"आर्य आष्टांगिक मार्ग": अवतरणों में अंतर
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[[आर्य आष्टांगिक मार्ग|'''अष्टांग मार्ग''']] [[गोतम बुद्ध|भगवान बुद्ध]] की प्रमुख शिक्षाओं में से एक है जो दुखों से मुक्ति पाने एवं तथ्य-ज्ञान के साधन के रूप में बताया गया है।<ref name="गौतम बुद्ध">{{Cite web |url=https://www.motivatorindia.in/2019/09/gautam-buddha-in-hindi.html |title=गौतम बुद्ध का सम्पूर्ण जीवन |access-date=23 सितंबर 2019 |archive-url=https://web.archive.org/web/20190923215858/https://www.motivatorindia.in/2019/09/gautam-buddha-in-hindi.html |archive-date=23 सितंबर 2019 |url-status=live }}</ref> अष्टांग मार्ग के सभी 'मार्ग' , 'सम्यक' शब्द से आरम्भ होते हैं (सम्यक = अच्छी या सही)। बौद्ध प्रतीकों में प्रायः अष्टांग मार्गों को [[धर्मचक्र]] के आठ ताड़ियों (spokes) द्वारा निरूपित किया जाता है। |
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* [https://www.motivatorindia.in/2019/09/gautam-buddha-in-hindi.html गौतम बुद्ध की अद्भुत् जीवनी] |
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*[सुत्त पिटक,अनुगुत्तर निकाय, एकक निपात ,सुत्त संख्या -1 &175 to 185.] |
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01:55, 16 जून 2020 का अवतरण
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (जून 2015) स्रोत खोजें: "आर्य आष्टांगिक मार्ग" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
अष्टांग मार्ग भगवान बुद्ध की प्रमुख शिक्षाओं में से एक है जो दुखों से मुक्ति पाने एवं तथ्य-ज्ञान के साधन के रूप में बताया गया है।[1] अष्टांग मार्ग के सभी 'मार्ग' , 'सम्यक' शब्द से आरम्भ होते हैं (सम्यक = अच्छी या सही)। बौद्ध प्रतीकों में प्रायः अष्टांग मार्गों को धर्मचक्र के आठ ताड़ियों (spokes) द्वारा निरूपित किया जाता है।
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बौद्ध धर्म के अनुसार, चौथे आर्य सत्य का आर्य अष्टांग मार्ग है - दुःख निरोध पाने का रास्ता। गौतम बुद्ध कहते थे कि चार आर्य सत्य की सत्यता का निश्चय करने के लिए इस मार्ग का अनुसरण करना चाहिए :
- सम्यक दृष्टि : चार आर्य सत्य में विश्वास करना
- सम्यक संकल्प : मानसिक और नैतिक विकास की प्रतिज्ञा करना
- सम्यक वाक : हानिकारक बातें और झूठ न बोलना
- सम्यक कर्म : हानिकारक कर्म न करना
- सम्यक जीविका : कोई भी स्पष्टतः या अस्पष्टतः हानिकारक व्यापार न करना
- सम्यक प्रयास : अपने आप सुधरने की कोशिश करना
- सम्यक स्मृति : स्पष्ट ज्ञान से देखने की मानसिक योग्यता पाने की कोशिश करना
- सम्यक समाधि : निर्वाण पाना और स्वयं का गायब होना
कुछ लोग आर्य अष्टांग मार्ग को पथ की तरह समझते है, जिसमें आगे बढ़ने के लिए, पिछले के स्तर को पाना आवश्यक है। और लोगों को लगता है कि इस मार्ग के स्तर सब साथ-साथ पाए जाते है। मार्ग को तीन हिस्सों में वर्गीकृत किया जाता है : प्रज्ञा, शील और समाधि।
परिचय
भगवान् बुद्ध ने बताया कि तृष्णा ही सभी दु:खों का मूल कारण है। तृष्णा के कारण संसार की विभिन्न वस्तुओं की ओर मनुष्य प्रवृत्त होता है; और जब वह उन्हें प्राप्त नहीं कर सकता अथवा जब वे प्राप्त होकर भी नष्ट हो जाती हैं तब उसे दु:ख होता है। तृष्णा के साथ मृत्यु प्राप्त करनेवाला प्राणी उसकी प्रेरणा से फिर भी जन्म ग्रहण करता है और संसार के दु:खचक्र में पिसता रहता है। अत: तृष्णा का सर्वथा प्रहाण करने का जो मार्ग है वही मुक्ति का मार्ग है। इसे दु:ख-निरोध-गामिनी प्रतिपदा कहते हैं। भगवान् बुद्ध ने इस मार्ग के आठ अंग बताए हैं :
- सम्यक् दृष्टि, सम्यक् संकल्प, सम्यक् वचन, सम्यक् कर्म, सम्यक् आजीविका, सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति और सम्यक् समाधि।
इस मार्ग के प्रथम दो अंग प्रज्ञा के और अंतिम दो समाधि के हैं। बीच के चार शील के हैं। इस तरह शील, समाधि और प्रज्ञा इन्हीं तीन में आठों अंगों का सन्निवेश हो जाता है। शील शुद्ध होने पर ही आध्यात्मिक जीवन में कोई प्रवेश पा सकता है। शुद्ध शील के आधार पर मुमुक्षु ध्यानाभ्यास कर समाधि का लाभ करता है और समाधिस्थ अवस्था में ही उसे सत्य का साक्षात्कार होता है। इसे प्रज्ञा कहते हैं, जिसके उद्बुद्ध होते ही साधक को सत्ता मात्र के अनित्य, अनाम और दु:खस्वरूप का साक्षात्कार हो जाता है। प्रज्ञा के आलोक में इसका अज्ञानांधकार नष्ट हो जाता है। इससे संसार की सारी तृष्णाएं चली जाती हैं। वीततृष्ण हो वह कहीं भी अहंकार ममकार नहीं करता और सुख दु:ख के बंधन से ऊपर उठ जाता है। इस जीवन के अनंतर, तृष्णा के न होने के कारण, उसके फिर जन्म ग्रहण करने का कोई हेतु नहीं रहता। इस प्रकार, शील-समाधि-प्रज्ञावाला मार्ग आठ अंगों में विभक्त हो आर्य आष्टांगिक मार्ग कहा जाता है।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- गौतम बुद्ध की अद्भुत् जीवनी
- बुद्ध का आष्टांगिक मार्ग (वेबदुनिया)
- [सुत्त पिटक,अनुगुत्तर निकाय, एकक निपात ,सुत्त संख्या -1 &175 to 185.]
- ↑ "गौतम बुद्ध का सम्पूर्ण जीवन". मूल से 23 सितंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 सितंबर 2019.