"संयुक्त राज्य संविधान": अवतरणों में अंतर

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अमेरिका के संविधान का महत्व इस बात से ही स्पष्ट हो जाता है कि इसका जन्म उस वक्त हुआ जब फ्रांस "राजतंत्र" रोम में "पवित्र साम्राज्य" पेकिंग में "स्वर्ग के आदेश" और "संत साम्राज्य" का अस्तित्व था। कालान्तर में राज्य शनैं-शनैं अतीत के गर्भ में समाहित होते गये और अमरीकी संविधान तमाम संघर्षों व टकराव के बावजूद आज भी जीवंत हैं और एक आदर्श हैं।
अमेरिका के संविधान का महत्व इस बात से ही स्पष्ट हो जाता है कि इसका जन्म उस वक्त हुआ जब फ्रांस "राजतंत्र" रोम में "पवित्र साम्राज्य" पेकिंग में "स्वर्ग के आदेश" और "संत साम्राज्य" का अस्तित्व था। कालान्तर में राज्य शनैं-शनैं अतीत के गर्भ में समाहित होते गये और अमरीकी संविधान तमाम संघर्षों व टकराव के बावजूद आज भी जीवंत हैं और एक आदर्श हैं।


अमेरिकी संविधान [https://www.kailasheducation.com/2019/09/america-ke-samvidhan-ki-visheshta.html] के निर्माण ने विश्व को लिखित एवं प्रजातंत्रिक सरकार का आधार प्रदान किया। विश्व के अनेक देशों ने अपने संविधान के निर्माण में इसे आधार बनाया। नागरिकों को अधिकार देने वाले लिखित विधानों में अमेरिका का संविधान सबसे प्रमुख स्रोत है। संविधान में शक्ति के पृथक्करण सिद्धान्त महत्वपूर्ण है। संघीय सरकार की स्थापना तथा न्यायपालिका की सर्वोच्चता आधुनिक राजनीतिक प्रणाली की आधारशिला है। विश्व की प्रमुख शक्ति बनाने में अमेरिका के संविधान का महत्वपूर्ण योगदान है।
अमेरिकी संविधान [https://web.archive.org/web/20190904113053/https://www.kailasheducation.com/2019/09/america-ke-samvidhan-ki-visheshta.html] के निर्माण ने विश्व को लिखित एवं प्रजातंत्रिक सरकार का आधार प्रदान किया। विश्व के अनेक देशों ने अपने संविधान के निर्माण में इसे आधार बनाया। नागरिकों को अधिकार देने वाले लिखित विधानों में अमेरिका का संविधान सबसे प्रमुख स्रोत है। संविधान में शक्ति के पृथक्करण सिद्धान्त महत्वपूर्ण है। संघीय सरकार की स्थापना तथा न्यायपालिका की सर्वोच्चता आधुनिक राजनीतिक प्रणाली की आधारशिला है। विश्व की प्रमुख शक्ति बनाने में अमेरिका के संविधान का महत्वपूर्ण योगदान है।


==अमेरिकी संविधान का निर्माण==
==अमेरिकी संविधान का निर्माण==
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== बाहरी कड़ियाँ ==
== बाहरी कड़ियाँ ==
=== राष्ट्रीय अभिलेखागार ===
=== राष्ट्रीय अभिलेखागार ===
* [http://www.constitutioncenter.org/ National Constitution Center]
* [https://web.archive.org/web/20080118090302/http://www.constitutioncenter.org/ National Constitution Center]
* [http://www.archives.gov/exhibits/charters/charters.html The National Archives Experience—Constitution of the United States]
* [https://www.webcitation.org/6HZG3yKkQ?url=http://www.archives.gov/exhibits/charters/charters.html The National Archives Experience—Constitution of the United States]
* [http://www.archives.gov/exhibits/charters/charters.html The National Archives Experience—High Resolution Downloads of the Charters of Freedom]
* [https://www.webcitation.org/6HZG3yKkQ?url=http://www.archives.gov/exhibits/charters/charters.html The National Archives Experience—High Resolution Downloads of the Charters of Freedom]
* [http://ratify.constitutioncenter.org/constitution.html National Constitution Center's "Interactive Constitution"]
* [http://ratify.constitutioncenter.org/constitution.html National Constitution Center's "Interactive Constitution"]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}


=== अमेरिकी सरकार के स्रोत ===
=== अमेरिकी सरकार के स्रोत ===
* [http://www.loc.gov/rr/program/bib/ourdocs/Constitution.html Constitution and related resources]: Library of Congress
* [https://web.archive.org/web/20101106100830/http://www.loc.gov/rr/program/bib/ourdocs/Constitution.html Constitution and related resources]: Library of Congress
* [http://www.gpoaccess.gov/constitution/index.html Analysis and Interpretation of the Constitution of the United States]: Annotated constitution, with descriptions of important cases (official publication of U.S. Senate)
* [https://web.archive.org/web/20061206000614/http://www.gpoaccess.gov/constitution/index.html Analysis and Interpretation of the Constitution of the United States]: Annotated constitution, with descriptions of important cases (official publication of U.S. Senate)


=== गैर-सरकारी जालघर ===
=== गैर-सरकारी जालघर ===
* [http://www.usconstitution.net/const.html U.S. Constitution Online]
* [https://web.archive.org/web/20100830022842/http://www.usconstitution.net/const.html U.S. Constitution Online]
* [http://uscon.mobi Mobile friendly] version of the Constitution
* [https://web.archive.org/web/20170918063432/http://uscon.mobi/ Mobile friendly] version of the Constitution
* [http://www.law.uchicago.edu/constitution Audio reading] of the Constitution in [[MP3]] format provided by the [[University of Chicago Law School]]
* [https://web.archive.org/web/20080531072633/http://www.law.uchicago.edu/constitution Audio reading] of the Constitution in [[MP3]] format provided by the [[University of Chicago Law School]]
* [http://www.law.cornell.edu/anncon/ Annotated Constitution] by the [[Congressional Research Service]] of the U.S. [[Library of Congress]] (hyperlinked version published by [[Cornell University]])
* [https://web.archive.org/web/20101224212433/http://www.law.cornell.edu/anncon/ Annotated Constitution] by the [[Congressional Research Service]] of the U.S. [[Library of Congress]] (hyperlinked version published by [[Cornell University]])


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18:02, 15 जून 2020 का अवतरण

मूल अमेरिकी संविधान का पृष्ट-१

संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान, संयुक्त राज्य अमेरिका का सर्वोच्च कानून है। 'नई दुनिया' की स्वतंत्रता की घोषणा के उपरांत जिस संविधान का निर्माण हुआ उसने न सिर्फ अमेरिकी जनता और राष्ट्र को एक सूत्र में बांधा बल्कि विश्व के समक्ष एक आदर्श भी स्थापित किया। अमेरिकी संविधान विश्व का पहला लिखा हुआ संविधान है जिसमें राज्य के स्वरूप, नागरिकों के अधिकार शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धान्त तथा न्यायिक पुनरावलोकन (judicial review) जैसे पहलू शामिल है।

अमेरिका का संविधान एक लिखित संविधान है। सन् 1789 में लागू होने से लेकर आज तक यह बदलते परिवेश व आवश्यकताओं के अनुरूप निरन्तर परिवर्तित तथा विकसित होता रहा हैं। चार्ल्स ए. बीयर्ड के मतानुसार " अमेरिका का संविधान एक मुद्रित दस्तावेज है जिसकी व्याख्या न्यायिक निर्णयों, पूर्व घटनाओं और व्यवहारों द्वारा की जाती है और जिसे समझ और आकांक्षाओं द्वारा आलोकित किया जाता है।

17 सितंबर 1787 में, संवैधानिक कन्वेंशन फिलाडेल्फिया (पेनसिलवेनिया) और ग्यारह राज्यों में सम्मेलनों की पुष्टि के द्वारा संविधान को अपनाया गया था। यह 4 मार्च 1789 को प्रभावी हुआ।

संविधान को अपनाने के बाद में भी उसमें सत्ताइस (27) बार संशोधन किया गया है। पहले दस संशोधनों (बाकी दो के साथ जो कि उस समय मंजूर नहीं हुए) 25 सितंबर 1789 को कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित किए गए थे और 15 दिसंबर, 1791 पर अमेरिका की आवश्यक तीन चौथाई द्वारा पुष्टि की गई। ये पहले दस संशोधन 'बिल ऑफ राइट्स' के नाम से जाने जाते हैं।

अमेरिकी संविधान का महत्व

अमेरिका के संविधान का महत्व इस बात से ही स्पष्ट हो जाता है कि इसका जन्म उस वक्त हुआ जब फ्रांस "राजतंत्र" रोम में "पवित्र साम्राज्य" पेकिंग में "स्वर्ग के आदेश" और "संत साम्राज्य" का अस्तित्व था। कालान्तर में राज्य शनैं-शनैं अतीत के गर्भ में समाहित होते गये और अमरीकी संविधान तमाम संघर्षों व टकराव के बावजूद आज भी जीवंत हैं और एक आदर्श हैं।

अमेरिकी संविधान [1] के निर्माण ने विश्व को लिखित एवं प्रजातंत्रिक सरकार का आधार प्रदान किया। विश्व के अनेक देशों ने अपने संविधान के निर्माण में इसे आधार बनाया। नागरिकों को अधिकार देने वाले लिखित विधानों में अमेरिका का संविधान सबसे प्रमुख स्रोत है। संविधान में शक्ति के पृथक्करण सिद्धान्त महत्वपूर्ण है। संघीय सरकार की स्थापना तथा न्यायपालिका की सर्वोच्चता आधुनिक राजनीतिक प्रणाली की आधारशिला है। विश्व की प्रमुख शक्ति बनाने में अमेरिका के संविधान का महत्वपूर्ण योगदान है।

अमेरिकी संविधान का निर्माण

अमेरिका में जिस संविधान का निर्माण हुआ वह कई चरणों एवं वाद-विवाद से गुजरा। अमेरिकी संविधान की विशेषताओ को समझने से पहले संविधान निर्माताओं के समक्ष चुनौतियों को जानना वांछनीय होगा।

संविधान निर्माताओं के समक्ष चुनौतियां
  • (१) राष्ट्र निर्माण का जो कार्य स्वतंत्रता प्राप्ति से शुरू हुआ था उसे पूर्णता तक पहुंचाना अर्थात् विषमतावादी समाज को एकसूत्र में बनाए रखते हुए विकास को प्रोत्साहित करना।
  • (२) राज्य का स्वरूप कैसा हो-प्रजातांत्रिक अथवा संघीय।
  • (३) वाद-विवाद का एक विषय केन्द्र बनाम राज्यों की सर्वोच्च प्रभुसत्ता को लेकर तो था ही इसके अतिरिक्त कुद अन्य मुद्दे भी थे। जैसे सभी राज्यों को समानता का दर्जा दिया जाए या नहीं, संघ में राज्यों का प्रतिनिधित्व किस प्रकार हो।
प्रजातांत्रिक सरकार के समर्थकों का मत

प्रजातंत्र की परम्परा में विश्वास रखने वाले लोग यह मानते थे कि सरकार का कार्यक्षेत्र एवं शक्ति सीमित होनी चाहिए अर्थात् राज्यों की तुलना में केन्द्र कम शक्तिशाली हो क्योंकि केन्द्र यदि अत्यधिक शक्तिशाली होगा तो नागरिकों की स्वतंत्रता बाधित होगी और राज्यों की पहचान खत्म हो जाएगी। आर्थिक मुद्दे पर इस वर्ग का मानना था कि संपत्ति केवल कुछ ही व्यक्तियों के हाथ में संचित न रहे तथा आय के न्यायोचित वितरण के लिए बड़े-बड़े कृषि फार्मों के स्थान पर छोटे-छोटे कृषि फार्म हों। पश्चिमी क्षेत्र की भूमि का वितरण अलग-अलग ऐसे परिवारों में होना चाहिए जो इन क्षेत्रों में बस सके और स्वयं की खेती कर सके। इस वर्ग का नेतृत्व अमेरिका में थॉमस जैफरसन कर रहा था।

कुलीनतंत्री सरकार के समर्थकों का मत
  • अमेरिका में भूपतियों, व्यापारियाें एवं महाजनों द्वारा कुलीनतंत्र में विश्वास रखने वाला दूसरा वर्ग था। इस वर्ग का प्रमुख प्रवक्ता हैमिल्टन था। इस वर्ग की मान्यता थी कि बहुमत पर आधारित प्रजातांत्रिक शासन से व्यक्तिगत अधिकारों का हनन होगा। इस वर्ग का विश्वास था कि वास्तविक शक्ति जनसाधारण में नहीं होनी चाहिए बल्कि उच्च एवं बौद्धिक वर्ग में निहित होनी चाहिए क्योंकि जनसाधारण अज्ञानी तथा अनुशासहीन होते है।
  • कुलीन वर्गीय लोग एक शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार चाहते थे क्योंकि उनका विश्वास था कि शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार ही औद्योगिक तथा व्यापारियों के हितों की रक्षा कर सकेगी।
  • आर्थिक मुद्दे पर कुलीन वर्ग का विचार था कि संपति के अधिकार की गारंटी होनी चाहिए तथा सरकार ऋण देने वालों को सुरक्षा प्रदान करें। सरकार व्यापारियों, महाजनों एवं अन्य पूंजी लगाने वालो की सहायता करे। पश्चिम क्षेत्र की भूमि संबंध में यह वर्ग भूमि का सट्टा करने वाले धनिक वर्ग के स्वार्थों की रक्षा करना चाहता था।

संविधान निर्माण की प्रक्रिया

संविधान निर्माण को लेकर चले विवादों के उपरांत 1776 ई. में महाद्वीपीय कांग्रेस के प्रत्येक उपनिवेश से एक-एक सदस्य लेकर एक समिति का गठन हुआ। उसका प्रमुख कार्य एक ऐसे परिसंघ के संविधान पर विचार करना था जिसके अंतर्गत एकजुट होकर सभी उपनिवेश स्वाधीनता संग्राम या स्वतंत्रता संग्राम का अभियान जारी रख सके। 1781 ई. में सभी उपनिवेशों ने संविधान को स्वीकार कर लिया। इसे ही अमेरिका का प्रथम संविधान अथवा युद्धकालीन अल्पकालिक संविधान कहा जाता है।

युद्धकालीन संविधान की विशेषताएं
  • पहली बार उपनिवेशों के संघ के लिए “संयुक्त राज्य अमेरिका” अर्थात The United States of America नाम दिया गया।
  • सरकार का स्वरूप संघीय था अर्थात् केन्द्रीय सरकार की स्थापना की गई जिसके अधिकार निश्चित और सीमित थे। संघीय कार्यों के संचालन हेतु एक सदनीय “कांगे्रस” की स्थापना की गई।
  • इस कांग्रेस में प्रत्येक राज्य प्रतिवर्ष 2-7 प्रतिनिधियों को भेजेगा किन्तु प्रत्येक राज्य का मत मूल्य एक ही होगा।
  • किसी प्रस्ताव की स्वीकृति के लिए 13 राज्यों में से 9 का बहुमत आवश्यक होगा।
  • कांग्रेस को अन्य राष्ट्रों के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने, मुद्रा जारी करने, ऋण लेने, युद्ध घोषणा तथा संधि करने, मुद्रा एवं ऋण संंबंधी नीतियों के निर्माण का अधिकार दिया गया।
  • राज्यों को केन्द्र की तुलना में अधिक शक्तिशाली बनाया गया और कहा गया कि जो शक्तियां स्पष्ट शब्दों में कांगे्रस को प्रत्योजित न की गई हो राज्यों के अधिकार क्षेत्र में निहित रहेंगी। राज्यों को कर लगाने तथा बाह्य सरकार के मामले में अत्यधिक अधिकार मिले थे।
सीमाएं
  • कमजोर केन्द्र की स्थापना एवं शक्तिशाली राज्यों के स्वरूप से राज्य अपने को अलग स्वतंत्र इकाई के रूप में समझने लगे।
  • कांगे्रस राज्यों के पारस्परिक व्यापार-वाणिज्य नियमित नहीं कर सकती थी।
  • राज्यों की इच्छा पर निर्भर था कि वे कांगे्रस के निर्णय को अपने क्षेत्र में लागू करें या न करें।

इस प्रकार युद्ध के दौरान तो यह संविधान चलता रहा परन्तु युद्ध समाप्ति के बाद राज्यों के मतभेद उभरकर सामने आने लगे। संविधान की उपेक्षा होने लगी और संघीय व्यवस्था के सफल संचालन में बाधा आने लगी। अतः युद्धकालीन निर्मित संविधान में संशोधन की बात की जाने लगी। जेम्स मेडीसन, बेंजामिन फ्रैकलिन, जॉर्ज वाशिगंटन जैसे बुद्धिजीवियों और राजनीतिक नेताओं ने एक मजबूत संघीय व्यवस्था के तहत् एक शक्तिशाली सरकार की वकालत की। इसी संदर्भ में 1787 ई. में फिलाडेल्फिया में 12 राज्यों के 55 प्रतिनिधियों का सम्मेलन संपन्न हुआ (रोड आइलैण्ड नहीं शामिल हुआ)। इस सम्मेलन की अध्यक्षता जॉर्ज वाशिगंटन ने की। इस सम्मेलन में वर्जीनिया योजना, के माध्यम से संविधान की धाराओं में संशोधन कर नया संविधान की धाराओं में संशोधन कर नया संविधान बना जो आज तक लागू है।वर्जीनिया योजना में संघीय शासन को और अधिक शक्तिशाली बनाने का प्रावधान था तथा केन्द्र में द्विसदनात्मक व्यवस्था की बात की गई थी।

संविधान की विशेषताएँ

  • संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान की उद्देशिका में कहा गया कि यह संविधान ““संयुक्त राज्य की जनता”” ने तैयार किया है।
  • “कांगे्रस नामक एक राष्ट्रीय विधायिका का गठन, जिसमें दो सदन होंगे, निचला सदन- House of Representative तथा उच्च सदन senate कहलाएगा।
  • समानता का सिद्धान्त सीनेंट में बनाए रखा जाएगा और तदनुसार प्रत्येक राज्य से उसमें दो-दो सदस्य (सीनेटर) लिए जाऐंगे। प्रत्येक सीनेटर की सदस्यता अवधि 6 साल की होगी। सीनेट को सभी प्रकार के महाभियोगों पर विचार करने का अधिकार मिला।
  • House of Representative में राज्यों का प्रतिनिधित्व उसकी जनसंख्या के आधार पर तय हुआ। इस सदन के सदस्यों का चुनाव दो वर्ष की अवधि के लिए होगा।
  • संविधान के तहत् दो सरकारों की स्थापना की गई-एक संघीय सरकार तथा दूसरी राज्य सरकार। संघ तथा राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन किया गया।
  • संघ को करों, ऋणों का भुगतान विदेशों के साथ तथा राज्यों के बीच परस्पर व्यापार वाणिज्य का विनियमन, सिक्कों की ढलाई, युद्ध की घोषणा आदि का अधिकार दिया गया।
  • संविधान संशोधन प्रत्येक सदन के दो तिहाई मतों के आधार पर कांगे्रस संविधान में संशोधन का प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकेगी या राज्यों की कुल संख्या में से दो तिहाई राज्यों की विधायिकाओं से आवेदन प्राप्त होने पर संशोधन प्रस्तावित करने के लिए सम्मेलन बुलाएंगी।
  • कार्यपालिका का प्रमुख राष्ट्रपति होगा और राष्ट्रपति का चुनाव न तो कांगे्रस करेगी न ही वह सीधे जनता से चुनकर आएगा। उसके निर्वाचन के लिए एक अलग निर्वाचक-मंडल बनाया जाएगा जिसमें सम्मिलित निर्वाचकों का चुनाव राज्यों की विधायिकाओं द्वारा निर्धारित पद्धति के अनुसार होगा।
  • प्रत्येक राज्य के निर्वाचकों की संख्या उस राज्य के सीनेटरों (उच्च सदन के सदस्यों) तथा निचले सदन के प्रतिनिधियों की संख्या के कुछ योग के बराबर होगी।
  • राष्ट्रपति पर आसीन व्यक्ति की मृत्यु हो जाने या उसे पद से हटा दिए जाने की स्थिति में उसकी सारी शक्तियां उपराष्ट्रपति को स्थानान्तरित हो जाऐंगी।
  • एक सर्वोच्च न्यायालय होगा, जिसके न्यायाधीशों का चुनाव सीनेट की सहमति से राष्ट्रपति करेंगा।
  • 1791 ई. में पहला संविधान संशोधन करके बिल ऑफ राइट्स ('Bill of Rights) को मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किया गया। इसके तहत् संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिकों को वाणी की, पे्रस की, धर्म की, याचिका की, सभा-सम्मेलन करने की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई। इस प्रकार 1789 ई. में संविधान को अनुमोदित कर दिया गया और जॉर्ज वाशिंगटन को सर्वसम्मति से राष्ट्रपति से तथा जॉर्ज एडम्स को बहुमत से उपराष्ट्रपति चुना गया।

सीमाएं

  • स्वतंत्रता की घोषणा दासों पर लागू नहीं होती थी अर्थात् दास प्रथा को बनाए रखा गया। आगे चलकर इस दास-प्रथा के मुद्दे ने अमेरिका को गृहयुद्ध की ओर धकेल दिया।
  • संविधान निर्माण में धनी वर्ग का प्रभाव।
  • राष्ट्रपति के निर्वाचन की जटिल प्रक्रिया।

संविधान एक आर्थिक दस्तावेज के रूप में

चार्ल्स बेयर्ड ने निबंध 'An Economic Interpretation of the Constitution of the United States' के माध्यम से संविधान निर्माताओं पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने इस संविधान के माध्यम से अपने आर्थिक वर्ग के निहित स्वार्थों को आगे बढ़ाने का प्रयत्न किया है। उसने बताया कि सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधियों की सामाजिक संरचना कुछ इस तरह थी कि वे आर्थिक लाभों को अपने पक्ष में करना चाहते थे। इनमें 24 प्रतिनिधि साहूकार वर्ग के, 15 प्रतिनिधि उत्तरी क्षेत्र के और दासों के मालिक थे, 14 प्रतिनिधि भूमि का सौदा व सट्टेबाजी के व्यवसाय से संबंधित, 11 प्रतिनिधि व्यवसायी व जहाज निर्माता थे। सम्मेलन में कारीगरों, छोटे किसानों एवं गरीबों का कोई प्रतिनिधि नहीं था। इस तरह सम्मेलन में शामिल साहूकार, व्यापारी, व्यवसायी जैसे वर्गों ने शक्तिशाली संघ की स्थापना की बात की। यह शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार समय-समय पर विभिन्न करों को आरोपित कर सकेगी।

चार्ल्स बेयर्ड की इस स्थापना को कई इतिहासविदों ने चुनौती दी। फॉरेस्ट मैकडोनाल्ड ने अपनी पुस्तक "We the People : The Eco- nomic Origins of Constitutions (1958)" में बताया कि यह मान्यता किसी तरह से प्रमाणित नहीं होगी कि व्यक्तिगत संपत्ति के हितों की रक्षा ही वह मुख्य तत्व था जिसने संविधान निर्माण की दिशा बदल दी। जिन लोगों ने संविधान का प्रारूप (Draft) तैयार किया उसे अंगीकृत करने में प्रत्यक्ष सहायता दी उन प्रतिनिधियों की पृष्ठभूमि कैसी भी रही हो एक बार जब उन्होंने सम्मेलन में भागीदारी निभाना शुरू किया तो वे व्यक्तिगत वर्ग न रहकर एक एकीकृत आर्थिक समूह बन गए। जहां तक यह कहना कि किसानों ने संविधान का विरोध किया यह बात इसलिए भी ठीक नहीं लगती कि न्यूजर्सी, मेरीलैंड, जॉर्जिया जैसे मुख्यतः कृषि आधारित राज्यों में भी संविधान आसानी से स्वीकृत हुआ। इस दृष्टि से चार्ल्स बेयर्ड के द्वारा प्रतिपादित संविधान के स्वरूप की आर्थिक दस्तावेज के रूप में व्याख्या को पूर्णतः स्वीकार नहीं किया जा सकता। फिर भी उसके मत का विशिष्ट योगदान इस बात में निहित है कि उसने अमेरिका के संविधान के स्वरूप की ओर ध्यान दिया तथा अन्य इतिहासविदों को उसके बारें में सोचने के लिए पे्ररित किया। उसने जो बुनियाद मुद्दे उठाए वे समय की कसौटी पर इस रूप में खरे उतरे कि लोगों का ध्यान संविधान के स्वरूप और उसमें किस बात पर बल दिया जाता है या दिया जाना चाहिए, इस ओर उनका ध्यान आकृष्ट कर सकें।

अमेरिकी संविधान की रचना को प्रभावित करने वाले तत्व एवं कारक

स्वतंत्रता के पश्चात् राष्ट्र निर्माण को पूर्णता तक पहुंचाने के लिए, विषमरूपी तथा बहुलवादी विभिन्न रीति-रिवाज से युक्त समाज को एकसूत्र में बांधने हेतु संविधान की जरूरत थी। इतना ही नहीं जिन मुद्दों को लेकर उपनिवेशों ने क्रांति की थी उन्हें भी संविधान के माध्यम से दूर किया जाना था। निम्नलिखित तत्वों एवं कारकों ने संविधान की रचना को प्रभावित किया-

  • 1. देश को गणतंत्र का स्वरूप प्रदान करना : विश्व के अनेक देशों में उस काल में राजतंत्रात्मक शासन प्रणाली थी और संसद की मौजूदगी के बावजूद भी राजा निरंकुश हो जाता था। फलतः नागरिक स्वतंत्रता बाधित होती थी। उसको दूर करने के लिए जरूरी था कि एक गणतंत्रात्मक सरकार का गठन हो इसलिए अमेरिका संविधान में गणतंत्र के स्थापना की बात की गई।
  • 2. संघीय व्यवस्था को अपनाया जाना : क्रांति के दौरान सभी तेरह अमेरिकी उपनिवेशों ने निर्धारित लक्ष्य की पूर्ति के लिए एकजुट होकर कार्य किया था। अब मुद्दा यह था कि “अनेक ऐ एक” (One out of many)कैसे हुआ जाए। इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए संघीय शासन प्रणाली की स्थापना की गई। राज्यों के समान हितों की रक्षा के लिए जो महासंघ अस्तित्व में आया उसे USA नाम दिया गया। महासंघ की स्थापना से तेरहों उपनिवेश एकता के सूत्र में बंध गए और हर राज्य के नागरिकों को वे ही अधिकार और कर आदि से छूटे मिली जो अन्य राज्य के नागरिकों को प्राप्त थी।
  • 3. एक शक्तिशाली केन्द्र की स्थापना : एक शक्तिशाली केन्द्र की स्थापना की गई ताकि राज्य अपने निहित स्वार्थों के कारण आगे चलकर स्वतंत्र होने का प्रयास न कर सके। दूसरी तरफ राज्यों की पहचान बनाए रखने का भी प्रावधान किया गया। यही वजह है कि अमेरिका संविधान में लिखा गया-““अविनाशी राज्यों का अविनाशी संघ””। राज्यों के आपसी विवादों तथा उनके बीच व्यापारिक संबंधों के नियमन हेतु भी एक मजबूत केन्द्र की स्थापना की गई संघीय शासन को चलाने हेतु एक राष्ट्रीय विधायिका का निर्माण किया गया जिसमें दो सदन थे-एक उच्च सदन (सीनेट) तथा दूसरा निम्न सदन (प्रतिनिधि सभा)। चूंकि स्वतंत्रता के दौरान उपनिवेशों ने प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं का नारा दिया था इस बात को ध्यान में रखते हुए सीनेट में समानता के सिद्धान्त को बनाए रखा गया और प्रत्येक राज्य से दो/दो सदस्यों के चुने जाने का प्रावधान किया गया।
  • 4. शक्ति का पृथक्करण सिद्धान्त : सरकार की शक्ति किन्हीं एक हाथों में पड़कर निरंकुश न हो जाए तथा कार्यपालिका ही सर्वशक्तिमान न हो जाय और व्यक्ति की स्वतंत्रता तथा नागरिक अधिकारों का हनन न हो इसलिए संविधान में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के विभाजन का सिद्धान्त अपनाया गया।
  • 5. संविधान संशोधन में राज्यों की भूमिका : राज्यों को पर्याप्त महत्व देने हुए कानून के निर्माण में उनकी सहभागिता को महत्व देना जरूरी था। अतः संविधान संशोधन प्रक्रिया में यह प्रावधान किया गया कि प्रत्येक सदन के दो/तिहाई मतों के आधार पर कांग्रेस संविधान में संशोधन का प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकेगी या राज्यों की कुल संख्या में से दो तिहाई राज्यों की विधायिका में से आवेदन प्राप्त होने पर संशोधन प्रस्तावित करने के लिए सम्मेलन बुलाएगी।
  • 6. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना : राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को वाणिज्यिक सौदागरों के चंगुल से मुक्त कर एक स्वतंत्र आर्थिक नीति का निर्माण करना जरूरी था। अतः सिक्के ढालने, सरकारी नोट जारी करने, विदेशों के साथ ऋण प्राप्त करने तथा ऋणों का भुगतान करने आदि से संबंधित अधिकार संघ को दिए गए।

बाहरी कड़ियाँ

राष्ट्रीय अभिलेखागार

अमेरिकी सरकार के स्रोत

गैर-सरकारी जालघर