"केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड": अवतरणों में अंतर

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भारत में सबसे पहले "उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ हाई स्कूल एण्ड इंटरमीडिएट एजुकेशन पहला बोर्ड" की स्थापना सन् १९२१ में हुई थी। [[राजपुताना]], मध्य भारत तथा ग्वालियर इसके अधिकार क्षेत्र में आते थे और संयुक्त प्रांतों की सरकार द्वारा किए गए अभ्यावेदन के उत्तर में तत्कालीन भारत सरकार ने सभी क्षेत्रों के लिए वर्ष १९२९ में एक संयुक्त बोर्ड स्थापित करने का सुझाव दिया जिसका नाम "बोर्ड ऑफ हाई स्कूल एण्ड इंटरमीडिएट एजुकेशन राजपूताना" रखा गया। इसमें [[अजमेर]], [[मारवाड]], मध्य भारत और [[ग्वालियर]] शामिल थे।<ref name="आधिकारिक"/>
भारत में सबसे पहले "उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ हाई स्कूल एण्ड इंटरमीडिएट एजुकेशन पहला बोर्ड" की स्थापना सन् १९२१ में हुई थी। [[राजपुताना]], मध्य भारत तथा ग्वालियर इसके अधिकार क्षेत्र में आते थे और संयुक्त प्रांतों की सरकार द्वारा किए गए अभ्यावेदन के उत्तर में तत्कालीन भारत सरकार ने सभी क्षेत्रों के लिए वर्ष १९२९ में एक संयुक्त बोर्ड स्थापित करने का सुझाव दिया जिसका नाम "बोर्ड ऑफ हाई स्कूल एण्ड इंटरमीडिएट एजुकेशन राजपूताना" रखा गया। इसमें [[अजमेर]], [[मारवाड]], मध्य भारत और [[ग्वालियर]] शामिल थे।<ref name="आधिकारिक"/>


बोर्ड द्वारा माध्यमिक शिक्षा स्तर पर तीव्र विकास और विस्तार करने के फलस्वरूप इसके संस्थानों में शिक्षा के स्तर एवं गुणता में सुधार आया। परन्तु के विभिन्न भागों में राज्य विश्वविद्यालयों और राज्य बोर्डों के स्थापित हो जाने से केवल [[अजमेर]], [[भोपाल]] और तत्पश्चात्‌ विंय प्रदेश ही इसके अधिकार क्षेत्र में रह गए।<ref name="वर्ल्ड"/> इसके परिणामस्वरूप वर्ष १९५२ में बोर्ड का संविधान संशोधित किया गया जिससे इसका क्षेत्राधिकार भाग-ग और भाग-घ के क्षेत्रों तक बढ़ा दिया गया और बोर्ड को इसका वर्तमान नाम '''केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड''' दिया गया। अंततः १९६२ में बोर्ड का पुनर्गठन किया गया।<ref name="हिन्दुस्तान"/>
बोर्ड द्वारा माध्यमिक शिक्षा स्तर पर तीव्र विकास और विस्तार करने के फलस्वरूप इसके संस्थानों में शिक्षा के स्तर एवं गुणता में सुधार आया। परन्तु के विभिन्न भागों में राज्य विश्वविद्यालयों और राज्य बोर्डों के स्थापित हो जाने से केवल [[अजमेर]], [[भोपाल]] और तत्पश्चात्‌ विंय प्रदेश ही इसके अधिकार क्षेत्र में रह गए।<ref name="वर्ल्ड"/> इसके परिणामस्वरूप वर्ष १९५२ में बोर्ड का संविधान संशोधित किया गया जिससे इसका क्षेत्राधिकार भाग-ग और भाग-घ के क्षेत्रों तक बढ़ा दिया गया और बोर्ड को इसका वर्तमान नाम '''केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड''' दिया गया। अंततः १९६२ में बोर्ड का पुनर्गठन किया गया।<ref name="हिन्दुस्तान"/> इसका मुख्य उद्देश्य उन शैक्षिक संस्थानों की अधिक प्रभावी ढंग से सेवा करना था, उन छात्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी होना जिनके माता-पिता केंद्र सरकार में कार्यरत थे और जिनमें अक्सर स्थानांतरणीय नौकरियां थीं।<ref>{{Cite web|url=https://www.paigamehind.com/|title=पैगाम-ए-हिंद|last=|first=|date=|website=पैगाम-ए-हिंद|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=2020-05-19}}</ref>


== प्रमुख कार्यकलाप एवं उद्देश्य ==
== प्रमुख कार्यकलाप एवं उद्देश्य ==

18:28, 19 मई 2020 का अवतरण

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड
सेन्ट्रल बोर्ड सी.बी.एस.ई'
सीबीएसई का प्रतीक चिह्न
सीबीएसई का प्रतीक चिह्न

आदर्श वाक्य:असतो मा सद्गमय
स्थापित१९५२
प्रकार:बोर्ड
अध्यक्ष:राकेश कुमार चतुर्वेदी
अध्यक्ष:विनीत जोशी, (आई.ए.एस)
अवस्थिति:"शिक्षा केन्द्र", 2, सामुदायिक केन्द्र, प्रीत विहार, दिल्ली - 110092
सम्बन्धन:यहां देखें
जालपृष्ठ:www.cbse.nic.in/

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (अंग्रेज़ी:Central Board of Secondary Education या CBSE) भारत की स्कूली शिक्षा का एक प्रमुख बोर्ड है। भारत के अन्दर और बाहर के बहुत से निजी विद्यालय इससे सम्बद्ध हैं। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं - शिक्षा संस्थानों को अधिक प्रभावशाली ढंग से लाभ पहुंचाना, उन विद्यार्थियों की शैक्षिक आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी होना जिनके माता-पिता केन्द्रीय सरकार के कर्मचारी हैं और निरंतर स्थानान्तरणीय पदों पर कार्यरत हों। केन्द्रीय [केन्द्रीय विद्यालय]], १७६१ सरकारी विद्यालय, ५८२७ स्वतंत्र विद्यालय, ४८० [[जवाहर नवोदय वि[लय]] और १४ केन्द्रीय तिब्बती विद्यालय सम्मिलित हैं।[1] इसका ध्येय वाक्य है - असतो मा सद्गमय (हे प्रभु ! हमे असत्य से सत्य की ओर ले चलो।)[2][3]

संचालित परीक्षाएँ

यह पहली कक्षा से लेकर १२वीं कक्षा तक के लिये पाठ्यक्रम तैयार करता है एवं वर्ष में दो मुख्य परीक्षाएं संचालित करता है - १०वीं कक्षा के लिये अखिल भारतीय सेकेण्डरी स्कूल परीक्षा (AISSE) एवं १२वीं कक्षा के लिये अखिल भारतीय सिनीयर स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा (AISSCE)। इसके अतिरिक्त अखिल भारतीय इंजिनीयरिंग प्रवेश परीक्षा (AIEEE) तथा अखिल भारतीय प्री-मेडिकल परीक्षा (AIPMT) का भी संचालन करता है।[1]

इतिहास

भारत में सबसे पहले "उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ हाई स्कूल एण्ड इंटरमीडिएट एजुकेशन पहला बोर्ड" की स्थापना सन् १९२१ में हुई थी। राजपुताना, मध्य भारत तथा ग्वालियर इसके अधिकार क्षेत्र में आते थे और संयुक्त प्रांतों की सरकार द्वारा किए गए अभ्यावेदन के उत्तर में तत्कालीन भारत सरकार ने सभी क्षेत्रों के लिए वर्ष १९२९ में एक संयुक्त बोर्ड स्थापित करने का सुझाव दिया जिसका नाम "बोर्ड ऑफ हाई स्कूल एण्ड इंटरमीडिएट एजुकेशन राजपूताना" रखा गया। इसमें अजमेर, मारवाड, मध्य भारत और ग्वालियर शामिल थे।[2]

बोर्ड द्वारा माध्यमिक शिक्षा स्तर पर तीव्र विकास और विस्तार करने के फलस्वरूप इसके संस्थानों में शिक्षा के स्तर एवं गुणता में सुधार आया। परन्तु के विभिन्न भागों में राज्य विश्वविद्यालयों और राज्य बोर्डों के स्थापित हो जाने से केवल अजमेर, भोपाल और तत्पश्चात्‌ विंय प्रदेश ही इसके अधिकार क्षेत्र में रह गए।[3] इसके परिणामस्वरूप वर्ष १९५२ में बोर्ड का संविधान संशोधित किया गया जिससे इसका क्षेत्राधिकार भाग-ग और भाग-घ के क्षेत्रों तक बढ़ा दिया गया और बोर्ड को इसका वर्तमान नाम केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड दिया गया। अंततः १९६२ में बोर्ड का पुनर्गठन किया गया।[1] इसका मुख्य उद्देश्य उन शैक्षिक संस्थानों की अधिक प्रभावी ढंग से सेवा करना था, उन छात्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी होना जिनके माता-पिता केंद्र सरकार में कार्यरत थे और जिनमें अक्सर स्थानांतरणीय नौकरियां थीं।[4]

प्रमुख कार्यकलाप एवं उद्देश्य

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की स्थापना कतिपय परस्पर संबंधित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की गई थीः

  • कक्षा १०वीं और १२वीं के अंत में सार्वजनिक परीक्षाएं आयोजित करने एवं परीक्षाओं से संबंधित शर्तें निर्धारित करने हेतु। संबद्ध विद्यालयों के सफल विद्यार्थियों को अर्हता प्रमाण-पत्र प्रदान करने के लिए।
  • उन विद्यार्थियों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जिनके माता-पिता स्थानान्तरणीय पदों पर कार्यरत हों।
  • परीक्षाओं के लिए अनुदेश पाठ्यक्रमों का निर्धारण करने तथा इन पाठ्यक्रम को अद्यतन बनाने के लिए।
  • परीक्षा प्रयोजन हेतु विद्यालयों को संबद्धता प्रदान करने तथा देष के शैक्षिक प्रतिमानों को ऊँचा उठाने के लिए।

क्षेत्राधिकार

बोर्ड का अधिकार क्षेत्र व्यापक है और राष्ट्र की भौगोलिक सीमाओं से बाहर भी फैला हुआ है। पुनर्गठन के फलस्वरूप दिल्ली माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का केन्द्रीय बोर्ड में विलय कर दिया गया और इस प्रकार दिल्ली बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त सभी शैक्षिक संस्थाएं भी केन्द्रीय बोर्ड का अंग बन गई। तदनन्तर संघ शासित प्रदेश, चण्डीगढ़, अरूणाचल प्रदेश, अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह, सिक्किम राज्य और अब झारखण्ड, उत्तरांचल एवं छत्तीसगढ़ के सभी स्कूलों ने भी बोर्ड के साथ सम्बद्धता प्राप्त कर ली है। वर्ष १९६२ में मात्र ३०९ विद्यालयों से ३१-०३-२००७ तक ८९७९ विद्यालय बोर्ड से सम्बद्ध है जिनमें २१ अन्य देशों में चल रहे १४१ विद्यालय भी शामिल हैं।[3] इसमें कुल ८९७ केन्द्रीय विद्यालय, १७६१ सरकारी विद्यालय, ५८२७ स्वतंत्र विद्यालय, ४८० जवाहर नवोदय विद्यालय और १४ केन्द्रीय तिब्बती विद्यालय सम्मिलित हैं।[2]

विकेन्द्रीकरण

अपने कार्यो को अधिकाधिक प्रभावशाली ढंग से निष्पादित करने और सम्बद्ध विद्यालयों के प्रति अधिक प्रतिसंवेदी होने के उद्देश्य से बोर्ड द्वारा देश के विभिन्न भागों में क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित किए गए हैं। बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय अजमेर, चेन्नई, इलाहाबाद, गुवाहाटी, पंचकुला और दिल्ली में भी स्थित हैं। देश के बाहर स्थित विद्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय दिल्ली के अंतर्गत आते हैं। मुख्यालय, क्षेत्रीय कार्यालयों के कार्यकलापों पर नजर रखता है यद्यपि क्षेत्रीय कार्यालयों को भी पर्याप्त अधिकार दिए गए हैं तथापि नीतिगत मामले मुख्यालय को भेजे जाते हैं। प्रशासन संबंधी दिन प्रतिदिन के मामले, विद्यालयों से सम्पर्क, परीक्षा पूर्व और परीक्षा उपरान्त की व्यवस्था आदि सभी मामलों की देख-रेख क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा की जाती है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. सीबीएसई। हिन्दुस्तान लाइव। १८ फ़रवरी २०१०
  2. आधिकारिक जालस्थल-के.मा.शि.बोर्ड
  3. केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड। वर्ल्ड प्रेस
  4. "पैगाम-ए-हिंद". पैगाम-ए-हिंद. अभिगमन तिथि 2020-05-19.

बाहरी कड़ियाँ