"साबुत अनाज": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है
Grain_hindi.png on Commons
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Grain hindi.gif|right]]
[[चित्र:Grain_hindi.png|right]]
'''साबुत अनाज''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:''होल ग्रेन'') अर्थात दाने के तीनों भागों को खाया जाता है जिसमें [[आहारीय रेशा|रेशा]] युक्त बाहरी सतह और [[पोषण|पोषकता]] से भरपूर बीज भी शामिल है। साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थों में एक बाहरी खोल, भूसी, चोकर या ब्रान (ऊपरी सतह), बीज और मुलायम एण्डोस्पर्म पाया जाता है।<ref name="हिन्दुस्तान">[http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/tips/67-77-95339.html साबुत अनाज]। हिन्दुस्तान लाइव। ८ फ़रवरी २०१०</ref> [[गेहूँ|गेहूं]] की पिसाई के वक्त ऊपरी भूसी एवं बीज को हटा दिया जाता है एवं स्टार्च बहुल एण्डोस्पर्म ही बच जाता है। भूसी एवं बीज से [[विटामिन ई]], [[विटामिन बी समूह|विटामिन बी]] और अन्य तत्व जैसे [[जस्ता]], [[सेलेनियम]], [[ताम्र|तांबा]], [[लोहा|लौह]], [[मैंगनीज़|मैगनीज]] एवं [[मैग्नीसियम|मैग्नीशियम]] आदि प्राप्त होते हैं। इनमें [[आहारीय रेशा|रेशा]] भी प्रचुर मात्र में पाया जाता है। सभी साबुत अनाजों में अघुलनशील फाइबर पाये जाते हैं जो कि पाचन तंत्र के लिए बेहतर माने जाते हैं, साथ ही कुछ घुलनशील फाइबर भी होते हैं जो रक्त में वांछित [[कोलेस्टेरॉल|कोलेस्ट्रोल]] के स्तर को बढ़ाते हैं। खासतौर से [[जई]], [[जौ]] और [[राई]] में घुलनशील फाइबर की मात्र अधिक होती है, साबुत अनाजों में रूटीन (एक फ्लेवेनएड जो हृदय रोगों को कम करता है), लिग्नान्स, कई [[प्रतिऑक्सीकारक|एंटीऑक्सीडेंट्स]] और अन्य लाभदायक पदार्थ पाये जाते हैं।
'''साबुत अनाज''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:''होल ग्रेन'') अर्थात दाने के तीनों भागों को खाया जाता है जिसमें [[आहारीय रेशा|रेशा]] युक्त बाहरी सतह और [[पोषण|पोषकता]] से भरपूर बीज भी शामिल है। साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थों में एक बाहरी खोल, भूसी, चोकर या ब्रान (ऊपरी सतह), बीज और मुलायम एण्डोस्पर्म पाया जाता है।<ref name="हिन्दुस्तान">[http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/tips/67-77-95339.html साबुत अनाज]। हिन्दुस्तान लाइव। ८ फ़रवरी २०१०</ref> [[गेहूँ|गेहूं]] की पिसाई के वक्त ऊपरी भूसी एवं बीज को हटा दिया जाता है एवं स्टार्च बहुल एण्डोस्पर्म ही बच जाता है। भूसी एवं बीज से [[विटामिन ई]], [[विटामिन बी समूह|विटामिन बी]] और अन्य तत्व जैसे [[जस्ता]], [[सेलेनियम]], [[ताम्र|तांबा]], [[लोहा|लौह]], [[मैंगनीज़|मैगनीज]] एवं [[मैग्नीसियम|मैग्नीशियम]] आदि प्राप्त होते हैं। इनमें [[आहारीय रेशा|रेशा]] भी प्रचुर मात्र में पाया जाता है। सभी साबुत अनाजों में अघुलनशील फाइबर पाये जाते हैं जो कि पाचन तंत्र के लिए बेहतर माने जाते हैं, साथ ही कुछ घुलनशील फाइबर भी होते हैं जो रक्त में वांछित [[कोलेस्टेरॉल|कोलेस्ट्रोल]] के स्तर को बढ़ाते हैं। खासतौर से [[जई]], [[जौ]] और [[राई]] में घुलनशील फाइबर की मात्र अधिक होती है, साबुत अनाजों में रूटीन (एक फ्लेवेनएड जो हृदय रोगों को कम करता है), लिग्नान्स, कई [[प्रतिऑक्सीकारक|एंटीऑक्सीडेंट्स]] और अन्य लाभदायक पदार्थ पाये जाते हैं।



16:45, 20 मई 2020 का अवतरण

साबुत अनाज (अंग्रेज़ी:होल ग्रेन) अर्थात दाने के तीनों भागों को खाया जाता है जिसमें रेशा युक्त बाहरी सतह और पोषकता से भरपूर बीज भी शामिल है। साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थों में एक बाहरी खोल, भूसी, चोकर या ब्रान (ऊपरी सतह), बीज और मुलायम एण्डोस्पर्म पाया जाता है।[1] गेहूं की पिसाई के वक्त ऊपरी भूसी एवं बीज को हटा दिया जाता है एवं स्टार्च बहुल एण्डोस्पर्म ही बच जाता है। भूसी एवं बीज से विटामिन ई, विटामिन बी और अन्य तत्व जैसे जस्ता, सेलेनियम, तांबा, लौह, मैगनीज एवं मैग्नीशियम आदि प्राप्त होते हैं। इनमें रेशा भी प्रचुर मात्र में पाया जाता है। सभी साबुत अनाजों में अघुलनशील फाइबर पाये जाते हैं जो कि पाचन तंत्र के लिए बेहतर माने जाते हैं, साथ ही कुछ घुलनशील फाइबर भी होते हैं जो रक्त में वांछित कोलेस्ट्रोल के स्तर को बढ़ाते हैं। खासतौर से जई, जौ और राई में घुलनशील फाइबर की मात्र अधिक होती है, साबुत अनाजों में रूटीन (एक फ्लेवेनएड जो हृदय रोगों को कम करता है), लिग्नान्स, कई एंटीऑक्सीडेंट्स और अन्य लाभदायक पदार्थ पाये जाते हैं।

परंपरागत पकी हुई राई की ब्रेड

पूर्व मान्यता अनुसार साबुत अनाज कई रोगों से बचाते हैं क्योंकि इसमें फाइबर की प्रचुरता होती है। परंतु नवीन खोजों से पुष्टि हुई कि साबुत अनाजों में फाइबर के अलावा कई विटामिनों के अनूठे मिश्रण, खनिज-लवण, अघुलनशील एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोस्टेरोल भी पाए जाते हैं, जो कि सब्जियों और फलों में अनुपस्थित होते हैं और शरीर को कई रोगों से बचाते हैं।[2] इसका सेवन करने वालों को मोटापे का खतरा कम होता है। मोटापे को बॉडी मास इंडेक्स और कमर से कूल्हों के अनुपात से मापा जाता है। साथ ही साबुत अनाज से कोलेस्ट्रोल स्तर भी कम बना रहता है जिसका मुख्य कारण इनमें पाये जाने वाले फाइटोकैमिकल्स और एंटीआक्सीडेण्ट्स हैं। जो घर में बने आटे की रोटियां खाते हैं उनमें ब्रेड खाने वालों की अपेक्षा हृदय रोगों की आशंका २५-३६ प्रतिशत कम होती है। इसी तरह स्ट्रोक का ३७ प्रतिशत, टाइप-२ मधुमेह का २१-२७ प्रतिशत, पचनतंत्र कैंसर का २१-४३ प्रतिशत और हामर्न संबंधी कैंसर का खतरा १०-४० प्रतिशत तक कम होता है।

साबुत अनाज का सेवन करने वाले लोगों को मधुमेह, कोरोनरी धमनी रोग, पेट का कैंसर और उच्च रक्तचाप जैसे रोगों की आशंका कम हो जाती है।[1] साबुत अनाज युक्त खाद्य पदार्थों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे ये रक्त में शर्करा के स्तर को कम करते हैं। इनमें पाए जाने वाले फाइबर अंश पेट में गैस बनने की प्रक्रिया कम करते हैं एवं पेट में स्थिरता का आभास होता है, इसलिए ये शारीरिक वजन को कम करने में सहायता करते हैं। साबुत अनाज और साबुत दालें प्रतिदिन के आहार में अवश्य सम्मिलित करने चाहिये। धुली दाल के बजाय छिलके वाली दाल को वरीयता देनी चाहिये। साबत से बनाए गए ताजे उबले हुए चावल, इडली, उपमा, डोसा आदि रिफाइन्ड अनाज से बने पैक किए उत्पादों जैसे पस्ता, नूडल्स आदि से कहीं बेहतर होते हैं। रोटी, बन और ब्रैड से ज्यादा अच्छी होती हैं।[2] रिफाइंड अनाज के मुकाबले साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थों से कार्डियोवस्क्युलर बीमारियों एवं पेट के कैंसर का खतरा कम हो जाता है।

पकवान

साबत अनाज से विभिन्न प्रकार के व्यंजन तैया किये जाते हैं। जैसे गेहूं सेरोटी, पराठा, भाकरी, पूरी, दलिया, ब्रैड, आदि। मक्का से रोटी, भुट्टा, कॉर्नफ़्लेक्स और कार्नसूप आदि। रागी से लड्डू, रोटी, दलिया, डोसा एवं बाजारे की रोटी, ज्वार की रोटी, कूटू की रोटी,कचौरी, पूरी, मक्का के फ्लेग्स और ओटमील व अनेक अन्य व्यंजन बनते हैं।

सन्दर्भ

  1. साबुत अनाज। हिन्दुस्तान लाइव। ८ फ़रवरी २०१०
  2. साबुत अनाज पूरे शरीर को बचाते हैं

बाहरी कड़ियाँ