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'''भूड़''' एक प्रकार की कृषि योग्य जमीन ([[कृष्य भूमि]]) का ही नाम है। इस प्रकार की जमीन में [[बालू]] का अंश अधिक होता है। इस कारण इसे उपजाऊ बनाने के लिये [[जल|पानी]] या सिंचाई करने की अधिक आवश्यकता होती है। [[उर्वरक|खाद]] और पानी की उचित व पर्याप्त मात्रा मिलती रहे तो इस प्रकार की कृष्य भूमि में [[सस्य आवर्तन|रबी]], [[सस्य आवर्तन|खरीफ]] और [[सस्य आवर्तन|जायद]]; तीन-तीन फसलें एक ही साल में सफलतापूर्वक उगायी जा सकती हैं। |
'''भूड़''' एक प्रकार की कृषि योग्य जमीन ([[कृष्य भूमि]]) का ही नाम है। इस प्रकार की जमीन में [[बालू]] का अंश अधिक होता है। इस कारण इसे उपजाऊ बनाने के लिये [[जल|पानी]] या सिंचाई करने की अधिक आवश्यकता होती है। [[उर्वरक|खाद]] और पानी की उचित व पर्याप्त मात्रा मिलती रहे तो इस प्रकार की कृष्य भूमि में [[सस्य आवर्तन|रबी]], [[सस्य आवर्तन|खरीफ]] और [[सस्य आवर्तन|जायद]]; तीन-तीन फसलें एक ही साल में सफलतापूर्वक उगायी जा सकती हैं। |
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* [http://pustak.org/home.php?mean=20207 भारतीय साहित्य संग्रह में '''भूड़''' शब्द का अर्थ] |
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09:33, 15 जून 2020 के समय का अवतरण
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भूड़ एक प्रकार की कृषि योग्य जमीन (कृष्य भूमि) का ही नाम है। इस प्रकार की जमीन में बालू का अंश अधिक होता है। इस कारण इसे उपजाऊ बनाने के लिये पानी या सिंचाई करने की अधिक आवश्यकता होती है। खाद और पानी की उचित व पर्याप्त मात्रा मिलती रहे तो इस प्रकार की कृष्य भूमि में रबी, खरीफ और जायद; तीन-तीन फसलें एक ही साल में सफलतापूर्वक उगायी जा सकती हैं।