"शेख़ अब्दुल्ला": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है
Rescuing 1 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.1
पंक्ति 22: पंक्ति 22:


== साहित्य ==
== साहित्य ==
इनके द्वारा रचित एक [[आत्मकथा]] ''[[आतिशे–चिनार]]'' के लिये उन्हें सन् १९८८ में [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] ([[साहित्य अकादमी पुरस्कार उर्दू|उर्दू]]) से मरणोपरांत सम्मानित किया गया।<ref name="sahitya">{{cite web | url=http://sahitya-akademi.gov.in/sahitya-akademi/awards/akademi%20samman_suchi_h.jsp | title=अकादमी पुरस्कार | publisher=साहित्य अकादमी | accessdate=11 सितंबर 2016}}</ref>
इनके द्वारा रचित एक [[आत्मकथा]] ''[[आतिशे–चिनार]]'' के लिये उन्हें सन् १९८८ में [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] ([[साहित्य अकादमी पुरस्कार उर्दू|उर्दू]]) से मरणोपरांत सम्मानित किया गया।<ref name="sahitya">{{cite web | url=http://sahitya-akademi.gov.in/sahitya-akademi/awards/akademi%20samman_suchi_h.jsp | title=अकादमी पुरस्कार | publisher=साहित्य अकादमी | accessdate=11 सितंबर 2016 | archive-url=https://web.archive.org/web/20160915135020/http://sahitya-akademi.gov.in/sahitya-akademi/awards/akademi%20samman_suchi_h.jsp | archive-date=15 सितंबर 2016 | url-status=dead }}</ref>


==सन्दर्भ==
==सन्दर्भ==

17:32, 15 जून 2020 का अवतरण

शेख अब्दुल्ला

कार्यकाल
1977 - 1982
उत्तरा धिकारी फारूक अब्दुल्ला

जन्म 5 दिसम्बर 1905
मृत्यु 8 सितम्बर 1982(1982-09-08) (उम्र 76)
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म मुस्लिम

शेख अब्‍दुल्‍ला (१९०५-१९८२) जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री दो विभिन्न अवसरों पर रहे। उनके बेटे फारूक और पोते उमर भी मुख्य मन्त्री रहे हैं।

निजी जीवन

इनके प्रारम्भिक जीवन के बारे में मुख्य महत्वपूर्ण स्रोत इनके द्वारा लिखा गया आतिश-ए-चिनार नामक आत्मकथा है। यह सौरा नामक गाँव में पैदा हुए जो श्रीनगर से बाहर था। इनका जन्म इनके पिता शेख मोहम्मद इब्राहिम के मौत के ग्यारह दिनों के बाद हुआ था। इनके पिता कश्मीरी शाल बनाने और बेचने का कार्य करते थे।

यह मैट्रिक परीक्षा पंजाब विश्वविद्यालय से 1922 में उत्तीर्ण हुए।

राजनीतिक सफर

मुख्यमंत्री

इनके जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के पद ग्रहण के पश्चात केन्द्र सरकार और शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी ने समर्थन वापस ले लिया। जिसके कारण दुबारा चुनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। चुनाव में भारी मतो से जीत के बाद शेख अब्दुल्ला फिर से मुख्यमंत्री बने। यह 1982 तक (इनके मौत तक) मुख्यमंत्री बने रहे। इनके मौत के बाद इनके सबसे बड़े बेटे फारूक अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री पद हेतु चुनाव लड़ा।

साहित्य

इनके द्वारा रचित एक आत्मकथा आतिशे–चिनार के लिये उन्हें सन् १९८८ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से मरणोपरांत सम्मानित किया गया।[1]

सन्दर्भ

  1. "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2016.

बाहरी कड़ियाँ