"काजू": अवतरणों में अंतर
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काजू का उपभोग कई तरह से किया जाता है। काजू के छिलके का इस्तेमाल पेंट से लेकर [[स्नेहक]] (लुब्रिकेंट्स) तक में होता है। एशियाई देशों में अधिकांश तटीय इलाके काजू उत्पादन के बड़े क्षेत्र हैं। काजू की व्यावसायिक खेती दिनों-दिन लगातार बढ़ती जा रही है क्योंकि काजू सभी अहम कार्यक्रमों या उत्सवों में अल्पाहार या नाश्ता का जरूरी हिस्सा बन गया है। विदेशी बाजारों में भी काजू की बहुत अच्छी मांग है। काजू बहुत तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है और इसमे पौधारोपण के तीन साल बाद फूल आने लगते हैं और उसके दो महीने के भीतर पककर तैयार हो जाता है। बगीचे का बेहतर प्रबंधन और ज्यादा पैदावार देनेवाले प्रकार (कल्टीवर्स) का चयन व्यावसायिक उत्पादकों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। |
काजू का उपभोग कई तरह से किया जाता है। काजू के छिलके का इस्तेमाल पेंट से लेकर [[स्नेहक]] (लुब्रिकेंट्स) तक में होता है। एशियाई देशों में अधिकांश तटीय इलाके काजू उत्पादन के बड़े क्षेत्र हैं। काजू की व्यावसायिक खेती दिनों-दिन लगातार बढ़ती जा रही है क्योंकि काजू सभी अहम कार्यक्रमों या उत्सवों में अल्पाहार या नाश्ता का जरूरी हिस्सा बन गया है। विदेशी बाजारों में भी काजू की बहुत अच्छी मांग है। काजू बहुत तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है और इसमे पौधारोपण के तीन साल बाद फूल आने लगते हैं और उसके दो महीने के भीतर पककर तैयार हो जाता है। बगीचे का बेहतर प्रबंधन और ज्यादा पैदावार देनेवाले प्रकार (कल्टीवर्स) का चयन व्यावसायिक उत्पादकों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। |
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काजू यह एक फल देनेवाला पेडणे है। इस फल को विलायती मॅंगो भी कहते है। |
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हिज्जली बदाम (हिंदी), गेरू (कन्नड), कचुमाक (मल्यालम), जीडिमा मिडि (तेलुगू) ऐसे विविध नामों से पहाटे जानेवाले काजू के 'बोंड' से कोकण, मलबार, तामिलनाडू जैसे प्रदेशाें में विविध प्रकार की मदिरा तैयार की जाती है। गोवा में भी काजू के बरेच पैमाने पर फसल ली जाती है। गोवा की काजू की फेनी प्रसिध्द है। |
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== सन्दर्भ == |
== सन्दर्भ == |
05:31, 12 जून 2020 का अवतरण
काजू (द्विपद नामकरण : Anacardium occidentale / आनाकार्द्यूम् ओक्सीदेन्ताले) एक प्रकार का पेड़ है जिसका फल सूखे मेवे के लिए बहुत लोकप्रिय है। काजू का आयात निर्यात एक बड़ा व्यापार भी है। काजू से अनेक प्रकार की मिठाईयाँ और मदिरा भी बनाई जाती है।
काजू का पेड़ तेजी से बढ़ने वाला उष्णकटिबंधीय पेड़ है जो काजू और काजू का बीज पैदा करता है। काजू की उत्पत्ति ब्राजील से हुई है। किन्तु आजकल इसकी खेती दुनिया के अधिकांश देशों में की जाती है। सामान्य तौर पर काजू का पेड़ 13 से 14 मीटर तक बढ़ता है। हालांकि काजू की बौनी कल्टीवर प्रजाति जो 6 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है, जल्दी तैयार होने और ज्यादा उपज देने की वजह से बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है।
काजू का उपभोग कई तरह से किया जाता है। काजू के छिलके का इस्तेमाल पेंट से लेकर स्नेहक (लुब्रिकेंट्स) तक में होता है। एशियाई देशों में अधिकांश तटीय इलाके काजू उत्पादन के बड़े क्षेत्र हैं। काजू की व्यावसायिक खेती दिनों-दिन लगातार बढ़ती जा रही है क्योंकि काजू सभी अहम कार्यक्रमों या उत्सवों में अल्पाहार या नाश्ता का जरूरी हिस्सा बन गया है। विदेशी बाजारों में भी काजू की बहुत अच्छी मांग है। काजू बहुत तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है और इसमे पौधारोपण के तीन साल बाद फूल आने लगते हैं और उसके दो महीने के भीतर पककर तैयार हो जाता है। बगीचे का बेहतर प्रबंधन और ज्यादा पैदावार देनेवाले प्रकार (कल्टीवर्स) का चयन व्यावसायिक उत्पादकों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। काजू यह एक फल देनेवाला पेडणे है। इस फल को विलायती मॅंगो भी कहते है।
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उपयुक्त विकिदुवे देऊन या लेखाचे विकिकरण करण्यास कृपया मदत करा.
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Quick facts: " | काजू, " | वैज्ञानिक वर्गीकरण … हिज्जली बदाम (हिंदी), गेरू (कन्नड), कचुमाक (मल्यालम), जीडिमा मिडि (तेलुगू) ऐसे विविध नामों से पहाटे जानेवाले काजू के 'बोंड' से कोकण, मलबार, तामिलनाडू जैसे प्रदेशाें में विविध प्रकार की मदिरा तैयार की जाती है। गोवा में भी काजू के बरेच पैमाने पर फसल ली जाती है। गोवा की काजू की फेनी प्रसिध्द है।