुकोन]] का नाम सम्मान से लिया जाता है। इनके अलावा [[पंकज आडवाणी]] भी उल्लेखनीय हैं, जिन्होंने २० वर्ष की आयु से ही बैडमिंटन स्पर्धाएं आरंभ कर दी थीं तथा तथा क्यू स्पोर्ट्स के तीन उपाधियां धारण की हैं, जिनमें २००३ की [[विश्व स्नूकर चैंपियनशिप]] एवं २००५ की विश्व बिलियर्ड्स चैंपियनशिप आती हैं।<ref name="prak">{{cite web|url=http://www.tatapadukoneacademy.com/faculty.asp|title=फ़ैकल्टी|work=टाटा प्रकाश पादुकोन बैडमिंटन अकादमी के ऑनलाइन जालपृष्ठ से|publisher=© २००७, टाटा प्रकाश पादुकोन बैडमिंटन अकादमी|access-date=29 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20070521084204/http://tatapadukoneacademy.com/faculty.asp|archive-date=21 मई 2007|url-status=dead}}</ref><ref name="cue">{{cite news|url=http://www.hindu.com/2005/07/12/stories/2005071204242000.htm|title=पंकज आडवाणी इज़ अ फ़ेनोमेनाँ:सावुर|date=१२ जुलाई २००५|publisher=[[द हिन्दू]]|location=चेन्नई, भारत|access-date=29 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20071001064601/http://www.hindu.com/2005/07/12/stories/2005071204242000.htm|archive-date=1 अक्तूबर 2007|url-status=live}}</ref>


राज्य में [[सायकिल|साइकिलिंग]] स्पर्धाएं भी जोरों पर रही हैं। बीजापुर जिले के क्षेत्र से राष्ट्रीय स्तर के अग्रणी सायक्लिस्ट हुए हैं। [[मलेशिया]] में आयोजित हुए पर्लिस ओपन ’९९ में प्रेमलता सुरेबान भारतीय प्रतिनिधियों में से एक थीं। जिले की साइक्लिंग प्रतिभा को देखते हुए उनके उत्थान हेतु राज्य सरकार ने जिले में {{भारतीय रुपये}} ४० लाख की लागत से यहां के बी.आर अंबेडकर स्टेडियम में सायक्लिंग ट्रैक बनवाया है।<ref>{{cite news|url=http://www.hindu.com/2009/05/26/stories/2009052651250300.htm |title=मुखपृष्ठ समाचार: शुक्रवार, १६ जुलाई २०१० |publisher=द हिन्दू |date= २६ मई २००९|location=चेन्नई}}</ref>
राज्य में [[सायकिल|साइकिलिंग]] स्पर्धाएं भी जोरों पर रही हैं। बीजापुर जिले के क्षेत्र से राष्ट्रीय स्तर के अग्रणी सायक्लिस्ट हुए हैं। [[मलेशिया]] में आयोजित हुए पर्लिस ओपन ’९९ में प्रेमलता सुरेबान भारतीय प्रतिनिधियों में से एक थीं। जिले की साइक्लिंग प्रतिभा को देखते हुए उनके उत्थान हेतु राज्य सरकार ने जिले में {{भारतीय रुपये}} ४० लाख की लागत से यहां के बी.आर अंबेडकर स्टेडियम में सायक्लिंग ट्रैक बनवाया है।<ref>{{cite news |url=http://www.hindu.com/2009/05/26/stories/2009052651250300.htm |title=मुखपृष्ठ समाचार: शुक्रवार, १६ जुलाई २०१० |publisher=द हिन्दू |date=२६ मई २००९ |location=चेन्नई |access-date=29 दिसंबर 2010 |archive-url=https://web.archive.org/web/20110510085455/http://www.hindu.com/2009/05/26/stories/2009052651250300.htm |archive-date=10 मई 2011 |url-status=live }}</ref>


== पर्यटन ==
== पर्यटन ==
पंक्ति 198: पंक्ति 197:
{{See also|कर्नाटक का स्थापत्य }}
{{See also|कर्नाटक का स्थापत्य }}
[[चित्र:The Chennakeshava temple at Somanathapura.jpg|thumb|200px|left|केशव मंदिर, [[सोमनाथपुर]] ]]
[[चित्र:The Chennakeshava temple at Somanathapura.jpg|thumb|200px|left|केशव मंदिर, [[सोमनाथपुर]] ]]
अपने विस्तृत भूगोल, प्राकृतिक सौन्दर्य एवं लम्बे इतिहास के कारण कर्नाटक राज्य बड़ी संख्या में पर्यटन आकर्षणों से परिपूर्ण है। राज्य में जहां एक ओर प्राचीन शिल्पकला से परिपूर्ण मंदिर हैं तो वहीं आधुनिक नगर भी हैं, जहां एक ओर नैसर्गिक पर्वतमालाएं हैं तो वहीं अनान्वेषित वन संपदा भी है और जहां व्यस्त व्यावसायिक कार्यकलापों में उलझे शहरी मार्ग हैं, वहीं दूसरी ओर लम्बे सुनहरे रेतीले एवं शांत सागरतट भी हैं। कर्नाटक राज्य को भारत के राज्यों में सबसे प्रचलित पर्यटन गंतव्यों की सूची में चौथा स्थान मिला है।<ref name="toptour">{{cite web|url=http://www.blonnet.com/2002/02/15/stories/2002021500501200.htm|work= द हिन्दू बिज़्नेस लाइन का ऑनलाइन संस्करण, १५ फ़र.२००२|title= कर्नाटक टू टर्न ऑन टूरिज़्म चार्म्स |publisher=द हिन्दू बिज़्नेस लाइन}}</ref> राज्य में उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक राष्ट्रीय संरक्षित उद्यान एवं वन हैं,<ref name="protect">{{cite web|title=एल्फ़ाबैटिकल लिस्ट ऑफ मॉन्युमेण्ट्स|url=http://asi.nic.in/asi_monu_alphalist_karnataka.asp|author=|publisher=[[भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण विभाग]] |work= संरक्षित स्मारक}}</ref> जिनके साथ ही यहां राज्य पुरातत्त्व एवं संग्रहालय निदेशलय द्वारा संरक्षित ७५२ स्मारक भी हैं। इनके अलावा अन्य २५,००० स्मारक भी संरक्षण प्राप्त करने की सूची में हैं।<ref name="protected_monuments">{{cite news|title=प्लान टू कंज़र्व हैरिटेज मॉन्युमेण्ट्स, म्यूज़ियम्स|url=http://www.hindu.com/2007/01/06/stories/2007010606360500.htm|publisher=द हिन्दू का ऑनलाइन संस्करण, ६ जनवरी २००७|work=द हिन्दू |location=चेन्नई|date= ६ जन. २००७}}</ref><ref name="mp">{{cite news|url=http://www.hindu.com/2007/08/17/stories/2007081755371000.htm|work=द हिन्दू का ऑनलाइन संस्करण, १७ अगस्त २००७|title= मैसूर पैलेस बीट्स ताजमहल इन पॉपुलैरिटी |author=आर कृष्ण कुमार |location=चेन्नई|date=१७ अगस्त २००८}}</ref>
अपने विस्तृत भूगोल, प्राकृतिक सौन्दर्य एवं लम्बे इतिहास के कारण कर्नाटक राज्य बड़ी संख्या में पर्यटन आकर्षणों से परिपूर्ण है। राज्य में जहां एक ओर प्राचीन शिल्पकला से परिपूर्ण मंदिर हैं तो वहीं आधुनिक नगर भी हैं, जहां एक ओर नैसर्गिक पर्वतमालाएं हैं तो वहीं अनान्वेषित वन संपदा भी है और जहां व्यस्त व्यावसायिक कार्यकलापों में उलझे शहरी मार्ग हैं, वहीं दूसरी ओर लम्बे सुनहरे रेतीले एवं शांत सागरतट भी हैं। कर्नाटक राज्य को भारत के राज्यों में सबसे प्रचलित पर्यटन गंतव्यों की सूची में चौथा स्थान मिला है।<ref name="toptour">{{cite web|url=http://www.blonnet.com/2002/02/15/stories/2002021500501200.htm|work=द हिन्दू बिज़्नेस लाइन का ऑनलाइन संस्करण, १५ फ़र.२००२|title=कर्नाटक टू टर्न ऑन टूरिज़्म चार्म्स|publisher=द हिन्दू बिज़्नेस लाइन|access-date=29 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20070929120855/http://www.blonnet.com/2002/02/15/stories/2002021500501200.htm|archive-date=29 सितंबर 2007|url-status=dead}}</ref> राज्य में उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक राष्ट्रीय संरक्षित उद्यान एवं वन हैं,<ref name="protect">{{cite web|title=एल्फ़ाबैटिकल लिस्ट ऑफ मॉन्युमेण्ट्स|url=http://asi.nic.in/asi_monu_alphalist_karnataka.asp|author=|publisher=[[भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण विभाग]]|work=संरक्षित स्मारक|access-date=29 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20130808023916/http://asi.nic.in/asi_monu_alphalist_karnataka.asp|archive-date=8 अगस्त 2013|url-status=dead}}</ref> जिनके साथ ही यहां राज्य पुरातत्त्व एवं संग्रहालय निदेशलय द्वारा संरक्षित ७५२ स्मारक भी हैं। इनके अलावा अन्य २५,००० स्मारक भी संरक्षण प्राप्त करने की सूची में हैं।<ref name="protected_monuments">{{cite news|title=प्लान टू कंज़र्व हैरिटेज मॉन्युमेण्ट्स, म्यूज़ियम्स|url=http://www.hindu.com/2007/01/06/stories/2007010606360500.htm|publisher=द हिन्दू का ऑनलाइन संस्करण, ६ जनवरी २००७|work=द हिन्दू|location=चेन्नई|date=६ जन. २००७|access-date=29 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20130724023146/http://www.hindu.com/2007/01/06/stories/2007010606360500.htm|archive-date=24 जुलाई 2013|url-status=live}}</ref><ref name="mp">{{cite news|url=http://www.hindu.com/2007/08/17/stories/2007081755371000.htm|work=द हिन्दू का ऑनलाइन संस्करण, १७ अगस्त २००७|title=मैसूर पैलेस बीट्स ताजमहल इन पॉपुलैरिटी|author=आर कृष्ण कुमार|location=चेन्नई|date=१७ अगस्त २००८|access-date=29 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20071017032724/http://hindu.com/2007/08/17/stories/2007081755371000.htm|archive-date=17 अक्तूबर 2007|url-status=live}}</ref>
[[चित्र:GolGumbaz2.jpg|thumb|right|200px|[[बीजापुर]] का [[गोल गुम्बज]], बाईज़ैन्टाइन साम्राज्य के [[:w:Hagia Sophia|हैजिया सोफिया]] के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गुम्बद है। ]]
[[चित्र:GolGumbaz2.jpg|thumb|right|200px|[[बीजापुर]] का [[गोल गुम्बज]], बाईज़ैन्टाइन साम्राज्य के [[:w:Hagia Sophia|हैजिया सोफिया]] के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गुम्बद है। ]]


राज्य के [[मैसूर]] शहर में स्थित [[महाराजा पैलेस, मैसूर|महाराजा पैलेस]] इतना आलीशान एवं खूबसूरत बना है, कि उसे सबसे विश्व के दस कुछ सुंदर महलों में गिना जाता है।<ref>[listphobia.com/2009/08/22/10-most-beautiful-palaces-of-the-world/ टेन मोस्ट ब्यूटिफ़ुल पैलेसेज़ ऑफ द वर्ल्ड]। लिस्टोफोबिया। अभिगमन तिथि: ५ फ़रवरी २०११</ref><ref>[www.mostinterestingfacts.com/building/top-10-most-beautiful-palaces-in-the-world.html टॉप टेन मोस्ट ब्यूटिफुल पैलेसेज़ ऑफ द वर्ल्ड। मोस्ट इन्टरेस्टिंग फ़ैक्ट्स। अभि.तिथि:५ फ़रवरी २०११</ref> कर्नाटक के [[पश्चिमी घाट]] में आने वाले तथा दक्षिणी जिलों में प्रसिद्ध [[पर्यटन भूगोल|पारिस्थितिकी पर्यटन]] स्थल हैं जिनमें [[कुद्रेमुख]], [[मडिकेरी]] तथा [[अगुम्बे]] आते हैं। राज्य में २५ [[वन्य जीवन अभयारण्य]] एवं ५ [[राष्ट्रीय उद्यान]] हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्ध हैं: [[बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान]], [[बनेरघाटा राष्ट्रीय उद्यान]] एवं [[नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान]]। [[हम्पी]] में [[विजयनगर साम्राज्य]] के अवशेष तथा [[पत्तदकल]] में प्राचीन पुरातात्त्विक अवशेष [[युनेस्को विश्व धरोहर]] चुने जा चुके हैं। इनके साथ ही [[बादामी]] के गुफा मंदिर तथा [[ऐहोल]] के पाषाण मंदिर बादामी चालुक्य स्थापात्य के अद्भुत नमूने हैं तथा प्रमुख पर्यटक आकर्षण बने हुए हैं। [[बेलूर]] तथा [[हैलेबिडु]] में होयसाल मंदिर क्लोरिटिक शीस्ट (एक प्रकार के सोपस्टोन) से बने हुए हैं एवं युनेस्को विश्व धरोहर स्थल बनने हेतु प्रस्तावित हैं।<ref name="heritage">{{cite news|title=Belur for World Heritage Status|url=http://www.hindu.com/2004/07/25/stories/2004072501490300.htm |publisher= द हिन्दू |work=द हिन्दू का ऑनलाइन संस्करण, दिनांक:२५ जुलाई २००४|location=चेन्नई}}</ref> यहाँ बने [[गोल गुम्बज]] तथा इब्राहिम रौज़ा दक्खन सल्तनत स्थापत्य शैली के अद्भुत उदाहरण हैं। [[श्रवणबेलगोला]] स्थित [[गोमतेश्वर]] की १७ मीटर ऊंची मूर्ति जो विश्व की सर्वोच्च एकाश्म प्रतिमा है, वार्षिक [[महामस्तकाभिषेक]] उत्सव में सहस्रों श्रद्धालु तीर्थायात्रियों का आकर्षण केन्द्र बनती है।<ref name="mono">कीएय (२०००), पृ. ३२४</ref>
राज्य के [[मैसूर]] शहर में स्थित [[महाराजा पैलेस, मैसूर|महाराजा पैलेस]] इतना आलीशान एवं खूबसूरत बना है, कि उसे सबसे विश्व के दस कुछ सुंदर महलों में गिना जाता है।<ref>[listphobia.com/2009/08/22/10-most-beautiful-palaces-of-the-world/ टेन मोस्ट ब्यूटिफ़ुल पैलेसेज़ ऑफ द वर्ल्ड]। लिस्टोफोबिया। अभिगमन तिथि: ५ फ़रवरी २०११</ref><ref>[www.mostinterestingfacts.com/building/top-10-most-beautiful-palaces-in-the-world.html टॉप टेन मोस्ट ब्यूटिफुल पैलेसेज़ ऑफ द वर्ल्ड। मोस्ट इन्टरेस्टिंग फ़ैक्ट्स। अभि.तिथि:५ फ़रवरी २०११</ref> कर्नाटक के [[पश्चिमी घाट]] में आने वाले तथा दक्षिणी जिलों में प्रसिद्ध [[पर्यटन भूगोल|पारिस्थितिकी पर्यटन]] स्थल हैं जिनमें [[कुद्रेमुख]], [[मडिकेरी]] तथा [[अगुम्बे]] आते हैं। राज्य में २५ [[वन्य जीवन अभयारण्य]] एवं ५ [[राष्ट्रीय उद्यान]] हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्ध हैं: [[बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान]], [[बनेरघाटा राष्ट्रीय उद्यान]] एवं [[नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान]]। [[हम्पी]] में [[विजयनगर साम्राज्य]] के अवशेष तथा [[पत्तदकल]] में प्राचीन पुरातात्त्विक अवशेष [[युनेस्को विश्व धरोहर]] चुने जा चुके हैं। इनके साथ ही [[बादामी]] के गुफा मंदिर तथा [[ऐहोल]] के पाषाण मंदिर बादामी चालुक्य स्थापात्य के अद्भुत नमूने हैं तथा प्रमुख पर्यटक आकर्षण बने हुए हैं। [[बेलूर]] तथा [[हैलेबिडु]] में होयसाल मंदिर क्लोरिटिक शीस्ट (एक प्रकार के सोपस्टोन) से बने हुए हैं एवं युनेस्को विश्व धरोहर स्थल बनने हेतु प्रस्तावित हैं।<ref name="heritage">{{cite news|title=Belur for World Heritage Status|url=http://www.hindu.com/2004/07/25/stories/2004072501490300.htm|publisher=द हिन्दू|work=द हिन्दू का ऑनलाइन संस्करण, दिनांक:२५ जुलाई २००४|location=चेन्नई|access-date=29 दिसंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20070312061918/http://www.hindu.com/2004/07/25/stories/2004072501490300.htm|archive-date=12 मार्च 2007|url-status=live}}</ref> यहाँ बने [[गोल गुम्बज]] तथा इब्राहिम रौज़ा दक्खन सल्तनत स्थापत्य शैली के अद्भुत उदाहरण हैं। [[श्रवणबेलगोला]] स्थित [[गोमतेश्वर]] की १७ मीटर ऊंची मूर्ति जो विश्व की सर्वोच्च एकाश्म प्रतिमा है, वार्षिक [[महामस्तकाभिषेक]] उत्सव में सहस्रों श्रद्धालु तीर्थायात्रियों का आकर्षण केन्द्र बनती है।<ref name="mono">कीएय (२०००), पृ. ३२४</ref>
[[चित्र:Mysore Palace Night.jpg|thumb|200px|left|[[मैसूर पैलेस]], [[मैसूर]] का रात्रि दृश्य]]
[[चित्र:Mysore Palace Night.jpg|thumb|200px|left|[[मैसूर पैलेस]], [[मैसूर]] का रात्रि दृश्य]]


पंक्ति 209: पंक्ति 208:


[[चित्र:oldpaint file.jpg|thumb|right|मैसूर शैली का एक तैल चित्र]]
[[चित्र:oldpaint file.jpg|thumb|right|मैसूर शैली का एक तैल चित्र]]
हाल के कुछ वर्षों में कर्नाटक स्वास्थ्य रक्षा पर्यटन हेतु एक सक्रिय केन्द्र के रूप में भी उभरा है। राज्य में देश के सर्वाधिक स्वीकृत स्वास्थ्य प्रणालिययाँ और वैकल्पिक चिकित्सा उपलब्ध हैं। राज्य में आईएसओ प्रमाणित सरकारी चिकित्सालयों सहित, अंतर्राष्ट्रीय स्तर की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने वाले निजी संस्थानों के मिले-जुले योगदान से वर्ष २००४-०५ में स्वास्थ्य-रक्षा उद्योग को ३०% की बढोत्तरी मिली है। राज्य के अस्पतालों में लगभग ८,००० स्वास्थ्य संबंधी सैलानी आते हैं।<ref name="healthcare">{{cite web|url=http://www.blonnet.com/2004/11/24/stories/2004112402271700.htm|title= कर्नाटक बेट्स बिग ऑन हैल्थकेयर टूअरिज़्म |work= हिन्दू बिज़्नेसलाइन का ऑनलाइन जालस्थल, दिनांक २३ नवं, २००४|publisher=द हिन्दू, २००४}}</ref>
हाल के कुछ वर्षों में कर्नाटक स्वास्थ्य रक्षा पर्यटन हेतु एक सक्रिय केन्द्र के रूप में भी उभरा है। राज्य में देश के सर्वाधिक स्वीकृत स्वास्थ्य प्रणालिययाँ और वैकल्पिक चिकित्सा उपलब्ध हैं। राज्य में आईएसओ प्रमाणित सरकारी चिकित्सालयों सहित, अंतर्राष्ट्रीय स्तर की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने वाले निजी संस्थानों के मिले-जुले योगदान से वर्ष २००४-०५ में स्वास्थ्य-रक्षा उद्योग को ३०% की बढोत्तरी मिली है। राज्य के अस्पतालों में लगभग ८,००० स्वास्थ्य संबंधी सैलानी आते हैं।<ref name="healthcare">{{cite web|url=http://www.blonnet.com/2004/11/24/stories/2004112402271700.htm|title=कर्नाटक बेट्स बिग ऑन हैल्थकेयर टूअरिज़्म|work=हिन्दू बिज़्नेसलाइन का ऑनलाइन जालस्थल, दिनांक २३ नवं, २००४|publisher=द हिन्दू, २००४|access-date=20 नवंबर 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20080929184911/http://www.blonnet.com/2004/11/24/stories/2004112402271700.htm|archive-date=29 सितंबर 2008|url-status=dead}}</ref>
{{-}}
{{-}}
{{कर्नाटक में पुरातात्त्विक स्थल }}
{{कर्नाटक में पुरातात्त्विक स्थल }}
पंक्ति 225: पंक्ति 224:
{{Commons category|Karnataka|कर्नाटक}}
{{Commons category|Karnataka|कर्नाटक}}
{{प्रवेशद्वार}}
{{प्रवेशद्वार}}
* [http://www.karnataka.gov.in/ कर्नाटक सरकार] का आधिकारिक जालस्थल
* [https://web.archive.org/web/20101219090604/http://karnataka.gov.in/ कर्नाटक सरकार] का आधिकारिक जालस्थल
* [http://www.karnatakainformation.org/ कर्नाटक सरकार सूचना विभाग]
* [https://web.archive.org/web/20110526053221/http://www.karnatakainformation.org/ कर्नाटक सरकार सूचना विभाग]
* {{ODP|Regional/Asia/India/Karnataka/}}
* {{ODP|Regional/Asia/India/Karnataka/}}
* [http://hi.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%95 कर्नाटक]- भारत डिस्कवरी पर देखें
* [https://web.archive.org/web/20110505205646/http://hi.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%95 कर्नाटक]- भारत डिस्कवरी पर देखें


{{Geographic Location
{{Geographic Location

04:52, 16 जून 2020 का अवतरण

कर्नाटक
ಕರ್ನಾಟಕ
भारत का राज्य

[[चित्र:|200px|center|]]

भारत के मानचित्र पर कर्नाटक ಕರ್ನಾಟಕ
भारत के मानचित्र पर कर्नाटक
ಕರ್ನಾಟಕ

राजधानी बेंगलुरु
सबसे बड़ा शहर बेंगलुरु
जनसंख्या 6,10,95,297
 - घनत्व 319 /किमी²
क्षेत्रफल 1,91,791 किमी² 
 - ज़िले 30
राजभाषा कन्नड़[1]
गठन 1 नवम्बर 1956
सरकार कर्नाटक सरकार
 - राज्यपाल वजुभाई वाला
 - मुख्यमंत्री बी एस येदुरप्पा (भाजपा)
 - विधानमण्डल द्विसदनीय
विधान परिषद (75 सीटें)
विधान सभा (225 सीटें)
 - भारतीय संसद राज्य सभा (12 सीटें)
लोक सभा (28 सीटें)
 - उच्च न्यायालय कर्नाटक उच्च न्यायालय
डाक सूचक संख्या 56 से 59
वाहन अक्षर KA
आइएसओ 3166-2 IN-KA
www.karnataka.gov.in

कर्नाटक (कन्नड़: ಕರ್ನಾಟಕ), जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का गठन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अधीन किया गया था। पहले यह मैसूर राज्य कहलाता था। १९७३ में पुनर्नामकरण कर इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया। इसकी सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। ३० जिलों के साथ यह राज्य छठा सबसे बड़ा राज्य है। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़

कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई व्याख्याओं में से सर्वाधिक स्वीकृत व्याख्या यह है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयलुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है।[2]

प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन साम्राज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं।[3] राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है।

इतिहास

पत्तदकल में मल्लिकार्जुन और काशी विश्वनाथ मंदिर चालुक्य एवं राष्ट्रकूट वंश द्वारा बनवाये गए थे, जो अब यूनेस्को विश्व धरोहर हैं

कर्नाटक का विस्तृत इतिहास है जिसने समय के साथ कई करवटें बदलीं हैं।[4] राज्य का प्रागैतिहास पाषाण युग तक जाता है तथा इसने कई युगों का विकास देखा है। राज्य में मध्य एवं नव पाषाण युगों के साक्ष्य भी पाये गए हैं। हड़प्पा में खोजा गया स्वर्ण कर्नाटक की खानों से निकला था, जिसने इतिहासकारों को ३००० ई.पू के कर्नाटक और सिंधु घाटी सभ्यता के बीच संबंध खोजने पर विवश किया।[5][6] तृतीय शताब्दी ई.पू से पूर्व, अधिकांश कर्नाटक राज्य मौर्य वंश के सम्राट अशोक के अधीन आने से पहले नंद वंश के अधीन रहा था। सातवाहन वंश को शासन की चार शताब्दियां मिलीं जिनमें उन्होंने कर्नाटक के बड़े भूभाग पर शासन किया। सातवाहनों के शासन के पतन के साथ ही स्थानीय शासकों कदंब वंश एवं पश्चिम गंग वंश का उदय हुआ। इसके साथ ही क्षेत्र में स्वतंत्र राजनैतिक शक्तियां अस्तित्त्व में आयीं। कदंब वंश की स्थापना मयूर शर्मा ने ३४५ ई. में की और अपनी राजधानी बनवासी में बनायी;[7][8] एवं पश्चिम गंग वंश की स्थापना कोंगणिवर्मन माधव ने ३५० ई में तालकाड़ में राजधानी के साथ की।[9][10]

होयसाल साम्राज्य स्थापत्य, बेलूर में।

हाल्मिदी शिलालेख एवं बनवसी में मिले एक ५वीं शताब्दी की ताम्र मुद्रा के अनुसार ये राज्य प्रशासन में कन्नड़ भाषा प्रयोग करने वाले प्रथम दृष्टांत बने[11][12] इन राजवंशों के उपरांत शाही कन्नड़ साम्राज्य बादामी चालुक्य वंश,[13][14] मान्यखेत के राष्ट्रकूट,[15][16] और पश्चिमी चालुक्य वंश[17][18] आये जिन्होंने दक्खिन के बड़े भाग पर शासन किया और राजधानियां वर्तमान कर्नाटक में बनायीं। पश्चिमी चालुक्यों ने एक अनोखी चालुक्य स्थापत्य शैली भी विकसित की। इसके साथही उन्होंने कन्नड़ साहित्य का भी विकास किया जो आगे चलकर १२वीं शताब्दी में होयसाल वंश के कला व साहित्य योगदानों का आधार बना।[19][20]

आधुनिक कर्नाटक के भागों पर ९९०-१२१० ई. के बीच चोल वंश ने अधिकार किया।[21] अधिकरण की प्रक्रिया का आरंभ राजराज चोल १ (९८५-१०१४) ने आरंभ किया और ये काम उसके पुत्र राजेन्द्र चोल १ (१०१४-१०४४) के शासन तक चला।[21] आरंभ में राजराज चोल १ ने आधुनिक मैसूर के भाग "गंगापाड़ी, नोलंबपाड़ी एवं तड़िगैपाड़ी' पर अधिकार किया। उसने दोनूर तक चढ़ाई की और बनवसी सहित रायचूर दोआब के बड़े भाग तथा पश्चिमी चालुक्य राजधानी मान्यखेत तक हथिया ली।[21] चालुक्य शासक जयसिंह की राजेन्द्र चोल १ के द्वारा हार उपरांत, तुंगभद्रा नदी को दोनों राज्यों के बीच की सीमा तय किया गया था।[21] राजाधिराज चोल १ (१०४२-१०५६) के शासन में दन्नड़, कुल्पाक, कोप्पम, काम्पिल्य दुर्ग, पुण्डूर, येतिगिरि एवं चालुक्य राजधानी कल्याणी भी छीन ली गईं।[21] १०५३ में, राजेन्द्र चोल २ चालुक्यों को युद्ध में हराकर कोल्लापुरा पहुंचा और कालंतर में अपनी राजधानी गंगाकोंडचोलपुरम वापस पहुंचने से पूर्व वहां एक विजय स्मारक स्तंभ भी बनवाया।[22] १०६६ में पश्चिमी चालुक्य सोमेश्वर की सेना अगले चोल शासक वीरराजेन्द्र से हार गयीं। इसके बाद उसी ने दोबारा पश्चिमी चालुक्य सेना को कुदालसंगम पर मात दी और तुंगभद्रा नदी के तट पर एक विजय स्मारक की स्थापनी की।[22] १०७५ में कुलोत्तुंग चोल १ ने कोलार जिले में नांगिली में विक्रमादित्य ६ को हराकर गंगवाड़ी पर अधिकार किया।[23] चोल साम्राज्य से १११६ में गंगवाड़ी को विष्णुवर्धन के नेतृत्व में होयसालों ने छीन लिया।[21]

हम्पी, विश्व धरोहर स्थल मं एक उग्रनरसिंह की मूर्ति। यह विजयनगर साम्राज्य की पूर्व राजधानी विजयनगर के अवशेषों के निकट स्थित है।

प्रथम सहस्राब्दी के आरंभ में ही होयसाल वंश का क्षेत्र में पुनरोद्भव हुआ। इसी समय होयसाल साहित्य पनपा साथ ही अनुपम कन्नड़ संगीत और होयसाल स्थापत्य शैली के मंदिर आदि बने।[24][25][26][27] होयसाल साम्राज्य ने अपने शासन के विस्तार के तहत आधुनिक आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के छोटे भागों को विलय किया। १४वीं शताब्दी के आरंभ में हरिहर और बुक्का राय ने विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की एवं वर्तमान बेल्लारी जिले में तुंगभद्रा नदी के तट होसनपट्ट (बाद में विजयनगर) में अपनी राजधानी बसायी। इस साम्राज्य ने अगली दो शताब्दियों में मुस्लिम शासकों के दक्षिण भारत में विस्तार पर रोक लगाये रखी।[28][29]

बादामी गुहा के भीतर

१५६५ में समस्त दक्षिण भारत सहित कर्नाटक ने एक बड़ा राजनैतिक बदलाव देख, जिसमें विजयनगर साम्राज्य तालिकोट के युद्ध में हार के बाद इस्लामी सल्तनतों के अधीन हो गया।[30] बीदर के बहमनी सुल्तान की मृत्यु उपरांत उदय हुए बीजापुर सल्तनत ने जल्दी ही दक्खिन पर अधिकार कर लिया और १७वीं शताब्दी के अंत में मुगल साम्राज्य से मात होने तक बनाये रखा।[31][32] बहमनी और बीजापुर के शसकों ने उर्दू एवं फारसी साहित्य तथा भारतीय पुनरोद्धार स्थापत्यकला (इण्डो-सैरेसिनिक) को बढ़ावा दिया। इस शैली का प्रधान उदाहरण है गोल गुम्बज[33] पुर्तगाली शासन द्वारा भारी कर वसूली, खाद्य आपूर्ति में कमी एवं महामारियों के कारण १६वीं शताब्दी में कोंकणी हिन्दू मुख्यतः सैल्सेट, गोआ से विस्थापित होकर]],[34] कर्नाटक में आये और १७वीं तथा १८वीं शताब्दियों में विशेषतः बारदेज़, गोआ से विस्थापित होकर मंगलौरियाई कैथोलिक ईसाई दक्षिण कन्नड़ आकर बस गये।[35]

भूगोल

जोग प्रपात भारत में सबसे ऊंचा जल प्रपात है। यहां शरावती नदी ऊंचाई से नीचे गिरती है।

कर्नाटक राज्य में तीन प्रधान मंडल हैं: तटीय क्षेत्र करावली, पहाड़ी क्षेत्र मालेनाडु जिसमें पश्चिमी घाट आते हैं, तथा तीसरा बयालुसीमी क्षेत्र जहां दक्खिन पठार का क्षेत्र है। राज्य का अधिकांश क्षेत्र बयालुसीमी में आता है और इसका उत्तरी क्षेत्र भारत का सबसे बड़ा शुष्क क्षेत्र है।[36] कर्नाटक का सबसे ऊंचा स्थल चिकमंगलूर जिले का मुल्लयनगिरि पर्वत है। यहां की समुद्र सतह से ऊंचाई 1,929 मीटर (6,329 फीट) है। कर्नाटक की महत्त्वपूर्ण नदियों में कावेरी, तुंगभद्रा नदी, कृष्णा नदी, मलयप्रभा नदी और शरावती नदी हैं।

कृषि हेतु योग्यता के अनुसार यहां की मृदा को छः प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: लाल, लैटेरिटिक, काली, ऍल्युवियो-कोल्युविलय एवं तटीय रेतीली मिट्टी। राज्य में चार प्रमुख ऋतुएं आती हैं। जनवरी और फ़रवरी में शीत ऋतु, उसके बाद मार्च-मई तक ग्रीष्म ऋतु, जिसके बाद जून से सितंबर तक वर्षा ऋतु (मॉनसून) और अंततः अक्टूबर से दिसम्बर पर्यन्त मॉनसूनोत्तर काल। मौसम विज्ञान के आधार पर कर्नाटक तीन क्षेत्रों में बांटा जा सकता है: तटीय, उत्तरी आंतरिक और दक्षिणी आंतरिक क्षेत्र। इनमें से तटीय क्षेत्र में सर्वाधिक वर्षा होती है, जिसका लगभग 3,638.5 मि॰मी॰ (143 इंच) प्रतिवर्ष है, जो राज्य के वार्षिक औसत 1,139 मि॰मी॰ (45 इंच) से कहीं अधिक है। शिमोगा जिला में अगुम्बे भारत में दूसरा सर्वाधिक वार्षिक औसत वर्षा पाने वाला स्थल है।[37] द्वारा किया गया है। यहां का सर्वाधिक अंकित तापमान ४५.६ ° से. (११४ °फ़ै.) रायचूर में तथा न्यूनतम तापमान 2.8 °से. (37 °फ़ै) बीदर में नापा गया है।

कर्नाटक का लगभग 38,724 कि॰मी2 (14,951 वर्ग मील) (राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का २०%) वनों से आच्छादित है। ये वन संरक्षित, सुरक्षित, खुले, ग्रामीण और निजी वनों में वर्गीकृत किये जा सकते हैं। यहां के वनाच्छादित क्षेत्र भारत के औसत वनीय क्षेत्र २३% से कुछ ही कम हैं, किन्तु राष्ट्रीय वन नीति द्वारा निर्धारित ३३% से कहीं कम हैं।[38]

उप-मंडल

कर्नाटक के जिले

कर्नाटक राज्य में ३० जिले हैं —बागलकोट, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलूरु शहरी, बेलगावि, बल्लारी, बीदर, बीजापुर (विजयपुर), चामराजनगर, चिकबल्लापुर,[39] चिकमगलूर, चित्रदुर्ग, दक्षिण कन्नड़, दावणगेरे, धारवाड़, गदग, गुलबर्गा, हासन, हावेरी, कोडगु, कोलार, कोप्पल, मंड्या, मैसूर, रायचूर, रामनगर,[39] शिवमोग्गा, तुमकूर, उडुपी, उत्तर कन्नड़ एवं यादगीर। प्रत्येक जिले का प्रशासन एक जिलाधीश या जिलायुक्त के अधीन होता है। ये जिले फिर उप-क्षेत्रों में बंटे हैं, जिनका प्रशासन उपजिलाधीश के अधीन है। उप-जिले ब्लॉक और पंचायतों तथा नगरपालिकाओं द्वारा देखे जाते हैं।

२००१ की जनगणना के आंकड़ों से ज्ञात होता है कि जनसंख्यानुसार कर्नाटक के शहरों की सूची में सर्वोच्च छः नगरों में बेंगलुरु, हुबली-धारवाड़, मैसूर, गुलबर्ग, बेलगाम एवं मंगलौर आते हैं। १० लाख से अधिक जनसंख्या वाले महानगरों में मात्र बंगलुरु ही आता है। बंगलुरु शहरी, बेलगाम एवं गुलबर्ग सर्वाधिक जनसंख्या वाले जिले हैं। प्रत्येक में ३० लाख से अधिक जनसंख्या है। गडग, चामराजनगर एवं कोडगु जिलों की जनसंख्या १० लाख से कम है।[40]


जनसांख्यिकी

२००१ की भारतीय जनगणना के अनुसार, कर्नाटक की कुल जनसंख्या ५२,८५०,५६२ है, जिसमें से २६,८९८,९१८ (५०.८९%) पुरुष और २५,९५१,६४४ स्त्रियां (४३.११%) हैं। यानि प्रत्येक १००० पुरुष ९६४ स्त्रियां हैं। इसके अनुसार १९९१ की जनसंख्या में १७.२५% की वृद्धि हुई है। राज्य का जनसंख्या घनत्व २७५.६ प्रति वर्ग कि.मी है और ३३.९८% लोग शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। यहां की साक्षरता दर ६६.६% है, जिसमें ७६.१% पुरुष और ५६.९% स्त्रियां साक्षर हैं।[42] यहां की कुल जनसंख्या का ८३% हिन्दू हैं और १३% मुस्लिम, २% ईसाई, ०.७८% जैन, ०.३% बौद्ध और शेष लोग अन्य धर्मावलंबी हैं।[43]

कर्नाटक की आधिकारिक भाषा कन्नड़ है और स्थानीय भाषा के रूप में ६४.७५% लोगों द्वारा बोली जाती है। १९९१ के अनुसार अन्य भाषायी अल्पसंख्यकों में उर्दु (१०.५४ %), तेलुगु (७.०३ %), तमिल (३.५७ %), मराठी (३.६० %), तुलु (३.०० %), हिन्दी (२.५६ %), कोंकणी (१.४६ %), मलयालम (१.३३ %) और कोडव तक्क भाषी ०.३ % हैं।[44] राज्य की जन्म दर २.२% और मृत्यु दर ०.७२% है। इसके अलावा शिशु मृत्यु (मॉर्टैलिटी) दर ५.५% एवं मातृ मृत्यु दर ०.१९५% है। कुल प्रजनन (फर्टिलिटी) दर २.२ है।[45]

स्वास्थ्य एवं आरोग्य के क्षेत्र (सुपर स्पेशियलिटी हैल्थ केयर) में कर्नाटक की निजी क्षेत्र की कंपनियां विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं से तुलनीय हैं।[46] कर्नाटक में उत्तम जन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं, जिनके आंकड़े व स्थिति भारत के अन्य अधिकांश राज्यों की तुलना में काफी बेहतर है। इसके बावजूद भी राज्य के कुछ अति पिछड़े इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है।[47] प्रशासनिक उद्देश्य हेतु, कर्नाटक को चार रेवेन्यु मंडलों, ४९ उप-मंडलों, २९ जिलों, १७५ तालुकों और ७४५ होब्लीज़/रेवेन्यु वृत्तों में बांटा गया है।[48] प्रत्येक जिला प्रशासन का अध्यक्ष जिला उपायुक्त होता है, जो भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई.ए.एस) से होता है और उसके अधीन कर्नाटक राज्य सेवाओं के अनेक अधिकारीगण होते हैं। राज्य के न्याय और कानून व्यवस्था का उत्तरदायित्व पुलिस उपायुक्त पर होता है। ये भारतीय पुलिस सेवा का अधिकारी होता है, जिसके अधीन कर्नाटक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारीगण कार्यरत होते हैं। भारतीय वन सेवा से वन उपसंरक्षक अधिकारी तैनात होता है, जो राज्य के वन विभाग की अध्यक्षता करता है। जिलों के सर्वांगीण विकास, प्रत्येक जिले के विकास विभाग जैसे लोक सेवा विभाग, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पशु-पालन, आदि विभाग देखते हैं। राज्य की न्यायपालिका बंगलुरु में स्थित कर्नाटक उच्च न्यायालय (अट्टार कचेरी) और प्रत्येक जिले में जिले और सत्र न्यायालय तथा तालुक स्तर के निचले न्यायालय के द्वारा चलती है।

सरकार एवं प्रशासन

बंगलुरु स्थित कर्नाटक सरकार का विधान भवन: विधान सौध

कर्नाटक राज्य में भारत के अन्य राज्यों कि भांति ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा चुनी गयी एक द्विसदनीय संसदीय सरकार है: विधान सभा एवं विधान परिषद। विधान सभा में 225 सदस्य हैं जो पांच वर्ष की अवधि हेतु चुने जाते हैं।[49] विधान परिषद एक ७५ सदस्यीय स्थायी संस्था है और इसके एक-तिहाई सदस्य (२५) प्रत्येक २ वर्ष में सेवा से निवृत्त होते जाते हैं।[49]

कर्नाटक सरकार की अध्यक्षता विधान सभा चुनावों में जीतकर शासन में आयी पार्टी के सदस्य द्वारा चुने गये मुख्य मंत्री करते हैं। मुख्य मंत्री अपने मंत्रिमंडल सहित तय किये गए विधायी एजेंडा का पालन अपनी अधिकांश कार्यकारी शक्तियों के उपयोग से करते हैं।[50] फिर भी राज्य का संवैधानिक एवं औपचारिक अध्यक्ष राज्यपाल ही कहलाता है। राज्यपाल को ५ वर्ष की अवधि हेतु केन्द्र सरकार के परामर्श से भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।[51] कर्नाटक राज्य की जनता द्वारा आम चुनावों के माध्यम से २८ सदस्य लोक सभा हेतु भी चुने जाते हैं।[52][53] विधान परिषद के सदस्य भारत के संसद के उच्च सदन, राज्य सभा हेतु १२ सदस्य चुन कर भेजते हैं।

प्रशासनिक सुविधा हेतु कर्नाटक राज्य को चार राजस्व विभागों, ४९ उप-मंडलों, २९ जिलों, १७५ तालुक तथा ७४५ राजस्व वृत्तों में बांटा गया है।[48] प्रत्येक जिले के प्रशासन का अध्यक्ष वहां का उपायुक्त (डिप्टी कमिश्नर) होता है। उपायुक्त एक भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी होता है तथा उसकी सहायता हेतु राज्य सरकार के अनेक उच्चाधिकारी तत्पर रहते हैं। भारतीय पुलिस सेवा से एक अधिकारी राज्य में उपायुक्त पद पर आसीन रहता है। उसके अधीन भी राज्य पुलिस सेवा के अनेक उच्चाधिकारी तत्पर रहते हैं। पुलिस उपायुक्त जिले में न्याय और प्रशासन संबंधी देखभाल के लिये उत्तरदायी होता है। भारतीय वन सेवा से एक अधिकारी वन उपसंक्षक अधिकारी (डिप्टी कन्ज़र्वेटर ऑफ फ़ॉरेस्ट्स) के पद पर तैनात होता है। ये जिले में वन और पादप संबंधी मामलों हेतु उत्तरदायी रहता है। प्रत्येक विभाग के विकास अनुभाग के जिला अधिकारी राज्य में विभिन्न प्रकार की प्रगति देखते हैं, जैसे राज्य लोक सेवा विभाग, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पशुपालन आदि। ] बीच में बना है। इसके ऊपर घेरे हुए चार सिंह चारों दिशाओं में देख रहे हैं। इसे सारनाथ में अशोक स्तंभ से लिया गया है। इस चिह्न में दो शरभ हैं, जिनके हाथी के सिर और सिंह के धड़ हैं।]] राज्य की न्यायपालिका में सर्वोच्च पीठ कर्नाटक उच्च न्यायालय है, जिसे स्थानीय लोग "अट्टार कचेरी" बुलाते हैं। ये राजधानी बंगलुरु में स्थित है। इसके अधीन जिला और सत्र न्यायालय प्रत्येक जिले में तथा निम्न स्तरीय न्यायालय ताल्लुकों में कार्यरत हैं।

कर्नाटक राज के आधिकारिक चिह्न में गंद बेरुंड बीच में बना है। इसके ऊपर घेरे हुए चार सिंह चारों दिशाओं में देख रहे हैं। इसे सारनाथ में अशोक स्तंभ से लिया गया है। इस चिह्न में दो शरभ हैं, जिनके हाथी के सिर और सिंह के धड़ हैं। कर्नाटक की राजनीति में मुख्यतः तीन राजनैतिक पार्टियों: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और जनता दल का ही वर्चस्व रहता है।[54] कर्नाटक के राजनीतिज्ञों ने भारत की संघीय सरकार में प्रधानमंत्री तथा उपराष्ट्रपति जैसे उच्च पदों की भी शोभा बढ़ायी है। वर्तमान संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यू.पी.ए सरकार में भी तीन कैबिनेट स्तरीय मंत्री कर्नाटक से हैं। इनमें से उल्लेखनीय हैं पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान क़ानून एवं न्याय मंत्रालयवीरप्पा मोइली हैं। राज्य के कासरगोड[55] और शोलापुर[56] जिलों पर तथा महाराष्ट्र के बेलगाम पर दावे के विवाद राज्यों के पुनर्संगठन काल से ही चले आ रहे हैं।[57]

अर्थव्यवस्था

कर्नाटक राज्य का वर्ष २००७-०८ का सकल राज्य घरेलु उत्पाद लगभग २१५.२८२ हजार करोड़ ($ ५१.२५ बिलियन) रहा।[58] २००७-०८ में इसके सकल घरेलु उत्पाद में ७% की वृद्धी हुई थी।[59] भारत के राष्ट्रीय सकल घरेलु उत्पाद में वर्ष २००४-०५ में इस राज्य का योगदान ५.२% रहा था।[60] कर्नाटक पिछले कुछ दशकों में जीडीपी एवं प्रति व्यक्ति जीडीपी के पदों में तीव्रतम विकासशील राज्यों में रहा है। यह ५६.२% जीडीपी और ४३.९% प्रति व्यक्ति जीडीपी के साथ भारतीय राज्यों में छठे स्थान पर आता है।[61] सितंबर, २००६ तक इसे वित्तीय वर्ष २००६-०७ के लिये ७८.०९७ बिलियन ($ १.७२५५ बिलियन) का विदेशी निवेश प्राप्त हुआ था, जिससे राज्य भारत के अन्य राज्यों में तीसरे स्थान पर था।[62] वर्ष २००४ के अंत तक, राज्य में अनुद्योग दर (बेरोजगार दर) ४.९४% थी, जो राष्ट्रीय अनुद्योग दर ५.९९% से कम थी।[63] वित्तीय वर्ष २००६-०७ में राज्य की मुद्रा स्फीति दर ४.४% थी, जो राष्ट्रीय दर ४.७% से थोड़ी कम थी।[64] वर्ष २००४-०५ में राज्य का अनुमानित गरीबी अनुपात १७% रहा, जो राष्ट्रीय अनुपात २७.५% से कहीं नीचे है।[65]

कर्नाटक की लगभग ५६% जनसंख्या कृषि और संबंधित गतिविधियों में संलग्न है।[66] राज्य की कुल भूमि का ६४.६%, यानि १.२३१ करोड़ हेक्टेयर भूमि कृषि कार्यों में संलग्न है।[67] यहाँ के कुल रोपित क्षेत्र का २६.५% ही सिंचित क्षेत्र है। इसलिए यहाँ की अधिकांश खेती दक्षिण-पश्चिम मानसून पर निर्भर है।[67] यहाँ भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के अनेक बड़े उद्योग स्थापित किए गए हैं, जैसे हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, नेशनल एरोस्पेस लैबोरेटरीज़, भारत हैवी एलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज़, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड एवं हिन्दुस्तान मशीन टूल्स आदि जो बंगलुरु में ही स्थित हैं। यहाँ भारत के कई प्रमुख विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र भी हैं, जैसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, केन्द्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड एवं केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थानमैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकैमिकल्स लिमिटेड, मंगलोर में स्थित एक तेल शोधन केन्द्र है।

१९८० के दशक से कर्नाटक (विशेषकर बंगलुरु) सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशेष उभरा है। वर्ष २००७ के आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक से लगभग २००० आई.टी फर्म संचालित हो रही थीं। इनमें से कई के मुख्यालय भी राज्य में ही स्थित हैं, जिनमें दो सबसे बड़ी आई.टी कंपनियां इन्फोसिस और विप्रो हैं।[68] इन संस्थाओं से निर्यात रु. ५०,००० करोड़ (१२.५ बिलियन) से भी अधिक पहुंचा है, जो भारत के कुल सूचना प्रौद्योगिकी निर्यात का ३८% है।[68] देवनहल्ली के बाहरी ओर का नंदी हिल क्षेत्र में ५० वर्ग कि.मी भाग, आने वाले २२ बिलियन के ब्याल आईटी निवेश क्षेत्र की स्थली है। ये कर्नाटक की मूल संरचना इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी परियोजना है।[69] इन सब कारणों के चलते ही बंगलौर को भारत की सिलिकॉन घाटी कहा जाने लगा है।[70]

भारत में कर्नाटक जैवप्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी अग्रणी है। यह भारत के सबसे बड़े जैव आधारित उद्योग समूह का केन्द्र भी है। यहां देश की ३२० जैवप्रौद्योगिकी संस्थाओं व कंपनियों में से १५८ स्थित हैं।[71] इसी राज्य से भारत के कुल पुष्प-उद्योग का ७५% योगदान है। पुष्प उद्योग तेजी से उभरता और फैलता उद्योग है, जिसमें विश्व भर में सजावटी पौधे और फूलों की आपूर्ति की जाती है।[72]

भारत के अग्रणी बैंकों में से सात बैंकों, केनरा बैंक, सिंडिकेट बैंक, कार्पोरेशन बैंक, विजया बैंक, कर्नाटक बैंक, वैश्य बैंक और स्टेट बैंक ऑफ मैसूर का उद्गम इसी राज्य से हुआ था।[73] राज्य के तटीय जिलों उडुपी और दक्षिण कन्नड़ में प्रति ५०० व्यक्ति एक बैंक शाखा है। ये भारत का सर्वश्रेष्ठ बैंक वितरण है।[74] मार्च २००२ के अनुसार, कर्नाटक राज्य में विभिन्न बैंकों की ४७६७ शाखाएं हैं, जिनमें से प्रत्येक शाखा औसत ११,००० व्यक्तियों की सेवा करती है। ये आंकड़े राष्ट्रीय औसत १६,००० से काफी कम है।[75]

भारत के ३५०० करोड़ के रेशम उद्योग से अधिकांश भाग कर्नाटक राज्य में आधारित है, विशेषकर उत्तरी बंगलौर क्षेत्रों जैसे मुद्दनहल्ली, कनिवेनारायणपुरा एवं दोड्डबल्लपुर, जहां शहर का ७० करोड़ रेशम उद्योग का अंश स्थित है। यहां की बंगलौर सिल्क और मैसूर सिल्क विश्वप्रसिद्ध हैं।[76][77]

यातायात

किंगफिशर एयरलाइंस बंगलुरु में आधारित विमानसेवा है।

कर्नाटक में वायु यातायात देश के अन्य भागों की तरह ही बढ़ता हुआ किंतु कहीं उन्नत है। कर्नाटक राज्य में बंगलुरु, मंगलौर, हुबली, बेलगाम, हम्पी एवं बेल्लारी विमानक्षेत्र में विमानक्षेत्र हैं, जिनमें बंगलुरु एवं मंगलौर अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र हैं। मैसूर, गुलबर्ग, बीजापुर, हस्सन एवं शिमोगा में भी २००७ से प्रचालन कुछ हद तक आरंभ हुआ है।[78] यहां चालू प्रधान वायुसेवाओं में किंगफिशर एयरलाइंस एवं एयर डेक्कन हैं, जो बंगलुरु में आधारित हैं।

कर्नाटक का रेल यातायात जाल लगभग 3,089 किलोमीटर (1,919 मील) लंबा है। २००३ में हुबली में मुख्यालय सहित दक्षिण पश्चिमी रेलवे के सृजन से पूर्व राज्य दक्षिणी एवं पश्चिमी रेलवे मंडलों में आता था। अब राज्य के कई भाग दक्षिण पश्चिमी मंडल में आते हैं, व शेष भाग दक्षिण रेलवे मंडल में आते हैं। तटीय कर्नाटक के भाग कोंकण रेलवे नेटवर्क के अंतर्गत आते हैं, जिसे भारत में इस शताब्दी की सबसे बड़ी रेलवे परियोजना के रूप में देखा गया है।[79] बंगलुरु अन्तर्राज्यीय शहरों से रेल यातायात द्वारा भली-भांति जुड़ा हुआ है। राज्य के अन्य शहर अपेक्षाकृत कम जुड़े हैं।[80][81]

कर्नाटक में ११ जहाजपत्तन हैं, जिनमें मंगलौर पोर्ट सबसे नया है, जो अन्य दस की अपेक्षा सबसे बड़ा और आधुनिक है।[82] मंगलौर का नया पत्तन भारत के नौंवे प्रधान पत्तन के रूप में ४ मई, १९७४ को राष्ट्र को सौंपा गया था। इस पत्तन में वित्तीय वर्ष २००६-०७ में ३ करोड़ २०.४ लाख टन का निर्यात एवं १४१.२ लाख टन का आयात व्यापार हुआ था। इस वित्तीय वर्ष में यहां कुल १०१५ जलपोतों की आवाजाही हुई, जिसमें १८ क्यूज़ पोत थे। राज्य में अन्तर्राज्यीय जलमार्ग उल्लेखनीय स्तर के विकसित नहीं हैं।[83]

कर्नाटक के राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों की कुल लंबाइयां क्रमशः 3,973 किलोमीटर (2,469 मील) एवं 9,829 किलोमीटर (6,107 मील) हैं। कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (के.एस.आर.टी.सी) राज्य का सरकारी लोक यातायात एवं परिवहन निगम है, जिसके द्वारा प्रतिदिन लगभग २२ लाख यात्रियों को परिवहन सुलभ होता है। निगम में २५,००० कर्मचारी सेवारत हैं।[84] १९९० के दशक के अंतिम दौर में निगम को तीन निगमों में विभाजित किया गया था, बंगलौर मेट्रोपॉलिटन ट्रांस्पोर्ट कार्पोरेशन, नॉर्थ-वेस्ट कर्नाटक ट्रांस्पोर्ट कार्पोरेशन एवं नॉर्थ-ईस्ट कर्नाटक ट्रांस्पोर्ट कार्पोरेशन। इनके मुख्यालय क्रमशः बंगलौर, हुबली एवं गुलबर्ग में स्थित हैं।[84]

संस्कृति

एक कलाकार, यक्षगान के रूप में केडिग के संग।

कर्नाटक राज्य में विभिन्न बहुभाषायी और धार्मिक जाति-प्रजातियां बसी हुई हैं। इनके लंबे इतिहास ने राज्य की सांस्कृतिक धरोहर में अमूल्य योगदान दिया है। कन्नड़िगों के अलावा, यहां तुलुव, कोडव और कोंकणी जातियां, भी बसी हुई हैं। यहां अनेक अल्पसंख्यक जैसे तिब्बती बौद्ध तथा अनेक जनजातियाँ जैसे सोलिग, येरवा, टोडा और सिद्धि समुदाय हैं जो राज्य में भिन्न रंग घोलते हैं। कर्नाटक की परंपरागत लोक कलाओं में संगीत, नृत्य, नाटक, घुमक्कड़ कथावाचक आदि आते हैं। मालनाड और तटीय क्षेत्र के यक्षगण, शास्त्रीय नृत्य-नाटिकाएं राज्य की प्रधान रंगमंच शैलियों में से एक हैं। यहां की रंगमंच परंपरा अनेक सक्रिय संगठनों जैसे निनासम, रंगशंकर, रंगायन एवं प्रभात कलाविदरु के प्रयासों से जीवंत है। इन संगठनों की आधारशिला यहां गुब्बी वीरन्ना, टी फी कैलाशम, बी वी करंथ, के वी सुबन्ना, प्रसन्ना और कई अन्य द्वारा रखी गयी थी।[85] वीरागेस, कमसेल, कोलाट और डोलुकुनिता यहां की प्रचलित नृत्य शैलियां हैं। मैसूर शैली के भरतनाट्य यहां जत्ती तयम्मा जैसे पारंगतों के प्रयासों से आज शिखर पर पहुंचा है और इस कारण ही कर्नाटक, विशेषकर बंगलौर भरतनाट्य के लिये प्रधान केन्द्रों में गिना जाता है।[86]

कर्नाटक का विश्वस्तरीय शास्त्रीय संगीत में विशिष्ट स्थान है, जहां संगीत की[87] कर्नाटक (कार्नेटिक) और हिन्दुस्तानी शैलियां स्थान पाती हैं। राज्य में दोनों ही शैलियों के पारंगत कलाकार हुए हैं। वैसे कर्नाटक संगीत में कर्नाटक नाम कर्नाटक राज्य विशेष का ही नहीं, बल्कि दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत को दिया गया है।१६वीं शताब्दी के हरिदास आंदोलन कर्नाटक संगीत के विकास में अभिन्न योगदान दिया है। सम्मानित हरिदासों में से एक, पुरंदर दास को कर्नाटक संगीत पितामह की उपाधि दी गयी है।[88] कर्नाटक संगीत के कई प्रसिद्ध कलाकार जैसे गंगूबाई हंगल, मल्लिकार्जुन मंसूर, भीमसेन जोशी, बसवराज राजगुरु, सवाई गंधर्व और कई अन्य कर्नाटक राज्य से हैं और इनमें से कुछ को कालिदास सम्मान, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी भारत सरकार ने सम्मानित किया हुआ है।

धारवाड़ पेड़ा

कर्नाटक संगीत पर आधारित एक अन्य शास्त्रीय संगीत शैली है, जिसका प्रचलन कर्नाटक राज्य में है। कन्नड़ भगवती शैली आधुनिक कविगणों के भावात्मक रस से प्रेरित प्रसिद्ध संगीत शैली है। मैसूर चित्रकला शैली ने अनेक श्रेष्ठ चित्रकार दिये हैं, जिनमें से सुंदरैया, तंजावुर कोंडव्य, बी.वेंकटप्पा और केशवैय्या हैं। राजा रवि वर्मा के बनाये धार्मिक चित्र पूरे भारत और विश्व में आज भी पूजा अर्चना हेतु प्रयोग होते हैं।[89] मैसूर चित्रकला की शिक्षा हेतु चित्रकला परिषत नामक संगठन यहां विशेष रूप से कार्यरत है।

कर्नाटक में महिलाओं की परंपरागत भूषा साड़ी है। कोडगु की महिलाएं एक विशेष प्रकार से साड़ी पहनती हैं, जो शेष कर्नाटक से कुछ भिन्न है।[90] राज्य के पुरुषों का परंपरागत पहनावा धोती है, जिसे यहां पाँचे कहते हैं। वैसे शहरी क्षेत्रों में लोग प्रायः कमीज-पतलून तथा सलवार-कमीज पहना करते हैं। राज्य के दक्षिणी क्षेत्र में विशेष शैली की पगड़ी पहनी जाती है, जिसे मैसूरी पेटा कहते हैं और उत्तरी क्षेत्रों में राजस्थानी शैली जैसी पगड़ी पहनी जाती है और पगड़ी या पटगा कहलाती है।

चावल (कन्नड़: ಅಕ್ಕಿ) और रागी राज्य के प्रधान खाद्य में आते हैं और जोलड रोट्टी, सोरघम उत्तरी कर्नाटक के प्रधान खाद्य हैं। इनके अलावा तटीय क्षेत्रों एवं कोडगु में अपनी विशिष्ट खाद्य शैली होती है। बिसे बेले भात, जोलड रोट्टी, रागी बड़ा, उपमा, मसाला दोसा और मद्दूर वड़ा कर्नाटक के कुछ प्रसिद्ध खाद्य पदार्थ हैं। मिष्ठान्न में मैसूर पाक, बेलगावी कुंड, गोकक करदंतु और धारवाड़ पेड़ा मशहूर हैं।

धर्म

श्रवणबेलगोला में गोमतेश्वर (९८२-९८३) की एकाश्म-प्रतिमा, आज जैन धर्मावलंबियों के सर्वप्रिय तीर्थों में से एक है।

आदि शंकराचार्य ने शृंगेरी को भारत पर्यन्त चार पीठों में से दक्षिण पीठ हेतु चुना था। विशिष्ट अद्वैत के अग्रणी व्याख्याता रामानुजाचार्य ने मेलकोट में कई वर्ष व्यतीत किये थे। वे कर्नाटक में १०९८ में आये थे और यहां ११२२ तक वास किया। इन्होंने अपना प्रथम वास तोंडानूर में किया और फिर मेलकोट पहुंचे, जहां इन्होंने चेल्लुवनारायण मंदिर और एक सुव्यवस्थित मठ की स्थापना की। इन्हें होयसाल वंश के राजा विष्णुवर्धन का संरक्षण मिला था।[91] १२वीं शताब्दी में जातिवाद और अन्य सामाजिक कुप्रथाओं के विरोध स्वरूप उत्तरी कर्नाटक में वीरशैवधर्म का उदय हुआ। इन आन्दोलन में अग्रणी व्यक्तित्वों में बसव, अक्का महादेवी और अलाम प्रभु थे, जिन्होंने अनुभव मंडप की स्थापना की जहां शक्ति विशिष्टाद्वैत का उदय हुआ। यही आगे चलकर लिंगायत मत का आधार बना जिसके आज कई लाख अनुयायी हैं।[92] कर्नाटक के सांस्कृतिक और धार्मिक ढांचे में जैन साहित्य और दर्शन का भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।

इस्लाम का आरंभिक उदय भारत के पश्चिमी छोर पर १०वीं शताब्दी के लगभग हुआ था। इस धर्म को कर्नाटक में बहमनी साम्राज्य और बीजापुर सल्तनत का संरक्षण मिला।[93] कर्नाटक में ईसाई धर्म १६वीं शताब्दी में पुर्तगालियों और १५४५ में सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर के आगमन के साथ फैला।[94] राज्य के गुलबर्ग और बनवासी आदि स्थानों में प्रथम सहस्राब्दी में बौद्ध धर्म की जड़े पनपीं। गुलबर्ग जिले में १९८६ में हुई अकस्मात खोज में मिले मौर्य काल के अवशेष और अभिलेखों से ज्ञात हुआ कि कृष्णा नदी की तराई क्षेत्र में बौद्ध धर्म के महायन और हिनायन मतों का खूब प्रचार हुआ था।

मैसूर मैसूर राज्य में नाड हब्बा (राज्योत्सव) के रूप में मनाया जाता है। यह मैसूर के प्रधान त्यौहारों में से एक है।[95] उगादि (कन्नड़ नव वर्ष), मकर संक्रांति, गणेश चतुर्थी, नाग पंचमी, बसव जयंती, दीपावली आदि कर्नाटक के प्रमुख त्यौहारों में से हैं।

भाषा

कन्नड़ भाषा में प्राचीनतम अभिलेख ४५० ई. के हल्मिडी शिलालेखों में मिलते हैं।

राज्य की आधिकारिक भाषा है कन्नड़, जो स्थानीय निवासियों में से ६५% लोगों द्वारा बोली जाती है।[96][97] कन्नड़ भाषा ने कर्नाटक राज्य की स्थापना में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है, जब १९५६ में राज्यों के सृजन हेतु भाषायी सांख्यिकी मुख्य मानदंड रहा था। राज्य की अन्य भाषाओं में कोंकणी एवं कोडव टक हैं, जिनका राज्य में लंबा इतिहास रहा है। यहां की मुस्लिम जनसंख्या द्वारा उर्दु भी बोली जाती है। अन्य भाषाओं से अपेक्षाकृत कम बोली जाने वाली भाषाओं में बेयरे भाषा व कुछ अन्य बोलियां जैसे संकेती भाषा आती हैं। कन्नड़ भाषा का प्राचीन एवं प्रचुर साहित्य है, जिसके विषयों में काफी भिन्नता है और जैन धर्म, वचन, हरिदास साहित्य एवं आधुनिक कन्नड़ साहित्य है। अशोक के समय की राजाज्ञाओं व अभिलेखों से ज्ञात होता है कि कन्नड़ लिपि एवं साहित्य पर बौद्ध साहित्य का भी प्रभाव रहा है। हल्मिडी शिलालेख ४५० ई. में मिले कन्नड़ भाषा के प्राचीनतम उपलब्ध अभिलेख हैं, जिनमें अच्छी लंबाई का लेखन मिलता है। प्राचीनतम उपलब्ध साहित्य में ८५० ई. के कविराजमार्ग के कार्य मिलते हैं। इस साहित्य से ये भी सिद्ध होता है कि कन्नड़ साहित्य में चट्टान, बेद्दंड एवं मेलवदु छंदों का प्रयोग आरंभिक शताब्दियों से होता आया है।[98]

राष्ट्रकवि कुवेंपु, २०वीं शताब्दी के कन्नड़ साहित्य के प्रतिष्ठित कवि

कुवेंपु, प्रसिद्ध कन्नड़ कवि एवं लेखक थे, जिन्होंने जय भारत जननीय तनुजते लिखा था, जिसे अब राज्य का गीत (एन्थम) घोषित किया गया है।[99] इन्हें प्रथम कर्नाटक रत्न सम्मान दिया गया था, जो कर्नाटक सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। अन्य समकालीन कन्नड़ साहित्य भी भारतीय साहित्य के प्रांगण में अपना प्रतिष्ठित स्थान बनाये हुए है। सात कन्नड़ लेखकों को भारत का सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार मिल चुका है, जो किसी भी भारतीय भाषा के लिये सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान होता है।[100] तुलु भाषा मुख्यतः राज्य के तटीय जिलों उडुपी और दक्षिण कन्नड़ में बोली जाती है। तुलु महाभरतो, अरुणब्ज द्वारा इस भाषा में लिखा गया पुरातनतम उपलब्ध पाठ है।[101] तुलु लिपि के क्रमिक पतन के कारण तुलु भाषा अब कन्नड़ लिपि में ही लिखी जाती है, किन्तु कुछ शताब्दी पूर्व तक इस लिपि का प्रयोग होता रहा था। कोडव जाति के लोग, जो मुख्यतः कोडगु जिले के निवासी हैं, कोडव टक्क बोलते हैं। इस भाषा की दो क्षेत्रीय बोलियां मिलती हैं: उत्तरी मेन्डले टक्क और दक्षिणी किग्गाति टक।[102] कोंकणी मुख्यतः उत्तर कन्नड़ जिले में और उडुपी एवं दक्षिण कन्नड़ जिलों के कुछ समीपस्थ भागों में बोली जाती है। कोडव टक्क और कोंकणी, दोनों में ही कन्नड़ लिपि का प्रयोग किया जाता है। कई विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी है और अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियों तथा प्रौद्योगिकी-संबंधित कंपनियों तथा बीपीओ में अंग्रेज़ी का प्रयोग ही होता है।

राज्य की सभी भाषाओं को सरकारी एवं अर्ध-सरकारी संस्थाओं का संरक्षण प्राप्त है। कन्नड़ साहित्य परिषत एवं कन्नड़ साहित्य अकादमी कन्नड़ भाषा के उत्थान हेतु एवं कन्नड़ कोंकणी साहित्य अकादमी कोंकणी साहित्य के लिये कार्यरत है।[103] तुलु साहित्य अकादमी एवं कोडव साहित्य अकादमी अपनी अपनी भाषाओं के विकास में कार्यशील हैं।

शिक्षा

भारतीय विज्ञान संस्थान, भारत का एक प्रतिष्ठित विज्ञान संस्थान, बंगलुरु में स्थित है

२००१ की जनसंख्या अनुसार, कर्नाटक की साक्षरता दर ६७.०४% है, जिसमें ७६.२९% पुरुष तथा ५७.४५% स्त्रियाँ हैं।[104] राज्य में भारत के कुछ प्रतिष्ठित शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान भी स्थित हैं, जैसे भारतीय विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रबंधन संस्थान, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कर्नाटक और भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय

मार्च २००६ के अनुसार, कर्नाटक में ५४,५२९ प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें २,५२,८७५ शिक्षक तथा ८४.९५ लाख विद्यार्थी हैं।[105] इसके अलावा ९४९८ माध्यमिक विद्यालय जिनमें ९२,२८७ शिक्षक तथा १३.८४ लाख विद्यार्थी हैं।[105] राज्य में तीन प्रकार के विद्यालय हैं, सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त निजी (सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त) एवं पूर्णतया निजी (कोई सरकारी सहायता नहीं)। अधिकांश विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम कन्नड़ एवं अंग्रेज़ी है। विद्यालयों में पढ़ाया जाने वाला पाठ्यक्रम या तो सीबीएसई, आई.सी.एस.ई या कर्नाटक सरकार के शिक्षा विभाग के अधीनस्थ राज्य बोर्ड पाठ्यक्रम (एसएसएलसी) से निर्देशित होता है। कुछ विद्यालय ओपन स्कूल पाठ्यक्रम भी चलाते हैं। राज्य में बीजापुर में एक सैनिक स्कूल भी है।

विद्यालयों में अधिकतम उपस्थिति को बढ़ावा देने हेतु, कर्नाटक सरकार ने सरकारी एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों में विद्यार्थियों हेतु निःशुल्क अपराह्न-भोजन योजना आरंभ की है।[106] राज्य बोर्ड परीक्षाएं माध्यमिक शिक्षा अवधि के अंत में आयोजित की जाती हैं, जिसमें उत्तीर्ण होने वाले छात्रों को द्विवर्षीय विश्वविद्यालय-पूर्व कोर्स में प्रवेश मिलता है। इसके बाद विद्यार्थी स्नातक पाठ्यक्रम के लिये अर्हक होते हैं।

राज्य में छः मुख्य विश्वविद्यालय हैं: बंगलुरु विश्वविद्यालय,गुलबर्ग विश्वविद्यालय, कर्नाटक विश्वविद्यालय, कुवेंपु विश्वविद्यालय, मंगलौर विश्वविद्यालय तथा मैसूर विश्वविद्यालय। इनके अलावा एक मानिव विश्वविद्यालय क्राइस्ट विश्वविद्यालय भी है। इन विश्वविद्यालयों से मान्यता प्राप्त ४८१ स्नातक महाविद्यालय हैं।[107] १९९८ में राज्य भर के अभियांत्रिकी महाविद्यालयों को नवगठित बेलगाम स्थित विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अंतर्गत्त लाया गया, जबकि चिकित्सा महाविद्यालयों को राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के अधिकारक्षेत्र में लाया गया था। इनमें से कुछ अच्छे महाविद्यालयों को मानित विश्वविद्यालय का दर्जा भी प्रदान किया गया था। राज्य में १२३ अभियांत्रिकी, ३५ चिकित्सा ४० दंतचिकित्सा महाविद्यालय हैं।[108] राज्य में वैदिक एवं संस्कृत शिक्षा हेतु उडुपी, शृंगेरी, गोकर्ण तथा मेलकोट प्रसिद्ध स्थान हैं। केन्द्र सरकार की ११वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत्त मुदेनहल्ली में एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना को स्वीकृति मिल चुकी है। ये राज्य का प्रथम आई.आई.टी संस्थान होगा।[109] इसके अतिरिक्त मेदेनहल्ली-कानिवेनारायणपुरा में विश्वेश्वरैया उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान का ६०० करोड़ रुपये की लागत से निर्माण प्रगति पर है।[110]

मीडिया

राज्य में समाचार पत्रों का इतिहास १८४३ से आरंभ होता है, जब बेसल मिशन के एक मिश्नरी, हर्मैन मोग्लिंग ने प्रथम कन्नड़ समाचार पत्र मंगलुरु समाचार का प्रकाशन आरंभ किया था। प्रथम कन्नड़ सामयिक, मैसुरु वृत्तांत प्रबोधिनी मैसूर में भाष्यम भाष्याचार्य ने निकाला था। भारतीय स्वतंत्रता उपरांत १९४८ में के। एन.गुरुस्वामी ने द प्रिंटर्स (मैसूर) प्रा.लि. की स्थापना की और वहीं से दो समाचार-पत्र डेक्कन हेराल्ड और प्रजावनी का प्रकाशन शुरु किया। आधुनिक युग के पत्रों में द टाइम्स ऑफ इण्डिया और विजय कर्नाटक क्रमशः सर्वाधिक प्रसारित अंग्रेज़ी और कन्नड़ दैनिक हैं।[111][112] दोनों ही भाषाओं में बड़ी संख्या में साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक पत्रिकाओं का प्रकाशन भी प्रगति पर है। राज्य से निकलने वाले कुछ प्रसिद्ध दैनिकों में उदयवाणि, कन्नड़प्रभा, संयुक्त कर्नाटक, वार्ता भारती, संजीवनी, होस दिगंत, एईसंजे और करावली आले आते हैं।

दूरदर्शन भारत सरकार द्वारा चलाया गया आधिकारिक सरकारी प्रसारणकर्त्ता है और इसके द्वारा प्रसारित कन्नड़ चैनल है डीडी चंदना। प्रमुख गैर-सरकारी सार्वजनिक कन्नड़ टीवी चैनलों में ईटीवी कन्नड़, ज़ीटीवी कन्नड़, उदय टीवी, यू२, टीवी९, एशियानेट सुवर्ण एवं कस्तूरी टीवी हैं।[113]

कर्नाटक का भारतीय रेडियो के इतिहास में एक विशिष्ट स्थान है। भारत का प्रथम निजी रेडियो स्टेशन आकाशवाणी १९३५ में प्रो॰एम॰वी॰ गोपालस्वामी द्वारा मैसूर में आरंभ किया गया था।[114] यह रेडियोस्टेशन काफी लोकप्रिय रहा और बाद में इसे स्थानीय नगरपालिका ने ले लिया था। १९५५ में इसे ऑल इण्डिया रेडियो द्वारा अधिग्रहण कर बंगलुरु ले जाया गया। इसके २ वर्षोपरांत ए.आई.आर ने इसका मूल नाम आकाशवाणी ही अपना लिया। इस चैनल पर प्रसारित होने वाले कुछ प्रसिद्ध कार्यक्रमों में निसर्ग संपदा और सास्य संजीवनी रहे हैं। इनमें गानों, नाटकों या कहानियों के माध्यम से विज्ञान की शिक्षा दी जाती थी। ये कार्यक्रम इतने लोकप्रिय बने कि इनका अनुवाद १८ भाषाओं में हुआ और प्रसारित किया गया। कर्नाटक सरकार ने इस पूरी शृंखला को ऑडियो कैसेटों में रिकॉर्ड कराकर राज्य भर के सैंकड़ों विद्यालयों में बंटवाया था।[114] राज्य में एफ एम प्रसारण रेडियो चैनलों में भी बढ़ोत्तरी हुई है। ये मुख्यतः बंगलुरु, मंगलौर और मैसूर में चलन में हैं।[115][116]

क्रीड़ा

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान, अनिल कुंबले अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भारत के लिये सर्वाधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी

कर्नाटक का एक छोटा सा जिला कोडगु भारतीय हाकी टीम के लिये सर्वाधिक योगदान देता है। यहां से अनेक खिलाड़ियों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।[117] वार्षिक कोडव हॉकी उत्सव विश्व में सबसे बड़ा हॉकी टूर्नामेण्ट है।[118] बंगलुरु शहर में महिला टेनिस संघ (डब्लु.टी.ए का एक टेनिस ईवेन्ट भी हुआ है, तथा १९९७ में शहर भारत के चतुर्थ राष्ट्रीय खेल सम्मेलन का भी आतिथेय रहा है।[119] इसी शहर में भारत के सर्वोच्च क्रीड़ा संस्थान, भारतीय खेल प्राधिकरण तथा नाइके टेनिस अकादमी भी स्थित हैं। अन्य राज्यों की तुलना में तैराकी के भी उच्च आनक भी कर्नाटक में ही मिलते हैं।[120]

राज्य का एक लोकप्रिय खेल क्रिकेट है। राज्य की क्रिकेट टीम छः बार रणजी ट्रॉफी जीत चुकी है और जीत के आंकड़ों में मात्र मुंबई क्रिकेट टीम से पीछे रही है।[121] बंगलुरु स्थित चिन्नास्वामी स्टेडियम में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों का आयोजन होता रहता है। साथ ही ये २००० में आरंभ हुई राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी का भी केन्द्र रहा है, जहां अकादमी भविष्य के लिए अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को तैयार करती है। राज्य क्रिकेट टीम के कई प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी रहे हैं। १९९० के दशक में हुए एक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच में यहीं के खिलाड़ियों का बाहुल्य रहा था।[122][123] कर्नाटक प्रीमियर लीग राज्य का एक अंतर्क्षेत्रीय ट्वेन्टी-ट्वेन्टी क्रिकेट टूर्नामेंट है। रॉयल चैलेन्जर्स बैंगलौर भारतीय प्रीमियर लीग का एक फ़्रैंचाइज़ी है जो बंगलुरु में ही स्थित है।

राज्य के अंचलिक क्षेत्रों में खो खो, कबड्डी, चिन्नई डांडु तथा कंचे या गोली आदि खेल खूब खेले जाते हैं।

राज्य के उल्लेखनीय खिलाड़ियों में १९८० के ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप विजेता प्रकाश पादुकोन का नाम सम्मान से लिया जाता है। इनके अलावा पंकज आडवाणी भी उल्लेखनीय हैं, जिन्होंने २० वर्ष की आयु से ही बैडमिंटन स्पर्धाएं आरंभ कर दी थीं तथा तथा क्यू स्पोर्ट्स के तीन उपाधियां धारण की हैं, जिनमें २००३ की विश्व स्नूकर चैंपियनशिप एवं २००५ की विश्व बिलियर्ड्स चैंपियनशिप आती हैं।[124][125]

राज्य में साइकिलिंग स्पर्धाएं भी जोरों पर रही हैं। बीजापुर जिले के क्षेत्र से राष्ट्रीय स्तर के अग्रणी सायक्लिस्ट हुए हैं। मलेशिया में आयोजित हुए पर्लिस ओपन ’९९ में प्रेमलता सुरेबान भारतीय प्रतिनिधियों में से एक थीं। जिले की साइक्लिंग प्रतिभा को देखते हुए उनके उत्थान हेतु राज्य सरकार ने जिले में भारतीय रुपये ₹ ४० लाख की लागत से यहां के बी.आर अंबेडकर स्टेडियम में सायक्लिंग ट्रैक बनवाया है।[126]

पर्यटन

केशव मंदिर, सोमनाथपुर

अपने विस्तृत भूगोल, प्राकृतिक सौन्दर्य एवं लम्बे इतिहास के कारण कर्नाटक राज्य बड़ी संख्या में पर्यटन आकर्षणों से परिपूर्ण है। राज्य में जहां एक ओर प्राचीन शिल्पकला से परिपूर्ण मंदिर हैं तो वहीं आधुनिक नगर भी हैं, जहां एक ओर नैसर्गिक पर्वतमालाएं हैं तो वहीं अनान्वेषित वन संपदा भी है और जहां व्यस्त व्यावसायिक कार्यकलापों में उलझे शहरी मार्ग हैं, वहीं दूसरी ओर लम्बे सुनहरे रेतीले एवं शांत सागरतट भी हैं। कर्नाटक राज्य को भारत के राज्यों में सबसे प्रचलित पर्यटन गंतव्यों की सूची में चौथा स्थान मिला है।[127] राज्य में उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक राष्ट्रीय संरक्षित उद्यान एवं वन हैं,[128] जिनके साथ ही यहां राज्य पुरातत्त्व एवं संग्रहालय निदेशलय द्वारा संरक्षित ७५२ स्मारक भी हैं। इनके अलावा अन्य २५,००० स्मारक भी संरक्षण प्राप्त करने की सूची में हैं।[129][130]

बीजापुर का गोल गुम्बज, बाईज़ैन्टाइन साम्राज्य के हैजिया सोफिया के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गुम्बद है।

राज्य के मैसूर शहर में स्थित महाराजा पैलेस इतना आलीशान एवं खूबसूरत बना है, कि उसे सबसे विश्व के दस कुछ सुंदर महलों में गिना जाता है।[131][132] कर्नाटक के पश्चिमी घाट में आने वाले तथा दक्षिणी जिलों में प्रसिद्ध पारिस्थितिकी पर्यटन स्थल हैं जिनमें कुद्रेमुख, मडिकेरी तथा अगुम्बे आते हैं। राज्य में २५ वन्य जीवन अभयारण्य एवं ५ राष्ट्रीय उद्यान हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्ध हैं: बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, बनेरघाटा राष्ट्रीय उद्यान एवं नागरहोल राष्ट्रीय उद्यानहम्पी में विजयनगर साम्राज्य के अवशेष तथा पत्तदकल में प्राचीन पुरातात्त्विक अवशेष युनेस्को विश्व धरोहर चुने जा चुके हैं। इनके साथ ही बादामी के गुफा मंदिर तथा ऐहोल के पाषाण मंदिर बादामी चालुक्य स्थापात्य के अद्भुत नमूने हैं तथा प्रमुख पर्यटक आकर्षण बने हुए हैं। बेलूर तथा हैलेबिडु में होयसाल मंदिर क्लोरिटिक शीस्ट (एक प्रकार के सोपस्टोन) से बने हुए हैं एवं युनेस्को विश्व धरोहर स्थल बनने हेतु प्रस्तावित हैं।[133] यहाँ बने गोल गुम्बज तथा इब्राहिम रौज़ा दक्खन सल्तनत स्थापत्य शैली के अद्भुत उदाहरण हैं। श्रवणबेलगोला स्थित गोमतेश्वर की १७ मीटर ऊंची मूर्ति जो विश्व की सर्वोच्च एकाश्म प्रतिमा है, वार्षिक महामस्तकाभिषेक उत्सव में सहस्रों श्रद्धालु तीर्थायात्रियों का आकर्षण केन्द्र बनती है।[134]

मैसूर पैलेस, मैसूर का रात्रि दृश्य

कर्नाटक के जल प्रपात एवं कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान "विश्व के १००१ प्राकृतिक आश्चर्य" में गिने गये हैं।[135] जोग प्रपात को भारत के सबसे ऊंचे एकधारीय जल प्रपात के रूप में गोकक प्रपात, उन्चल्ली प्रपात, मगोड प्रपात, एब्बे प्रपात एवं शिवसमुद्रम प्रपात सहित अन्य प्रसिद्ध जल प्रपातों की सूची में शम्मिलित किया गया है।

यहां अनेक खूबसूरत सागरतट हैं, जिनमें मुरुदेश्वर, गोकर्ण एवं करवर सागरतट प्रमुख हैं। इनके साथ-साथ कर्नाटक धार्मिक महत्त्व के अनेक स्थलों का केन्द्र भी रहा है। यहां के प्रसिद्ध हिन्दू मंदिरों में उडुपी कृष्ण मंदिर, सिरसी का मरिकंबा मंदिर, धर्मस्थल का श्री मंजुनाथ मंदिर, कुक्के में श्री सुब्रह्मण्यम मंदिर तथा शृंगेरी स्थित शारदाम्बा मंदिर हैं जो देश भर से ढेरों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। लिंगायत मत के अधिकांश पवित्र स्थल जैसे कुदालसंगम एवं बसवन्ना बागेवाड़ी राज्य के उत्तरी भागों में स्थित हैं। श्रवणबेलगोला, मुदबिद्री एवं कर्कला जैन धर्म के ऐतिहासिक स्मारक हैं। इस धर्म की जड़े राज्य में आरंभिक मध्यकाल से ही मजबूत बनी हुई हैं और इनका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है श्रवणबेलगोला

मैसूर शैली का एक तैल चित्र

हाल के कुछ वर्षों में कर्नाटक स्वास्थ्य रक्षा पर्यटन हेतु एक सक्रिय केन्द्र के रूप में भी उभरा है। राज्य में देश के सर्वाधिक स्वीकृत स्वास्थ्य प्रणालिययाँ और वैकल्पिक चिकित्सा उपलब्ध हैं। राज्य में आईएसओ प्रमाणित सरकारी चिकित्सालयों सहित, अंतर्राष्ट्रीय स्तर की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने वाले निजी संस्थानों के मिले-जुले योगदान से वर्ष २००४-०५ में स्वास्थ्य-रक्षा उद्योग को ३०% की बढोत्तरी मिली है। राज्य के अस्पतालों में लगभग ८,००० स्वास्थ्य संबंधी सैलानी आते हैं।[46]

खुदाई : सन्नति•कनगनहल्ली
दुर्ग : गजेंद्रगढ़  • सौंदत्ती  • बेल्लारी  • पारसगढ़ दुर्ग  • कित्तूर  • चित्रदुर्ग  • बेलगाम  • बीदर  • गुलबर्ग  • बसवकल्याण  • कोप्पल

स्मारक: मैसूर  • लक्कुंडी  • सुदी  • बादामि  • ऐहोल  • पत्तदकल  • हंगल  • हलसी  • बनवासी  • हैलेबिड  • बेलूर  • सोमनाथपुरा  • महादेव मंदिर, इतगी  • हूली  • सन्नति  • हम्पी  • ऐनेगुंडी  • मस्की  • गलगनाथ  • चौदैयादानापुर  • बीदरगुलबर्गबीजापुररायचूर

प्राचीन : लक्कुंडी  • सुदी  • बादामी  • ऐहोल  • मैसूर  • पत्तदकल • हंगल  • हलसी  • बनवासी  • हैलेबिड  • बेलूर  • महादेव मंदिर, इतगी  • हूली  • सन्नति  • हम्पी  • ऐनेगुंडी  • मस्की  • कोप्पल

इन्हें भी देखें


सन्दर्भ

  1. "Report of the Commissioner for linguistic minorities: 50th report (July 2012 to June 2013)" (PDF). Commissioner for Linguistic Minorities, Ministry of Minority Affairs, Government of India. मूल (PDF) से 22 मार्च 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 जुलाई 2017.
  2. देखें लॉर्ड मैकॉले'ज़ लाइफ़ ऑफ क्लाइव एण्ड जेम्स टॉलबॉयज़ व्हीलर: अर्ली हिस्ट्री ऑफ ब्रिटिश इण्डिया, लंदन (१८७८), पृ.९८। The principal meaning is the western half of this area, but the rulers there controlled the कोरोमंडल तट as well.
  3. संस्कृति का समंदर दक्षिण भारत[मृत कड़ियाँ]। डेली न्यूज़। २६ जनवरी, २०११। अभिगमन तिथि: १८ फ़रवरी २०११
  4. कर्नाटक Archived 2010-12-14 at the वेबैक मशीन। भारत सरकार के पोर्टल पर
  5. एस रंगनाथन. "द गोल्डन हैरिटेज ऑफ कर्नाटक". खनन विभाग. भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलुरु. मूल से 21 जनवरी 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 नवंबर 2010.
  6. "ट्रेड". ब्रिटिश संग्रहालय. मूल से 26 मई 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 नवंबर 2010.
  7. तालगुण्ड शिलालेख के अनुसार (डॉ॰ बी एल राइस, कामत (२००१), पृ.३०)
  8. मोअरेज़ (१९३१), पृ.१०
  9. अडिग एवं शेख अली, अडिग (२००६), पृ.८९
  10. रमेश (१९८४), पृ.१-२
  11. फ़्रॉम द हाल्मिदी इन्स्क्रिप्शन (रमेश १९८४, पृ १०-११)
  12. कामत (२००१), पृ.१०
  13. द चालुक्याज़ हेल्ड फ़्रॉम द प्रेज़ेण्ट डे कर्नाटक (किएय (२०००), पृ. १६८)
  14. द चालुक्याज़ वर नेटिव कन्नड़िगाज़ (एन लक्ष्मी नारायण राव एवं डॉ॰एस.सी नंदीनाथ, कामत (२००१), पृ.५७)
  15. आल्तेकर (१९३४), पृ.२१-२४।
  16. मेज़िका (१९९१), पृ.४५-४६
  17. बैलागांव इन मैसूर टेरिटरी वॉज़ ऍन अर्ली पावर सेन्टर (कॉज़ेन्स (१९२६), पृ.१० एवं १०५)
  18. तैलप द्वितीय, द फ़ाउण्डर किंग वॉज़ द गवर्नर ऑफ तारावाड़ी इन मॉडर्न बीजापुर डिस्ट्रिक्ट, अण्डर द राष्ट्रकूटाज़ (कामत (२००१), पृ.१०१)
  19. कामत (२००१), पृ. ११५
  20. फ़ोएकेमा (२००३), पृ.९
  21. ए हिस्ट्री ऑफ साउथ इण्डिया, के ए नीलकांत शास्त्री (१९५५), पृ.१६४
  22. ए हिस्ट्री ऑफ साउथ इण्डिया, के ए नीलकांत शास्त्री (१९५५), पृ.१७२
  23. ए हिस्ट्री ऑफ साउथ इण्डिया, के ए नीलकांत शास्त्री (१९५५), पृ.१७४
  24. कामत (२००१), पृ.१३२-१३४
  25. शास्त्री (१९५५), पृ.३५८-३५९, ३६१।
  26. फ़ोकेमा (१९९६), पृ.१४।
  27. कामत (२००१), पृ.१२२-१२४
  28. कामत (२००१), पृ.१५७-१६०।
  29. कुल्के एण्ड रदरमड (२००४), पृ. १८८
  30. कामत (२००१), पृ.१९०-१९१।
  31. कामत (२००१), पृ.२०१
  32. कामत (२००१), पृ. २०२
  33. कामत (२००१), पृ.२०७.
  34. जैन, धनेश; कार्डोना, जॉर्ज (२००३). जैन, धनेश; कार्डोना, जॉर्ज (संपा॰). द इण्डो-आर्यन लैंग्वेजेज़. राउटलेज लैंग्वेज फ़ैमिली सीरीज़. . राउटलेज. पृ॰ 757. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0700711309.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: editors list (link)
  35. पिंटो, पाइयुस फ़िडलिस (१९९९). हिन्स्ट्री ऑफ क्रिश्चियन्स इन कोस्टल कर्नाटक, १५००-१७६३ ए.डी. मंगलौर: समन्वय प्रकाशन. पृ॰ १२४.
  36. Menon, Parvathi. "Karnataka's agony". The Frontline, Volume 18 - Issue 17, 18–31 अगस्त 2001. Frontline. मूल से 11 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 मई 2007.
  37. अगुम्बे के सर्वाधिक वर्षा पाने का उल्लेख घोष, अरबिन्द. "लिंक गोदावरी, कृष्णा & कावेरी". द सेन्ट्रल क्रॉनिकल, दि:२८ मार्च २००७. २००७, सेन्ट्रल क्रॉनिकल. मूल से 13 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १६ मई २००७.
  38. "कर्नाटक – ऍन इन्ट्रोडक्शन". कर्नाटक विधायिका के आधिकारिक जालस्थल पर. मूल से 7 अगस्त 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ अक्टूबर २००७.
  39. "टू न्यू डिस्ट्रिक्ट्स नोटीफाइड इन बैंगलॉर". द टाइम्स ऑफ इण्डिया, ६ अगस्त २००७. मूल से 12 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित.
  40. "कर्नाटका, पॉपुलेशन: पर्सन्स (टोटल)". भारत की जनगणना, २००१. मूल से 6 जुलाई 2010 को पुरालेखित.
  41. "सेन्सस पॉपुलेशन" (PDF). सेन्सस ऑफ इण्डिया. वित्त मंत्रालय, भारत सरकार. मूल (पीडीएफ) से 19 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १८ फ़रवरी २००८.
  42. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; popu नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  43. "इण्डिया (रिलीजन), सेन्सस (२००१)". भारत की जनगणना. महालेखाधिकारी, भारत सरकार. मूल से 6 जुलाई 2010 को पुरालेखित.
  44. ए आर फ़ातिही. "कर्नाटक में उर्दु". लैंग्वेज इन इण्डिय़ा, खण्ड-२: ९ दिसम्बर २००२. एम एस तिरुमलै, प्रबधन शंपादक, लैंग्वेज इन इण्डिय़ा. मूल से 9 फ़रवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २९ जून २००७.
  45. "एन्विसेजिंग अ हैल्दी ग्रोथ". द फ़्रंटलाइन. द हिन्दू. मूल से 30 मार्च 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २१ जून २००७.
  46. "कर्नाटक बैट्स बिग ऑन हेलथकेयर टुरिज़्म". द हिन्दू बिज़्नेस लाइन, तिथि:२३ नवम्बर २००४. २००४, द हिन्दू. मूल से 29 सितंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २१ जून २००७. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "healthcare" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  47. "टिकिंग चाइल्ड हेलथकेयर टाइम बॉम्ब". द एड्युकेशन वर्ल्ड. एड्युकेशन वर्ल्ड. मूल से 17 मार्च 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २१ जून २००७.
  48. "स्टैटिस्टिक्स – कर्नाटक स्टेट". वन विभाग. कर्नाटक सरकार. मूल से 27 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ जून २००७. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "split" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  49. "ओरिजिन एण्ड ग्रोथ ऑफ कर्नाटक लेजिस्लेचर". कर्नाटक सरकार. कर्नाटक सरकार. मूल से 26 मई 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ५ मई २००७.
  50. पायली, एम वी. २००३ कॉन्स्टीट्यूश्नल गवर्न्वेंट इन इण्डिया, न्यू देह्ली: एस.चांद & कं. पृ.३६५
  51. "The Head of the State is called the Governor who is the constitutional head of the state as the President is for the whole of India", पायली, एम वी, २००३। कॉन्स्टीट्यूश्नल गवर्न्वेंट इन इण्डिया, न्यू देह्ली: एस.चांद & कं. पृ.३५७।
  52. "हमारी संसद – एक परिचय". भारतीय संसद. भारत सरकार. मूल से 18 फ़रवरी 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २५ दिसम्बर २०१०.
  53. "लोक सभा- इंट्रोडक्शन". द इण्डियन पार्लियामेण्ट. भारत सरकार. मूल से 9 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ जून २००७.
  54. "कर्नाटक पॉलिटिक्स – सस्पेन्स टिल २७ जनवरी". OurKarnataka.com. OurKarnataka.Com,Inc. मूल से 27 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ जून २००७.
  55. "'गवर्न्मेंट नॉट कीन ऑन सॉल्विंग कसरगोड डिस्प्यूट'" (अंग्रेज़ी में). द हिन्दू. २४ अक्टूबर २००५. मूल से 16 जनवरी 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 नवंबर 2010.
  56. "बॉर्डर रो: गवर्न्मेन्ट टोल्ड टू फ़ाइण्ड पर्मानेन्ट सॉल्यूशन" (अंग्रेज़ी में). द हिन्दू. २९ सितंबर २००६. मूल से 1 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 नवंबर 2010.
  57. "बॉर्डर डिस्प्यूट सॉल्व्स एन.सी.पी द ब्लशेज़". द टाइम्स ऑफ इण्डिया. २६ सितंबर २००६. मूल से 12 जनवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 नवंबर 2010.
  58. "हाईलाईट्स ऑफ कर्नाटक्स बजट २००८-०९" (PDF). वित्त विभाग. कर्नाटक सरकार. मूल (पीडीएफ़) से 22 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १९ अगस्त २००८.
  59. ए. श्रीनिवास. "कर्नाटक्स बजट बेस्ड ऑन ५% इन्फ़्लेशन रेट". द हिन्दू, २१ जुलाई २००८. २००८, द हिन्दू बिज़्नेस लाइन. अभिगमन तिथि १९ अगस्त २००८.
  60. "स्टेटमेन्ट: ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रॉडक्ट ऍट करेन्ट प्राइसेज़". सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय. भारत सरकार. मूल से 3 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ११ जून २००७.
  61. "इन टर्म्स ऑफ पर कैपिटा जीडीपी — कर्नाटक, बंगाल फ़ास्टेस्ट ग्रोइंग स्टेट्स". द हिन्दु, ९ जून २००५. द हिन्दू, २००५. मूल से 5 अक्तूबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ११ जून २००७.
  62. भारत सरकार. "फ़ॉरेन डयरेक्ट इन्वेस्टमेंट" (PDF). इण्डियन बजट - २००७. मूल (पीडीएफ़) से 5 दिसंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ११ जून २००७.
  63. भारत सरकार. "एम्प्लॉयमेंट एण्ड अनेम्प्लॉयमेंट" (PDF). इण्डियन बजट - २००७. मूल (पीडीएफ) से 24 दिसंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १९ जून २००७.
  64. "बजट २००६-२००७". वित्त विभाग. कर्नाटक सरकार. मूल से 22 अगस्त 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १९ जून २००७.
  65. "पोवर्टी एस्टिमेट्स फ़ॉर २००४-२००५" (PDF). योजना आयोग. भारत सरकार. मूल (पीडीएफ) से 7 जनवरी 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १८ जुलाई २००७.
  66. "कर्नाटक ह्यूमन डवलपमेंट रिपोर्ट २००५" (PDF). योजना आयोग. भारत सरकार. मूल (पीडीएफ़) से 15 जून 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ जून २००७.
  67. "कर्नाटक एग्रीकल्चरल पॉलिसी २००६" (पीडीएफ़). कृषि विभाग. कर्नाटक सरकार. मूल से 15 जून 2007 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि ४ जून २००७.
  68. "आईटी एक्स्पोर्ट्स फ़्रॉम कर्नाटक एक्सीड्स रु.५०के करोड़". द फ़ाइनेन्शियल एक्स्प्रेस, २२ मई २००७. २००७: इण्डियन एक्स्प्रेस न्यूज़पेपर (मुंबई) लि. मूल से 12 फ़रवरी 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ५ जून २००७.
  69. स्टेट कैबिनेट अप्रूव्स आई.टी पार्क नियर देवनहल्ली एयरपोर्ट Archived 2010-04-05 at the वेबैक मशीन। द हिन्दू। २९ जनवरी २०१०। विशेष संवाददाता
  70. "India in Business". Ministry of External affairs. भारत सरकार. मूल से 5 अगस्त 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 जून 2007.
  71. "बैंगलौर टॉप्स बायोक्लस्टर लिस्ट विद रु.१४०० करोड़ रेवेन्यु". द हिन्दू बिज़्नेस लाइन, ८ जून. २००६. © २००६, द हिन्दू बिज़्नेस लाइन. मूल से 29 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ५ जून २००६.
  72. "फ्लोरीकल्चर". वन इण्डिया न्यूज़, १२ जून २००७. www.Karnataka.com. मूल से 8 अक्तूबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १२ जून २००७.
  73. रवि शर्मा. "बिल्डिंग ऑन अ स्ट्रॉन्ग बेस". द फ़्रंटलाइन, खण्ड २२, इशू-२१ अक्टूबर २००५. फ़्रंटलाइन. मूल से 7 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २१ जून २००७.
  74. रवि शर्मा. "ए पायोनियर्स प्रॉग्रेस". द फ़्रंटलाईन, खण्ड २०, इशु:१५, १९ जुलाई,-१ अगस्त २००३. फ़्रंटलाईन. मूल से 12 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २१ जून २००७.
  75. "स्टेट/यूनियन टेरिटरी वाइज़ नंबर ऑफ ब्रांचेज़ ऑफ शिड्यूल्ड कमर्शियल बैंक्स एण्ड एवरेज पॉपुलेशन पर बैंक ब्रांच– मार्च २००२" (PDF). भारतीय रिज़र्व बैंक का ऑनलाइन वेबपेज. मूल (पीडीएफ़) से 10 अगस्त 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २१ जून २००७.
  76. "सिल्क सिटी टू कम अप नियर बंगलौर". मूल से 15 जुलाई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 नवंबर 2010.
  77. "कर्नाटक के रेशम बुनकर वैश्वीकरण के चलते घाटे में गिरते जा रहे हैं". मूल से 18 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 नवंबर 2010.
  78. "५ एयरपोर्ट्स टू बी ऑपरेश्नल सून". डेक्कन हेराल्ड, ऑनलाइन; तिथि: ५ जून २००७. २००७, द प्रिंटर्स (मैसूर) प्रा.लि. अभिगमन तिथि २९ जून २००७.
  79. "प्राइम मिनिस्टर टू डेडिकेट कोंकण रेलवे लाइन टू द नेशन ऑन १ मई". पी.आई.बी. भारत सरकार. मूल से 12 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 जुलाई 2007.
  80. "पायलट प्रोजेक्ट: जीपीएस सिस्टम ऑन बंगलौर-हुबली जन शताब्दी". डेकन हेराल्ड, ऑनलाइन, ति:२५, दिसम्बर, २००६. २००५, द प्रिंटर्स (मैसूर) प्रा.लि. मूल से 12 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ६ मई २००७.
  81. जी.एस. प्रसन्न कुमार. "कर्नाटक एण्ड इण्डियन रेलवेज़, Colossal wastage of available resources or is it sheer madness of the authorities concerned". ऑनलाईन वेबपेज:OurKarnataka.com. OurKarnataka.Com, इंका. मूल से 11 फ़रवरी 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अप्रैल 2007.
  82. "माइनर पोर्ट्स ऑफ कर्नाटक". Online Webpage of Karnataka Ports Department. कर्नाटक सरकार. मूल से 16 मई 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 मई 2007.
  83. "कर्नाटक पोर्ट्स.इन". मूल से 8 जुलाई 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 मई 2008.
  84. "अबाउट के.एस.आर.टी.सी". ऑनलाइन वेबपेज KSRTC. KSRTC. अभिगमन तिथि 6 मई 2007.
  85. मुख्य संपादक:एच चित्तरंजन। २००५। हैण्डबुक ऑफ कर्नाटक। राजपत्र विभाग, कर्नाटक सरकार। अध्याय-१३। पृष्ठ:३३२-३३७
  86. मुख्य संपादक:एच चित्तरंजन। २००५। हैण्डबुक ऑफ कर्नाटक। राजपत्र विभाग, कर्नाटक सरकार। अध्याय-१३। पृष्ठ:३५०-३५२
  87. कर्नाटक म्यूज़िक ऍज़ ऍस्थेटिक फ़ॉर्म/ आर सत्यनारायण Archived 2009-01-08 at the वेबैक मशीन। नई दिल्ली। सेन्टर फ़ॉर स्टडीज़ इन सिविलाइज़ेशन्स, २००४, त्रयोदश, पृ. १८५, ISBN 81-87586-16-8.
  88. डॉ॰ज्योत्सना कामत. "पुरंदर दास". कामत्स पॉट पौरी. मूल से 8 दिसंबर 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३१ दिसम्बर २००६.
  89. कामत (२००१), पृ. २८३
  90. के.जेशी. "रीविज़िटिंग टैक्स्टाइल ट्रैडीशंस". हिन्दू का ऑनलाइन संस्करण, १२ सितंबर २००६. द हिन्दू. मूल से 12 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २४ जुलाई २००७.
  91. कामत (२००१) पृ.१५०-१५२
  92. कामत (२००१), पृ. १५३-१५४
  93. शास्त्री (१९५५), पृ.३९६
  94. शास्त्री (१९५५), पृ.३९८
  95. "दशहरा फ़ेस्ट पैनल मीट्स थर्स्डे". द टाइम्स ऑफ इण्डिया, दि. २२ जुलाई २००३. टाइम्स इंटरनेट लि. मूल से 12 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १७ जुलाई २००७.
  96. "कर्नाटक लोकल अथॉरिटीज़ (ऑफीशियल लैंग्वेज) एक्ट, १९८१" (पी डी एफ़). कर्नाटक सरकार, आधिकारिक जालस्थल. कर्नाटक सरकार. मूल से 10 अगस्त 2007 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि २६ जुलाई २००७.
  97. "डिक्लेयरेशन ऑफ तेलुगु एण्ड कन्नड़ ऍज़ क्लासिकल लैंग्वेजेज़". प्रेस सूचना ब्यूरो. पर्यटन एवं संस्कृति विकास मंत्रालय, भारत सरकार. मूल से 16 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३१ अक्टूबर २००८.
  98. नरसिंहाचार्य (१९८८), पृ. १२, १७
  99. "पोयम डिक्लेयर्ड स्टेट सॉन्ग". ऑनलाइन वेबपेज ऑफ द हिन्दू. द हिन्दू. मूल से 12 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १५ जुलाई २००७.
  100. एच एस व्यंकटेश, मूर्ति. "ग्लोबल थॉट्स इन द लोकल टंग". ऑनलाईन एडिशन, द हिन्दू: ३१ अक्टूबर २००२. मूल से 16 जनवरी 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १ नवम्बर २००७.
  101. रवि प्रसाद कामिल. "टुलु अकादमी येट टू रियलाइज़ इट्स गोल". द हिन्दू, ऑनलाईन वेबपेज: १३ नवम्बर २००४. द हिन्दू. मूल से 12 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ५ मई २००७.
  102. के एस राज्यश्री. "कोदव स्पीच कम्युनिटी: एन एथनोलिंग्विस्टिक स्टडी". लैंग्वेज इण्डिया.कॉम. एम एस तिरुमलै. मूल से 25 जून 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ६ मई २००७.
  103. "कोंकण प्रभा रिलीज़्ड". डेक्कन हेरल्ड, १६ सितंबर २००५. २००५, द प्रिंटर्स (मैसूर) प्रा. लि. मूल से 4 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ६ मई २००७.
  104. "राज्य वार साक्षरता दर". राष्ट्रीय साक्षरता अभियान, भारत. मूल से 9 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १ नवम्बर २००७.
  105. "नंबर ऑफ स्कूल्स इन कर्नाटक ऐज़ ऑफ ३१ मार्च २००६" (पी डी एफ़). जन निर्देश विभाग. कर्नाटक सरकार. मूल से 15 जून 2007 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि ६ जून २००७.
  106. "मिड डे मील स्कीम एक्स्टेण्डेड". द टाइम्स ऑफ इण्डिया, दि. १६ मई २००७. टाइम्स इंटरनेट लि. मूल से 26 मई 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ६ जून २००७.
  107. "२००६-०७ के दौरान स्नातक छात्रों की जिलेवार एवं विश्वविद्यालयवार सांख्यिकी" (पी डी एफ़). कॉलिजियेट एड्युकेशन विभाग. कर्नाटक सरकार. मूल से 15 जून 2007 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि ६ जून २००७.
  108. "सी.ई.टी ब्रोशर, २००७" (PDF). द कॉमन एंट्रेंस टेस्ट सेल. कर्नाटक सरकार. मूल (पी डी एफ़) से 10 मई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ६ जून २००७.
  109. आई.टी ऍट मुद्दनहल्ली Archived 2011-05-16 at the वेबैक मशीन, डिक्कन हेरल्ड, १४ सितंबर २००९, चिकबल्लपुर
  110. ऍन इमर्जिंग एड्युकेशन हब Archived 2011-01-22 at the वेबैक मशीन, द हिन्दू, ७ सितंबर २००९, के वी सुब्रह्मण्यम
  111. शुमा राहा. "बैटलेग अराउण्ड बैंग्लौर". ऑनलाइन एडिशन, द टेलीग्राफ, १९ नवम्बर २००६. द टेलीग्राफ. मूल से 11 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 दिसंबर 2010.
  112. "टाइम्सग्रुप एक्वायर्स विजयानंद प्रिंटर्स". द टाइम्स ऑफ इण्डिया, दिनांक १५ जून २००६ का ऑनलाइन संस्करण. टाइम्स इण्टरनेट लि. मूल से 1 जुलाई 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 दिसंबर 2010.
  113. "कंसॉलिडेटेड लिस्ट ऑफ चैनल्स अलाउड टू बी कैरीड बाए केबल ऑपरेटर्स/मल्टीसिस्टम ऑपरेटर्स/डीटीएच लाइसेंसीज़ इन इण्डिया". भारत सरकार की सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आधिकारिक जालस्थल का ओनलाइनवेबपेज. मूल से 12 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 दिसंबर 2010.
  114. Named by Na. Kasturi, a popular Kannada writer Deepa Ganesh. "स्टिल अ हॉट फ़ेवरेट ऍट 50". द हिन्दू का ९ मार्च २००६ का ऑनलाइन संस्करण. चेन्नई, भारत: २००६, द हिन्दू. मूल से 12 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 दिसंबर 2010.
  115. "रेडियो स्टेशंस इन कर्नाटक, इण्डिया". asiawaves.net पर. एलान जी. डेवीज़. मूल से 3 जून 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 दिसंबर 2010.
  116. "रेडियो हैज़ बिकम पॉपुलर अगेन". द हिन्दू का १२ जनवरी २००६ का ऑनलाईन संस्करण. चेन्नई, भारत: द हिन्दू. मूल से 12 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 दिसंबर 2010.
  117. "अ फ़ील्ड डे इन कूर्ग". द हिन्दू. चेन्नई, भारत. मूल से 22 जून 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010. Since Coorg (Kodagu) was the cradle of Indian hockey, with over 50 players from the region going on to represent the nation so far, seven of whom were Olympians...
  118. कृष्ण कुमार. "अ फ़ील्ड डे इन कूर्ग". चेन्नई: द हिन्दू. मूल से 22 जून 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010. ...the festival assumed such monstrous proportions (one year, 350 families took part in the festival) that it found place in the Limca Book of Records. It was recognized as the largest hockey tournament in the world. This has been referred to the Guinness Book of World Records too.
  119. राव, रूपा. "कर्टेन्स डाउन ऑन फ़ोर्थ नेश्नल गेम्स". इंडियन एक्स्प्रेस. मूल से 29 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010.
  120. एस.सबनायकन. "सेटिंग न्यू स्टैण्डर्ड्स". द स्पोर्ट्स्टार खण्ड.८०:संख्या.०८, दिनांक २४ फ़र.२००७. द हिन्दू. मूल से 22 अक्तूबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010.
  121. "Ranji Trophy winners". Cricinfo. मूल से 9 मई 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010.
  122. इस मैच में सुजीत सोमसुंदर, राहुल द्रविड़, जावागल श्रीनाथ, सुनील जोशी, अनिल कुंबले तथा व्यंकटेश प्रसाद आदि खिलाड़ी कर्नाटक से ही थे: "ओ.डी.आई.सं. ११२७, टाईटन कप – फ़र्स्ट मैच इण्डिया वर्सेज़ साउथ अफ़्रीका १९९६/९७ सीज़न". क्रिक इन्फ़ो. मूल से 14 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010.
  123. विजय भारद्वाज, राहुल द्रविड़, जवागल श्रीनाथ, सुनील जोशी, अनिल कुंबले एण्ड वेंकटेश प्रसाद, ऑल फ़्रॉम कर्नाटक प्लेय्ड दिस मैच:"टैस्ट सं:१४६२ न्यूज़ीलैंड इन इण्डिया टेस्ट शृंखला- प्रथम टेस्ट भारत बनाम न्यूज़ीलैण्ड १९९९/०० सीज़न". Cricinfo. मूल से 17 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010.
  124. "फ़ैकल्टी". टाटा प्रकाश पादुकोन बैडमिंटन अकादमी के ऑनलाइन जालपृष्ठ से. © २००७, टाटा प्रकाश पादुकोन बैडमिंटन अकादमी. मूल से 21 मई 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010.
  125. "पंकज आडवाणी इज़ अ फ़ेनोमेनाँ:सावुर". चेन्नई, भारत: द हिन्दू. १२ जुलाई २००५. मूल से 1 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010.
  126. "मुखपृष्ठ समाचार: शुक्रवार, १६ जुलाई २०१०". चेन्नई: द हिन्दू. २६ मई २००९. मूल से 10 मई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010.
  127. "कर्नाटक टू टर्न ऑन टूरिज़्म चार्म्स". द हिन्दू बिज़्नेस लाइन का ऑनलाइन संस्करण, १५ फ़र.२००२. द हिन्दू बिज़्नेस लाइन. मूल से 29 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010.
  128. "एल्फ़ाबैटिकल लिस्ट ऑफ मॉन्युमेण्ट्स". संरक्षित स्मारक. भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण विभाग. मूल से 8 अगस्त 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010.
  129. "प्लान टू कंज़र्व हैरिटेज मॉन्युमेण्ट्स, म्यूज़ियम्स". द हिन्दू. चेन्नई: द हिन्दू का ऑनलाइन संस्करण, ६ जनवरी २००७. ६ जन. २००७. मूल से 24 जुलाई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  130. आर कृष्ण कुमार (१७ अगस्त २००८). "मैसूर पैलेस बीट्स ताजमहल इन पॉपुलैरिटी". द हिन्दू का ऑनलाइन संस्करण, १७ अगस्त २००७. चेन्नई. मूल से 17 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010.
  131. [listphobia.com/2009/08/22/10-most-beautiful-palaces-of-the-world/ टेन मोस्ट ब्यूटिफ़ुल पैलेसेज़ ऑफ द वर्ल्ड]। लिस्टोफोबिया। अभिगमन तिथि: ५ फ़रवरी २०११
  132. [www.mostinterestingfacts.com/building/top-10-most-beautiful-palaces-in-the-world.html टॉप टेन मोस्ट ब्यूटिफुल पैलेसेज़ ऑफ द वर्ल्ड। मोस्ट इन्टरेस्टिंग फ़ैक्ट्स। अभि.तिथि:५ फ़रवरी २०११
  133. "Belur for World Heritage Status". द हिन्दू का ऑनलाइन संस्करण, दिनांक:२५ जुलाई २००४. चेन्नई: द हिन्दू. मूल से 12 मार्च 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010.
  134. कीएय (२०००), पृ. ३२४
  135. माइकल ब्राइट, 1001 Natural Wonders of the World द्वारा:बैरन्स एड्युकेश्नल सीरीज़ इंका., प्रकाशक: क्विण्टेड इंका., २००५.

बाहरी कड़ियाँ